NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
स्वामी अग्निवेशः एक सेक्युलर और योद्धा संन्यासी का जाना
तमाम विवादों या आरोपों के बावजूद लोकतांत्रिक और सेक्युलर खेमे में शायद ही किसी को इस बात पर असहमति हो कि अग्निवेश एक सेक्युलर स्वामी थे, एक योद्धा स्वामी! आज के दौर में स्वामी कहलाने वाले कई लोग 'कारपोरेट व्यापारी' बन गये या सत्ता के 'धर्माधिकारी'। पर स्वामी अग्निवेश ने वह रास्ता कभी नहीं अपनाया।
उर्मिलेश
12 Sep 2020
स्वामी अग्निवेश
विदा: अंतिम यात्रा से पहले उनके कर्मस्थल जंतर-मंतर पर स्वामी अग्निवेश का पार्थिव शरीर। फोटो साभार: सोशल मीडिया

स्वामी अग्निवेश नहीं रहे। उन का निधन ऐसे समय हुआ, जब उन जैसे लोगों की हमारे समाज को ज्यादा जरूरत है। वह आर्यसमाजी थे पर संकीर्ण और आडम्बरी नहीं! वेदों, सत्यार्थ प्रकाश की वैचारिकी और यज्ञादि में उनकी आस्था रही होगी पर वह किसी अन्य धारा के धर्मावलंबी, खांटी धर्मनिरपेक्ष या नास्तिक व्यक्ति या समूह के साथ भी उतने ही सहज ढंग से पेश आते थे। जहां तक याद आ रहा है, स्वामी जी से मेरा परिचय सन् 79-80 के दौर में हुआ..बाद के दिनों में उन्हीं के यहां पहली दफा किसी वक्त कैलाश सत्यार्थी से भी परिचय हुआ--और भी बहुत सारे लोगों से स्वामी जी के यहां मुलाकात होती रहती थी। आमतौर पर हम जैसे छात्र वहां किसी बैठक या संगोष्ठी के सिलसिले में ही जाते थे। उनका दफ़्तर संघर्ष और आंदोलन से जुड़े हर किसी के लिए सहज सुलभ था।

उन दिनों मैं दिल्ली में नया-नया आया था। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एमए करने के बाद एमफिल/पीएचडी के लिए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में दाखिला हुआ था। जहां तक याद आ रहा है, पहली बार विश्वविद्यालय के ही अपने किसी सीनियर के साथ मैं स्वामी जी के यहां किसी संगोष्ठी में गया। संभवतः वह बैठक बंधुआ मजदूरों की समस्या या ऐसे ही किसी फौरी महत्व के सवाल पर केन्द्रित थी। स्वामी जी और हम जैसे लोगों में कई मामलों में भिन्नता भी थी, मसलन; उम्र, वैचारिकी और कार्यक्षेत्र में भी काफी अंतर था। संभवतः इसीलिए अपन की उनसे कभी बहुत घनिष्ठता भी नहीं रही। पर उनके लिए आदर हमेशा बना रहा। मुलाकात भी कभी-कभी होती रही। उनमें एक अद्भुत बात देखी। वह अपने से दस या बीस वर्ष कम उम्र के किसी व्यक्ति से भी उसी तरह पेश आते थे जैसे अपनी उम्र के लोगों के साथ। शालीनता, सहजता और विनम्रता उनके व्यक्तित्व के चमकदार पहलू थे।

छात्र जीवन के बाद मैं सन् 1983 में पत्रकारिता में आ गया। मेरे कामकाज की दुनिया और प्राथमिकताएं भी बदलीं। धरना-प्रदर्शन जैसी सामाजिक-राजनैतिक गतिविधियों का हिस्सेदार होने की बजाय अब उऩको ‘कवर’ करने वाले एक युवा पत्रकार की भूमिका में आ गया। उन दिनों भी यदा-कदा किसी कार्यक्रम में स्वामी जी से मुलाकात हो जाया करती। स्वामी जी ने बंधुआ मजदूरों और बाल मजदूरों की समस्या पर बड़ा अभियान चलाया। अपने आंदोलन के मुद्दों को प्रचारित और प्रसारित करने के लिए कुछ पत्रिकाएं भी निकालीं।

आंध्र प्रदेश में सन् 1939 में पैदा हुए अग्निवेश के कार्यक्षेत्र में दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे इलाके शुमार रहे। सच बात तो ये कि वह किसी एक विषय या क्षेत्र तक सीमित नहीं रहे। बिहार, आंध्र, मध्य प्रदेश या ओडिशा के गरीब किसानों और खेत मजदूरों के मसले हों या पूर्वोत्तर के किसी राज्य में पुलिस दमन का हो या रूस-अमेरिका जैसे ताकतवर देशों की वर्चस्ववादी नीतियों का मसला हो, दलित-आदिवासी उत्पीड़न के सवाल हों या कोई जघन्य बलात्कार कांड हो, ऐसे हर सवाल पर स्वामी जी छात्र-युवा संगठनों, विपक्षी दलों या ट्रेड यूनियनों के साथ आकर खड़े हो जाते थे।

यही नहीं, हमारे कई साथियों के प्रेम-विवाह में भी उनका बड़ा समर्थन और संरक्षण मिलता रहा। बहुत आसानी से उन्होंने ऐसे साथियों की आर्य समाज रीति से किसी तड़क-भड़क के बगैर शादी कराई। इससे कोई लफड़ा भी नहीं हो सका। आज भी याद है, उन्होंने हमारे एक तेलुगू मित्र गुमडी राव और हापुड़ निवासी विजया के प्रेम-विवाह में बहुत अहम् भूमिका निभाई। एक तरह से वह संरक्षक बनकर खड़े हो गये और दोनों मित्रों की शादी आसानी से हो गई।

जन आंदोलनों की राजनीति से जुड़े कई लोग स्वामी अग्निवेश के आलोचक भी रहे हैं। उन पर तरह-तरह के आरोप भी लगते रहे। कुछ लोगों का आरोप रहा कि उनकी कुछ गतिविधियां बड़ी संदिग्ध हैं। अन्य लोगों को भरोसे में लिये बगैऱ वह कई दफा संघर्ष के मैदान से हटकर अचानक सरकार में बैठे किसी वरिष्ठ मंत्री या बड़े नौकरशाह से उन मुद्दों पर समझौता वार्ता करने लगते हैं। एक आरोप यह भी लगता रहा कि हर जगह कूद पड़ने की उनकी आदत सी हो गई है। इसके लिए एक उदाहरण अन्ना-अभियान का भी दिया जाता हैः वह अन्ना-अभियान में भी शामिल हुए थे। फिर उपेक्षा के चलते अलग हो गये।

इन तमाम विवादों या आरोपों के बावजूद लोकतांत्रिक और सेक्युलर खेमे में शायद ही किसी को इस बात पर असहमति हो कि अग्निवेश एक सेक्युलर स्वामी थे, एक योद्धा स्वामी! आज के दौर में स्वामी कहलाने वाले कई लोग 'कारपोरेट व्यापारी' बन गये या सत्ता के 'धर्माधिकारी'। पर स्वामी अग्निवेश ने वह रास्ता कभी नहीं अपनाया। उन्होंने कभी सत्ता की छाँव नही तलाशी। अपने जीवन के शुरूआती दौर में वह हरियाणा से विधायक बने। फिर मंत्री भी बने। चाहते तो वह उसी दिशा में आगे बढ़े होते। पर उन्होंने सत्ता-राजनीति से अलग रहकर सामाजिक-राजनीतिक काम करने का फैसला किया तो फिर पीछे मुड़कर नही देखा। जितना मुझे मालूम है, स्वामी अग्निवेश ने अपने जीवन मूल्यों पर किसी सत्ता से कोई गर्हित समझौता नहीं किया। मौजूदा सत्ताधारियों के तो वह हमेशा कोपभाजन बने रहे। डेढ़-दो साल पहले, झारखंड के पाकुड़ में उन पर जानलेवा हमला तक हुआ पर इस बुजुर्ग स्वामी ने हिम्मत नहीं हारी। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजयेपी के निधन के बाद वह उऩके पार्थिव शरीर पर पुष्पांजलि देने गये तो वहां वाजपेयी जी के निवास के पास ही उन पर कुछ तत्वों ने हमला कर दिया। एक गेरुआधारी होने के बावजूद स्वामी अग्निवेश से संघ-भाजपा समर्थक कभी सहज नहीं रहे और स्वामी जी ने भी संघ-भाजपा की राजनीति के विरोध का अपना स्वर कभी बदला नहीं।

सामाजिक, राजनैतिक या बौद्धिक क्षेत्र में सक्रिय किसी व्यक्ति या संस्था को मैं संपूर्णता में देखने का पक्षधर हूं। मैं लोगों या संस्थाओं में में सिर्फ उनकी कमियां नहीं निहारता। कमियां किसमें नहीं होतीं! जहां तक स्वामी अग्निवेश का सवाल है, अपनी कतिपय कमियों के बावजूद वह एक जन-पक्षधर कार्यकर्ता और योद्धा स्वामी थे।

उन्हें मेरा सलाम और श्रद्धांजलि।

लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।

swami agnivesh
Social activist Swami Agnivesh
Swami Agnivesh died
Indian politician

Related Stories

विचार: मानव मनोविज्ञान को समझना!

कार्टून क्लिक : काश! कोई 'धरती मित्र' भी मिले

स्वामी अग्निवेश का हमलावर एक साल बाद भी फ़रार

स्मृति शेष : ए के रॉय का होना और जाना...

बर्बरता को वैधता देता सत्ता तंत्र: उर्मिलेश

नेताओं ने स्वामी अग्निवेश का समर्थन किया और उनपर हमले की न्यायिक जाँच की माँग की

स्वामी अग्निवेश : उन्होंने मुझे राम के नाम पर लात-घूंसे मारे और मेरे कपड़े फाड़ दिए


बाकी खबरें

  • समीना खान
    विज्ञान: समुद्री मूंगे में वैज्ञानिकों की 'एंटी-कैंसर' कम्पाउंड की तलाश पूरी हुई
    31 May 2022
    आख़िरकार चौथाई सदी की मेहनत रंग लायी और  वैज्ञानिक उस अणु (molecule) को तलाशने में कामयाब  हुए जिससे कैंसर पर जीत हासिल करने में मदद मिल सकेगी।
  • cartoon
    रवि शंकर दुबे
    राज्यसभा चुनाव: टिकट बंटवारे में दिग्गजों की ‘तपस्या’ ज़ाया, क़रीबियों पर विश्वास
    31 May 2022
    10 जून को देश की 57 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होने हैं, ऐसे में सभी पार्टियों ने अपने बेस्ट उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। हालांकि कुछ दिग्गजों को टिकट नहीं मिलने से वे नाराज़ भी हैं।
  • एम. के. भद्रकुमार
    यूक्रेन: यूरोप द्वारा रूस पर प्रतिबंध लगाना इसलिए आसान नहीं है! 
    31 May 2022
    रूसी तेल पर प्रतिबंध लगाना, पहले की कल्पना से कहीं अधिक जटिल कार्य साबित हुआ है।
  • अब्दुल रहमान
    पश्चिम बैन हटाए तो रूस वैश्विक खाद्य संकट कम करने में मदद करेगा: पुतिन
    31 May 2022
    फरवरी में यूक्रेन पर हमले के बाद अमेरिका और उसके सहयोगियों ने रूस पर एकतरफा प्रतिबंध लगाए हैं। इन देशों ने रूस पर यूक्रेन से खाद्यान्न और उर्वरक के निर्यात को रोकने का भी आरोप लगाया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट
    31 May 2022
    देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,338 नए मामले सामने आए हैं। जबकि 30 मई को कोरोना के 2,706 मामले सामने आए थे। 
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License