NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
विरोध की हर आवाज़ को दबाने की ये कैसी ज़िद : हेमंत सोरेन
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी फादर स्टेन स्वामी की गिरफ़्तारी की निंदा की है। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने भी एनआईए की कार्रवाई को ग़लत बताया है। उधर, एनआईए ने भीमा कोरेगांव मामले में आठ लोगों के ख़िलाफ आरोप पत्र दायर कर दिया है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
10 Oct 2020
हेमंत सोरेन

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी फादर स्टेन स्वामी की गिरफ़्तारी की निंदा की है। गुरुवार रात फादर स्टेन को गिरफ़्तार करने के बाद कल शुक्रवार दिन भर सोरेन की तरफ़ से कोई प्रतिक्रिया न आने पर कई तरह के सवाल उठ रहे थे क्योंकि सोरेन जब मुख्यमंत्री नहीं थे तब वे ऐसे मामलों में तत्काल प्रतिक्रिया देते थे। 28 अगस्त 2018 को भी महाराष्ट्र पुलिस ने फादर स्टेन के कमरे की तलाशी ली थी। जिसका विरोध तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने किया था।

अब कल दिन भर की चुप्पी के बाद शुक्रवार देर रात सीएम हेमंत सोरेन ने पूरे मसले पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की। रात 11.42 बजे किए एक ट्वीट में सीएम ने कहा कि ‘’गरीब, वंचितों और आदिवासियों की आवाज़ उठाने वाले 83 वर्षीय वृद्ध 'स्टेन स्वामी' को गिरफ्तार कर केंद्र की भाजपा सरकार क्या संदेश देना चाहती है? विरोध की हर आवाज को दबाने की ये कैसी जिद?’’

गरिब, वंचितों और आदिवासियों की आवाज़ उठाने वाले 83 वर्षीय वृद्ध 'स्टेन स्वामी' को गिरफ्तार कर केंद्र की भाजपा सरकार क्या संदेश देना चाहती है?

अपने विरोध की हर आवाज को दबाने की ये कैसी जिद्द?

— Hemant Soren (घर में रहें - सुरक्षित रहें) (@HemantSorenJMM) October 9, 2020

आपको बता दें कि एनआईए ने एक जनवरी, 2018 को पुणे के पास भीमा-कोरेगांव में भीड़ को कथित तौर पर हिंसा के लिये उकसाने के मामले में कथित लिप्तता के लिए 83 वर्षीय स्टेन स्वामी को बृहस्पतिवार को उनके झारखंड के रांची स्थित घर से गिरफ्तार किया था। शुक्रवार सुबह उन्हें विमान से मुंबई ले जाया गया, जहां विशेष एनआईए अदालत ने उन्हें 23 अक्टूबर तक के लिये न्यायिक हिरासत में भेज दिया। इसी के साथ इस मामले में नागरिक अधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा और स्टेन स्वामी समेत आठ लोगों के खिलाफ आरोप पत्र भी दाखिल कर दिया।

अधिकारियों ने कहा कि वह संभवत: स्टेन स्वामी सबसे बुजुर्ग व्यक्ति हैं, जिनके खिलाफ यूएपीए यानि गैर-कानूनी गतिविधियां (निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।

एनआईए ने इस साल 24 जनवरी को इस मामले की जांच अपने हाथों में ली है।

आठ लोगों के ख़िलाफ़ आरोप पत्र दाख़िल

समाचार एजेंसी भाषा की ख़बर के अनुसार सरकार के खिलाफ कथित रूप से षड़यंत्र रचने के इस मामले में जिन लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया है, उनमें मिलिंद तेलतुंबड़े को छोड़कर सभी आरोपी न्यायिक हिरासत में हैं।

एनआईए की प्रवक्ता एवं पुलिस उप महानिरीक्षक सोनिया नारंग ने कहा कि आरोपपत्र यहां एक अदालत के समक्ष दाखिल किया गया।

अन्य जिन लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया है उनमें दिल्ली विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर हैनी बाबू, गोवा इंस्टीट्यूट ऑफ मैंनेजमेंट के प्रोफेसर आनंद तेलतुंबड़े, भीमा-कोरेगांव शौर्य दिन प्रेरणा अभियान समूह की कार्यकर्ता ज्योति जगताप, सागर गोरखे और रमेश गाइचोर शामिल हैं।

यह मामला 1 जनवरी 2018 को पुणे के निकट कोरेगांव की जंग की 200वीं वर्षगांठ के जश्न के बाद हिंसा भड़कने से संबंधित है, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हो गए थे।

नवलखा और तेलतुंबड़े ने इस साल अप्रैल में एनआईए के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था।

आठ आरोपियों के खिलाफ दाखिल एनआईए के आरोप पत्र में मानवाधिकार कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज का जिक्र नहीं है, जो 2018 से जेल में बंद हैं। पुणे पुलिस ने अगस्त 2018 में इस मामले में भारद्वाज, वर्नन गोंसालवेस और अरुण फरेरा को गिरफ्तार किया था।

स्वामी के वकील शरीफ शेख ने कहा कि उनके मुवक्किल अदालत के समक्ष पेश हुए।

उन्होंने कहा, 'एनआईए ने उन्हें हिरासत में लेने की अपील नहीं की। वह बुजुर्ग हैं। वह दस्तावेजों का अध्ययन कर जमानत के लिये आवेदन करेंगे।'

स्वामी इस मामले में गिरफ्तार होने वाले 16वें व्यक्ति हैं। इस मामले में आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं और आतंकवाद रोधी कानून यूएपीए के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।

एनआईए के अधिकारियों के अनुसार स्वामी भाकपा (माओवादी) की गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं।

एनआईए ने आरोप लगाया कि वह समूह की गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिये 'षडयंत्रकारियों' सुधीर धावले, रोना विल्सन, सुरेन्द्र गैडलिंग, अरुण फरेरा, वर्नन गोंसालवेस, हनी बाबू, शोमा सेन, महेश राउत, वरवरा राव, सुधा भारद्वाज, गौतम नवलखा और आनंद तेलतुंबड़े के संपर्क में रहे हैं।

एजेंसी ने आरोप लगाया कि स्वामी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिये एक सहयोगी के जरिये फंड भी हासिल करते थे। इसके अलावा वह भाकपा (माओवादी) के एक संगठन प्रताड़ित कैदी एकजुटता समिति (पीपीएससी) के संयोजक भी थे।

अधिकारियों ने कहा कि उनके पास से भाकपा (माओवादी) से संबंधित साहित्य और प्रचार सामग्री तथा उसके कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने के लिये संचार से संबंधित दस्तावेज भी बरामद किये गए हैं।

स्वामी ने बृहस्पतिवार शाम अपनी गिरफ्तारी से पहले एक वीडियो पोस्ट किया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि एनआईए उनसे पूछताछ कर रही है। पांच दिन के दौरान उसने 15 घंटे पूछताछ की जा चुकी है।

उन्होंने महामारी का हवाला देते हुए कहा था, 'अब वे मुझे मुंबई ले जाना चाहते हैं, लेकिन मैंने वहां जाने से इनकार कर दिया है।'

यू-ट्यूब पर डाली गई यह वीडियो उनकी गिरफ्तारी से दो दिन पहले रिकॉर्ड की गई थी।

उन्होंने कहा, 'मेरा भीमा-कोरेगांव मामले से कोई लेना-देना नहीं है, जिसमें मुझे आरोपी बनाया जा रहा है।'

स्वामी ने वीडियो में कहा, '...मेरे साथ जो हो रहा है उसमें कुछ भी नया नहीं है और यह मेरे साथ ही नहीं हो रहा है। ऐसा पूरे देश में हो रहा है। हम सभी जानते हैं कि किस तरह मशहूर बुद्धिजीवियों, वकीलों, लेखकों, कवियों, कार्यकर्ताओं, छात्र नेताओं को जेल में डाला जा रहा है क्योंकि वे भारत में सत्ता पक्ष से असहमति रखते हैं और उनसे सवाल पूछते रहे हैं।'

उन्होंने कहा कि वह इस 'प्रक्रिया' का हिस्सा हैं और उन्हें खुशी है कि वह मूकदर्शक नहीं है। स्वामी ने कहा, 'मैं कोई भी कीमत चुकाने को तैयार हूं।'

मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने की निंदा

इस पूरी कार्रवाई को देश के तमाम मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और प्रबुद्ध जनों ने ग़लत बताते हुए इसे असहमति की आवाज़ों को दबाने का प्रयास बताया है।

मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा फादर स्टेन स्वामी की गिरफ्तारी को ‘निंदनीय कृत्य’ करार दिया और उन्हें आदिवासियों के अधिकारों के लिए लड़ने वाला ‘दयालु’ व्यक्ति बताया।

स्वराज इंडिया पार्टी के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘अस्सी वर्ष से अधिक उम्र के पादरी, जिन्होंने अपना पूरा जीवन गरीबों की सेवा में बिताया, उनके साथ जो किया गया वह स्तब्ध करने वाला और निंदनीय है।’’

प्रशांत भूषण ने फादर स्वामी को एक भला व्यक्ति बताया। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘अभी अभी पता चला कि एनआईए 82 वर्षीय फादर स्टेन को उनके रांची स्थित आश्रम से जबरदस्ती ले गई। उनसे अधिक दयालु और भले व्यक्ति की कल्पना करना भी मुश्किल है।’’

भूषण ने आगे लिखा, ‘‘उन पर (स्वामी पर) गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम के तहत मामला दर्ज करने का प्रयास एनआईए के बिकाऊपन का संकेत है।’’

इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने ट्वीट किया, ‘‘सुधा भारद्वाज की तरह ही स्टेन स्वामी ने भी आदिवासियों के अधिकारों के लिए लड़ते हुए अपना जीवन बिताया। इसलिए मोदी शासन उन्हें दबाना और चुप कर देना चाहता है, क्योंकि इस सरकार के लिए खनन कंपनियों का लाभ आदिवासियों के जीवन और आजीविका से अधिक मायने रखता है।’’

कार्यकर्ता हर्ष मंदर ने भी स्वामी के प्रति समर्थन जताते हुए ट्वीट किया, ‘‘फादर स्टेन स्वामी ने 80 वर्ष से अधिक आयु में भी भारत के आदिवासी लोगों की नि:स्वार्थ भावना से सेवा की है तथा अन्याय के खिलाफ उनके साथ मिलकर शांतिपूर्ण संघर्ष किया। सरकार एक-एक करके भारत के अच्छे बेटे-बेटियों के पीछे पड़ रही है। वंचितों के लिए आवाज उठाने वालों से वह इतनी डरी हुई क्यों है?’’

फिल्मकार एवं पत्रकार प्रीतीश नंदी ने कहा कि यह बहुत ही पीड़ादायक है कि 80 साल से अधिक उम्र के पादरी, जो आदिवासी अधिकारों के लिए खड़े होते हैं, उन्हें महामारी के काल में गिरफ्तार कर लिया गया।

हालांकि भाजपा के राष्ट्रीय सचिव और त्रिपुरा के प्रभारी सुनील देवधर ने एनआईए की कार्रवाई का समर्थन किया। उन्होंने कहा, ‘‘यह अच्छी बात है कि एनआईए ने भीमा-कोरेगांव मामले में स्टेन स्वामी को गिरफ्तार कर लिया। वह प्रतिबंधित संगठन भाकपा (माओवादी) के सदस्य हैं।’’

देवधर ने कहा, ‘‘इससे ईसाई मिशनरियों और शहरी नक्सलियों के बीच संबंधों के बारे में और खुलासे हो सकेंगे।’’

आपको यहां यह भी बता दें कि फादर स्टेन की गिरफ़्तारी के विरोध में शुक्रवार शाम झारखंड की राजधानी रांची में भी विरोध प्रदर्शन हुआ जिसमें जाने-माने अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज ने भी हिस्सा लिया और एनआईए की इस कार्रवाई को मनमाना बताया। ज्यां द्रेज ने कहा कि, ‘’ये मनमाना है। सरकार जिसके चाहे उठा ले रही है। इतने उम्रदराज व्यक्ति के साथ इस तरह का व्यवहार चिंताजनक है। वह कहीं जा नहीं सकते, ऐसे में उनको जेल में रखऩा बहुत ही खतरनाक है। जहां तक यूएपीए की बात है, सरकार इसका बेजा इस्तेमाल कर रही है। किसी के सोशल मीडिया पोस्ट पर यह एक्ट लगा दिया जा रहा है। जो कि संविधान और लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।’’  

इसे पढ़ें :   झारखंड में स्टेन स्वामी की गिरफ़्तारी का विरोध, ज्यां द्रेज ने कहा- ये मनमानी कार्रवाई

Jharkhand
Stan Swamy
National Investigation Agency
NIA
Social Worker
Koregaon-Bhima case
Supreme Court
Narendra modi
BJP
Hemant Soren

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

ज्ञानवापी मस्जिद के ख़िलाफ़ दाख़िल सभी याचिकाएं एक दूसरे की कॉपी-पेस्ट!

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट


बाकी खबरें

  • hafte ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    मोदी सरकार के 8 साल: सत्ता के अच्छे दिन, लोगोें के बुरे दिन!
    29 May 2022
    देश के सत्ताधारी अपने शासन के आठ सालो को 'गौरवशाली 8 साल' बताकर उत्सव कर रहे हैं. पर आम लोग हर मोर्चे पर बेहाल हैं. हर हलके में तबाही का आलम है. #HafteKiBaat के नये एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार…
  • Kejriwal
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: MCD के बाद क्या ख़त्म हो सकती है दिल्ली विधानसभा?
    29 May 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस बार भी सप्ताह की महत्वपूर्ण ख़बरों को लेकर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन…
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष:  …गोडसे जी का नंबर कब आएगा!
    29 May 2022
    गोडसे जी के साथ न्याय नहीं हुआ। हम पूछते हैं, अब भी नहीं तो कब। गोडसे जी के अच्छे दिन कब आएंगे! गोडसे जी का नंबर कब आएगा!
  • Raja Ram Mohan Roy
    न्यूज़क्लिक टीम
    क्या राजा राममोहन राय की सीख आज के ध्रुवीकरण की काट है ?
    29 May 2022
    इस साल राजा राममोहन रॉय की 250वी वर्षगांठ है। राजा राम मोहन राय ने ही देश में अंतर धर्म सौहार्द और शान्ति की नींव रखी थी जिसे आज बर्बाद किया जा रहा है। क्या अब वक्त आ गया है उनकी दी हुई सीख को अमल…
  • अरविंद दास
    ओटीटी से जगी थी आशा, लेकिन यह छोटे फिल्मकारों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा: गिरीश कसारावल्ली
    29 May 2022
    प्रख्यात निर्देशक का कहना है कि फिल्मी अवसंरचना, जिसमें प्राथमिक तौर पर थिएटर और वितरण तंत्र शामिल है, वह मुख्यधारा से हटकर बनने वाली समानांतर फिल्मों या गैर फिल्मों की जरूरतों के लिए मुफ़ीद नहीं है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License