NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
“नए कृषि क़ानून सिर्फ किसान ही नहीं बल्कि राष्ट्रविरोधी हैं”
झारखंड और बिहार में आंदोलनकारी किसानों के पक्ष में ‘ भारत बंद’ काफ़ी असरदार रहा। बंद को सफल बनाने के लिए सभी वामपंथी दलों व संगठनों के अलावा झारखंड सरकार के कई मंत्री–विधायक भी सड़कों पर उतरे ।
अनिल अंशुमन
09 Dec 2020
 किसान

"देश के किसानों के सम्मान में हम खड़े मैदान में..." 8 दिसंबर के भारत बंद के समर्थन को लेकर सोशल मीडिया में वायरल यह पोस्ट झारखंड और बिहार में ज़मीनी स्तर पर तो कारगर होता नज़र आया। किसानों के बंद को सफल बनाने के लिए सभी वामपंथी दलों व संगठनों के अलावा झारखंड सरकार के कई मंत्री–विधायक भी सड़कों पर उतरे ।

खबरों के अनुसार भाकपा माले विधायक विनोद सिंह के नेतृत्व में सुबह से ही बगोदर से गुजरनेवाले राष्ट्रीय राजमार्ग 2 जीटी रोड को घंटों जाम कर मोदी सरकार की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ और आंदोलनकारी किसानों के समर्थन में विरोध मार्च निकाला गया। घाटशिला के चर्चित झामुमो विधायक पारंपरिक आदिवासी परिधान में कार्यकर्त्ताओं के साथ बंद कराते हुए नज़र आए।

झारखंड की राजधानी रांची में भाकपा माले – सीपीएम – सीपीआई – मासस के आलवे झामुमो – राजद व कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने बंद को सफल बनाने के लिए मार्च निकाल कर अल्बर्ट एक्का चौक पर प्रतिवाद प्रदर्शन किया। रामगढ़, झुमरीतिलैया, धनबाद, बोकारो, गढ़वा – पलामू व जमशेदपुर के आलवे आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बुण्डू समेत पूर्वी सिंहभूम के कई स्थानों पर सड़कें जाम कर बंद के समर्थन में मार्च निकाले गए। कई कोलियारियों के मजदूरों ने भी बंद के समर्थन में स्थानीय स्तर पर सक्रिय होकर मोदी सरकार की मजदूर – किसान विरोधी नीतियों का विरोध किया।

खबरों के अनुसार बंद समर्थकों और प्रशासन में छिटपुट नोक – झोंक को छोड़ शेष सभी स्थानों पर बंद पूरी तरह से शांतिपूर्ण और असरदार रहा। 7 जिलों में बंद समर्थकों ने गिरफ्तारियां भी दीं। झारखंड में बंद पर वाम दलों ने जारी बयान में कहा है कि यह केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ जनता का बढ़ता आक्रोश और चेतावनी है। बंद को सफल बनाने में झारखंड सरकार के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख, ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम व वित्त सह खाद्य आपूर्ति मंत्री रामेश्वर उरांव के आलवे कांग्रेस-झामुमो कई विधायक अपने कार्यकर्ताओं के साथ सक्रिय दीखे।

प्रदेश भाजपा प्रवक्ताओं ने बंद को विफल करार देते हुए विपक्ष पर मुद्दे से राजनीति करने का आरोप लगाया। जवाब देते हुए झामुमो प्रवक्ता ने कहा कि दिल्ली – रांची के बंद कमरों में बैठे भाजपा के लोग आँखें खोलकर देख लें कि बंद की स्वतःस्फूर्त सफलता ने साबित कर दिया है कि अब मोदी सरकार के खिलाफ उलगुलान का आगाज़ हो चुका है। अब हेमंत सोरेन सरकार भी दबाव नहीं सहेगी और राज्य के आर्थिक व संवैधानिक मुद्दों पर चुप नहीं रहेगी। केंद्र की सरकार एक ओर विधि व्यवस्था को राज्यों का विषय बताती है , वहीं दूसरी तरफ कई एजेंसियां बना दी है जिन्हें राज्य की अनुमति लेने की ज़रूरत ही नहीं है।

झारखंड के साथ साथ बिहार में भी भारत बंद को ‘ मिलाजुला – आंशिक असर ’ की बजाय काफी हद तक असरदार कहा जाएगा। जिसकी एक विशेषता यह भी रही कि विधान सभा चुनाव में विपक्षी महागठबंधन से अलग रहे सभी राजनीतिक दल भी सड़कों पर उतरे, वहीं कई ऐसे संगठनों की भी स्वतःस्फूर्त सक्रिय भागीदारी रही जो आम दिनों में नहीं दीखती है।

बिहार मीडिया की तथाकथित खबरों में राजधानी पटना की हृदयस्थली कहे जानेवाले और सबसे व्यस्त रहनेवाला डाकबंगला चौराहा ‘ पाँच घंटे बंद समर्थकों के क़ब्ज़े’ में रहा। जहां हल और धान के साथ साथ अनगिनत पोस्टर – बैनरों के साथ बंद के समर्थक में भाजपा – जदयू को छोड़कर सम्पूर्ण विपक्ष के कार्यकर्त्ता भरी पुलिस मौजूदगी में डटे रहे। 

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समिति के सभी घटक किसान संगठनों ने भी सक्रिय भागीदारी निभायी।

कार्यक्रम में बिहार विधानसभा के माले विधायक सुदामा प्रसाद ( अखिल भारतीय किसान महासभा नेता) तथा गोपाल रविदास ( खेत ग्रामीण मजदूर सभा बिहार सचिव ) के अलावा सभी वामपंथी दलों के केंद्रीय और राज्य नेताओं के साथ  राजद– कांग्रेस व अन्य संगठनों - दलों के भी नेता शामिल हुए। वामपंथी ट्रेड यूनियन सीटू , एआईसीसीटीयू व अन्य मजदूर संगठनों के प्रतिनिधियों के आलवे छात्र- युवा संगठन आइसा– एआइएसएफ – एसएफआई - इनौस तथा ऐपवा व एडवा समेत कई महिला संगठनों की भी अच्छी भागीदारी देखी गयी।

यहाँ आयोजित विरोध सभा को सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने संबोधित करते हुए एक स्वर से मांग की कि 9 दिसंबर की वार्ता में केंद्र सरकार बिना कोई अगर मगर किए किसानों की सभी मांगों को मान ले अन्यथा आंदोलन और तेज़ होगा।

मीडिया और सोशल मीडिया की खबरों में बिहार के प्रायः सभी जिलों में बंद के समर्थन में काफी संख्या में उतरकर आंदोलनकारी किसानों से एकजुटता प्रदर्शित की गयी। कई स्थानों पर विभिन्न राष्ट्रीय राजमार्गों पर चक्का जाम करने के साथ साथ रेल रोको अभियान भी चलाया गया। कुछेक स्थानों पर प्रशासन के साथ हल्की झड़प और बंद के समर्थन में गिरफ्तारियाँ देने की भी सूचना है। कई स्थानों पर महागठबंधन में शामिल दलों के विधायकों ने भी अपने क्षेत्रों में बंद अभियान का नेतृत्व किया।  केंद्र सरकार और उसके गठबंधन के सभी सत्ताधारी दलों और उनके नेताओं द्वारा दिये जा रहे अनाप शनाप बयानों और विपक्ष पर किसानों को भड़काने के लगाए जा रहे बेबुनियाद आरोपों के बीच भारत बंद की सफलता काफी कुछ दर्शाती है । भारत बंद के मिले आम जन के समर्थन के पीछे आलू – प्याज़ की बढ़ती कीमतों से उपजा लोगों का गुस्सा भी एक कारण बताया जा रहा है।

जबकि किसानों के समर्थन में उतरे कई नामी और वरिष्ठ खिलाड़ियों , लेखक – कलाकार – बुद्धिजीवियों और उनके संगठनों का स्पष्ट कहना है कि केंद्र सरकार के नए कृषि कानून सिर्फ किसान ही नहीं बल्कि राष्ट्रविरोधी हैं । जिसका सीधा फायदा सिर्फ और सिर्फ निजी - कॉर्पोरेट कंपनियों – घरानों को होगा और अडानी– आंबानी जैसे लोग इस देश में अब नए जमींदार बनकर राज करेंगे।  

farmers protest
Farm bills 2020
Agriculture Laws
farmers crises
Agriculture Crises
CPI-ML
All India Kisan Mahasabha
JMM

Related Stories

बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   

राम सेना और बजरंग दल को आतंकी संगठन घोषित करने की किसान संगठनों की मांग

बिहार: 6 दलित बच्चियों के ज़हर खाने का मुद्दा ऐपवा ने उठाया, अंबेडकर जयंती पर राज्यव्यापी विरोध दिवस मनाया

बिहार: विधानसभा स्पीकर और नीतीश सरकार की मनमानी के ख़िलाफ़ भाकपा माले का राज्यव्यापी विरोध

यूपी चुनाव: किसान-आंदोलन के गढ़ से चली परिवर्तन की पछुआ बयार

किसानों ने 2021 में जो उम्मीद जगाई है, आशा है 2022 में वे इसे नयी ऊंचाई पर ले जाएंगे

ऐतिहासिक किसान विरोध में महिला किसानों की भागीदारी और भारत में महिलाओं का सवाल

पंजाब : किसानों को सीएम चन्नी ने दिया आश्वासन, आंदोलन पर 24 दिसंबर को फ़ैसला

लखीमपुर कांड की पूरी कहानी: नहीं छुप सका किसानों को रौंदने का सच- ''ये हत्या की साज़िश थी'’

इतवार की कविता : 'ईश्वर को किसान होना चाहिये...


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    केरल: RSS और PFI की दुश्मनी के चलते पिछले 6 महीने में 5 लोगों ने गंवाई जान
    23 Apr 2022
    केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने हत्याओं और राज्य में सामाजिक सौहार्द्र को खराब करने की कोशिशों की निंदा की है। उन्होंने जनता से उन ताकतों को "अलग-थलग करने की अपील की है, जिन्होंने सांप्रदायिक…
  • राजेंद्र शर्मा
    फ़ैज़, कबीर, मीरा, मुक्तिबोध, फ़िराक़ को कोर्स-निकाला!
    23 Apr 2022
    कटाक्ष: इन विरोधियों को तो मोदी राज बुलडोज़र चलाए, तो आपत्ति है। कोर्स से कवियों को हटाए तब भी आपत्ति। तेल का दाम बढ़ाए, तब भी आपत्ति। पुराने भारत के उद्योगों को बेच-बेचकर खाए तो भी आपत्ति है…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    लापरवाही की खुराकः बिहार में अलग-अलग जगह पर सैकड़ों बच्चे हुए बीमार
    23 Apr 2022
    बच्चों को दवा की खुराक देने में लापरवाही के चलते बीमार होने की खबरें बिहार के भागलपुर समेत अन्य जगहों से आई हैं जिसमें मुंगेर, बेगूसराय और सीवन शामिल हैं।
  • डेविड वोरहोल्ट
    विंबलडन: रूसी खिलाड़ियों पर प्रतिबंध ग़लत व्यक्तियों को युद्ध की सज़ा देने जैसा है! 
    23 Apr 2022
    विंबलडन ने घोषणा की है कि रूस और बेलारूस के खिलाड़ियों को इस साल खेल से बाहर रखा जाएगा। 
  • डॉ. राजू पाण्डेय
    प्रशांत किशोर को लेकर मच रहा शोर और उसकी हक़ीक़त
    23 Apr 2022
    एक ऐसे वक्त जबकि देश संवैधानिक मूल्यों, बहुलवाद और अपने सेकुलर चरित्र की रक्षा के लिए जूझ रहा है तब कांग्रेस पार्टी को अपनी विरासत का स्मरण करते हुए देश की मूल तासीर को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License