NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
ब्रुसेल्स में श्रमिक-विरोधी नीतियों के खिलाफ हज़ारों लोग “मार्च ऑफ एंगर” में शामिल हुए
इस मार्च के लिए आह्वान वर्कर्स पार्टी ऑफ बेल्जियम (पीटीबी/पीवीडीए) द्वारा किया गया। इसमें सरकार और पारंपरिक पार्टियों से श्रमिकों के अनुकूल नीति की मांग की गई।
पीपल्स डिस्पैच
02 Mar 2020
ब्रुसेल्स
रविवार को ब्रुसेल्स में 10,000 से अधिक लोगों ने मार्च किया

रविवार 1 मार्च को राजधानी ब्रुसेल्स में "मार्च ऑफ़ एंगर" में हज़ारों की संख्या में बेल्जियम के लोगों ने हिस्सा लिया। संघीय सरकार से श्रमिक-समर्थित नीतियों की मांग को लेकर इस मार्च का आह्वान बेल्जियम की वर्कर्स पार्टी (पीटीबी / पीवीडीए) द्वारा किया गया था। मार्च करने वालों ने प्रति माह 1500 यूरो की न्यूनतम पेंशन मांगी है, करोड़पति पर कर लगाने और देश को न बांटने की मांग की है।

देश में श्रमिकों को आम तौर पर देश में पारंपरिक दलों के व्यापार-समर्थित रुख, श्रमिकों के अधिकारों के लिए उनकी अवमानना और क्षेत्रीयता को उछाल कर निराश किया गया है। 1500 यूरो (वर्कर्स पार्टी द्वारा प्रस्तावित) की न्यूनतम पेंशन के लिए नागरिकों की पहल के प्रति पारंपरिक दलों की बेरुखी ने बेल्जियम के श्रमिक वर्ग के बीच गंभीर आक्रोश को जन्म दिया था।

वर्कर्स पार्टी सर्किल ने पीपल्स डिस्पैच को बताया है कि पीटीबी / पीवीडीए के आह्वान पर, 'द ग्रेट कोलेयर' में ब्रुसेल्स की सड़कों पर 10,000 से अधिक लोगों ने आज मार्च किया है। देश को विभाजित करने के लिए दक्षिणपंथी दलों के आह्वान की प्रतिक्रिया में ये मार्च किया गया। देश के सभी क्षेत्रों के लोगों: उच्च पदों पर बैठे अधिकारी, कर्मचारी, श्रमिक, शिक्षक, डॉक्टर्स, स्टूडेंट्स, युवा और वृद्ध लोग रविवार को ब्रुसेल्स की सड़कों पर उतरे।

मार्च को लेकर वर्कर्स पार्टी के अध्यक्ष पीटर मर्टेंस ने आरोप लगाया है कि “समस्या हमारे देश की नहीं है। समस्या यह है कि हमें नेताओं के एक वर्ग द्वारा नेतृत्व किया जाता है जो भावना रहित हैं, अभिमानी हैं, और जिन्हें इसका एहसास तक नहीं है। ये ऐसे नेता हैं जो कहते हैं कि हमारे पेंशन के लिए कोई पैसा नहीं है, न ही बुजुर्गों की देखरेख के लिए पैसा है और न ही युवा लोगों के लिए, लेकिन जो बड़ी-बड़ी कंपनियों को 172 बिलियन यूरो टैक्स हैवेन देशों में जमा करने का रास्ता ज़रुर है।"

उन्होंने आगे कहा, “नेताओं को लोगों के बजाय बड़े व्यवसाय पसंद हैं। नेता बड़े फार्मा, हीरा व्यापार और अन्य व्यापार को गले लगा रहे हैं।"

इससे पहले 28 जनवरी को समाजवादी व्यापार संघ 'जनरल कन्फेड्रेशन ऑफ बेल्जियन लेबर' (एबीवीवी /एफजीटीबी) के आह्वान पर हजारों श्रमिकों ने सामाजिक सुरक्षा की रक्षा के लिए ये राष्ट्रीय हड़ताल की।

साभार : पीपल्स डिस्पैच

Brussels
March of Anger
Protests
Belgium
labor policies
PTB
PVDA

Related Stories

भारत में छात्र और युवा गंभीर राजकीय दमन का सामना कर रहे हैं 

अफ़ग़ानिस्तान में सिविल सोसाइटी और अधिकार समूहों ने प्रोफ़ेसर फ़ैज़ुल्ला जलाल की रिहाई की मांग की

राज्यसभा के निलंबित सदस्यों के समर्थन में विपक्षी नेताओं का संसद परिसर में धरना

सूडान : 10 लाख से ज़्यादा नागरिक तख़्तापलट के विरोध में सड़कों पर आए

तमिलनाडु: दलदली या रिहायशी ज़मीन? बेथेल नगर के 4,000 परिवार बेदखली के साये में

हिमाचल प्रदेश में बढ़ते भूस्खलन की वजह क्या है? लोग सड़कों का विरोध क्यों कर रहे हैं? 

मध्य प्रदेश : सेंचुरी मिल के प्रदर्शनकर्मियों पर पुलिस कार्रवाई, 800 से अधिक की गिरफ़्तारी

नाटो शिखर वार्ता के ख़िलाफ़ ब्रसेल्स में विरोध प्रदर्शन

बेल्जियमः वेतन बढ़ाने की मांग को लेकर श्रमिक वर्ग सड़कों पर उतरा

लोहिया आंदोलनकारी थे या आंदोलनजीवी?


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ः 60 दिनों से हड़ताल कर रहे 15 हज़ार मनरेगा कर्मी इस्तीफ़ा देने को तैयार
    03 Jun 2022
    मनरेगा महासंघ के बैनर तले क़रीब 15 हज़ार मनरेगा कर्मी पिछले 60 दिनों से हड़ताल कर रहे हैं फिर भी सरकार उनकी मांग को सुन नहीं रही है।
  • ऋचा चिंतन
    वृद्धावस्था पेंशन: राशि में ठहराव की स्थिति एवं लैंगिक आधार पर भेद
    03 Jun 2022
    2007 से केंद्र सरकार की ओर से बुजुर्गों को प्रतिदिन के हिसाब से मात्र 7 रूपये से लेकर 16 रूपये दिए जा रहे हैं।
  • भाषा
    मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चंपावत उपचुनाव में दर्ज की रिकार्ड जीत
    03 Jun 2022
    चंपावत जिला निर्वाचन कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री को 13 चक्रों में हुई मतगणना में कुल 57,268 मत मिले और उनके खिलाफ चुनाव लड़ने वाल़ कांग्रेस समेत सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो…
  • अखिलेश अखिल
    मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 
    03 Jun 2022
    बिहार सरकार की ओर से जाति आधारित जनगणना के एलान के बाद अब भाजपा भले बैकफुट पर दिख रही हो, लेकिन नीतीश का ये एलान उसकी कमंडल राजनीति पर लगाम का डर भी दर्शा रही है।
  • लाल बहादुर सिंह
    गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया
    03 Jun 2022
    मोदी सरकार पिछले 8 साल से भारतीय राज और समाज में जिन बड़े और ख़तरनाक बदलावों के रास्ते पर चल रही है, उसके आईने में ही NEP-2020 की बड़ी बड़ी घोषणाओं के पीछे छुपे सच को decode किया जाना चाहिए।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License