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राजनीति
सुप्रीम कोर्ट ने 2:1 से दी सेंट्रल विस्टा को मंज़ूरी, विपक्ष ने कहा- ग़लत प्राथमिकता का मुद्दा
“13,450 करोड़ रुपये की सेंट्रल विस्टा परियोजना कोई विधि सम्मत मुद्दा नहीं है, बल्कि एक ऐसे ‘तानाशाह’ की गलत प्राथमिकताओं का विषय है जो अपना नाम इतिहास में दर्ज कराना चाहते हैं।’’
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
05 Jan 2021
सुप्रीम कोर्ट ने 2:1 से दी सेंट्रल विस्टा को मंज़ूरी, विपक्ष ने कहा- ग़लत प्राथमिकता का मुद्दा

दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने आज दो-एक के बहुमत से नई संसद के निर्माण की ‘सेंट्रल विस्टा’ परियोजना को मंज़ूरी दे दी। कोर्ट ने लुटियन्स दिल्ली में ‘सेंट्रल विस्टा’ परियोजना को मिली पर्यावरण मंजूरी और भूमि उपयोग में बदलाव की अधिसूचना को मंगलवार को बरकरार रखा और राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक तीन किलोमीटर के क्षेत्र में प्रस्तावित इस महत्वाकांक्षी परियोजना का रास्ता साफ कर दिया।

केन्द्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने मंगलवार को केन्द्र की महत्वाकांक्षी ‘सेंट्रल विस्टा परियोजना’ को मंजूरी देने के उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि सरकार पर्यावरण संबंधी मुद्दों को लेकर हमेशा संवेदनशील रही है।

आवास एवं शहरी मामलों के केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार निर्माण की अवधि के दौरान उच्चतम मानकों का पालन करना जारी रखेगी।

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बहुमत से फैसला सुनाते हुए ‘सेंट्रल विस्टा परियोजना’ के लिए पर्यावरण मंजूरी और भूमि उपयोग में बदलाव की अधिसूचना को बरकरार रखा।

सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच में 2 जजों ने बहुमत से यह फ़ैसला दिया। जस्टिस एएम खानविलकर की अगुआई वाली बेंच ने कहा कि प्रोजेक्ट की साइट पर एंटी स्मोक गन और स्मॉग टावर बनाए जाएं। तीसरे जज जस्टिस संजीव खन्ना ने बहुमत से अलग मत व्यक्त किया और पर्यावरण क्लियरेंस और लैंड यूज नोटिफिकेशन के फैसले से विपरीत मत जाहिर किया।

5 नवंबर को सेंट्रल विस्टा मामले में सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था

सेंट्रल विस्टा क़ानूनी नहीं, ‘गलत प्राथमिकताओं’ का मुद्दा: कांग्रेस

कांग्रेस ने ‘सेंट्रल विस्टा’ परियोजना को मिली पर्यावरण मंजूरी और भूमि उपयोग में बदलाव की अधिसूचना को मंगलवार को उच्चतम न्यायालय द्वारा बरकरार रखने का फैसला दिए जाने के बाद कहा कि यह परियोजना कानून से जुड़ा मुद्दा नहीं, बल्कि सरकार की ‘गलत प्राथमिकताओं’ का विषय है।

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यह भी दावा किया कि सरकार इस परियोजना को ऐसे समय आगे बढ़ा रही है जब देश कोरोना संकट और आर्थिक मंदी का सामना कर रहा है तथा सरकार ने सैनिकों, सरकारी कर्मचारियों एवं पेंशनभोगियों के भत्ते में हजारों करोड़ रुपये की कटौती की है।

सुरजेवाला ने ट्वीट कर आरोप लगाया, ‘‘13,450 करोड़ रुपये की सेंट्रल विस्टा परियोजना कोई विधि सम्मत मुद्दा नहीं है, बल्कि एक ऐसे ‘तानाशाह’ की गलत प्राथमिकताओं का विषय है जो अपना नाम इतिहास में दर्ज कराना चाहते हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘विडंबना यह है कि कोरोना महामारी और आर्थिक मंदी के समय भी केंद्र सरकार के पास सेंट्रल विस्टा पर खर्च करने के लिए 14,000 करोड़ रुपये और प्रधानमंत्री का विमान खरीदने के लिए 8000 करोड़ रुपये है। परंतु इसी भाजपा सरकार ने 11.3 लाख सशस्त्र बलों और केंद्र सरकार के कर्मचारियों एवं पेंशनभोगियों के भत्ते में 37,530 करोड़ रुपये की कटौती कर दी।’’

कांग्रेस नेता ने यह आरोप भी लगाया, ‘‘प्रधानमंत्री को यह नहीं भूलना चाहिए कि उन्होंने 15 लाख सैनिकों और 26 लाख सैन्य पेंशनभोगियों पर 11,000 करोड़ रुपये की कटौती लागू की है। इसके साथ ही, इस सरकार ने लद्दाख में चीनी आक्रामकता का मुकाबला कर रहे हमारे जवानों के लिए ‘गर्म टेंट’ और दूसरे उपकरण प्रदान नहीं किए।’’

आर्थिक मंदी और बेरोज़गारी के दौर में यह घाव पर नमक छिड़कने जैसा- वृंदा

सीपीएम नेता वृंदा करात ने सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि इस आर्थिक मंदी और कोविड के दौर में जहां सरकार के पास युवाओं को देने के लिए नौकरी नहीं है, ग़रीबों को देने के लिए मुफ़्त राशन नहीं है, जहां लोग भुखमरी का शिकार हो रहे हों, वहां करोड़ों-अरब खर्च करके नई संसद बनाने की योजना युवा-बेरोज़गारों और ग़रीबों के घावों पर नमक छिड़कने जैसा है।  

इस परियोजना से जुड़े पूरे मामले का घटनाक्रम इस प्रकार है:-

सितंबर, 2019: सेंट्रल विस्टा परियोजना की सितंबर 2019 में घोषणा की गई थी। इसके तहत त्रिकोण के आकार वाले नए संसद भवन का निर्माण किया जाएगा जिसमें 900 से 1,200 सांसदों के बैठने की व्यवस्था होगी। इसका निर्माण अगस्त 2022 तक पूरा होना है। उसी वर्ष भारत 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा।

11 फरवरी, 2020: दिल्ली उच्च न्यायालय ने डीडीए से कहा कि वह परियोजना के साथ आगे बढ़ने से पहले मास्टर प्लान में किसी भी बदलाव को अधिसूचित करने से पहले अदालत का दरवाजा खटखटाए।

28 फरवरी: दिल्ली उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने डीडीए, केंद्र की एक अपील पर एकल न्यायाधीश की पीठ के आदेश पर रोक लगा दी।

17 जुलाई: उच्चतम न्यायालय ने परियोजना से संबंधित पर्यावरणीय मंजूरी और भूमि उपयोग सहित विभिन्न मुद्दों को उठाने वाली कई याचिकाओं के एक बैच पर सुनवाई शुरू की।

5 नवंबर: उच्चतम न्यायालय ने परियोजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा।

7 दिसंबर: उच्चतम न्यायालय ने सेंट्रल विस्टा परियोजना के लिए शिलान्यास समारोह आयोजित करने की अनुमति दी, लेकिन निर्माण शुरू करने पर रोक लगा दी।

10 दिसंबर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परियोजना की आधारशिला रखी।

5 जनवरी, 2021: उच्चतम न्यायालय ने इस परियोजना के निर्माण के लिए हरी झंडी दिखा दी।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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