NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
जासूसी के आरोप यदि सही हैं, तो गंभीर हैं: न्यायालय ने पेगासस मामले पर कहा
शीर्ष अदालत कथित पेगासस जासूसी मामले की स्वतंत्र जांच के अनुरोध वाली नौ याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी जिसमें एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और वरिष्ठ पत्रकारों की याचिकाएं भी शामिल हैं।
भाषा
05 Aug 2021
जासूसी के आरोप यदि सही हैं, तो गंभीर हैं: न्यायालय ने पेगासस मामले पर कहा

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि पेगासस के बारे में अगर रिपोर्ट सही है तो इससे संबंधित जासूसी के आरोप ‘‘गंभीर प्रकृति के’’ हैं। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने इजराइली स्पाइवेयर मामले की जांच के अनुरोध करने वाले याचिकाकर्ताओं से पूछा कि क्या उन्होंने इस बारे में आपराधिक शिकायत दर्ज करने का कोई प्रयास किया है।

प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एन वी रमण और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की एक पीठ ने हालांकि इन याचिकाओं पर नोटिस जारी नहीं किया लेकिन उसने इन याचिकाओं में से एक याचिका में (प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृहमंत्री को) व्यक्तिगत रूप से पक्षकार बनाये जाने पर आपत्ति जतायी।

शीर्ष अदालत ने साथ ही याचिकाकर्ताओं से कहा कि वे अपनी याचिकाओं की प्रतियां केंद्र को मुहैया करायें ताकि 10 अगस्त को इस मामले में सरकार की ओर से नोटिस स्वीकार करने के लिए कोई उसके समक्ष मौजूद रहे। शीर्ष अदालत ने यह भी सवाल किया कि यह मामला अभी अचानक क्यों उठा है जबकि यह 2019 में ही सामने आ गया था।

पीठ ने वरिष्ठ पत्रकार एन राम और शशि कुमार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से कहा कि इस मामले में याचिकाकर्ता शिक्षित और जानकार व्यक्ति हैं और उन्हें और अधिक सामग्री एकत्र करने के प्रयास करने चाहिए थे।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘इस सब में जाने से पहले, हमारे कुछ प्रश्न हैं। इसमें कोई शक नहीं, अगर रिपोर्ट सही है तो आरोप गंभीर हैं।’’ पीठ ने कहा कि उसने इन रिट याचिकाओं में पढ़ा है कि यह मामला दो वर्ष पहले मई 2019 में सामने आया था।

पीठ ने कहा, ‘‘उन्हें अधिक सामग्री सामने रखने के लिए अधिक केंद्रित प्रयास या कड़ी मेहनत करनी चाहिए थी। साथ ही, हम यह नहीं कह सकते कि बिल्कुल भी सामग्री नहीं है।’’ पीठ ने कहा कि वह यह नहीं कहना चाहती कि ये रिपोर्ट विश्वसनीय नहीं हैं।

शीर्ष अदालत ने कहा कि कुछ याचिकाकर्ताओं ने दावा किया है कि उनके फोन हैक किए गए या इंटरसेप्ट किए गए।

पीठ ने कहा, ‘‘आप जानते हैं कि आपराधिक शिकायत दर्ज कराने के लिए टेलीग्राफ अधिनियम या सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत प्रावधान हैं। ऐसा प्रतीत होता है, मुझे नहीं पता, कहीं भी यह नहीं कहा गया है कि क्या उन्होंने उनमें से किसी के खिलाफ आपराधिक शिकायत दर्ज कराने का कोई प्रयास किया है।’’

सिब्बल ने पीठ को बताया कि पहले याचिकाकर्ताओं की जानकारी तक पहुंच नहीं थी और पेगासस स्पाइवेयर केवल सरकार और उसकी एजेंसियों को बेचा जाता है।

उन्होंने कहा कि रिपोर्टों के अनुसार, पत्रकारों, प्रमुख हस्तियों, संवैधानिक पदाधिकारियों, अदालत के रजिस्ट्रार और अन्य को निशाना बनाया गया और सरकार से इस बारे में पूछा जाना चाहिए।

सिब्बल ने जब कहा कि सूची में न्यायपालिका के एक पूर्व सदस्य के नम्बर के बारे में भी रिपोर्ट है, तो पीठ ने कहा, ‘‘सच को सामने आना है, हम नहीं जानते कि किसके नाम हैं।’’

सिब्बल ने कहा कि पेगासस एक ‘‘खतरनाक प्रौद्योगिकी’’ है और पूरी तरह से अवैध है क्योंकि यह हमारी जानकारी के बिना हमारे जीवन में घुसपैठ करती है।

सिब्बल ने कहा, ‘‘मैं समझा सकता हूं। हमारी कई सामग्री तक पहुंच नहीं है। याचिकाओं में फोन में सीधी घुसपैठ के 10 मामलों की जानकारी है।’’ उन्होंने कहा कि यह निजता और मानव गरिमा पर हमला है।

सिब्बल ने पूछा कि सरकार ने इस मुद्दे पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की क्योंकि यह नागरिकों की सुरक्षा और निजता से जुड़ा मामला है।

कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सी यू सिंह ने कहा कि हालांकि मामला 2019 में सामने आया था, लेकिन लक्षित व्यक्तियों के नाम अब तक ज्ञात नहीं हैं।

याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि अमरीका और फ्रांस की सरकारों ने इन रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की है और इसके बारे में इजराइल सरकार को सूचित किया है।

कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा कि यह ‘‘व्यापक और विशाल आयाम’’ का मामला है और भारत सरकार को इसे खुद ही लेना चाहिए था।

द्विवेदी ने कहा, ‘‘पूरे देश को आश्वस्त किया जाना चाहिए कि उनके फोन और कंप्यूटर से इस तरह छेड़छाड़ नहीं की जाएगी।’’

कुछ याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार और मीनाक्षी अरोड़ा ने पीठ को बताया कि मामले की जांच जरूरी है क्योंकि इसमें नागरिकों की निजता के अधिकार का पहलू शामिल है।

इस मामले में याचिकाकर्ताओं में से एक वकील एम एल शर्मा ने भी मामले में दलीलें दीं।

शीर्ष अदालत ने शर्मा को पक्षकारों के मेमो में संशोधन करने की अनुमति दी, जिन्होंने व्यक्तिगत रूप से प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को पक्षकार बनाया है।

शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश अधिवक्ताओं की दलीलें सुनने के बाद उन्हें याचिाकओं की प्रतियां केन्द्र को मुहैया कराने को कहा।

पीठ ने मामले की अगली सुनवायी 10 अगस्त तय करते हुए कहा, ‘‘उन्हें अर्जियों की प्रतियां सरकार को मुहैया कराने दें। नोटिस लेने के लिए सरकार की ओर से कोई पेश होना चाहिए।’’

पीठ ने कहा, ‘‘हमें नहीं पता कि हम किस मामले में नोटिस जारी करेंगे। उन्हें नोटिस प्राप्त करने के लिए हमारे समक्ष आने दीजिये और हम उसके बाद देखेंगे।’’

शीर्ष अदालत कथित पेगासस जासूसी मामले की स्वतंत्र जांच के अनुरोध वाली नौ याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी जिसमें एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और वरिष्ठ पत्रकारों की याचिकाएं भी शामिल हैं।

ये याचिकाएं इजराइली कंपनी एनएसओ के स्पाइवेयर पेगासस का उपयोग करके प्रमुख नागरिकों, नेताओं और पत्रकारों पर सरकारी एजेंसियों द्वारा कथित जासूसी की रिपोर्ट से संबंधित हैं।

एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया संघ ने बताया है कि 300 से अधिक सत्यापित भारतीय मोबाइल फोन नंबर पेगासस स्पाइवेयर का उपयोग करके निगरानी के संभावित लक्ष्यों की सूची में थे।

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने अपनी याचिका में पत्रकारों और अन्य की कथित निगरानी की जांच के लिए एक विशेष जांच दल गठित करने का अनुरोध किया है।

गिल्ड की याचिका, जिसमें वरिष्ठ पत्रकार मृणाल पांडे भी याचिकाकर्ता में से एक हैं, ने कहा है कि इसके सदस्यों और सभी पत्रकारों का यह कर्तव्य है कि वे सरकार की कार्रवाई और निष्क्रियता को लेकर सूचना, स्पष्टीकरण और संवैधानिक रूप से वैध वजह का अनुरोध करके सरकार की सभी शाखाओं को जवाबदेह ठहराएं।

Pegasus
Pegasus spyware
Supreme Court

Related Stories

ज्ञानवापी मस्जिद के ख़िलाफ़ दाख़िल सभी याचिकाएं एक दूसरे की कॉपी-पेस्ट!

आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र क़ानूनी मान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट

समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल

मायके और ससुराल दोनों घरों में महिलाओं को रहने का पूरा अधिकार

जब "आतंक" पर क्लीनचिट, तो उमर खालिद जेल में क्यों ?

विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक आदेश : सेक्स वर्कर्स भी सम्मान की हकदार, सेक्स वर्क भी एक पेशा

तेलंगाना एनकाउंटर की गुत्थी तो सुलझ गई लेकिन अब दोषियों पर कार्रवाई कब होगी?

मलियाना कांडः 72 मौतें, क्रूर व्यवस्था से न्याय की आस हारते 35 साल

क्या ज्ञानवापी के बाद ख़त्म हो जाएगा मंदिर-मस्जिद का विवाद?


बाकी खबरें

  • अनीस ज़रगर
    जम्मू-कश्मीर: अधिकारियों ने जामिया मस्जिद में महत्वपूर्ण रमज़ान की नमाज़ को रोक दिया
    29 Apr 2022
    प्रशासन का कहना है कि प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा जामिया में इबादत गुजारों के लिए व्यवस्था की समीक्षा करने के बाद सामूहिक इबादत को रोकने का ये निर्णय लिया गया है।
  • लाल बहादुर सिंह
    किधर जाएगा भारत— फ़ासीवाद या लोकतंत्र : रोज़गार-संकट से जूझते युवाओं की भूमिका अहम
    29 Apr 2022
    गहराता रोज़गार संकट और कठिन होती जीवन-स्थितियां भारत में फ़ासीवाद के राज्यारोहण का सबसे पक्का नुस्खा है। लेकिन तमाम फ़ासीवाद-विरोधी ताकतें एकताबद्ध प्रतिरोध में उतर पड़ें तो यही संकट समाज को रैडिकल…
  • ज़ाहिद खान
    इरफ़ान ख़ान : अदाकारी की इब्तिदा और इंतिहा
    29 Apr 2022
    29 अप्रैल 2020 को हमसे जिस्मानी तौर पर जुदा हुए इरफ़ान ख़ान अपनी लासानी अदाकारी से अपने चाहने वालों के दिलो ज़ेहन में हमेशा ज़िंदा रहेंगे।
  • एजाज़ अशरफ़
    क्यों धार्मिक जुलूस विदेशी भूमि को फ़तह करने वाले सैनिकों जैसे लगते हैं
    29 Apr 2022
    इस तरह के जुलूस, मुसलमानों पर हिंदुओं का मनोवैज्ञानिक प्रभुत्व स्थापित करने और उन्हें अपने अधीन करने के मक़सद से निकाले जा रहे हैं।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 3,377 नए मामले, 60 मरीज़ों की मौत
    29 Apr 2022
    दिल्ली में आज फिर कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी हुई, दिल्ली में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 1,490 नए मामले दर्ज़ किए गए |
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License