NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
मज़दूर अधिकारों पर हो रहे हमलों के खिलाफ़ हज़ारो निर्माण मज़दूरों का दिल्ली में प्रदर्शन
हजारों की संख्या में निर्माण मजदूर श्रम कानूनों में हो रहे बदलावों के ख़िलाफ़ संसद के सामने एकत्रित हुए और प्रदर्शन किया।
मुकुंद झा
05 Dec 2019
workers protest

देश का निर्माण करने वाले निर्माता जो सड़क से लेकर बड़े-बड़े डैम का निर्माण करते हैं, ऐसे हज़ारो निर्माण मज़दूरों ने देश की संसद के पास प्रदर्शन किया। ये मज़दूर अपने साथ पूरे देश से एक करोड़ मज़दूरों के हस्तक्षार वाला एक ज्ञापन लाये थे, जो लोकसभा के अध्यक्ष को सौंपा। ये मज़दूर निर्माण मज़दूरों के कल्याण के लिए बने निर्माण मज़दूर कल्याण बोर्ड बचने और श्रम कानूनों में हो रहे बदलावों के खिलाफ एकत्रित हुए थे। इस प्रदर्शन में तमिलनडु ,हरियाणा ,बिहार,पंजाब, हिमचाल,असम के साथ देश के कई अन्य राज्यों मज़दूरों ने भागीदारी की।
3_6.JPG
न्यूज़क्लिक ने इन मज़दूरों से बात की और इनकी समस्याओ को समझने की कोशिश की। हमने जीतें भी मज़दूरों और अलग राज्य के निर्माण मज़दूर नेताओ से बात कि सभी ने वर्तमान सरकार द्वारा श्रम कानूनों को ख़त्म कर जो चार लेबर कोड ला रहे है उसका विरोध किया। मज़दूर नेताओ ने कहा कि वर्तमान श्रम कानूनों को मज़दूरों के हक़ में और मज़बूत करने की जरूरत थी लेकिन केंद्र की सरकार ने कानूनों को और कमजोर कर ,मज़दूरों को बत्तर स्थति में धकेल रही है। जहां उनके पास न आर्थिक न समाजिक सुरक्षा बचेगी।
protest_0.JPG
निर्माण मजदूरों बीते काफी समय से स्थनीय स्तर पर इस मार्च की तैयरी कर रहे थे। इस प्रदर्शन का आवाहन कंस्ट्रक्शन वर्कर फेडरेशन ऑफ़ इण्डिया (CWFI) ने किया था ,जिसका संबंध केंद्रीय ट्रेड सीटू से हैं।  BOCW एक्ट जो 1996 में देवगौड की सरकार ने मज़दूरों के लिए बनया था, जिसके तहत देश के हर राज्य में मज़दूरों के कल्याण के लिए कलयाण बोर्ड की स्थापना  हुई। यह क़ानून 2008 में लागू हुआ था।

 इस क़ानून के तहत निर्माण मज़दूरों को कई तरह के समाजिक और आर्थिक सुरक्षा प्रदान की गई थी। इसके तहत मज़दूरों के पढ़ाई कर रहे बच्चो ,लड़कियों की शादी ,औजार आदि खरीदने के लिए आर्थिक मदद दी जाती है। इसके आलावा निर्माण मज़दूर जब 60 वर्ष से अधिक हो जाता है तो उन्हें पेंशन और उनकी मृत्य के बाद उनके आश्रितों को भी आर्थिक मदद दिए जाने की व्यवस्था इस कानून के तहत थी।  लेकिन  मज़दूरों का कहना है कि  वर्तमान सरकार इन सभी को ख़त्म करने की कोशिश कर रही है। सरकार श्रम कानूनों के स्थान पर जो नए लेबर कोड बिल ला रही है, उसके आने के बाद ये सभी हित लाभ जो मज़दूरों को मिलते हैं ,वो खत्म हो जाएंगे। इसी के खिलाफ गुरवार को हज़ारो निर्माण मज़दूरों ने संसद मार्ग पर प्रदर्शन किया।

देश की राजधनी दिल्ली में तो निर्माण मज़दूरों की हालत सबसे दयनीय है। 'हम बीते एक महीने से बिना कोई काम के है क्योंकि सरकार ने दिल्ली में किसी भी तरह के निर्माण पर रोक लगा रखी है'। ये दिल्ली के एक निर्माण मज़दूर सुभाष ने बतया है। वो आगे कहते है सोचिए हम बिना किसी एक रूपये के एक रूपये की आमदनी के कैसे अपने परिवार का निर्वाह कर रहे है।

दिल्ली सीटू के महसचिव अनुराग सक्सेना ने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण के नाम पर निर्माण का काम बन्द है और यह अभी तक नहीं खुला हैं। सरकार को इस तरह कोई भी कदम उठने से पहले दिल्ली के लाखो निर्माण मज़दूरों के बारे सोचना चाहिए।  क्योंकि ये प्रदूषण पूंजीपतियों ने अपने लाभ के लिए पैदा किया हैं। इसमें मज़दूरों का क्या दोष ?  इस पर सरकार को गंभीरता से  विचार कर इसकी व्यवस्था करनी चाहिए। जबतक काम बंद है तबतक इन मज़दूरों के लिए भत्ते  इन्तेज़ाम करना चाहिए जिससे वो अपना घर चला सके। ये लाखो मज़दूरों  की आजीविका का सवाल है।
5_1.JPG
हरियाणा के हिसार से आये मज़दूरों के जत्थे से ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि हरियाणा में दो साल पहले वेलफयर बोर्ड  सभी स्कीमों की सुविधा के लिए ऑनलाइन व्यवस्था की जिसके बाद से न तो हमारे बच्चो को  छात्रवृति मिल थी वो अब नहीं मिल रहा है  न ही कोई अन्य सुविधा मिल पा रही है।
 
इस तरह की समस्याएं अन्य राज्यों से मज़दूरों ने भी कहा, पंजाब पटियाला के नाएव सिंह लोचना ने कहा कि वेलफेयर बोर्ड में हम मज़दूरों का हज़ारो करोड़ रूपये जमा है, जो मज़दूरों के लिए खर्च होना लेकिन सरकार उसे हमपर खर्च नहीं कर के कही और इस्तेमाल करने पर विचार कर रही है। जैसे पंजाब में बच्ची पैदा होने पर 51हजार पैसे मिलते थे लेकिन दो साल से ऑनलाइन कर दिया है उसके बाद से किसको भी यह पैसा नहीं मिल रहा है।  
4_2.JPG
जगतार सिंह जो खुद एक निर्माण मज़दूर हैं, उनकी बच्ची 11 साल की है, जो विकलांग है। विकलांगता की वजह से इनकी बच्ची हर साल सरकार से तकरीबन 20 हजार वजीफ़ा  पाने की हकदार है लेकिन उसे वह वजीफ़ा नहीं मिल रहा है। असम से आए 61 वर्षीय नजमुद्दीन शेख का कहना है कि  कानून के मुताबिक वह पेंशन के हक़दार हैं लेकिन पेंशन नहीं मिला रहा है।

हिमाचल के राजेन्द्र शर्मा ने कहा कि मज़दूरों को तो न्यूनतम वेतन नहीं मिलता समाजिक सुरक्षा नहीं है मजदूरों को ऑनलाइन है इससे लाभ नहीं मिलता है काम के घंटे तय नहीं है।
image pro_0.JPG

महिला मज़दूरों ने वो सभी समस्याएं बताई जो अन्य मज़दूरों ने बताई थी।  लेकिन महिलाओं की कई समस्याएं पुरुष मज़दूर से अलग भी थी, क्योंकि उनका मज़दूर होने के नाते तो शोषण होता ही है लेकिन महिला होने के कारण उनका शोषण और बढ़ जाता हैं। देश के कानून के मुताबिक सभी को समाना काम का समान वेतन हैं। लेकिन प्रदर्शन में  जितनी भी महिलाएँ आई हैं, सभी का कहना था कि उन्हें पुरुषों के मुकाबले कम मेहनताना दिया जाता हैं। जबकि काम एक  जैसा ही लिया जाता हैं। पंजाब की महिला मज़दूरों ने बताया कि उन्हें 240 रुपए मिलता है जबकि पुरुष को 300 रुपया  मिलता है। इसके अलावा ठेकेदार परेशान  करता हैं,  समय से ज्यादा काम कराया जाता है, न ही शौचालय और न ही पानी की व्यवस्था होती है। उन्होंने कहा कि कई मामलों में तो महिला मज़दूरों के साथ छेड़छाड़ का भी मामला सामने आता हैं।
 
तेलंगाना के मोहन जो निर्माण मजदूर हैं, उन्होंने कहा कि निर्माण मज़दूरों के लिए अलग लेबर इंस्पेक्टर हो, जो निर्माण मजदूर के लिए ही काम करे।  इसके अलावा सरकार मजदूरों के लिए अड्डा बनाए, जिसमें मज़दूर बैठ  सके। इसके अलावा महिलाओं के लिए शौचालय बने। इसके अलावा बंगाल से आए मज़दूरों ने निर्माण क्षेत्र की सरकारी कंपनियों को भी हाथो में सौपने का विरोध किया।

CWFI के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि ये जो वर्तमान के कानून हैं, वो मज़दूरों ने अपने लंबे संघर्षो से हासिल किये हैं, हमें ख़ैरात में नहीं मिला है। सरकार एक बात  समझ ले कि मज़दूरों के अधिकारों  पर हमला होगा तो मज़दूर चुप नहीं रहेगा।

 CWFI के महासचिव शशि कुमार ने कहा कि संसद मार्च तो सेमी फाइनल है, असली ताकत 8 जनवरी को हड़ताल में दिखेगी। जहाँ देश का पूरा मेहनतकश वर्ग सड़को पर उतरकर पूरे देश का चक्का जाम करेगा। संसद मार्ग के माध्यम से चुनौती दी है, मजदूर के हक में बने कानूनों सरकार छेड़छाड़ बंद करे।

workers protest
CITU
CITU Workers Strike
Central trade CITU
Haryana
Himachal Pradesh
Telangana
Workers rights

Related Stories

मुंडका अग्निकांड: 'दोषी मालिक, अधिकारियों को सजा दो'

मुंडका अग्निकांड: ट्रेड यूनियनों का दिल्ली में प्रदर्शन, CM केजरीवाल से की मुआवज़ा बढ़ाने की मांग

झारखंड-बिहार : महंगाई के ख़िलाफ़ सभी वाम दलों ने शुरू किया अभियान

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

हिसारः फसल के नुक़सान के मुआवज़े को लेकर किसानों का धरना

मुद्दा: आख़िर कब तक मरते रहेंगे सीवरों में हम सफ़ाई कर्मचारी?

मुंडका अग्निकांड: सरकारी लापरवाही का आरोप लगाते हुए ट्रेड यूनियनों ने डिप्टी सीएम सिसोदिया के इस्तीफे की मांग उठाई

#Stop Killing Us : सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन का मैला प्रथा के ख़िलाफ़ अभियान

लंबे संघर्ष के बाद आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व सहायक को मिला ग्रेच्युटी का हक़, यूनियन ने बताया ऐतिहासिक निर्णय

हिमाचल: प्राइवेट स्कूलों में फ़ीस वृद्धि के विरुद्ध अभिभावकों का ज़ोरदार प्रदर्शन, मिला आश्वासन 


बाकी खबरें

  • Modi
    अनिल जैन
    PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?
    01 Jun 2022
    प्रधानमंत्री ने तमाम विपक्षी दलों को अपने, अपनी पार्टी और देश के दुश्मन के तौर पर प्रचारित किया और उन्हें खत्म करने का खुला ऐलान किया है। वे हर जगह डबल इंजन की सरकार का ऐसा प्रचार करते हैं, जैसे…
  • covid
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में 2,745 नए मामले, 6 लोगों की मौत
    01 Jun 2022
    महाराष्ट्र में एक बार फिर कोरोना के मामलों में तेजी से वृद्धि देखी जा रही है। महाराष्ट्र में आज तीन महीने बाद कोरोना के 700 से ज्यादा 711 नए मामले दर्ज़ किए गए हैं।
  • संदीपन तालुकदार
    चीन अपने स्पेस स्टेशन में तीन अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की योजना बना रहा है
    01 Jun 2022
    अप्रैल 2021 में पहला मिशन भेजे जाने के बाद, यह तीसरा मिशन होगा।
  • अब्दुल अलीम जाफ़री
    यूपी : मेरठ के 186 स्वास्थ्य कर्मचारियों की बिना नोटिस के छंटनी, दी व्यापक विरोध की चेतावनी
    01 Jun 2022
    प्रदर्शन कर रहे स्वास्थ्य कर्मचारियों ने बिना नोटिस के उन्हें निकाले जाने पर सरकार की निंदा की है।
  • EU
    पीपल्स डिस्पैच
    रूसी तेल आयात पर प्रतिबंध लगाने के समझौते पर पहुंचा यूरोपीय संघ
    01 Jun 2022
    ये प्रतिबंध जल्द ही उस दो-तिहाई रूसी कच्चे तेल के आयात को प्रभावित करेंगे, जो समुद्र के रास्ते ले जाये जाते हैं। हंगरी के विरोध के बाद, जो बाक़ी बचे एक तिहाई भाग ड्रुज़बा पाइपलाइन से आपूर्ति की जाती…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License