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भारत
राजनीति
तमिलनाडु बजट: कुछ चुनावी वादे ज़रूर किए पूरे, मगर राजस्व शून्य
डीएमके सरकार ने पेट्रोल पर राज्य उत्पाद शुल्क में 3 रुपये की कमी करके अपने चुनावी वादों को पूरा कर दिया है।
नीलाबंरन ए, श्रुति एमडी
14 Aug 2021
तमिलनाडु बजट: कुछ चुनावी वादे ज़रूर किए पूरे, मगर राजस्व शून्य

तमिलनाडु की द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) सरकार ने शुक्रवार को 2021-22 के लिए अपना पहला बजट पेश किया। इससे पहले पूर्ववर्ती अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIDMK) सरकार ने फरवरी में अंतरिम बजट पेश किया था।

सरकार ने इस सप्ताह की शुरुआत में वित्तीय स्थिति पर श्वेत पत्र जारी किये जाने के बाद राजस्व सृजन की संभावनाओं को झुठलाते हुए नए कर लगाने से परहेज़ किया।

सरकार ने पेट्रोल पर राज्य उत्पाद शुल्क में 3 रुपये की कमी, महिला स्वयं सहायता समूहों (SHG) द्वारा हासिल 2,756 करोड़ रुपये के ऋण की माफी और स्कूली शिक्षा, पुलिस और तमिल कल्याण के लिए आवंटन को बढ़ाते हुए  अपने चुनावी वादों का एक हिस्सा पूरा कर दिया है।

वित्त मंत्री पीटीआर पलानी वेल त्यागराज ने शहरी रोज़गार, ग्रामीण आवास और पेयजल पर कई योजनाओं की घोषणा की। सरकारी कर्मचारियों के लिए मातृत्व अवकाश को 9 महीनों से बढ़ाकर 12 महीने कर दिया गया है।

त्यागराज ने जैसे ही विधानसभा को सम्बोधित करना शुरू किया,उसके तुरंत बाद मुख्य विपक्षी दल अन्नाद्रमुक सदन से बाहर चला गया।

राजस्व घाटे पर ध्यान देने की आवश्यकता

वित्तमंत्री ने यह भी बताया कि वर्ष 2021-22 के लिए राजस्व घाटा 58.692.88 करोड़ रुपये होगा। उनके पहले के वित्तमंत्री ओ पनीरसेल्वम ने अंतरिम बजट पेश करते हुए राजस्व में गिरावट के लिए केंद्र को ज़िम्मेदार ठहराया था।

प्रोफेसर वेंकटेश अत्रेय ने कहा कि राजस्व सृजन की तत्काल आवश्यकता है। उन्होंने न्यूज़क्लिक को बताया, "राज्य सरकार को केंद्र से राजस्व में अपने हिस्से की मांग करनी चाहिए। लेकिन, इसे राजस्व पैदा करने के लिए केरल जैसे राज्य के सार्वजनिक क्षेत्रों को लाभदायक बनाने पर भी ध्यान देना चाहिए।

इस बजट में आम लोगों पर केंद्रित उपायों का जिक्र करते हुए आत्रेय ने कहा, “सरकार अपने चुनावी वादों और कल्याणकारी उपायों को लेकर प्रतिबद्ध दिखती है। लेकिन, हमें यह देखना होगा कि वे राजस्व सृजन के बिना कितने समय तक टिके रह सकते हैं।”

केंद्र विरोधी भावनाएं

पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में कमी ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ भावनाओं को अपनी गिरफ्त में ले लिया है। मंत्री ने केंद्र सरकार पर राज्य के राजस्व हिस्से के आवंटन में देरी किये जाने का भी आरोप लगाया । उन्होंने सदन को सूचित करते हुए कहा, "पेट्रोल पर लगने वाला कर 2014 में जो 10.39 रुपये था, उससे बढ़कर 32.90 रुपये हो गया और डीजल पर लगने वाला कर 2014 में जो  3.57 रुपये था, उससे बढ़कर 31.80 रुपये हो गया है।”

मक्कल नीति मय्यम के महासचिव सेंथिल अरुमुगम ने न्यूज़क्लिक को बताया, “राज्य सरकार ने भी तो स्थानीय निकायों को धन आवंटित नहीं किया है। अब समय आ गया है कि हम स्थानीय निकायों को सशक्त करें, ताकि लोगों को मूलभूत सुविधाएं सुनिश्चित हो सकें।”

यह देखते हुए कि केंद्र के मत्स्य पालन विधेयक के खिलाफ विरोध की एक मजबूत लहर है, ऐसे में मत्स्य पालन समर्थक इस बजट आवंटन के समय को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता है। वित्त मंत्री ने फ़िशिंग हार्बर और फ़िश-लैंडिंग सेंटर की स्थापना के लिए 433.97 करोड़ रुपये और मत्स्य विभाग के लिए 1149.79 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।

तमिल समर्थक उपाय

मज़बूत भाषाई भावनाओं वाला राज्य होने के नाते मंत्री ने घोषणा की कि तमिल को सभी विभागों में प्रशासनिक भाषा बनाने के प्रयास किए जाएंगे। बेहतर डिजिटलीकरण सुनिश्चित करने को लेकर विधानसभा के सभी दस्तावेजों और फाइलों को तमिलनाडु विधानसभा के 100 वें वर्ष के मौके के हिस्से के रूप में डिजिटाइज किया जाएगा।

दिवंगत मुख्यमंत्री एम करुणानिधि के नाम पर 'कलैगनार करुणानिधि सेमोझी तमिझ' नामक पुरस्कार को पुनर्जीवित किया जाएगा और उनके जन्मदिन पर सालाना 10 लाख रुपये के इस नकद पुरस्कार से नवाजा जायेगा।

बजट में स्कूलों के लिए 32,599 करोड़ रुपये और उच्च शिक्षा के लिए 5,369.09 करोड़ रुपये अलग से रखे गए हैं। राज्य के लिए नई शिक्षा नीति तैयार करने के लिहाज से एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जाएगा।

शिक्षा के लिए इस बढ़े हुए आवंटन पर स्टेट प्लेटफ़ॉर्म फ़ॉर कॉमन स्कूल सिस्टम के महासचिव पीबी प्रिंस गजेंद्र बाबू ने कहा, “शिक्षा के लिए आवंटित राशि में वृद्धि आवश्यक थी। एक अनूठे पाठ्यक्रम पर काम करने की सरकार की इस घोषणा का भी स्वागत किया जाना चाहिए।” 

एमएसएमई पर तत्काल ध्यान देने की दरकार

हालांकि, त्यागराज ने एमएसएमई और क्रेडिट गारंटी योजना के सामने आने वाली वित्तीय और ढांचागत समस्याओं का अध्ययन करने के लिए एक समिति के गठन का ऐलान किया है, लेकिन कंसोर्टियम ऑफ़ इंडियन एसोसिएशन (CIA) के संयोजक के.ई. रघुनाथन क कहना है, “इन घोषणाओं में बीमार एमएसएमई क्षेत्र को और ज्यादा राशि की उम्मीद थी, क्योंकि हमने सरकार के सामने अपनी समस्याओं का उल्लेख किया था।”

सीआईए बिना ब्याज के 6 महीने की ईएमआई वाले ऋण की अपनी मांग को रखती रही है। रघुनाथन ने कहा, "केंद्र के प्रोत्साहन पैकेजों में शामिल नहीं होने वाले उद्यमियों की वसूली में देरी होगी।" संगठन ने कुशल श्रमिकों की कमी को दूर करने के लिए नए स्नातकों को प्रशिक्षुओं के रूप में नियुक्त करने का भी सुझाव दिया। उन्होंने कहा,"जहां नए स्नातक रोजगार की पात्रता कौशल हासिल कर सकते हैं, वहीं इससे एमएसएमई के सामने जो श्रमिकों की कमी है, वह भी दूर हो सकती है।"

अंग्रेजी में मूल रूप से प्रकाशित लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें

TN Budget: Some Poll Promises Fulfilled But No Revenue Generation

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DMK
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Tax on Petrol and Diesel
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Allocation for Higher Education
Demands of MSME
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Makkal Neethi Maiam
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