NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला और बाग़ी विधायकों के नाम दिग्विजय की भावुक अपील
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार, 20 मार्च को शाम 5 बजे से पहले मध्यप्रदेश विधानसभा में फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया है। इस बीच बेंगलुरु में डटे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने बाग़ी विधायकों को एक भावुक पत्र लिखकर उनसे कांग्रेस में बने रहने की अपील की है।
राजु कुमार
19 Mar 2020
kamalnath digvijay
फोटो साभार : आजतक

मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार की स्थिति पिछले 10 दिनों में समय बीतने के साथ-साथ लगातार गंभीर होती गई है। इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में 17 मार्च से चल रही थी और आज, गुरुवार शाम को सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद यह फैसला सुनाया कि शुक्रवार, 20 मार्च को शाम 5 बजे से पहले मध्यप्रदेश विधानसभा में फ्लोर टेस्ट कराया जाए।

सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति धनंजय वाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ ने आदेश दिया कि विधानसभा की इस कार्यवाही की वीडियोग्राफी कराई जाएगी, लाइव टेलीकास्ट किया जाएगा और वोटिंग हाथ उठाकर कराई जाएगी। इसके साथ ही 16 बाग़ी विधायकों के विवेक के ऊपर है कि वे विधानसभा की कार्यवाही में भाग लें या न लें या किसके पक्ष में मतदान करें। इस संबंध में कर्नाटक के डी.जी.पी. को कोर्ट ने पत्र लिखा है कि बाग़ी विधायकों को सुरक्षा मुहैया कराए।

पीठ ने यह भी आदेश दिया कि सदन की कार्यवाही के लिए सिर्फ शक्ति परीक्षण ही विषय होगा और इसमें किसी के लिये भी कोई बाधा नहीं डाली जायेगी। शीर्ष अदालत ने राज्य विधानसभा के सचिव को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया कि वहां किसी प्रकार की कानून व्यवस्था की समस्या नहीं हो।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यह तय है कि मध्यप्रदेश कांग्रेस सरकार का भविष्य शुक्रवार शाम तक तय हो जाएगा। हालांकि बीजेपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व अन्य ने कोर्ट के फ़ैसले के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ये ऐलान कर दिया कि कमलनाथ सरकार जा रही है और बीजेपी की सरकार फिर आ रही है।

पिछले 10 दिनों से कांग्रेस की लगातार कोशिश रही कि यह मामला ज्यादा समय की टलता रहे, ताकि उसे बाग़ी/बंधक विधायकों से संपर्क करने का मौका मिल सके। वह लगातार कोशिश करती रही है कि किसी भी तरीके से वह बाग़ी विधायकों से आमने-सामने का संपर्क करना चाहती है। उम्मीद से परे उसे समय तो मिलता गया, लेकिन पिछले 10 दिनों में बाग़ी विधायकों से उसके संपर्क करने के तमाम उपाय नाकाम रहे हैं। आखिरकार बेंगलुरु में डटे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने आज बाग़ी विधायकों को एक भावुक पत्र लिखकर उनसे कांग्रेस में बने रहने की अपील की है। इस पत्र को कांग्रेस की ओर से भावनात्मक हथियार के रूप में देखा जा रहा है।

बुधवार, 18 मार्च की सुबह से बेंगलुरु में डटे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने सबसे पहले सीधे उनसे जाकर मुलाकात करने की कोशिश की थी। उनको बेंगलुरु पुलिस ने न केवल विधायकों से मिलने से रोक दिया था, बल्कि धरना देने पर गिरफ्तार भी किया था। उसके बाद उन्होंने डी.जी.पी. से मुलाकात की थी और कहा था कि उन्हें विधायकों से मिलने दिया जाए। विधायकों से मिलने के लिए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी कर्नाटक के मुख्यमंत्री वी.एस. येदुरप्पा से समय मांगा था, लेकिन कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने समय नहीं दिया। बुधवार को ही दिग्विजय सिंह ने विधायकों से मिलने के लिए कर्नाटक हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन याचिका खारिज हो गई।

आज, गुरुवार को फिर दिग्विजय सिंह ने कर्नाटक डी.जी.पी. से मुलाकात की। दिग्विजय सिंह ने एक पत्रकार वार्ता में बताया कि पहले डी.जी.पी. ने उनसे कहा था कि वे विधायकों के नाम पत्र लिखें और वह पत्र विधायकों तक पहुंचाया जाएगा, फिर यदि विधायक मिलने को तैयार होंगे, तो मिलवाया जाएगा। लेकिन बाद में डी.जी.पी. ने विधायकों तक पत्र पहुंचाने से इनकार कर दिया।

इस मसले को लेकर आज दिन भर सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट के फैसले या अंतरिम आदेश के इंतजार पर रही, लेकिन कोर्ट का फैसला आने से पहले ही दिग्विजय सिंह ने बाग़ी/बंधक विधायकों के नाम एक भावुक पत्र जारी किया। दिग्विजय सिंह एवं कांग्रेस के दूसरे नेताओं को उम्मीद है कि यदि किसी भी माध्यम से यह पत्र उन विधायकों तक पहुंच जाएगा, तो इसका असर विधायकों के निर्णय पर पड़ेगा।

पत्र में दिग्विजय सिंह ने लिखा है, ‘‘मुझे दुःख है कि कांग्रेस पार्टी से आपके वर्षों पुराने संबंध होने के बाद भी भाजपा द्वारा आपको हम लोगों से मिलने से रोका जा रहा है।’’ पत्र के शुरुआती लाइन से यह इंगित होता है कि दिग्विजय कहना चाहते हैं कि विधायकों को भाजपा द्वारा बंधक बनाया गया है। वे आगे लिखते हैं, ‘‘यदि मेरे या कांग्रेस के किसी वरिष्ठ नेता के आचरण से आपको ठेस पहुंची हो, तो मैं स्वतः आपसे मिलकर चर्चा करना चाहता हूं। ......... मैं चाहूंगा कि हम फिर से कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी के नेतृत्व में पार्टी को मजबूत करने का काम करें। ....... हमारी राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी बहुत व्यथित और दुःखी हैं। अगर आप मुझसे चर्चा नहीं करना चाहते हैं, तो मैं आप सभी लोगों से बातचीत के लिए उनसे अनुरोध कर सकता हूं। जब तक आपकी कांग्रेस अध्यक्ष से बात न हो जाए, तब तक आप पार्टी छोड़ने का निर्णय न लें।’’

letter_3.jpg

वरिष्ठ पत्रकार लज्जा शंकर हरदेनिया कहते हैं, ‘‘सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुरूप ही मध्यप्रदेश में विधानसभा की कार्यवाही होनी है, लेकिन बेंगलुरु में मौजूद कांग्रेस विधायकों के रुख पर ही कांग्रेस सरकार का भविष्य टिका है। कांग्रेस सरकार को बहुमत सिद्ध करने के लिए उनका कांग्रेस में बने रहना ज़रूरी है, इसलिए उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया है। दूसरी ओर भाजपा द्वारा सरकार को गिराने के लिए उनका इस्तीफा स्वीकार कराना या सदन में उनकी अनुपस्थिति जरूरी है।’’

मध्यप्रदेश के राजनीतिक गलियारे में एक चर्चा यह भी है कि एक ओर कांग्रेस अपने 16 विधायकों से संपर्क करने का प्रयास कर रही है, तो दूसरी ओर भाजपा के कम से कम 5 विधायकों को अपनी ओर करने का प्रयास कर रही है, जो भले ही अभी खुलकर कांग्रेस के पक्ष में न आए, लेकिन मतदान के समय कांग्रेस के पक्ष में मतदान कर दें। यदि बहुमत साबित करते समय 22 विधायक विधानसभा में न आएं, तो विधान सभा में सदस्यों की 206 रह जाएगी। मध्यप्रदेश में 2 सीट अभी रिक्त हैं।

इस तरह से बहुमत साबित करने के लिए 104 विधायकों की जरूरत है। भाजपा के एक विधायक नारायण त्रिपाठी खुले तौर पर कमलनाथ से मेल-मुलाकात कर रहे हैं। यानी यदि बहुमत परीक्षण के समय नारायण त्रिपाठी सहित भाजपा के 5 विधायकों ने यदि कांग्रेस के पक्ष में मतदान कर दिया, तो बसपा, सपा और निर्दलीय विधायकों सहित कांग्रेस के 104 विधायक हो जाएंगे। कांग्रेस को अपने बाग़ी विधायकों के भोपाल आकर मतदान करने की उम्मीदें भलें ही कम हो, लेकिन उसे उम्मीद है कि सरकार के कामकाज से ‘प्रभावित’ होकर कुछ भाजपा विधायक उसके पक्ष में मतदान कर सकते हैं।

Madhya Pradesh
kamalnath
kamalnath government
Digvijay Singh
Supreme Court
floor test
Congress
BJP
Amit Shah
Narendra modi

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

ज्ञानवापी मस्जिद के ख़िलाफ़ दाख़िल सभी याचिकाएं एक दूसरे की कॉपी-पेस्ट!

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    यूपी : आज़मगढ़ और रामपुर लोकसभा उपचुनाव में सपा की साख़ बचेगी या बीजेपी सेंध मारेगी?
    31 May 2022
    बीते विधानसभा चुनाव में इन दोनों जगहों से सपा को जीत मिली थी, लेकिन लोकसभा उपचुनाव में ये आसान नहीं होगा, क्योंकि यहां सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है तो वहीं मुख्य…
  • Himachal
    टिकेंदर सिंह पंवार
    हिमाचल में हाती समूह को आदिवासी समूह घोषित करने की तैयारी, क्या हैं इसके नुक़सान? 
    31 May 2022
    केंद्र को यह समझना चाहिए कि हाती कोई सजातीय समूह नहीं है। इसमें कई जातिगत उपसमूह भी शामिल हैं। जनजातीय दर्जा, काग़जों पर इनके अंतर को खत्म करता नज़र आएगा, लेकिन वास्तविकता में यह जातिगत पदानुक्रम को…
  • रबीन्द्र नाथ सिन्हा
    त्रिपुरा: सीपीआई(एम) उपचुनाव की तैयारियों में लगी, भाजपा को विश्वास सीएम बदलने से नहीं होगा नुकसान
    31 May 2022
    हाई-प्रोफाइल बिप्लब कुमार देब को पद से अपदस्थ कर, भाजपा के शीर्षस्थ नेतृत्व ने नए सीएम के तौर पर पूर्व-कांग्रेसी, प्रोफेसर और दंत चिकित्सक माणिक साहा को चुना है। 
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कर्नाटक पाठ्यपुस्तक संशोधन और कुवेम्पु के अपमान के विरोध में लेखकों का इस्तीफ़ा
    31 May 2022
    “राज्य की शिक्षा, संस्कृति तथा राजनीतिक परिदृ्श्य का दमन और हालिया असंवैधानिक हमलों ने हम लोगों को चिंता में डाल दिया है।"
  • abhisar
    न्यूज़क्लिक टीम
    जब "आतंक" पर क्लीनचिट, तो उमर खालिद जेल में क्यों ?
    31 May 2022
    न्यूज़चक्र के इस एपिसोड में आज वरिष्ठ पत्रकार अभिसार शर्मा चर्चा कर रहे हैं उमर खालिद के केस की। शुक्रवार को कोर्ट ने कहा कि उमर खालिद का भाषण अनुचित था, लेकिन यह यह आतंकवादी कृत्य नहीं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License