NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
नज़रिया
समाज
भारत
राजनीति
दुनिया बीमारी से ख़त्म नहीं होगी
दुनिया ख़त्म होगी प्यार के घटते जलस्तर से। नफ़रत व इस्लामोफ़ोबिया के सैलाब से, जो लगातार उमड़ता चला आ रहा है...
अजय सिंह
31 May 2021
दुनिया बीमारी से ख़त्म नहीं होगी
प्रतीकात्मक तस्वीर। साभार: दिनेश कुमार

दुनिया बीमारी या महामारी से ख़त्म नहीं होगी।

यह ख़त्म होगी चुंबन व आलिंगन की कमी से। जब दिलों में प्यार, किसी के लिए तड़प नहीं होगी, तब दुनिया के होने की वजह भी नहीं होगी।

जब दोस्त से हाथ मिलाने को बढ़ा हुआ हाथ हवा में लटकता रह जाये, दोस्त के घर के दरवाज़े आपके लिए बंद हों, आपको सख़्ती से मना किया जाये अपने यहां आने से, तब दुनिया के अस्तित्व के आगे प्रश्नचिह्न ज़रूर लगेगा।

दुनिया ख़त्म होगी प्यार के घटते जलस्तर से। नफ़रत व इस्लामोफ़ोबिया के सैलाब से, जो लगातार उमड़ता चला आ रहा है। लोकतंत्र को जानबूझकर नष्ट किया जा रहा है। निरंकुश सर्वसत्तावाद, बर्बरता, तानाशाही को बनाया जा रहा है आम चलन।

दुनिया इससे ख़त्म होगी। बीमारी या महामारी से ख़त्म नहीं होगी।

दुनिया ख़त्म होगी उस पुकार से, जो कर्कश होती चली जा रही हैः ‘आओ तानाशाह आओ, हमें हमीं से बचाओ! आओ तानाशाह आओ, हमारी आत्मा का ध्वंस कर दो, जो सारी बुराइयों की जड़ है!’

पूंजीवाद ने चला रखा है हिंसक अभियान प्रकृति पर कब्ज़ा करने का। इस लूट-खसोट ने मनुष्य और प्रकृति के बीच का दोस्ताना संतुलन नष्ट कर दिया है। दुनिया इससे ख़त्म होगी।

प्रकृति का शिकार करने की लिप्सा से धरती गर्म हो रही है। इसे गर्म भट्टी बनने के लिए अभिशप्त किया जा रहा है। गहरी नींद में सोये हिमखंड उमस और गर्मी से बेचैन करवटें ले रहे हैं, तेज़ी से पिघल रहे हैं। समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है। किनारे बसे कई देश, शहर डूबनेवाले हैं। आबोहवा जानलेवा होती जा रही है। हवा और तूफ़ान की रफ़्तार तेज़ और तेज़ हो रही है। समुद्र की लहरें और ज़्यादा उछाल मार रही हैं। जंगलों में लगी है भीषण आग। इसके पीछे कौन है वह शातिर दिमाग़! ग़रीबों, औरतों, बच्चों पर पड़ेगी सबसे ज़्यादा मार।

दुनिया इससे ख़त्म होगी।

दुनिया ख़त्म होगी मनुष्यभक्षी पूंजीवाद से। दुनिया ख़त्म होगी प्रकृतिभक्षी पूंजीवाद से। दुनिया ख़त्म होगी बीमारी या महामारी पैदा करनेवाले पूंजीवाद से।

दोस्तो, हमें दुनिया को बचाना है। हमें प्रकृति को बचाना है। हमें मनुष्य को बचाना है। हमें प्रेम को, प्रेम की संभावना को बचाना है।

हमें खिलखिल-जैसी अनगिनत बच्चियों को बचाना है।

(लेखक वरिष्ठ कवि व राजनीतिक विश्लेषक हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

इसे भी पढ़ें : यह स्मृति को बचाने का वक़्त है

COVID-19
Pandemic
Hatred
Hate politics
Religion Politics

Related Stories

विचार: बिना नतीजे आए ही बहुत कुछ बता गया है उत्तर प्रदेश का चुनाव

हम भारत के लोग: समृद्धि ने बांटा मगर संकट ने किया एक

तिरछी नज़र: ओमीक्रॉन आला रे...

हिन्दू धर्म और हिन्दुत्व का फ़र्क़

जै श्रीराम: अभिवादन को युद्धघोष बनाने के पीछे क्या है?

उनके तालिबान तालिबान, हमारे वाले संत?

कोरोना में कावड़ यात्रा, दो-बच्चे कानून का प्रस्ताव और यूपी में एकदलीय व्यवस्था की आहट!

मृत्यु महोत्सव के बाद टीका उत्सव; हर पल देश के साथ छल, छद्म और कपट

बीच बहस: नेगेटिव या पॉजिटिव ख़बर नहीं होती, ख़बर, ख़बर होती है

पीएम का यू-टर्न स्वागत योग्य, लेकिन भारत का वैक्सीन संकट अब भी बरकरार है


बाकी खबरें

  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: ये कहां आ गए हम! यूं ही सिर फिराते फिराते
    29 May 2022
    उधर अमरीका में और इधर भारत में भी ऐसी घटनाएं होने का और बार बार होने का कारण एक ही है। वही कि लोगों का सिर फिरा दिया गया है। सिर फिरा दिया जाता है और फिर एक रंग, एक वर्ण या एक धर्म अपने को दूसरे से…
  • प्रेम कुमार
    बच्चे नहीं, शिक्षकों का मूल्यांकन करें तो पता चलेगा शिक्षा का स्तर
    29 May 2022
    शिक्षाविदों का यह भी मानना है कि आज शिक्षक और छात्र दोनों दबाव में हैं। दोनों पर पढ़ाने और पढ़ने का दबाव है। ऐसे में ज्ञान हासिल करने का मूल लक्ष्य भटकता नज़र आ रहा है और केवल अंक जुटाने की होड़ दिख…
  • राज कुमार
    कैसे पता लगाएं वेबसाइट भरोसेमंद है या फ़र्ज़ी?
    29 May 2022
    आप दिनभर अलग-अलग ज़रूरतों के लिए अनेक वेबसाइट पर जाते होंगे। ऐसे में सवाल उठता है कि कैसे पता लगाएं कि वेबसाइट भरोसेमंद है या नहीं। यहां हम आपको कुछ तरीके बता रहें हैं जो इस मामले में आपकी मदद कर…
  • सोनिया यादव
    फ़िल्म: एक भारतीयता की पहचान वाले तथाकथित पैमानों पर ज़रूरी सवाल उठाती 'अनेक' 
    29 May 2022
    डायरेक्टर अनुभव सिन्हा और एक्टर आयुष्मान खुराना की लेटेस्ट फिल्म अनेक आज की राजनीति पर सवाल करने के साथ ही नॉर्थ ईस्ट क्षेत्र के राजनीतिक संघर्ष और भारतीय होने के बावजूद ‘’भारतीय नहीं होने’’ के संकट…
  • राजेश कुमार
    किताब: यह कविता को बचाने का वक़्त है
    29 May 2022
    अजय सिंह की सारी कविताएं एक अलग मिज़ाज की हैं। फॉर्म से लेकर कंटेंट के स्तर पर कविता की पारंपरिक ज़मीन को जगह–जगह तोड़ती नज़र आती हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License