NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
"बाल श्रमिकों का सर्वे करना उनकी समस्याओं को दूर करने के लिए आवश्यक!"
गुजरात विधानसभा में पीएसी (पब्लिक अकाउंट कमिटी) ने एक रिपोर्ट पेश की है जिसमें राज्य में बाल श्रमिकों को लेकर श्रम एवं रोजगार विभाग के रूख को लेकर सख्त टिप्पणी की है।
न्यूजक्लिक रिपोर्ट
24 Mar 2022
child labour
फोटो साभार : पत्रिका

दुनिया के दूसरे देशों की तरह भारत में भी बाल मजदूरी नासूर बना हुआ है। इसे रोकने को लेकर संविधान में दिए गए प्रावधान के साथ साथ कानून भी बने हुए हैं लेकिन इनकी संख्या में कमी नहीं हुई है। इसके लिए सरकारी और कई गैर सरकारी संगठन भी लगातार काम कर रहे हैं और ग्रांट भी दिए जा रहे हैं।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार हाल में गुजरात विधानसभा में पीएसी (पब्लिक अकाउंट कमिटी) ने एक रिपोर्ट पेश की है जिसमें राज्य में बाल श्रमिकों को लेकर श्रम एवं रोजगार विभाग के रूख को लेकर सख्त टिप्पणी की है। पीएसी ने बाल श्रम को लेकर सर्वे के लिए दिए ग्रांट को खर्च न करने पर राज्य सरकार पर हमला बोला।

पीएसी ने कहा कि जब राज्य के श्रम एवं रोजगार विभाग को सर्वे कराने के लिए कहा गया तो उसकी तरफ से ये कहा गया कि भारत सरकार राज्य में बाल श्रम पर सर्वे भी कर सकती है। पीएसी ने आगे कहा कि बाल श्रमिकों की समस्याओं के निपटारे के लिए यह आवश्यक है कि उनका सर्वे किया जाए। पीएसी ने कहा कि श्रम एवं रोजगार विभाग बाल श्रमिकों के कल्याण के लिए ग्रांट का इस्तेमाल करने में असफल हो गई है।

गुजरात के एक एनजीओ के हवाले से अक्टूबर 2020 की अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार गुजरात में कपास की खेती के जरिए बिनौला उत्पादन के लिए करीब 1.30 लाख बच्चों को अवैध तरीके से खेतों में मजदूरी पर लगाया गया। मजदूरी करने वाले इन बच्चों में बड़ी संख्या आदिवासी बच्चों की थी।

भारत में करीब 1 करोड़ से अधिक बाल श्रमिक

रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 5 से 14 साल के बच्चों की संख्या करीब 25.96 करोड़ है। इनमें से 1.01 करोड़ बच्चे काम कर रहे थे। रिपोर्ट के मुताबिक 5 से 9 साल की उम्र के 25.33 लाख बच्चे काम कर रहे थे। वहीं 10 से 14 वर्ष की उम्र के 75.95 लाख बच्चे कामगार की भूमिका में थें। 1.01 करोड़ बच्चों में से 43.53 लाख बच्चे मुख्य कामगार के रूप में, 19 लाख बच्चे तीन माह के कामगार के रूप में और 38.75 लाख बच्चे 3 से 6 माह के लिए कामगार के रूप में काम कर रहे थें।

राज्यवार देखा जाए तो उत्तरप्रदेश (21.76 लाख), बिहार (10.88 लाख ), राजस्थान (8.48 लाख), महाराष्ट्र (7.28 लाख) और मध्यप्रदेश (7 लाख) समेत पांच प्रमुख राज्यों में 55.41 लाख बच्चे श्रम में लगे हुए थें।

दुनिया भर में 16 करोड़ बाल श्रमिक

न्यूज 18 ने पिछले वर्ष इंटरनेशल लेबर आर्गनाइजेशन और यूनीसेफ की रिपोर्ट के हवाले से लिखा कि दुनिया का हर दसवां बच्चा किसी न किसी तरह की मजदूरी करने पर मजबूर है। आंकड़ों की बात की जाए तो दुनिया में 16 करोड़ बच्चे मजदूर हैं जिनमें तकरीबन 6 करोड़ लड़कियां और दस करोड़ लड़के शामिल हैं।

कठिन कार्यों से जुड़े बच्चे

बच्‍चों को कुछ कठिन कार्यों में अभी भी लगाया जाता रहा है। इनमें बंधुआ मजदूरी, बाल सैनिक (चाइल्‍ड सोल्जर) और देह व्‍यापार जैसे कठिन कार्य शामिल हैं। भारत में विभिन्‍न उद्योगों में बाल मजदूरों को काम करते हुए देखा जा सकता है, जैसे ईंट भट्टों पर काम करना, गलीचे के बुनाई के काम, कपड़े तैयार करने, घरेलू कामकाज, होटल और चाय की दुकान पर लगाना, खेतीबाड़ी में शामिल करना, मछली पालन और खानों में काम करना आदि शामिल है।

बाल श्रम के कारण

बाल श्रम और बच्चों के शोषण के अनेक कारण हैं। इनमें गरीबी, अत्यधिक जनसंख्या, सरकार की उदासीनता, खाद्य असुरक्षा, बेरोजगारी, अनाथ, प्रवास और इमरजेंसी शामिल हैं। इनके साथ साथ सस्ता श्रम, उपलब्ध कानूनों का सख्ती से लागू न होना, बच्चों को स्कूल भेजने के प्रति अनिच्छुक माता-पिता जैसे अन्य तमाम कारण बाल श्रम को बढ़ाने में शामिल हैं।

संविधान में बाल श्रमिक की उम्र

भारतीय संविधान के अनुसार किसी उद्योग, कल-कारखाने या किसी कंपनी में मानसिक या शारीरिक श्रम करने वाले 5 - 14 वर्ष उम्र के बच्चों को बाल श्रमिक कहा जाता है। यूएन के अनुसार18 वर्ष से कम उम्र के श्रम करने वाले बच्चे बाल श्रमिक हैं। वहीं आईएलओ के अनुसार बाल श्रम की उम्र 15 वर्ष तय की गई है।

बाल अधिकारों की सुरक्षा के लिए क़ानून

बाल अधिकारों की सुरक्षा के लिए देश में कई कानून हैं। इनमें कारखाना अधिनियम 1948 है जो 14 वर्ष तक की आयु के बच्चों को कारखाने में काम करने से रोकता है। वहीं 15 से 18 वर्ष तक के किशोर किसी फैक्टरी में तभी काम कर सकते हैं जब उनके पास किसी अधिकृत चिकित्सक का फिटनेस प्रमाण पत्र हो। इस कानून के तहत 14 से 18 वर्ष तक के बच्चों के लिए हर दिन साढ़े चार घंटे की कार्यावधि तय की गई है और उनके रात में काम करने पर प्रतिबंध लगाया गया है।

बाल श्रम के दुष्परिणाम

इससे बच्चे शिक्षा से दूर हो जाते हैं। उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। इतना ही नहीं बच्चों से दुर्व्यवहार की आशंका बढ़ जाती है। उनका यौन शोषण या चाइल्ड पोर्नोग्राफी के लिए गैर कानूनी तरीके खरीद बिक्री की जाती है। उनसे भीख मंगवाने की घटना आए दिन देखने और सुनने को मिल ही जाती है। 

Child Labour
World Day Against Child Labour
PAC in Gujarat Assembly
Child Rights

Related Stories

बच्चों की गुमशुदगी के मामले बढ़े, गैर-सरकारी संगठनों ने सतर्कता बढ़ाने की मांग की

बाल अधिकार आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का परीक्षण किया, अल्पसंख्यक समूह की अगले क़दम की योजना

कोरोना और लॉकडाउन के बीच बिहार में बाल तस्करी के मामलों में उछाल

कोरोना संकट: बढ़ सकती है बाल श्रमिकों की संख्या और बच्चों की तस्करी की समस्या

डूबती अर्थव्यवस्था ने बाल श्रम को बढ़ावा दिया


बाकी खबरें

  • Lenin
    अनीश अंकुर
    लेनिन: ‘‘कल बहुत जल्दी होता... और कल बहुत देर हो चुकी होगी... समय है आज’’
    22 Apr 2022
    लेनिन के जन्म की 152वीं सालगिरह पर पुनर्प्रकाशित: कहा जाता है कि सत्रहवी शताब्दी की अंग्रेज़ क्रांति क्रामवेल के बगैर, अठारहवीं सदी की फ्रांसीसी क्रांति रॉब्सपीयर के बगैर भी संपन्न होती लेकिन बीसवीं…
  • न्यूज़क्लिक टीम
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,451 नए मामले, 54 मरीज़ों की मौत 
    22 Apr 2022
    दिल्ली सरकार ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए, 18 साल से ऊपर के सभी लोगों को बूस्टर डोज मुफ्त देने का ऐलान किया है। 
  • पीपल्स डिस्पैच
    नाटो देशों ने यूक्रेन को और हथियारों की आपूर्ति के लिए कसी कमर
    22 Apr 2022
    जर्मनी, कनाडा, यूके, नीदरलैंड और रोमानिया उन देशों में शामिल हैं, जिन्होंने यूक्रेन को और ज़्यादा हथियारों की आपूर्ति का वादा किया है। अमेरिका पहले ही एक हफ़्ते में एक अरब डॉलर क़ीमत के हथियारों की…
  • एम. के. भद्रकुमार
    सामूहिक विनाश के प्रवासी पक्षी
    22 Apr 2022
    रूसियों ने चौंकाने वाला दावा किया है कि, पेंटागन की जैव-प्रयोगशालाओं में तैयार किए गए डिजिटलीकृत प्रवासी पक्षी वास्तव में उनके क़ब्ज़े में आ गए हैं।
  • रश्मि सहगल
    उत्तराखंड समान नागरिक संहिता चाहता है, इसका क्या मतलब है?
    21 Apr 2022
    भाजपा के नेता समय-समय पर, मतदाताओं का अपने पक्ष में ध्रुवीकरण करने के लिए, यूसीसी का मुद्दा उछालते रहते हैं। फिर, यह केवल एक संहिता का मामला नहीं है, जो मुसलमानों को फिक्रमंद करता है। यह हिंदुओं पर…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License