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देशव्यापी हड़ताल के पहले दिन दिल्ली-एनसीआर में दिखा व्यापक असर
सुबह से ही मज़दूर नेताओं और यूनियनों ने औद्योगिक क्षेत्र में जाकर मज़दूरों से काम का बहिष्कार करने की अपील की और उसके बाद मज़दूरों ने एकत्रित होकर औद्योगिक क्षेत्रों में रैली भी की। 
मुकुंद झा
28 Mar 2022
noida

केंद्रीय मज़दूर संगठनों ने सरकार की कामगार, किसान और जन-विरोधी नीतियों के विरोध में 28 और 29 मार्च, दो दिन की देशव्यापी हड़ताल की शुरआत आज तड़के सुबह से ही कर दी है। आज यानी 28 मार्च को देश की राजधानी दिल्ली और उसके आस पास के क्षेत्रों में भी इस हड़ताल का असर दिखा। इस क्षेत्र में सेंट्रल ट्रेड यूनियनों, स्वंतत्र फ़ेडरेशनों एवं कर्मचारी संगठनों के आह्वान कर्मचारियों और असंगठित क्षेत्र के मज़दूरों ने इस हड़ताल में भाग लिया। इसमें नगर निगम, दिल्ली जल बोर्ड, बैंक, एलआईसी और साथ ही औद्योगिक मज़दूर, घरेलू कामगार महिलाएं और विश्विद्यालय के छात्र, शिक्षक, कर्मचारियों ने अपनी मांगों के साथ हड़ताल की और दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में जुलूस भी निकाले।

सुबह से ही मज़दूर नेताओं और यूनियनों ने औद्योगिक क्षेत्र में जाकर मज़दूरों से काम का बहिष्कार करने की अपील की और उसके बाद मज़दूरों ने एकत्रित होकर औद्योगिक क्षेत्रों में रैली भी की। हमने दिल्ली एनसीआर के साहिबाद औद्दौगिक क्षेत्र, पटपड़गंज और झिलमिल, और दिल्ली जल बोर्ड मुख्यालय पर मज़दूरों के हड़ताल में शामिल होने की वजहें और उनकी समस्याओं को जानने का प्रयास किया। इन सभी इलाकों में हड़ताल को लेकर जुलूस निकालते हुए ,चार लेबर कोड रद्द करने, श्रमिकों को 26 हज़ार रुपये न्यूनतम वेतन, ठेका प्रथा बंद करने समेत अन्य कई मांगों को लेकर मज़दूरों ने हड़ताल की।

साहिबाबाद औद्योगिक क्षेत्र: मज़दूर नेताओं का दावा 80 % उद्दोगों में बंद का असर

साहिबाबाद के साईट चार औद्योगिक क्षेत्र में सीटू का झंडा लेकर सुबह आठ बजे से ही मज़दूर होली फेथ इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड के समाने रास्ता रोकर बैठ गए थे। जबकि होली फेथ में कर्मचारियों ने पूर्ण हड़ताल किया था। जबकि इसके आलावा इंड्यूरा प्रा लि भी पूर्ण रूप से बंद रहा ,जबकि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी सेंट्रल इल्क्ट्रॉनिक्स लिमिटेड में भी मज़दूरों ने काली पट्टी बांधकर अपना विरोध जताया। जबकि अन्य फैक्ट्रियो में कामबंदी की सुचना मिली।

जिले के मज़दूर नेताओं ने दावा किया कि 80 % से अधिक उद्दोगों में बंद का व्यपक असर रहा है। जबकि शुरआती गेट बंदी के बाद मज़दूरों ने सैकड़ों की संख्या में एकत्रित होकर पूरे क्षेत्र में जुलुस निकाला और उसके बाद कुछ समय के लिए इस क्षेत्र की मुख्य सड़क को भी बंद कर दिया। इस पूरे क्षेत्र में हड़ताल में महिलाओं ने भी भागीदारी की।

होली फेथ में काम करने वाले मज़दूर समर सिंह ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि, "ये हड़ताल हमारे ऊपर हो रहे सरकारी दमन का प्रतिकार हक़ हक़ूक़ को वापस लेने का बचा अंतिम रास्ता है। ये सरकार देश की मेहनतकश जनता को आर्थिक, सामाजिक और सभी तरह से निचोड़ने में लगी हुई है।"

राजेंद्र प्रसाद जो होली फेथ में पिछले तीन दशक से अधिक से मज़दूर हैं, उन्होंने हमें बताया कि "तीन साल पहले जो वेतन समझौता हुआ था, उसे मैनेजमेंट ने अभी तक लागू नहीं किया है, जबकि अब दोबारा समझौते का समय आ गया है।"

ग़ाज़िबाद के मज़दूर नेता और सीटू के जिला अध्यक्ष जी एस तिवारी भी अपने साथियों के साथ मज़दूरों को इस हड़ताल में शामिल होने के लिए समझा रहे थे और कई बार वो कई जगहों पर जबरन भी काम बंदी करा रहे थे। उन्होंने कहा ये हड़ताल एक चेतावनी है। सरकार के लिए आज की हड़ताल में मज़दूर पहले की तुलना में अधिक शामिल हुए क्योंकि उनपर मार अधिक पड़ी है।

तिवारी ने कहा कि "ये सरकार लगतार मज़दूर किसानों पर हमले कर रही है। ये मज़दूरों के हक़ में बनने कानून को समाप्त कर उन्हें भी पूंजीपतियों का गुलाम बना रही है।"

सेंट्रल इलक्ट्रोनिक्स की मज़दूर यूनियन ने कहा, "सरकार इस सरकारी कंपनी को कौड़ियों के दाम पर बेचना चाहती है, जबकि पिछले कई सालों से यह कंपनी मुनाफ़े में है। सरकार पता नहीं क्यों 350 करोड़ की संपत्ति वाले उद्योग को क्यों बेचने को तैयार है। क्यों? इसका जवाब उनके पास नहीं है।"

इसके आलावा दी इंडियूरा प्रा लि कंपनी के यूनियन नेताओं ने गेट पर ही पहरा लगा रखा था। यूनियन नेताओं ने 100 % हड़ताल का दावा किया। ये फैक्ट्री पंप वॉल बनाने का काम करती है। इस फैक्ट्री में 17 साल से काम कर रहे और मज़दूर यूनियन के सदस्य 37 वर्षीय संजय शर्मा जो मज़दूरों का नेतृत्व कर रहे थे और उनके हक़ में नारे भी बुलंद कर रहे थे। उन्होंने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा पिछले कुछ सालों में मज़दूरों पर हमला तेज़ हुआ है। फैक्ट्री मालिक राजनैतिक सरक्षण में मज़दूरों का शोषण कर रहा है। उन्होंने बताया कि पहले कोरोना काल के दौरान जो लॉकडाउन लगा था, उस दौरान मज़दूरों का छह महीने का वेतन अभी तक नहीं दिया गया है। जबकि कोर्ट ने भी वेतन देने का आदेश दे दिया है।

यूनियन के अध्यक्ष प्रदीप वर्मा ने कहा कि प्रबंधन लगातार ठेकारण को बढ़ा रहा है। पहले यहाँ 350 पक्के कर्मचारी थे। परन्तु आज केवल 91 रह गए हैं। कंपनी इस हद्द मज़दूर विरोधी हो गई है कि उसने तीन सालों से मज़दूरों के हक़ का पैसा उनका पीएफ भी उनके खाते में जमा नहीं किया जबकि पैसा मज़दूरों के वेतन से हर बार काटा गया है।

हड़ताल में महिला कामगारों ने भी की भागीदारी

देशव्यापी हड़ताल में महिला मजदूरों ने भी भाग लिया। साहिबाद औद्दौगिक क्षेत्र में हड़ताल में शामिल महिलाओं ने बताया कैसे उनके साथ भेदभाव किया जाता है। महिला मजदूर नीलम ने बताया कि देश की आजादी के इतने साल बाद भी उन्हें समान काम का समाना वेतन नहीं दिया जाता है। महिलाएं 12 घंटे काम करती हैं, लेकिन उन्हें केवल 5 से 6 हज़ार वेतन मिलता है। इसके साथ ही महिला मजदूरों के बाकी अधिकार भी नहीं दिए जाते हैं, न तो बच्चों के लिए क्रेच की व्यवस्था है और न ही गर्भ के दौरान भी उन्हें छुट्टी नहीं दी जाती है।

वहीं मौजूद रेणु ने मालिकों और ठेकदारों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके साथ बदसलूकी की जाती है और विरोध करने पर उन्हें काम से हटाने की धमकी दी जाती है।

महिलाओं ने यह भी कहा, "आज गाज़िबाद में दिल्ली के बराबर ही महंगाई है। फिर भी यहां दिल्ली से आधी न्यूनतम वेतन है। जिसमें मज़दूरों का भरण-पोषण नामुमकिन सा हो गया है। हमारी मांग है कि पूरे दिल्ली एनसीआर में एक समान ही न्यूनतम वेतन होना चाहिए।" न्यूनतम वेतन की बात अधिकतर सभी मज़दूरों ने की।

झिलमिल और पटपड़गंज औद्दौगिक क्षेत्रों में भी सड़कों पर उतरे मज़दूर

इस पूरे क्षेत्र में अलग अखिल भारतीय ट्रेड यूनियनों तथा स्वतंत्र संगठनों ने  एक संयुक्त मंच जमुना पार संयुक्त ट्रेन यूनियन संघर्ष समिति बनाया है, इसी के तत्वाधान में मजदूरों का विशाल जुलूस निकाला गया और केंद्र सरकार से चारों मजदूर विरोधी लेबर कोड कानून वापस लेने की मांग की गई।

संयुक्त मंच के नेता उमेश दुबे ने बताया कि ये सरकार लगातार मजदूरों के हकों पर हमला कर रही है। इससे मजदूरों में भारी गुस्सा है और इसलिए बड़ी तादाद में मजदूर इस हड़ताल में शामिल हुए हैं।

सीटू पूर्वी दिल्ली के सचिव पुष्पेंद्र सिंह ने कहा कि, "ये सरकार को चेतावनी देने के लिए दो दिन की हड़ताल की गई है। जैसे ये सरकार ने कृषि कानूनों को वापस लिया है ऐसे ही इन्हें लेबर कोड भी वापस लेना होगा।"

ट्रेड यूनियन नेताओं ने दावा किया कि क्षेत्र के अधिकांश कल कारखानों के मजदूर हड़ताल पर रहे। इन नेताओं ने मजदूरों से कल की हड़ताल में और जोर-शोर से भाग लेने की अपील की तथा केंद्र सरकार को चेतावनी दी कि कुर्बानी देकर बनवाए गए श्रम कानूनों को जिस तरह संसद में भारी बहुमत के आधार पर बदलने का खेल किया गया है। कभी ये खेल केंद्र सरकार को बहुत महंगा पड़ेगा।

दिल्ली जल बोर्ड के कर्मचारी ने किया वरुणालय भवन पर प्रदर्शन

दिल्ली जल बोर्ड के कर्मचारी भी देशव्यापी हड़ताल में पूर्णरूप से शामिल हुए। सैकड़ों की संख्या में जल बोर्ड के कर्मचारी जल बोर्ड के मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन किया । यूनियन के नेता विक्रम ने कहा ये सरकार (दिल्ली सरकार) इस वादे पर आई थी की वो सभी ठेका कर्मियों को पक्का करेगी लेकिन किया कुछ नही बल्कि वो पूरे जल बोर्ड को ही निजी हाथों में देने की तैयारी कर रही है।

दिल्ली जल बोर्ड में लाल झंडा यूनियन के नेता विक्रम ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि हमारे यहाँ 20 हज़ार स्थाई और 5 हज़ार ठेका कर्मी हैं। केजरीवाल के सत्ता में आने से पहले केवल 1 हज़ार ठेका मज़दूर थे। ये शर्मनाक है क्योंकि ये ठेका प्रथा खत्म करने आए थे, और अब सिर्फ ठेका पर ही भर्ती कर रहे हैं।

आपको बता दें कि ट्रेड यूनियनों के मुताबिक हड़ताल के पहले दिन सभी सरकारी उपक्रमों को अपने अपने मुख्यलयों पर प्रदर्शन करने और कामबंदी का आवाहन किया गया है ,जबकि दूसरे दिन यनि 29 मार्च को संसद के पास जंतर मंतर पर केंद्रीय रूप से प्रदर्शन में शामिल होने को कहा गया है।

दिल्ली सीटू के अध्यक्ष वीरेंद्र गौड़ भी जल बोर्ड कर्मचारियों के प्रदर्शन में शामिल थे। उन्होंने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि उन्हें जो रिपोर्ट मिल रही है उसके मुताबिक़ दिल्ली में हड़ताल पूरी तरह सफल रही है। बैंक। एआईसी , जल बोर्ड , पोस्टल , एयरपोर्ट और सरकारी उपक्रम की सभी कंपनियों में पूर्ण हड़ताल रही है जबकि औद्दोगिक क्षेत्रो में भी हड़ताल का व्यपक असर रहा है। आज देशभर का कर्मचारी गुस्से में है जिस तरह से सरकार चार लेबर कॉड लेकर आई है वो और कुछ नहीं मज़दूरों के गुलामी के दस्तावेज़ है।

नोएडा : हड़ताल के समर्थन में मज़दूरों ने जगह-जगह जुलूस निकालकर किया विरोध प्रदर्शन

केंद्र व राज्य सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ केंद्रीय ट्रेड यूनियनों, फेडरेशन के 28- 29 मार्च को संयुक्त रूप से देशव्यापी आम हड़ताल के आह्वान के तहत सीटू जिला कमेटी गौतम बुध नगर ने हड़ताल के प्रथम दिन 28 मार्च को सीटू जिला कार्यालय सेक्टर- 8, नोएडा से जुलूस शुरू हुआ जो हरौला होते हुए श्रम कार्यालय सैक्टर-3,नोएडा पर विरोध प्रदर्शन के बाद समाप्त हुआ। सिलारपुर भंगेल से में भी जुलूस निकला जो होजरी कंपलेक्स फेस-2, नोएडा थाने के पास विरोध प्रदर्शन/ सभा के बाद समाप्त हुआ। ग्रेटर नोएडा उद्योग विहार अनमोल इंडस्ट्रीज से में जुलूस शुरू हुआ जो औद्योगिक क्षेत्र, सूरजपुर गोलचक्कर, पुलिस आयुक्त कार्यालय होते हुए जिलाधिकारी कार्यालय सूरजपुर ग्रेटर नोएडा पर जोरदार प्रदर्शन के बाद श्रमिकों की समस्याओं/ मांगों पर माननीय प्रधानमंत्री भारत सरकार, माननीय मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार को संबोधित ज्ञापन दिए जाने के बाद समाप्त हुआ। ज्ञापन एसडीएम रमेश चंद निगम जी ने लिया।

ज्ञापन केंद्र और राज्य सरकार को भेजे गए संदेश में कहा गया था कि "आज के समय में देश के मजदूरों के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। महॅंगाई के आगे वेतन बेमानी होते जा रहे हैं। छंटनी, तालाबंदी व बेरोज़गारी से आम-जन त्रस्त है। जिनके पास आज नौकरी है, वह भी मॅंहगाई से पार पाने के लिए 16-18 घंटे बिना किसी छुट्टी के काम करने के लिए मजबूर है। बहुमत मजदूर को कम वेतन पर और बिना किसी सामाजिक सुरक्षा के काम करना पड़ता है और इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि कल नौकरी होगी, कि नहीं। दो-तरफा मार है, या तो रोजगार नहीं है, या रोजगार है भी, तो कम वेतन पर और बहुत मुश्किल हालत में और इसका सीधा लाभ बड़े-बड़े पूंजीपति घरानों को हो रहा है। उक्त के साथ ही मजदूरों के औद्योगिक विवाद सालों चलते रहते हैं। जिससे स्पष्ट है कि आपकी सरकार श्रमिकों के रोजगार और जीवन सुरक्षा सुनिश्चित करना प्राथमिकता में बिल्कुल नहीं है। यह क्रूरतापूर्ण है।"

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