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भारत
राजनीति
CAA विरोध : दिल्ली के मंडी हाउस में थिएटर कर्मियों का प्रदर्शन
प्रदर्शन करने वालों में श्री राम सेंटर, एलटीजी ऑडिटोरियम, त्रिवेणी कला संगम, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय और अन्य नाटक मंडलियों के अभिनेता और अभिनेत्रियाँ शामिल रहे।
सत्यम् तिवारी
18 Dec 2019
CAA विरोध
मंडी हाउस में सीएए विरोध के दौरान सभा को संबोधित करते अंकित गौतम

देश भर में नागरिकता संशोधन क़ानून का विरोध जारी है। 11 दिसम्बर को विधेयक से क़ानून बने नागरिकता संशोधन को प्रदर्शनकारी छात्र, सामाजिक कार्यकर्ता, अभिनेता, विपक्षी दल और अन्य असंवैधानिक क़रार दे कर विरोध कर रहे हैं। बाज़ जगहों पर ये प्रदर्शन हिंसक हुए हैं, जिनमें पुलिस की बर्बरता और उपद्रवी दलों की हरक़तें शामिल हैं। हाल ही में जामिया में प्रदर्शन कर रहे छात्रों के साथ जो व्यवहार पुलिस ने किया, वो सबने देखा है।

नागरिकता संशोधन क़ानून यानी CAA के तहत हिन्दू, ईसाई, सीख, बौद्ध, जैन और पारसी धर्म के उन शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दी जाएगी जो 31 दिसम्बर 2014 के पहले से भारत में आए थे।

इस क़ानून में बाहर से शरणार्थी के रूप में आए मुस्लिम धर्म के नागरिकों को शामिल नहीं किया गया है, जिसकी वजह से इसे अल्पसंख्यक विरोधी बताया जा रहा है।

इसी सिलसिले में आज दिल्ली के मंडी हाउस इलाक़े में रंगकर्म से जुड़े लोगों ने नागरिकता संशोधन के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शन करने वालों में श्री राम सेंटर, एलटीजी ऑडिटोरियम, त्रिवेणी कला संगम, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय और अन्य नाटक मंडलियों के अभिनेता और अभिनेत्रियाँ शामिल रहे।

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मंडी हाउस दिल्ली का थिएटर हब है। यहाँ अलग-अलग ग्रुप के साथ नाटक करने वाले युवा या तो अपनी रिहर्सल करते आते हैं, या नाटक खेलने और देखने। 18 दिसंबर की शाम को कलाकारों की साझी पहल पर मंडी हाउस श्री राम सेंटर के बाहर क़रीब 100 कलाकार जमा हुए और नागरिकता क़ानून के विरोध में शांतिपूर्ण तरीक़े से अपनी बात रखी। कलाकारों ने यह कहते हुए सभा की शुरुआत की, कि "एक दूसरे का घर बचाएंगे तो सबका घर बचेगा।"

कलाकारों ने श्री राम सेंटर के बाहर वाले पेड़ पर पोस्टर चिपकाए थे जिनमें पाश, दुष्यंत कुमार की कवितायें लिखी हुई थीं और CAA के विरोध से जुड़ी बातें भी लिखी गई थीं। सभा के बाद कलाकारों ने मोमबत्तियाँ भी जलाईं।

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अंकित गौतम मंडी हाउस में कई बरसों से एक फ़्रीलांस एक्टर के तौर पर नाटक कर रहे हैं। न्यूज़क्लिक से बात करते हुए उन्होंने कहा, "हम लोगों को 2014 से पागल बनाया जा रहा है। जो इस क़ानून के समर्थक हैं उनसे मैं पूछना चाहता हूँ कि क्या वो इस बात को नकार सकते हैं कि मौजूदा सरकार किन मुद्दों को लेकर सत्ता में आई थी? उसने क्या वादे किए थे और क्या पूरे किए? सिर्फ़ एक राम मंदिर का मुद्दा पूरा किया गया। वो लोग एक मज़हब प्रधान देश चाहते हैं, जो नामुमकिन है। हम लोग बड़ी मुहब्बत से यहाँ रहते हैं। हम इस क़ानून का पुरज़ोर विरोध करते हैं। हम अदब(साहित्य) को प्यार करने वाले लोग हैं, जब तक ज़िंदा रहेंगे तब तक इसका विरोध करेंगे।"

मंडी हाउस पर सभा शुरू ही हुई थी कि वहाँ पुलिस के कुछ अधिकारी आ गए और अपनी बात रख रहे कलाकारों से पूछने लगी कि वो यहाँ क्या कर रहे हैं, किसका विरोध कर रहे हैं। कलाकारों ने जब विषय बताया तो पुलिस अधिकारी ने कहा कि आप लोग इस तरह से यहाँ नहीं जमा हो सकते। वजह पूछने पर अधिकारी ने झूठ बोलते हुए कहा कि धारा 144 लगाई गई है, जबकि मंडी हाउस के इलाक़े में धारा 144 नहीं लगी है।

सांगवारी थिएटर ग्रुप की नेहा ने जेएनयू के प्रदर्शन की बात करते हुए पुलिस पर लाइट बंद कर के लड़कियों का शोषण करने के इल्ज़ाम भी लगाए, और ये भी कहा कि जब छात्रों का आंदोलन सफल हो जाएगा, तब पुलिसवाले उनसे आँख कैसे मिला पाएंगे।

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सांगवारी ग्रुप की नेहा

उन्होंने कहा, "नागरिकता क़ानून को असंवैधानिक इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि हमारा संविधान कहता है कि हमारे देश का विचार एकता का विचार है। बीजेपी ने लगातार ऐसा किया है कि एक ख़ास तबक़े को निशाना बनाया है। और हमने जब दलितों के ख़िलाफ़ अत्याचार देखे तो कह दिया कि इससे हमें फ़र्क़ नहीं पड़ता है, जब मुसलमानों के साथ हुआ तब हमने कहा इसका प्रभाव हम पर नहीं पड़ेगा। लेकिन अब हम पहले की चीज़ों को देखते हैं, तो समझ आता है कि उनका मक़सद दरअसल यही था। इस क़ानून को ला कर वो मेरे इस देश में रहने के अधिकार पर हमला कर रहे हैं।"

अटेलियर थिएटर ग्रुप के संस्थापक और वरिष्ठ रंगकर्मी कुलजीत सिंह ने कहा, "हमारे संविधान की प्रस्तावना कहती है, "हम भारत के लोग; वो हम भारत के हिन्दू/मुस्लिम/सीख/ईसाई नहीं कहती। इसका मतलब यह है कि धर्म के आधार पर किसी में कोई भेदभाव नहीं है, कोई बंटवारा नहीं है। ये जो नया क़ानून है, उसमें पूरी तरह से धर्म के नाम पर ध्रुवीकरण किया जा रहा है। अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से जिन शरणार्थियों को लाने की बात कही गई है उसमें मुसलमानों को शामिल क्यों नहीं किया गया है, और दूसरे किसी देश की बात क्यों नहीं हो रही है। इस राजनीति के पीछे की जो भावना है वो मुझे ज़हरीली लगती है, सब जानते हैं कि क्या चल रहा है। इसलिए इसका विरोध होना बहुत ज़रूरी है।"

नागरिकता क़ानून का विरोध करने की वजह के बारे में कलाकारों से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि रंगमंच का कोई धर्म नहीं है, तो रंगमंच धार्मिक बँटवारे का विरोध करने में पीछे कैसे रहेगा।

कुलजीत सिंह ने कहा, "आज हमारे कुछ युवा रंगकर्मियों ने बुलाया कि हमारे साथ खड़े होइए, तो हम यहाँ आए और अपनी ज़िम्मेदारी निभाते हुए इस प्रदर्शन में शामिल हुए। जो मोमबत्तियाँ जलायी गईं हैं, वो मेरे लिए एक रूपक भी है, क्योंकि मोमबत्ती अंधेरे को ख़त्म कर के रौशनी पैदा करती है।"

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अंकित गौतम ने लोगों से इतिहास और कला को पढ़ने की अपील करते हुए कहा, "हम जो नाटक करते हैं, उनमें देखिये कि वो कहना क्या चाह रहे हैं। हमारा तो काम ही यही है, कितने अच्छे अच्छे नाटक लिखे गए हैं, उन्हें पढ़िये और समझिए। महसूस कीजिये चीज़ों को।"

रंगकर्म और मंडी हाउस में भेदभाव के सवाल को नकारते हुए युवा नाटककार नोमान ने कहा, "यहाँ कोई भेदभाव नहीं होता है। मैं 5 साल से थिएटर कर रहा हूँ। सभी धर्म के लोग एक साथ प्यार से काम करते हैं। यहाँ के लोगों की सोच बड़ी है, और जीने का तरीक़ा साधारण है।"

उन्होंने आगे कहा, "नागरिकता क़ानून का विरोध अंत तक करते रहेंगे। और जब दस्तावेज़ मांगे जाएंगे, तो नहीं देंगे।"

सीएए के बारे में ये बातें कही जा रही हैं कि इससे दिक़्क़त इस वजह से है क्योंकि ये मुस्लिम विरोधी है। इस बात को नकारते हुए नोमान ने कहा, "नागरिकता क़ानून हमारे संविधान को तोड़ रहा है और यह मैं मुस्लिम होने की वजह से नहीं बोल रहा हूँ। मेरे अलावा हर अल्पसंख्यक वर्ग, हर जाति हर धर्म का इंसान इससे प्रभावित होगा। मैं सबके लिए बोल रहा हूँ। मैं अपने हिन्दू दोस्तों को छोड़ कर यहाँ से नहीं जाना चाहता। मोदीजी हिन्दू राष्ट्र की बात करते हैं, हिन्दू राष्ट्र किसने मांगा है?"

सभा में आने वाले दिनों में होने वाले होने वाले विरोध प्रदर्शनों में आने की अपील भी की गई। यह कहा गया कि 19 दिसम्बर को होने वाले दो बड़े प्रदर्शनों में शामिल हुआ जाए।

कलाकारों ने साझी आवाज़ में कहा है कि वह नागरिकता क़ानून का विरोध लगातार करते रहेंगे क्योंकि ये देश को तोड़ रहा है।

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नोमान ने सभा को संबोधित करते हुए राहत इंदौरी का शेर पढ़ा,

"लगेगी आग तो आएंगे घर कई ज़द में

यहाँ पे सिर्फ़ हमारा मकान थोड़ी है!"

CAA
Citizenship Amendment Act
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