NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
सुप्रीम कोर्ट ने कहा-बिहार में कानून का नहीं बल्कि पुलिस का राज है, विपक्षी हुआ हमलावर
बिहार में विपक्षी वाम दल माले ने कहा पुलिस राज संबंधित सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी ने बिहार सरकार की पोल खोल दी है। जबकि राजद ने कहा बिहार पुलिस वह हर काम करती है जो किसी सभ्य समाज की पुलिस के लिए अपराध है, अमानवीय है!
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
13 Jul 2021
सुप्रीम कोर्ट

बिहार सरकार और वहाँ की पुलिस अपने नकरात्मक कृत्य के लिए सुर्ख़ियो में है। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में पुलिस की भूमिका को लेकर सरकार पर गंभीर टिप्पणी की है। कोर्ट ने बिहार सरकार की ओर से दायर एक याचिका खारिज कर दी, जिसमें पटना हाई कोर्ट के एक आदेश को चुनौती दी गई थी। नौ जुलाई को न्यायमूर्ति डीवाई चंद्राचूड़ और न्यायमूर्ति एमआर शाह ने बिहार सरकार की ओर से दाखिल अपील पर सुनवाई के बाद कहा कि पटना हाई कोर्ट का फैसला लागू रखा जाना चाहिए। इसको लेकर अब विपक्षी दल भी सरकार पर हमलावर हो गए है।

भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी ने भाजपा-जदयू शासन में पुलिस राज में बिहार के लगातार बदलते जाने की हमारी समझदारी को पुष्ट किया है। विगत विधानसभा सत्र के दौरान विपक्ष के विधायकों को अपमानित व बुरी तरह से पिटाई करवाके जिस तरह से ड्रैकोनियन पुलिस ऐक्ट सरकार ने पास किया था, उसके बाद पुलिस का मनोबल सातवें आसमान पर है।

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक मिल्क टैंकर ड्राइवर को अवैध रूप से 35 दिनों तक हिरासत में रखने संबंधी याचिका पर बिहार सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी और कहा था कि लगता है बिहार में कानून का नहीं बल्कि पुलिस का राज है। विदित हो कि टैंकर ड्राइवर को बिना कानूनी प्रक्रिया के 35 दिनों तक अवैध रूप से हिरासत में रखने की सुनवाई करते हुए पटना उच्च न्यायालय ने सरकार को 5 लाख का मुआवजा देने का फैसला सुनाया था। इस 5 लाख के मुआवजे के आदेश के खिलाफ सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी, जहां सुप्रीम कोर्ट ने भी उसे फटकार लगाई।

माले राज्य सचिव ने कहा कि सरकार अवलिंब सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करे और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करे जिसने अवैध रूप से टैंकर ड्राइवर को 35 दिनों तक हिरासत में रखा। यह भी कहा कि सरकार इस बात की गारंटी करे कि प्रशासन व पुलिस अपने पद का नाजायज फायदा उठाते हुए किसी भी व्यक्ति को परेशान न करे। यदि ऐसा होता है, तो सरकार कड़ी कार्रवाई करे और लोगों के मानव अधिकारों की रक्षा के प्रति चिंता करे।

माले राज्य सचिव ने आगे बिहार के कानून व्यवस्था को लेकर भी सरकार पर हमला बोला और कहा कि आज बिहार में अपराध की घटनाओं में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है, जो बेहद चिंताजनक है।

मुख्य विपक्षी दल राष्ट्रीय जनता दल ने भी सोशल मीडिया के माध्यम से सरकार पर निशान साधा और फेसबुक पर लिखा कि सर्वोच्च न्यायालय या पटना उच्च न्यायालय की बार बार तल्ख़ टिप्पणियों का निर्लज्ज नीतीश सरकार को रत्ती भर भी फ़र्क़ नहीं पड़ता है! अफसरशाही आसमान पर पहुँचाने वाली निकम्मी बिहार सरकार ने बिहार में पुलिस राज स्थापित किया हुआ है, इसका हर बिहारवासी भुक्तभोगी है! अब सर्वोच्च न्यायालय ने भी यह बात कही है!

आगे उन्होंने लिखा "बिहार पुलिस सुपारी किलिंग, लॉकअप किलिंग, फेक एनकाउंटर, अपहरण, फिरौती, अवैध हिरासत, अवैध वसूली, सत्ता के इशारे पर विवेकहीन अत्याचार आदि वह हर काम करती है जो किसी सभ्य समाज की पुलिस के लिए अपराध है, अमानवीय है!"

क्या पूरा मामला ?

सुप्रीम कोर्ट ने जिस मामले को लेकर सरकार को फ़टकार लगाई वो पूरा मामला सारण जिले के परसा पुलिस स्‍टेशन से जुड़ा है। यह मामला ट्रक ड्राइवर जितेंद्र को अवैध ढंग से काफी दिनों तक पुलिस हिरासत में रखे जाने का था। कोर्ट ने पुलिस के सभी तर्कों को इस मामले में खारिज कर दिया था। इसी मामले में राहत के लिए राज्‍य सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी। सुप्रीम कोर्ट में राज्‍य सरकार के वकील ने कहा कि जितेंद्र कुमार एक ट्रक ड्राइवर है और उसके लिए पांच लाख मुआवजा अधिक है। इस पर भी सुप्रीम कोर्ट ने आपत्ति जताई और व्‍यक्ति की हैसियत देख कर मुआवजा तय करने को गलत बताया।

इससे पहले हाई कोर्ट ने भी बिहार सरकार को लताड़ा था। 22 दिसंबर 2020 केअपने फैसले में पटना हाई कोर्ट ने भी बिहार पुलिस पर सवाल उठाए थे और डीजीपी को कहा था कि वे अपनी पूरी पुलिस फोर्स को आम लोगों के साथ सही तरीके से पेश आने के लिए ट्रेनिंग दिलाएं। ट्रक ड्राइवरों और अशिक्षित लोगों के साथ पुलिस का व्यवहार बदले जाने और उनकी शिकायतों के लिए एक मैकेनिज्‍म विकसित करने का निर्देश भी कोर्ट ने दिया था।

इसके साथ ही हाई कोर्ट ने दोषी पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई करने को कहा था। दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की रिपोर्ट 30 अप्रैल 2021 तक देने को कहा था। हाई कोर्ट ने डीजीपी को दोषी अधिकारियों पर आपराधिक मामला चलाने और व्यक्तिगत तौर पर एफिडेविट के जरिये इसकी जानकारी देने को कहा था।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा

बिहार सरकार ने हाई कोर्ट के इस निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया था। उसे वहां भी मुंह की खानी पड़ी। लाइव लॉ के मुताबिक़ सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस चंद्रचूड़ और जस्टिस शाह की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि राज्य सरकार को इस मामले में अपील में नहीं आना चाहिए था। किसी इंसान को हुए नुकसान को इस नजरिए से नहीं देखा जा सकता कि अगर जिसके साथ घटना हुई वह एक अमीर आदमी है तो अधिक मुआवजा मिलना चाहिये।

पीठ ने कहा कि “क्या बिहार सरकार ने अपने ही डीआईजी की रिपोर्ट को देखा है? डीआईजी ने हाईकोर्ट में दिये बयान में साफ-साफ कहा कि इस मामले में समय पर एफआईआर नहीं की गई, संबंधित व्यक्तियों का बयान नहीं लिया गया, वाहन का निरीक्षण नहीं किया गया और बिना किसी कारण के गाड़ी और ड्राइवर को थाने में डिटेन करके रखा गया।”

बिहार सरकार के वकील सुप्रीम कोर्ट में ये दलील बड़ी मज़बूती से रख रहे थे कि एक ड्राइवर के लिए पांच लाख मुआवजा तय करना ज्यादा है।

हालाँकि सरकार यह कहना अपने आप में बेहद निंदनीय है।

सरकार के तर्क पर कोर्ट ने कहा- राज्य सरकार की दलील है कि पुलिस ने उसे छोड़ दिया था लेकिन वह अपनी मर्जी से थाने में एंजॉय कर रहा था? आप सोच रहे हैं कि आपकी इस दलील पर कोर्ट विश्वास कर ले।

Supreme Court
Bihar
bihar police
Bihar Law & Order
Nitish Kumar
left parties

Related Stories

बिहार: पांच लोगों की हत्या या आत्महत्या? क़र्ज़ में डूबा था परिवार

ज्ञानवापी मस्जिद के ख़िलाफ़ दाख़िल सभी याचिकाएं एक दूसरे की कॉपी-पेस्ट!

बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर

आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र क़ानूनी मान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल

मायके और ससुराल दोनों घरों में महिलाओं को रहने का पूरा अधिकार

बिहारः नदी के कटाव के डर से मानसून से पहले ही घर तोड़कर भागने लगे गांव के लोग

जब "आतंक" पर क्लीनचिट, तो उमर खालिद जेल में क्यों ?

मिड डे मिल रसोईया सिर्फ़ 1650 रुपये महीने में काम करने को मजबूर! 


बाकी खबरें

  • blast
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हापुड़ अग्निकांड: कम से कम 13 लोगों की मौत, किसान-मजदूर संघ ने किया प्रदर्शन
    05 Jun 2022
    हापुड़ में एक ब्लायलर फैक्ट्री में ब्लास्ट के कारण करीब 13 मज़दूरों की मौत हो गई, जिसके बाद से लगातार किसान और मज़दूर संघ ग़ैर कानूनी फैक्ट्रियों को बंद कराने के लिए सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही…
  • Adhar
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: आधार पर अब खुली सरकार की नींद
    05 Jun 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस सप्ताह की जरूरी ख़बरों को लेकर फिर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन
  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष
    05 Jun 2022
    हमारे वर्तमान सरकार जी पिछले आठ वर्षों से हमारे सरकार जी हैं। ऐसा नहीं है कि सरकार जी भविष्य में सिर्फ अपने पहनावे और खान-पान को लेकर ही जाने जाएंगे। वे तो अपने कथनों (quotes) के लिए भी याद किए…
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' का तर्जुमा
    05 Jun 2022
    इतवार की कविता में आज पढ़िये ऑस्ट्रेलियाई कवयित्री एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' जिसका हिंदी तर्जुमा किया है योगेंद्र दत्त त्यागी ने।
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित
    04 Jun 2022
    देशभक्तों ने कहां सोचा था कि कश्मीरी पंडित इतने स्वार्थी हो जाएंगे। मोदी जी के डाइरेक्ट राज में भी कश्मीर में असुरक्षा का शोर मचाएंगे।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License