NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
तेलंगाना: केंद्र की मज़दूर और किसान विरोधी नीतियों के ख़िलाफ़ सीटू का जन जागरण अभियान!
20 जनवरी से 2 फरवरी के दौरान ट्रेड यूनियन कार्यकर्त्ता गाँव-गाँव में जाकर श्रम संहिताओं एवं नए कृषि कानूनों के भीतर की कमियों के बारे में बताते हुए प्रचार अभियान चलाएंगे। 
पृथ्वीराज रूपावत
21 Jan 2021
तेलंगाना: केंद्र की मज़दूर और किसान विरोधी नीतियों के ख़िलाफ़ सीटू का जन जागरण अभियान!

हैदराबाद: सेंटर ऑफ़ ट्रेड यूनियन कांग्रेस (सीटू) की तेलंगाना ईकाई ने भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की “मजदूर-विरोधी, ‘किसान-विरोधी’ नीतियों के खिलाफ – ‘कर्मिका कर्षका पोरु यात्रा’ नामक अभियान यात्रा की शुरुआत कर दी है। ट्रेड यूनियन नेताओं और किसानों की दस टीमें अगले चौदह दिनों के लिए सभी जिलों में घूम-घूमकर आम लोगों से मौजूदा शासन के खिलाफ इस आन्दोलन में शामिल होने की अपील करेंगी।

सीटू के राज्य स्तरीय नेता श्रीकांत ने हैदराबाद में यात्रा की शुरुआत से पूर्व एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा “मजदूरों और किसानों ने इन चार श्रम संहिताओं और तीन कृषि कानूनों के खिलाफ अपने विरोध को कई आंदोलनों, हडतालों और लगातार जारी विरोध प्रदर्शनों के जरिये दर्ज कराने का काम किया है। लेकिन भाजपा सरकार पूरी बेहयाई के साथ उनकी दुश्चिंताओं को नजरअंदाज करने में व्यस्त है। अब उनके पास अपनी नौकरियों और आजीविका को बचाने के लिए आन्दोलन करने के सिवाय कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा रह गया है। 

तेलंगाना में सीटू के राज्य सचिव पलादगुरु भास्कर ने कहा कि इस यात्रा का उद्येश्य उन प्रदर्शनकारी किसानों के प्रति समर्थन जुटाने के लिए किया जा रहा है जो देशव्यापी किसानों के चल रहे आन्दोलन के हिस्से के तौर पर हैं। भास्कर का कहना था “यदि इन तीन नए कृषि कानूनों को लागू कर दिया जाता है तो तेलंगाना के किसानों के सामने मजदूरों के तौर पर रूपांतरित हो जाने का खतरा बना हुआ है, जबकि राज्य में मौजूद 25 लाख काश्तकार एवं खेतिहर मजदूर अपनी रोजी-रोटी से हाथ धो सकते हैं। विद्युत (संशोधन) विधेयक 2020 के जरिये केंद्र सरकार का इरादा अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों एवं किसानों को बिजली सब्सिडी बंद करने का है।” उन्होंने माँग की कि तेलंगाना राष्ट्र समिति सरकार राज्य विधानसभा में इन कृषि कानूनों एवं श्रम संहिताओं के खिलाफ प्रस्ताव पारित करे।

पूर्व एमएलसी नागेश्वर राव द्वारा हैदराबाद में यात्रा को हरी झंडी दिखाई गई, वहीँ वारंगल जिले में अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेस) के नेता सरमपल्ली मल्लारेड्डी द्वारा और खम्मम जिले में पूर्व विधायक जुलाकंती रंगारेड्डी द्वारा रैली का शुभारंभ किया गया।

इस बीच जारी किसानों के आंदोलन के समर्थन में विभिन्न किसान संगठनों की ओर से संयुक्त रूप से विभिन्न प्रकार के विरोध प्रदर्शनों को राज्य भर में आयोजित किया जा रहा है, जिसमें धरना, रैली निकालना और भूख हडताल का आयोजन करना शामिल है।

सीटू नेता वेंकटेश ने निर्माण श्रमिकों से भाजपा की नीतियों के खिलाफ उनके इस अभियान में शामिल होने का आह्वान किया। उन्होंने कहा “ट्रेड यूनियनें इस बात की मांग करती रही हैं कि बेरोजगार निर्माण श्रमिकों को सरकार की ओर से 7,500 रूपये प्रति माह का अनुदान मुहैय्या किया जाए। बेरोजगारी ने उन्हें सड़क पर ला खड़ा कर दिया है। राज्य सरकार को इन परिवारों को प्रति माह 10 किलो अनाज निश्चित तौर पर मुहैय्या कराया जाना चाहिए।

वेंकटेश ने प्रस्तावित किया कि “सरकारी कार्यों जैसे कि सड़क निर्माण या बुनियादी आधारभूत परियोजनाओं के लिए तीसरे पक्ष या कहें ठेकेदारों से निर्माण श्रमिकों को भाड़े पर लेने के बजाय सरकार को जिलावार निर्माण श्रमिकों की सोसाइटी के गठन को अमल में लाना चाहिए। ऐसे कई कार्य हैं, जिन्हें इन सोसाइटी को सीधे तौर पर आवंटित किया जा सकता है।”

खम्मम में आम सभा को संबोधित करते हुए जुलाकांति रंगारेड्डी ने कहा “सरकार को निश्चित तौर पर किसानों की आत्महत्याओं और स्वास्थ्य कारणों से हुई मौतों की जिम्मेदारी लेनी होगी।” उन्होंने श्रम संहिता एवं कृषि कानूनों को महज श्रमिकों और किसानों के लिए ही नुकसानदेह नहीं बताया बल्कि उनका कहना था कि इनका दीर्घकालीन दुष्प्रभाव भारतीय अर्थव्यवस्था और इसके लोगों पर भी पड़ने जा रहा है।

यात्रा के प्रति अपने समर्थन को व्यक्त करते हुए तेलंगाना रायथू संघम के महासचिव तेगाला सागर ने कहा कि ये कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तक को सुनिश्चित नहीं करते हैं। सागर के अनुसार “ये कानून महज कॉर्पोरेट के लिए किसानों से जबरन वसूली में ही मददगार साबित हो सकते हैं। इसके परिणामस्वरूप भूख से होने वाली मौतों की घटनाओं में वृद्धि होने की आशंका है। श्रम संहिता के तौर पर श्रमिकों के वाजिब अधिकारों को छीनकर, मोदी सरकार कॉर्पोरेट्स के पक्ष में साजिश रच रही है। आज जरूरत इस बात की है कि सभी वर्गों के लोग, मजदूरों एवं किसानों के साथ हो रहे इस अन्याय के खिलाफ लामबंद हों।”

इस यात्रा के समन्वयकर्ता पालादुगु भास्कर के अनुसार कार्यकर्ताओं की दस टीमें विभिन्न जिलों में घूम- घूमकर इन कानूनों से पड़ने वाले दुष्प्रभावों के बारे में लोगों के बीच में अपनी बात रखेंगी।

सीटू नेताओं के अनुसार इस यात्रा से केंद्र सरकार की “जन-विरोधी” एवं “कॉर्पोरेट-समर्थक” नीतियों के खिलाफ चल रहे श्रमिकों एवं किसानों के आन्दोलन को तेज करने में मदद मिलेगी।

खम्मम जिले में ट्रेड यूनियन कार्यकर्ताओं ने दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों के विरोध प्रदर्शन के समर्थन में चंदा इकट्ठा किया।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करे

Telangana: CITU begins Yatra Against ‘Anti-Worker’, ‘Anti-Farmer’ Policies of Centre

Telangana
Khammam
CITU
AIKS
Farmers’ Protests
workers protests
Labour Codes
Farm Laws
electricity
Karmika Karshaka Poru Yatra
construction workers

Related Stories

मुंडका अग्निकांड: 'दोषी मालिक, अधिकारियों को सजा दो'

मुंडका अग्निकांड: ट्रेड यूनियनों का दिल्ली में प्रदर्शन, CM केजरीवाल से की मुआवज़ा बढ़ाने की मांग

छोटे-मझोले किसानों पर लू की मार, प्रति क्विंटल गेंहू के लिए यूनियनों ने मांगा 500 रुपये बोनस

तमिलनाडु: छोटे बागानों के श्रमिकों को न्यूनतम मज़दूरी और कल्याणकारी योजनाओं से वंचित रखा जा रहा है

किसान-आंदोलन के पुनर्जीवन की तैयारियां तेज़

देशव्यापी हड़ताल: दिल्ली में भी देखने को मिला व्यापक असर

सार्वजनिक संपदा को बचाने के लिए पूर्वांचल में दूसरे दिन भी सड़क पर उतरे श्रमिक और बैंक-बीमा कर्मचारी

झारखंड: केंद्र सरकार की मज़दूर-विरोधी नीतियों और निजीकरण के ख़िलाफ़ मज़दूर-कर्मचारी सड़कों पर उतरे!

दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल को मिला व्यापक जनसमर्थन, मज़दूरों के साथ किसान-छात्र-महिलाओं ने भी किया प्रदर्शन

देशव्यापी हड़ताल का दूसरा दिन, जगह-जगह धरना-प्रदर्शन


बाकी खबरें

  • भाषा
    ज्ञानवापी मामला : अधूरी रही मुस्लिम पक्ष की जिरह, अगली सुनवाई 4 जुलाई को
    30 May 2022
    अदालत में मामले की सुनवाई करने के औचित्य संबंधी याचिका पर मुस्लिम पक्ष की जिरह आज भी जारी रही और उसके मुकम्मल होने से पहले ही अदालत का समय समाप्त हो गया, जिसके बाद अदालत ने कहा कि वह अब इस मामले को…
  • चमन लाल
    एक किताब जो फिदेल कास्त्रो की ज़ुबानी उनकी शानदार कहानी बयां करती है
    30 May 2022
    यद्यपि यह पुस्तक धर्म के मुद्दे पर केंद्रित है, पर वास्तव में यह कास्त्रो के जीवन और क्यूबा-क्रांति की कहानी बयां करती है।
  • भाषा
    श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही मस्जिद ईदगाह प्रकरण में दो अलग-अलग याचिकाएं दाखिल
    30 May 2022
    पेश की गईं याचिकाओं में विवादित परिसर में मौजूद कथित साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की संभावना को समाप्त करने के लिए अदालत द्वारा कमिश्नर नियुक्त किए जाने तथा जिलाधिकारी एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की उपस्थिति…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बेंगलुरु में किसान नेता राकेश टिकैत पर काली स्याही फेंकी गयी
    30 May 2022
    टिकैत ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘स्थानीय पुलिस इसके लिये जिम्मेदार है और राज्य सरकार की मिलीभगत से यह हुआ है।’’
  • समृद्धि साकुनिया
    कश्मीरी पंडितों के लिए पीएम जॉब पैकेज में कोई सुरक्षित आवास, पदोन्नति नहीं 
    30 May 2022
    पिछले सात वर्षों में कश्मीरी पंडितों के लिए प्रस्तावित आवास में से केवल 17% का ही निर्माण पूरा किया जा सका है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License