NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
RSS का नया ‘राम जन्मभूमि मुद्दा’ है NRC-CAA
जब देश का विभाजन हुआ, तब भी हमने ऐसा ही समय देखा था।
आएशा किदवई
18 Dec 2019
india -pak

NRC और CAA(नागरिकता संशोधन क़ानून) आरएसएस का नया राम जन्मभूमि मुद्दा है। यह लोग जब तक सत्ता में हैं, तब तक यह चलेगा और उत्तर भारत के लोगों में बंटवारा करता रहेगा। मुस्लिमों की नागरिकता को तुरंत ख़त्म करने से नहीं, बल्कि मुद्दे से जो सामाजिक प्रक्रिया चालू होगी, उससे यह बंटवारा होगा। इस क़दम की प्रतिक्रिया में हमने बंगाल और असम में मौतें देखी हैं। अपने घर-परिवार को खोने से डरकर लोगों ने आत्महयाएँ की हैं या फिर राज्य की कार्रवाई में मारे गए हैं। लेकिन अभी दूसरी मौतें भी देखी जानी बाक़ी हैं। जिस सामाजिक प्रक्रिया से गहरी असामानता और अन्यायपूर्ण समाज बना है, उसमें अब हम अराजकता की ओर बढ़ रहे हैं, जिससे गृहयुद्ध तक होने की संभावना है।

हमने देश के बंटवारे के वक़्त भी ऐसा ही देखा था। अब हम दोबारा इसे देखने की प्रक्रिया की ओर बढ़ रहे हैं। आगे हम देखेंगे कि लोगों के आपस में सामंजस्यपूर्ण विश्वासों की परंपरा को ख़त्म किया जाएगा। हम देखेंगे कि आरएसएस का डर दिखाकर धर्मपरिवर्तन करवाना अब सरकारी मदद के ज़रिये किया जाएगा। हम इन रणनीतियों में बेहद कमज़ोर पड़ जाएंगे। क्योंकि मुस्लिमों को इस ''शुद्धिकरण'' को मानना होगा या कैंपों में जाना होगा। यह मायने नहीं रखेगा कि उन्हें एनआरसी द्वारा नागरिक माना जाएगा या नहीं। 

मैं अनीस किदवई की किताब ''फ़्रीडम्स शेड'' के मुताबिक़ खिड़की गांव के मुस्लिमों की कहानी बताती हूँ। उनके साथ 1947 में क्या हुआ। यह बेहद दुखी करने वाली है, क्योंकि इसमें एक्टिविस्ट किसी भी तरह के समाधान पर नहीं पहुंच पाए। मैं नहीं जानती आप पाकिस्तान की जगह किस स्थान का नाम पढ़ते हैं। लेकिन मेरा विश्वास है कि वहां भी स्थिति आज बहुत ज़्यादा अलग नहीं होगी।

''फ़रवरी में दो लोग खि़ड़की गांव को छोड़कर हुमांयु के मक़बरे स्थित कैंप में पहुंचने में कामयाब रहे। चोटी के साथ उनके मुड़े हुए सिरों को देखकर कैंप में ख़ूब आतंक मचा। कई मुस्लिम उनकी कहानी सुनने आसपास जुट जाते। कुछ पुराने गांव वालों ने यह कहानी मुझे बताई। मुझे बताया गया कि नरेला, नज़फ़गढ़ और मेहरौली के कई गांवों में मुस्लिमों का ज़बरदस्ती धर्म परिवर्तन करवाया गया। इनमें लोग हिंदू बनकर गांवों से भागने की फ़िराक़ में वक़्त काट रहे थे। दोनों आदमियों ने फंसे हुए मुस्लिमों की मदद के लिए हमसे कहा। बोले कि ''उन्हें यहां लाकर पाकिस्तान भेज दिया जाएगा।'' 

मैंने कहा, ''मेरे भाईयों यह ग़लत होगा। मैं आपसे कहता हूं कि आप सब मत जाइये और आप मुझसे उम्मीद करते हैं कि मैं उन्हें वहां भेज दूं। मैं उन्हें एक-दो महीने के लिए दिल्ली ला सकता हूं। तब तक स्थितियां सुधर जाएंगी और वे अपने गांव वापस लौट सकेंगे। पड़ोस के मुस्लिम इलाक़े में कुछ घर ख़ाली हैं। वो वहां रुक सकते हैं, लेकिन जैसे ही शांति होगी, उन्हें वहां से निकलना होगा।''

मेरी अनुभवहीनता ने मुझे इस धोखे में रखा कि यह काम आसान होगा। लेकिन दोनों लोग सहमत हो गए औऱ अपने गांव वापस चले गए। जल्द ही सिक्योरिटी गार्ड, हथियारबंद पुलिस और ट्रक की मदद से हमने डरे हुए मुस्लिमों को निकालने का काम शुरू कर दिया। उस दौर में चलने वाली बातों के मुताबिक़ हिंदुओं को अपने स्तर के मुस्लिमों, जैसे ज़मींदार या कलाकारों के पाकिस्तान जाने से कोई समस्या नहीं थी। लेकिन जब बढ़ई, लोहार जैसे कुशल श्रमिकों की बात आई तो यह हिंदुओं की रोज़ी-रोटी का सवाल बन गया। अगर यह लोग चले गए तो उनके खेतों में हल कौन चलाएगा? इन मुस्लिमों को अगर शहर में रहने की अनुमति मिलती है, तो वे बिना काम के नहीं रहेंगे। वो कमाई कर सकेंगे। लेकिन जैसे ही ग्रामीण मुस्लिमों के ''शुद्धिकरण'' की प्रक्रिया शुरू हुई, मामला पलट गया। कई फंसे हुए मुस्लिमों ने जमीयत से खुद को बचाने की गुहार लगाई। कई गांवों में सैकड़ों मुस्लिमों को धर्मपरिवर्तन के लिए मजबूर किया गया।

एक तरफ़ मुस्लिमों का कहना था कि ''शुद्धिकृत'' होने के बाद भी किसी मुस्लिम को हम पीछे नहीं छोड़ेंगे। दूसरी तरफ़ सरकार कहती कि किसी को भी ज़बरदस्ती देश छोड़ने की ज़रूरत नहीं है और जिन लोगों के साथ ग़लत किया गया है, उन्हें मदद मिलेगी। पिछले कुछ वक़्त से पुलिस और प्रशासन इस व्यवस्था को तेज़ी से अपना रहे हैं। इसे वो ख़ुद के हिसाब से परिभाषित भी कर रहे हैं। इसके पीछे का उद्देश्य था कि जो पीछे छूट गए, वो बिना किसी धर्मपरिवर्तन के डर के यहां रह सकते हैं। लेकिन जब प्रशासन ने इसे लागू किया तो दूसरी ही तस्वीर सामने आई। कलेक्टरेट के अधिकारियों की मौजूदगी में 40 गांवों की एक पंचायत हुई, जिसमें दो मुस्लिम गांवों ने पूरी तरह हिंदू धर्म अपना लिया। मुस्लिमों को पाकिस्तान जाने से रोकने के लिए इस तरह की ''व्यवस्था'' के लिए अधिकारियों की स्थानीय सरकार ने प्रशंसा की!    

मैं बचाव दल के साथ खिड़की गांव पहुंचा था, जहां 50 से 60 मुस्लिमों को ज़बरदस्ती बंधक बना रखा था। वहां फसाद होने का अंदाज़ा था, इसलिए पुलिस ने पूरे गांव को घेर लिया। केवल एक आवाज़ पर ही सारे मुस्लिम बाहर आ गए। उन्होंने बताया कि उनका जबरन धर्म परिवर्तन करवाया गया। वे न तो अपना गांव छोड़ना चाहते थे, न ही अपना धर्म। हमने उनका फ़ैसला मान लिया क्योंकि हम किसी भी धर्म की तरफ़ से फसाद नहीं चाहते थे, क्योंकि धर्म परिवर्तन मनमर्ज़ी से किया गया था।

हमने कितनी आसानी से सोच लिया कि मुस्लिमों को बाहर निकालना आसान रहेगा! जब हमने मुस्लिमों को वहां से जाने के फ़ैसले की घोषणा की, तो लोगों ने आपत्तियां जताईं। मुस्लिमों के घर का सवाल था, जिस पर उन्होंने बहुत ख़र्च किया था। ग्रामीण इलाक़ों में उसे वे कैसे किराये पर देते? फिर गांव छोड़ने की स्थिति में उनकी ज़मीन का मुद्दा था। वो कैसे उसपर नियंत्रण करते? उनके जानवरों का क्या होता, जिनको बेचने पर सिर्फ़ उन्हें एक चौथाई क़ीमत ही मिल रही थी!

ऊपर से उनपर बहुत उधार था। सभी ने कुछ न कुछ उधार ले रखा था, महाजन को पाई-पाई का हिसाब चाहिए था। कुछ ने समझौते करने के लिए दूसरे उधारों की याद दिलाई। शादी के न्यौतों का तक उधार के लिए इस्तेमाल किया गया। जैसे किसी ने कहा, ''मैंने तुम्हारे भाई को शादी में इतना दिया। लेकिन अब हमारे घर में कोई शादी होने से पहले ही तुम यह जगह छोड़कर जा रहे हो। हमारा क़र्ज़ चुकाओ।''

क़िस्मत से हमारे एक साथी मिस्टर प्रकाश वकील थे। वहां उनकी क़ानूनी मदद काम आई। उन्होंने पूरे बही-खातों के जोड़-घटाना को खोलकर रख दिया और जबरन वसूली का खुलासा किया। इसमें ही कई बड़े ''क़र्ज़'' ख़त्म हो गए। इससे अपना घर छोड़ रहे गांव वालों को बहुत सहूलियत मिली। उस वक़्त संपत्ति की कोई ख़ास क़ीमत नहीं होती थी, फिर भी उन्होंने गांव छोड़कर जाने वालों के हल और पशु बचा लिए। पुलिस से मिस्टर बटन और मिस्टर प्रकाश की मदद से जाने वाले किसानों को कुछ पैसे भी मिल गए। शादियों के क़र्ज़ की बात को भी ख़ारिज कर दिया गया।

मैंने सोचा था कि यह लोग जाने से मना कर देंगे। लेकिन वो अड़े रहे। इस बीच कई हिंदू और मुस्लिम बच्चे ट्रक पर चढ़ गए। जैसे वो किसी मेले में जा रहे हों। फिर विदाई का वक़्त आया। हिंदू और मुस्लिम महिलाएं एक दूसरे को पकड़कर ज़ोर-ज़ोर से रोने लगीं। कई युवा लड़कियां एक-दूसरे को बांहों में लेकर सुबक रही थीं। एक बूढ़े किसान ने अपने चने के खेतों की ओर देखा, उसकी आंखों में आंसू थे। एक पौधे की तरफ़ इशारा करते हुए उसने कहा कि ''इसे मैंने ख़ुद लगाया था। देखो अब कितना बड़ा हो गया है.... अब इसे कौन काटेगा?''

अपने घर की दीवारों और दरवाज़ों को आख़िरी बार छूते हुए किसान चले गए। पूरे दिल्ली शहर में वे झड़े हुए पत्तों की तरह बिखर गए। मैं उनमें से कुछ से दोबारा मिला। लेकिन उनका दर्द कम नहीं हुआ। कुछ दिनों बाद मैंने सुना कि अपनी ज़मीन का प्यार उन्हें निज़ामुद्दीन खींच लाया। लेकिन यहां भी उन्हें सुकून नहीं मिला। बढ़ते वक्त के साथ इनमें से कई पाकिस्तान चले गए। पता नहीं वहां कितने लोगों की इच्छाएं पूरी हो पाईं या वाकई कितने लोग वहां बच पाए। 

मैं विदाई को सही नहीं ठहरा सकता। मैंने ऑफ़िसर से कहा, "यह बेहद घटिया काम है। मैं दोबारा यह काम नहीं कर सकता। किसी और से अब मदद मांगिएगा।" मैं इसके बाद दोबारा नहीं गया।

खिड़की गांव के अनुभव से हमें बहुत बड़ी सीख मिली। हम गांव वालों को संतोष दिलाने में नाकाम रहे। हम उन्हें पाकिस्तान जाने से नहीं रोक पाए। हम उनसे यह वायदा भी नहीं निभा पाए कि एक महीने बाद उन्हें गांव में वापस पहुंचाया जाएगा। हम एक गांव के ख़ाली होने की वजह थे। आजतक मैं इस ग़लती पर शर्मिंदा हूं। मैं ख़ुद से अक्सर पूछता हूं कि ''हम क्या अलग कर सकते थे''?

 

CAA
CAB
NRC
Assam
Ram Janma Bhoomi
ayodhya
Ram Mandir
BJP
Amit Shah
Narendra modi

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति


बाकी खबरें

  • पीपुल्स डिस्पैच
    विरोध करने के लोकतांत्रिक अधिकार में अड़चन डालती लॉस एंजेलिस पुलिस
    02 Jun 2022
    लॉस एंजिल्स पुलिस विभाग(LAPD) ने पीपुल्स समिट की ओर से आयोजित अमेरिका के 9वें वार्षिक शिखर सम्मेलन पर निकलने वाले एक जुलूस को इजाज़त देने से इनकार कर दिया है
  • प्रेम कुमार
    राज्यसभा सांसद बनने के लिए मीडिया टाइकून बन रहे हैं मोहरा!
    02 Jun 2022
    राज्यसभा जाने के लिए अब मीडिया जगत के दिग्गजों पर भी दांव खेला जा रहा है। पहले राजस्थान में भाजपा के समर्थन से सुभाष चंद्रा और अब हरियाणा से आईटीवी नेटवर्क के कार्तिकेय शर्मा का नाम सामने आ गया है।
  • सोनिया यादव
    मायके और ससुराल दोनों घरों में महिलाओं को रहने का पूरा अधिकार
    02 Jun 2022
    सुप्रीम कोर्ट ने एक ज़रूरी टिप्पणी में कहा कि कोर्ट महिला को सिर्फ़ इसलिए घर से बाहर निकालने की इजाज़त नहीं देगा क्योंकि वह अन्य सदस्यों को पसंद नहीं है।
  • Narmada
    न्यूज़क्लिक टीम
    परिक्रमा वासियों की नज़र से नर्मदा
    02 Jun 2022
    मध्य प्रदेश के अमरकंटक के मैकल पर्वत से निकल कर 1312 किलोमीटर का सफर कर अरब सागर में मिलने वाली नर्मदा मध्य भारत के पूर्व से पश्चिम के जानिब बहने वाली पांचवी सबसे बड़ी नदी है। नर्मदा मध्य प्रदेश…
  • urmilesh
    न्यूज़क्लिक टीम
    ED के निशाने पर सोनिया-राहुल, राज्यसभा चुनावों से ऐन पहले क्यों!
    02 Jun 2022
    प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी को नोटिस भेजा है. दोनो को ED के समक्ष पेश होना है. यह मामला है नेशनल हेराल्ड से जुडा. क्या यह मामला जेनुइन है या इसके पीछे…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License