NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
अपराध
भारत
राजनीति
तमिलनाडु हवालात हत्या: पुलिस के अंदर क़ानून का ख़ौफ़ पैदा करना ज़रूरी
पुलिस को सख़्त लहजे में बताना और इसे अमली जामा पहनाना ज़रूरी है कि उसकी अपराधपूर्ण, ग़ैर-क़ानूनी, हिंसक व बर्बर कार्रवाई के लिए—जिसके चलते हवालात में हत्याएं हो रही हैं—उसे किसी भी सूरत में बख़्शा नहीं जायेगा। उसे विधि-सम्मत प्रक्रिया से कड़ी सज़ा हर हाल में मिलेगी।
अजय सिंह
07 Jul 2020
तमिलनाडु हवालात हत्या
प्रतीकात्मक तस्वीर। 

अगर हम, बतौर भारतीय नागरिक, अपनी स्वतंत्रता और ज़िंदगी को बचाना चाहते हैं, तो पुलिस के अंदर ख़ौफ़ पैदा करना बहुत ज़रूरी है। पुलिस को सख़्त लहजे में बताना और इसे अमली जामा पहनाना ज़रूरी है कि उसकी अपराधपूर्ण, ग़ैर-क़ानूनी, हिंसक व बर्बर कार्रवाई के लिए—जिसके चलते हवालात में हत्याएं हो रही हैं—उसे किसी भी सूरत में बख़्शा नहीं जायेगा। उसे विधि-सम्मत प्रक्रिया से कड़ी सज़ा हर हाल में मिलेगी, जिसमें नौकरी से बर्ख़ास्तगी, गिरफ़्तारी, जेल व उम्र कैद शामिल है। और, इस प्रक्रिया में कमांडिंग अफ़सर—वह अफ़सर जिसके हाथ में कमान है—सबसे पहले और मुख्य रूप से निशाने पर होगा। यानी, ज़िले का पुलिस अधीक्षक (एसपी) व ज़िलाधिकारी (डीएम)। तभी पुलिस के अंदर ख़ौफ़ पैदा होगा।

तमिलनाडु में जून 2020 के उत्तरार्द्ध में पी जयराज (59) और जे बेनिक्स (31) (दोनों बाप-बेटे) की पुलिस के हाथों हवालात में बर्बर हत्या का गंभीर सबक यही है। पुलिस पूरी तरह से बेख़ौफ़, बेलगाम, बेक़ाबू व बेक़ानून हो गयी है। यह मसला सिर्फ़ तमिलनाडु तक सीमित नहीं है। कमोबेश सभी राज्यों की पुलिस का यही हाल है। उत्तर प्रदेश पुलिस व दिल्ली पुलिस को देखिये। दोनों ताबड़तोड़ ग़ैर-क़ानूनी गतिविधियों में लगी हैं—मानों जनता से बदला लिया जा रहा है! विधि-सम्मत प्रक्रियाओं को धता बता दिया गया है।

तमिलनाडु के ठूथुकुडी (तूतीकोरिन) ज़िले के सथानकुलम क़स्बे के थाने में, जहां जयराज और बेनिक्स को पुलिस ने मार डाला, पुलिस बर्बरता की अन्य घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं। इसकी जानकारी ज़िले के पुलिस अधीक्षक, ज़िलाधिकारी व जुडिशियल रिमांड देनेवाले मजिस्ट्रेट को रही है, और इस तरह राज्य सरकार को जानकारी रही है। इसके बावजूद थाना/हवालात में पुलिस की हिंसा व बर्बरता को रोकने के लिए कुछ नहीं किया गया, बल्कि बढ़ावा दिया गया।

इस थाने में बाप-बेटे की हत्या के कुछ दिन पहले पुलिस ने एक व्यक्ति को, जिसे गिरफ़्तार कर लाया गया था, इतना मारा कि उसकी मौत हो गयी। एक अन्य व्यक्ति को पुलिस ने इस बुरी तरह पीटा कि उसके गुर्दे ख़राब हो गये और उसे डायलिसिस का सहारा लेना पड़ रहा है। थाने में उसके पेट पर लगातार लात-घूंसे बरसाये जाते रहे। पुलिस की बर्बरता के लिए यह थाना लंबे समय से बदनाम रहा है। दलित, मुसलमान, वंचित-ग़रीब तबकों के लोग इस बर्बरता के शिकार होते रहे हैं, और इन घटनाओं को अनदेखा-अनसुना किया जाता रहा है। चूंकि इस बार हवालात में मारे गये बाप-बेटे प्रभावशाली नाडर समुदाय के थे, इसलिए मामले ने तूल पकड़ लिया।

इस मामले में होना यह चाहिए कि ठूथुकुडी (तूतीकोरिन) ज़िले के पुलिस अधीक्षक व ज़िलाधिकारी को गिरफ़्तार किया जाना चाहिए, नौकरी से बर्ख़ास्त किया जाना चाहिए और उन पर हवालात हत्या की हिंसक प्रवृत्ति को बढ़ावा देने के लिए मुक़दमा चलाया जाना चाहिए। इन दोनों ऊंचे अधिकारियों की जानकारी व देखरेख में सथानकुलम क़स्बे के थाने में गिरफ़्तार किये लोगों पर पुलिस की हिंसा व बर्बरता जारी रही। इन दोनों अधिकारियों ने पुलिस के निरंकुश व ग़ैर-क़ानूनी कामों को नहीं रोका। यह अपराध है। 19 जून से लेकर 23 जून तक—जयराज व बेनिक्स की गिरफ़्तारी से लेकर उनकी हवालात हत्या तक—ये दोनों अधिकारी क्या करते रहे?

इसके साथ ही उस मजिस्ट्रेट की भूमिका को भी कठघरे में लाना चाहिए, जिसने पुलिस बर्बरता की वजह से ख़ून में सने जयराज व बेनिक्स को बिना देखे-पूछे जुडिशियल रिमांड पर दे दिया। यह व्यक्ति इस लायक नहीं है कि अपने पद पर बना रहे। दोनों बाप-बेटे को जो असहनीय शारीरिक पीड़ा हुई और बाद में उनकी मौत हो गयी, उसके पीछे इस मजिस्ट्रेट का भी हाथ है।

चालीस साल से ज़्यादा अरसा हो रहा है, जब एक हाईकोर्ट के जज ने एक मुक़दमे का फैसला सुनाते हुए यह टिपप्णी की थी कि भारतीय पुलिस ‘वर्दीधारी गुंडों का सर्वाधिक संगठित गिरोह है।’ यह गिरोह अब भयानक रूप से बर्बर व हिंसक हो चला है।

(लेखक वरिष्ठ कवि व राजनीतिक विश्लेषक हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

tamil nadu
TamilNadu Police
police
Police brutality

Related Stories

रिश्वत लेकर अपराधी छोड़ने के मामले में क्राइम ब्रांच प्रभारी व मुख्य आरक्षी बर्ख़ास्त

हिरासत में मौत पर वामदलों ने कहा- बिहार ‘पुलिस राज’ में तब्दील होता जा रहा है

वाराणसी: सुप्रीम कोर्ट के सामने आत्मदाह के मामले में दो पुलिसकर्मी सस्पेंड

तमिलनाडु : दो दलित युवाओं की हत्या के बाद, ग्रामीणों ने कहा कि बस ‘अब बहुत हुआ’

उत्तर प्रदेश में अपराध पर लगाम का दावा हक़ीक़त से कोसों दूर है?

तमिलनाडु : श्मशाम घाट के रास्ते में दबंग जातियों का गाँव, दलित का शव ले जाने से रोका   

डॉ. पायल तड़वी का सुसाइड नोट मिला, हुआ था जातिगत उत्पीड़न  

गढ़चिरौली नक्सली हमला : एसपीओ का पालन नहीं करने पर पुलिस अधिकारी निलंबित

बंगाल में मॉडल से छेड़खानी में सात गिरफ़्तार

अपराध/बलात्कार के बाद वीडियो वायरल : ये कहां आ गए हम...!


बाकी खबरें

  • रवि कौशल
    आदिवासियों के विकास के लिए अलग धर्म संहिता की ज़रूरत- जनगणना के पहले जनजातीय नेता
    28 Apr 2022
    जनजातीय समूह मानते रहे हैं कि वे हिंदू धर्म से अलग रीति-रिवाजों और परंपराओं का पालन करते हैं, इसलिए उन्हें अलग धर्म संहिता दी जाना चाहिए, ताकि आने वाली जनगणना में उन्हें अलग समहू के तौर पर पहचाना जा…
  • संदीप चक्रवर्ती
    कोलकाता : वामपंथी दलों ने जहांगीरपुरी में बुलडोज़र चलने और बढ़ती सांप्रदायिकता के ख़िलाफ़ निकाला मार्च
    28 Apr 2022
    नेताओं ने चेतावनी दी कि अगर बीजेपी-आरएसएस की ताक़त बढ़ी तो वह देश को हिन्दू राष्ट्र बना देंगे जहां अल्पसंख्यकों के साथ दोयम दर्जे के नागरिक जैसा बर्ताव किया जाएगा।
  • राज वाल्मीकि
    ब्राह्मणवादी व्यवस्था ने दलितों को ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण स्त्री समुदाय को मानवाधिकारों से वंचित रखा: चौथीराम यादव
    28 Apr 2022
    पंडिता रमाबाई के परिनिर्वाण दिवस के 100 साल पूरे होने पर सफाई कर्मचारी आंदोलन ने “पंडिता रमाबाई : जीवन और संघर्ष” विषय पर कार्यक्रम किया।
  • hisab kitab
    न्यूज़क्लिक टीम
    5 साल में रोज़गार दर 46 फ़ीसदी से घटकर हुई 40 फ़ीसदी
    28 Apr 2022
    CMIE के आंकड़ों के मुताबिक भारत की काम करने लायक़ 90 करोड़ आबादी में नौकरी और नौकरी की तलाश में केवल 36 करोड़ लोग हैं। तकरीबन 54 करोड़ आबादी रोज़गार की दुनिया से बाहर है। बेरोज़गरी के यह आंकड़ें क्या कहते…
  • राजु कुमार
    बिना अनुमति जुलूस और भड़काऊ नारों से भड़का दंगा
    28 Apr 2022
    मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी सहित आठ राजनीतिक दलों की ओर से एक प्रतिनिधि मंडल ने खरगोन के दंगा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License