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यूएई को कई बिलियन डॉलर के उन्नत हथियार बेचेगा अमेरिका
यूएई को एफ -35 लड़ाकू विमान और उन्नत ड्रोन की बिक्री से मध्य पूर्व क्षेत्र में हथियारों की दौड़ बढ़ने की उम्मीद है।
पीपल्स डिस्पैच
11 Nov 2020
यूएई

अमेरिका की सत्ता से विमुक्त हो रही ट्रम्प प्रशासन ने दुनिया के विभिन्न देशों को हथियारों की बिक्री में तेज़ी लाई है। मंगलवार 10 नवंबर को एक नए फैसले में सेक्रेट्री ऑफ स्टेट माइक पोम्पिओ ने घोषणा की है कि अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कांग्रेस को यूएई को 23 बिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक के हथियार बेचने के प्रस्ताव के बारे में सूचित किया है। हथियारों की प्रस्तावित बिक्री में 50 एफ-35 लड़ाकू विमान, एमक्यू-9 बी मानव रहित हवाई प्रणाली और ड्रोन शामिल हैं।

यदि यह सौदा ट्रम्प प्रशासन की योजना के अनुसार होता है तो यूएई इजरायल के बाद एफ-35 वाला मध्य पूर्व क्षेत्र का दूसरा देश बन जाएगा। पहले इजरायल ने एफ-35 यूएई को बेचने के प्रस्ताव पर आपत्ति जताई थी। ट्रम्प प्रशासन द्वारा मध्य पूर्व के अन्य देशों पर इजरायल के मिलिट्री एडवांटेज को बनाए रखने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराए जाने के बाद इसने अपनी आपत्तियां वापस ले ली थी।

यूएई पहला अरब देश था जिसने इस वर्ष जुलाई में ट्रम्प प्रशासन के दखल के बाद इज़रायल के साथ रिश्ते को सामान्य करने के समझौते की घोषणा की थी। यूएई के बाद बहरीन और सूडान ने भी ऐसा ही किया। बदले में ट्रम्प प्रशासन ने संयुक्त अरब अमीरात को उन्नत हथियार बेचने का वादा किया था। ट्रम्प प्रशासन ने ईरान से कथित ख़तरे के आधार पर यूएई को इन हथियारों की बिक्री को सही ठहराने की कोशिश की है।

हालांकि, आलोचकों ने यूएई को हथियारों की बिक्री का विरोध किया है। अमेरिका में डेमोक्रेट ने कहा है कि सत्ता विमुक्त हो रही ट्रम्प प्रशासन मध्य पूर्व में नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन की विदेश नीति के लिए विकल्पों को सीमित करने की कोशिश कर रहा है। जो बाइडेन ने इस क्षेत्र में हथियारों की बिक्री पर फिर से विचार करने और ईरान परमाणु समझौते में शामिल होने का वादा किया है जिससे ट्रम्प प्रशासन साल 2018 में हट गया था।

मानवाधिकार समूहों ने भी यूएई को हथियार बेचने के फैसले की आलोचना की है जो यमन में युद्ध के लिए ज़िम्मेदार है। आलोचकों का कहना है कि इन हथियारों का इस्तेमाल यमन में निर्दोष नागरिकों को मारने के लिए किया जा सकता है। यमन की युद्ध में सऊदी के नेतृत्व वाले गठबंधन द्वारा अमेरिकी हथियारों के इस्तेमाल की पहले ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आलोचना हो चुकी है।

यूएई को हथियारों की बिक्री से इस संघर्षरत क्षेत्र में हथियारों की दौड़ के बढ़ने की भी उम्मीद है जो पहले से ही इसका सबसे बड़ा आयातक है।

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