NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
पेगासस मामले में सुप्रीम कोर्ट के इक़बाल को चुनौती दे रही है सरकार!
पेगासस मामले में सुप्रीम कोर्ट के बार-बार कहने के बावजूद सरकार ने इस बारे में विस्तृत हलफनामा दाख़िल करने से इंकार कर एक तरह से सुप्रीम कोर्ट की अथॉरिटी को भी चुनौती दे डाली है।
अनिल जैन
15 Sep 2021
सुप्रीम कोर्ट

केंद्र सरकार पेगासस स्पाईवेयर से जासूसी के मामले को भी रफाल मामले की तरह सुप्रीम कोर्ट में रफा-दफा करवाना चाहती है। यही नहीं, वह ऐसा करने के लिए परोक्ष रूप से सुप्रीम कोर्ट पर दबाव भी बना रही है और उसकी अथॉरिटी को चुनौती भी दे रही है। पेगासस मामले को लेकर दायर जनहित याचिकाओं की सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एक बार फिर घुमा फिरा कर राष्ट्रीय सुरक्षा का बहाना बनाते हुए वही पुरानी दलीलें पेश की गई हैं, जो वह अब तक पेश करती आ रही है।

सरकार की ओर से देश के दूसरे सबसे बड़े कानूनी अधिकारी यानी सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रीय सुरक्षा की दुहाई देते हुए जो कुछ कहा है उसका लब्बोलुआब यह है कि हाँ, सरकार कई लोगों के फोन की मॉनिटरिंग करती है, लेकिन वह ऐसा करने में जिस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करती है, उसका नाम नहीं बता सकती। सॉलिसीटर जनरल ने भले ही अपनी दलीलों में किसी सॉफ्टवेयर का नाम नहीं लिया है, लेकिन उन्होंने जो कुछ कहा है, उससे फौरी तौर पर तो यही नतीजा निकलता है कि सरकार ने कुछ लोगों की जासूसी कराने के लिए पेगासस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया है या वह अभी भी कर रही है। इसीलिए वह सुप्रीम कोर्ट में इस तरह का गोलमोल जवाब दे रही है।

गौरतलब है कि रफाल विमान सौदे को लेकर भी सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा की दुहाई देते हुए सुप्रीम कोर्ट को सौदे से संबंधित पूरी जानकारी देने से इंकार कर दिया था। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने उपलब्ध जानकारियों के आधार पर सरकार को क्लीन चिट दे दी थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को लेकर कई सवाल उठे थे और बाद में फैसला देने वाले प्रधान न्यायाधीश को सेवानिवृत्ति के बाद सरकार ने राज्यसभा का सदस्य मनोनीत कर दिया था, जिससे संदेह के बादल और ज्यादा गहरा गए थे।

बहरहाल पेगासस मामले में तो सुप्रीम कोर्ट के बार-बार कहने के बावजूद सरकार ने इस बारे में विस्तृत हलफनामा दाखिल करने से इंकार कर एक तरह से सुप्रीम कोर्ट की अथॉरिटी को भी चुनौती दे डाली है। सरकार की तरफ से सॉलिसीटर जनरल ने एक तरह से सुप्रीम कोर्ट को भी नसीहत देने के अंदाज में कहा कि कोर्ट से यह उम्मीद की जाती है वह सरकार से यह जानकारी सार्वजनिक करने के लिए नहीं कहेगा। उन्होंने पेगासस का नाम लिए बगैर कहा है कि सरकार की बहुत सारी एजेंसियां राष्ट्रीय सुरक्षा की खातिर देश विरोधी गतिविधियों से संबंधित जानकारी जुटाने के लिए कई तरह के सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करती हैं। उन्होंने कहा कि अगर इन सॉफ्टवेयर की जानकारी सार्वजनिक हो जाएगी तो देश विरोधी ताकतें अपने को बचाने के उपाय कर लेंगी यानी वे अपने सिस्टम को मॉडीफाई कर मॉनिटरिंग से बच जाएंगी।

सुप्रीम कोर्ट में पेगासस जासूसी मामले से संबंधित नौ जनहित याचिकाओं की सुनवाई कर रही प्रधान न्यायाधीश एनवी. रमना की अगुवाई वाली पीठ ने सरकार के इस रवैये पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि कोर्ट भी मानता है कि राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित जानकारियां सार्वजनिक नहीं की जा सकतीं लेकिन यहां सवाल लोगों की निजता के हनन का भी है। कोर्ट ने यह बात पिछली सुनवाइयों के दौरान भी कही है और उसे उम्मीद थी कि कोर्ट की अपेक्षा के मुताबिक सरकार की ओर से पेगासस मामले में विस्तृत हलफनामा दाखिल किया जाएगा। लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया। ऐसी स्थिति में अब कोर्ट के सामने अंतरिम आदेश जारी करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

गौरतलब है कि पेगासस जासूसी मामले में किसी ने भी सरकार से यह नहीं कहा है कि वह यह जानकारी दे कि सुरक्षा या खुफिया एजेंसिया किन-किन सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करती हैं। यह मांग न तो याचिका दायर करने वालों की ओर से की गई है और न ही सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को ऐसा करने का आदेश दिया है। सरकार से सिर्फ यह पूछा गया है कि उसने पेगासस का इस्तेमाल किया है या नहीं।

अगर सरकार ने पेगासस नहीं खरीदा है और उससे किसी की जासूसी नहीं कराई है तो यह कहने में उसे कोई हिचक नहीं होनी चाहिए। जैसे रक्षा मंत्रालय ने संसद में कह दिया कि उसने एनएसओ के साथ कोई लेन-देन नहीं किया है। इसी तरह बाकी सभी खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों से जानकारी लेकर केंद्र सरकार को भी स्पष्ट कर देना चाहिए कि उसने पेगासस स्पाईवेयर नहीं खरीदा है। इतनी सी बात स्पष्ट करने में उसे कोई दिक्कत नहीं आनी चाहिए, क्योंकि यह कहने से कि सरकार ने पेगासस का इस्तेमाल नहीं किया है, राष्ट्रीय सुरक्षा पर कोई आंच नहीं आएगी।

लेकिन इतनी सी कवायद करने के बजाय अगर सरकार लगातार यही दुहरा रही है कि इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है तो इसका मतलब साफ है कि सरकार कुछ छिपाना चाह रही है। सरकार यह भी नहीं कह रही है कि उसने उसने राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कुछ लोगों की जासूसी कराई है। अगर वह ऐसा कहती तो सवाल उठेगा कि विपक्ष के नेताओं, अपने कुछ मंत्रियों, अधिकारियों, सुप्रीम कोर्ट के जजों, पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं से देश की सुरक्षा को कैसा खतरा था, जो उनके फोन की जासूसी कराई गई? जाहिर है कि सरकार एक सच को छिपाने के लिए नए-नए झूठ और बहाने गढ़ रही है।

वैसे सरकार भले ही अपने हलफनामे में यह न बताए कि उसने जासूसी कराई है या नहीं, वह यह भी न बताए कि उसने इजराइल की एजेंसी एनएसओ से पेगासस स्पाईवेयर खरीदा है या नहीं, इससे अब कोई खास फर्क नहीं पड़ने वाला है। यह बात तो देर-सवेर वैसे भी आधिकारिक तौर पर जाहिर होनी ही है, क्योंकि इजराइल की सरकार इस बात की जांच कर रही है कि इजराइली प्रौद्योगिकी कंपनी एनएसओ ने किन-किन देशों को पेगासस स्पाईवेयर बेचा है।

भाजपा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुब्रमण्यम स्वामी के मुताबिक एनएसओ बहुत जल्द ही उन देशों के नामों की सूची भी जारी करने वाली है, जिनकी सरकारों ने पेगासस जासूसी सॉफ्टवेयर खरीदा है। उधर फ्रांस में भी इस बात की जांच हो रही है और खुद पेगासस ने भी अपने कई क्लांयट को इसके गलत इस्तेमाल के वजह से प्रतिबंधित कर दिया है।

केंद्र सरकार की ओर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए गए हलफनामे में कहा गया है कि कुछ निहित स्वार्थों द्वारा इस मामले में शुरू किए गए किसी भी गलत विमर्श पर विराम लगाने और सभी पहलुओं की जांच करने के उद्देश्य से विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया जाएगा। सवाल है कि जब सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा की दुहाई देते हुए सुप्रीम कोर्ट को स्पष्ट और पूरी जानकारी नहीं दे रही है तो फिर वह जांच किस बात की कराना चाहती है? सवाल यह भी है कि जब सरकार जांच कराने की बात सुप्रीम कोर्ट में कह रही है तो उसने यही बात संसद में क्यों नहीं कही? संसद में विपक्ष भी तो यही मांग कर रहा था।

जाहिर है कि सरकार चाहती ही नहीं थी कि संसद सुचारू रूप से चले। वह चाहती थी कि संसद में हंगामा होता रहे ताकि वह अपनी मनमानी यानी विधेयकों को बिना बहस के पारित कराने की औपचारिकता पूरी कर सके। संसद में भी वह इस मामले में किसी भी तरह के सवालों से बचना चाहती थी और सुप्रीम कोर्ट में भी बचना चाहती है, इसलिए वह विशेषज्ञों की टीम से जांच कराने की बात कर रही है। ऐसे में साफ है कि अगर वह अब किसी तरह की जांच कराती भी है तो वह जांच पूरे मामले पर लीपा-पोती कर उसे रफा-दफा करने की कवायद भर होगी।

जो भी हो, फिलहाल तो सुप्रीम कोर्ट का इकबाल दांव पर है। सबकी निगाहें इस मामले में उसकी ओर से आने वाले फैसले पर लगी हैं।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

Supreme Court
Pegasus
Spyware Pegasus
BJP
Modi Govt
Narendra modi
Central Government

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

ज्ञानवापी मस्जिद के ख़िलाफ़ दाख़िल सभी याचिकाएं एक दूसरे की कॉपी-पेस्ट!

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट


बाकी खबरें

  • blast
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हापुड़ अग्निकांड: कम से कम 13 लोगों की मौत, किसान-मजदूर संघ ने किया प्रदर्शन
    05 Jun 2022
    हापुड़ में एक ब्लायलर फैक्ट्री में ब्लास्ट के कारण करीब 13 मज़दूरों की मौत हो गई, जिसके बाद से लगातार किसान और मज़दूर संघ ग़ैर कानूनी फैक्ट्रियों को बंद कराने के लिए सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही…
  • Adhar
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: आधार पर अब खुली सरकार की नींद
    05 Jun 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस सप्ताह की जरूरी ख़बरों को लेकर फिर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन
  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष
    05 Jun 2022
    हमारे वर्तमान सरकार जी पिछले आठ वर्षों से हमारे सरकार जी हैं। ऐसा नहीं है कि सरकार जी भविष्य में सिर्फ अपने पहनावे और खान-पान को लेकर ही जाने जाएंगे। वे तो अपने कथनों (quotes) के लिए भी याद किए…
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' का तर्जुमा
    05 Jun 2022
    इतवार की कविता में आज पढ़िये ऑस्ट्रेलियाई कवयित्री एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' जिसका हिंदी तर्जुमा किया है योगेंद्र दत्त त्यागी ने।
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित
    04 Jun 2022
    देशभक्तों ने कहां सोचा था कि कश्मीरी पंडित इतने स्वार्थी हो जाएंगे। मोदी जी के डाइरेक्ट राज में भी कश्मीर में असुरक्षा का शोर मचाएंगे।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License