NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
घटना-दुर्घटना
भारत
गंगा के कटाव से विस्थापित होने की कगार पर हजारों परिवार
गंगा नदी का किनारा बाघमारा गांव से करीब छह किलोमीटर दूर था। लेकिन अब यह घट कर आधा किलोमीटर से भी कम रह गया है। हर साल करीब एक किलोमीटर कटाव हो रहा है। अगर कटाव इसी तरह जारी रहा, तो अगले साल के अंत तक बाघमारा गंगा में समा जाएगा। पढ़िए इस पर स्पेशल रिपोर्ट।
उमेश कुमार राय
26 Nov 2019
Ganga River
कटिहार में गंगा का कटाव एक बड़ी समस्या बन कर उभरी है।

कटिहार/पटना (बिहार): आज से छह-सात साल पहले गंगा नदी का किनारा बाघमारा गांव से करीब छह किलोमीटर दूर था। लेकिन अब यह घट कर आधा किलोमीटर से भी कम रह गया है। हर साल करीब एक किलोमीटर कटाव हो रहा है। अगर कटाव इसी तरह जारी रहा, तो अगले साल के अंत तक बाघमारा गंगा में समा जाएगा।

तेजी से घर की तरफ बढ़ रही गंगा ने 30 वर्षीय मुकेश आचार्य को सकते में डाल दिया है। वह ये सोच ही नहीं पा रहे हैं कि अगले साल तक उनका वो मकान छिन जाएगा, जिसे उनके बाप-दादा ने खून-पसीना बहा कर खड़ा किया था। मकान के साथ उनका खेत भी पानी की आगोश में चला जाएगा, जो कमाई का इकलौता जरिया है।

वह कहते हैं, “ये सोच कर ही रोंगटे खड़े हो जा रहे हैं कि कुछ समय बाद मेरा घर डूब जाएगा। पता नहीं, मैं घर छोड़ कहां जाऊंगा। मेरे पास तो उतना पैसा भी नहीं है, जिससे मैं दूसरी जगह जमीन खरीद सकूं।”

“मैं अपनी आंखों के सामने नदी को तेजी से जमीन काटते हुए हमारी तरफ बढ़ते हुए देख रहा हूं और असहाय हूं। इस साल जिस रफ्तार से गंगा में कटाव हो रहा था, उससे तो लगता था कि इसी साल हमें बेघर हो जाना पड़ेगा, लेकिन फिलहाल कटाव की रफ्तार धीमी हो गई है”, उन्होंने कहा।

मुकेश आचार्य बाघमारा समेत आसपास के गांव के उन हजारों लोगों में शुमार हैं,  जो गंगा के कटाव के चलते अस्तित्व का खतरा झेल रहे हैं। बाघमारा गांव कटिहार रेलवे स्टेशन से करीब 20 किलोमीटर दक्षिण की तरफ है। इस गांव से करीब 30 किलोमीटर दक्षिण की तरफ बढ़ने पर पश्चिम बंगाल  सीमा शुरू हो जाती है। एक अनुमान के मुताबिक, केवल बाघमारा की बात करें, तो यहां के करीब पांच हजार घर गंगा के कटाव की जद में आएंगे। ये गांव, ये घर कटिहार जिले में हैं।

करीब 2525 किलोमीटर लंबी गंगा नदी पश्चिमी हिमालय से निकल कर उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश से होती हुई भोजपुर और सारण जिले की सीमा के पास चौसा से बिहार में प्रवेश करती है। बिहार में यह नदी मध्य हिस्से होते हुए पश्चिम से पूरब की तरफ बहती है।

बिहार की राजधानी पटना, आरा, हाजीपुर, बेगूसराय, मुंगेर और भागलपुर गंगा नदी के किनारे बसे हुए हैं। भागलपुर के बाद गंगा नदी कटिहार में प्रवेश करती है। कटिहार बिहार के पूर्वोत्तर के हिस्से का आखिरी जिला है। इस जिले में गंगा नदी करीब 80 किलोमीटर बहती है और झारखंड के संथाल परगना जिले की राजमहल पहाड़ी से होती हुई पश्चिम बंगाल में प्रवेश करती है। पश्चिम बंगाल के मध्य हिस्से में मुर्शिदाबाद जिला आता है। गंगा नदी इसी जिले से होकर बंगलादेश की तरफ रुख करती है। मुर्शिदाबाद जिले में ही फरक्का बराज है, जिसे कटिहार के लोग अपनी नियती का बड़ा गुनाहगार मानते हैं।

स्थानीय लोगों का कहना है कि 80 के दशक तक गंगा घरों को नहीं निगलती थी। ये सब तब शुरू हुआ, जब 80 के दशक में गंगा पर फरक्का बराज बना दिया गया।

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में वर्ष 1975 में करीब 150 करोड़ रुपए खर्च कर गंगा नदी पर फरक्का बराज बनाया गया था। जानकारों का कहना है कि उस वक्त कोलकाता पोर्ट में जमनेवाली गाद की प्राकृतिक तौर पर निकासी के लिए इस बराज का निर्माण किया गया था। इसके पीछे तर्क था कि इस बराज से प्रति सेकेंट 40 हजार क्यूबिक फीट गंगा का पानी हुगली नदी में फेंका जाएगा, जिससे कोलकाता पोर्ट का गाद स्वतः बह जाएगी। उस वक्त कपिल भट्टाचार्य नाम के एक इंजीनियर ने इसे अव्यावहारिक करार देते हुए कहा था कि बराज बनने से उल्टे कोलकाता पोर्ट में गाद बढ़ेगी। इतना ही नहीं, उन्होंने ये भी कहा था कि बराज के कारण बिहार में बाढ़ का खतरा भी बढ़ेगा, लेकिन अंततः बराज बन गया।

कटिहार के स्थानीय लोग बताते हैं कि इस बराज से होनेवाले दूसरे नुकसान को रोकने के लिए एक और बांध बनाने की योजना थी। इसके लिए जमीन का अधिग्रहण भी हुआ था, लेकिन किन्हीं कारणों से ये योजना ठंडे बस्ते में चली गई। इससे कटिहार में गंगा में गाद खूब जमने लगी और कटाव का सिलसिला तेज हो गया। हालांकि, कटाव भागलपुर, खगड़िया व अन्य जिलों में भी होता है, लेकिन वहां यह धीमा है।

32 वर्षीय मिथिलेश झा बाघमारा गांव के बाशिंदा हैं। गंगा को वह जब भी उफनती हुई देखते हैं, तो डर जाते हैं। वह कहते हैं, “दिल में काफी डर रहता है। मेरे पास तो अपनी खेती के लिए एक बित्ता जमीन भी नहीं है कि उस पर बस जाएंगे। लगभग 10 बीघा लीज पर लेकर खेती करते हैं और उसी से परिवार का पेट पलता है। तिस पर भी इस साल दो बार बाढ़ आने के कारण पूरी फसल ही बर्बाद हो गई थी।”
उन्होंने कहा, “घर डूब जाएगा, तो सरकारी जमीन पर बस जाएंगे, और क्या करेंगे!” 

photo4_1.jpg

मिथिलेश झा का आरोप है कि बिहार सरकार कटाव की तरफ बिल्कुल ध्यान नहीं दे रही है।

मिथिलेश की शिकायत है कि सरकार इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है। अगर वह अब भी ध्यान देगी, तो पांच हजार परिवार बच जाएंगे। उन्होंने कहा, “इस साल करीब एक किलोमीटर जमीन कटाव की भेंट चढ़ गई, लेकिन सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंगा। इतना ही नहीं, हमलोगों ने हड़ताल भी की थी। एक इंजीनियर को तो लगातार छह घंटों तक बंधक बनाए रखा गया था। लेकिन, इन सबके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई।”

बाघमारा व आसपास के गांवों के लोगों ने इस साल लोकसभा चुनाव के समय वोट के बहिष्कार की धमकी दी थी, लेकिन नेताओं ने किसी तरह उन्हें मनाया और इस आश्वासन पर वोट डलवा लिया कि चुनाव का परिणाम आने के बाद इसका स्थाई समाधान ढूंढ लिया जाएगा।
बाघमारा गांव के ही गांधी टोला निवासी गुरुदेव मंडल ने कहा, “इस चुनाव में तो हमलोग नेताओं के झांसे में आ गए थे, लेकिन अगले साल होनेवाले विधानसभा चुनाव में हम निश्चित तौर पर वोट का बहिष्कार करेंगे।”

गंगा नदी में कटाव के कारण कटिहार में पिछले 20-30 वर्षों में 50 हजार से परिवार बेघर हो गए हैं। इनमें से ज्यादातर परिवार बांध व सरकारी जमीन पर जैसे-तैसे रह रहे हैं।

गंगा नदी के कटाव से प्रभावित लोगों के लिए काम करनेवाले संगठन पुनर्वास संघर्ष समिति के विक्टर झा के मुताबिक, प्रभावित परिवारों में अब तक महज 1300 परिवारों को ही रहने के लिए सरकार ने अब तक जमीन मुहैया कराई है।  

कटिहार में गंगा करीब 80 किलोमीटर बहती है। यहां इससे कटाव का असर ज्यादा होने की एक वजह ये भी बताई जाती है कि यहां महानंदा, बरगंडी, कोसी व अन्य कुछ नदियां गंगा में मिलती हैं। कटाव के अलावा यह जिला हर साल बाढ़ की विभीषिका भी झेलता है।

विक्टर झा कहते हैं, “80 के दशक से ही गंगा का कटाव शुरू हो गया था, जो वक्त के साथ तेज होता जा रहा है। उस वक्त पुनर्वास की प्रक्रिया बहुत आसान थी क्योंकि सीओ के स्तर पर ही पुनर्वास हो जाया करता था। जब आपदा प्रबंधन विभाग अस्तित्व में आया, तो उसने पुनर्वास के लिए अभियान बसेरा शुरू किया। पुनर्वास प्रक्रिया तब से ही करीब-करीब रुक गई।”  

60 वर्षीय तपन सिंह 1982 तक कटिहार के मदारीचक के बाशिंदा के तौर पर जाने जाते थे। गंगा की मेहरबानी से अब वह दिनारपुर के बाशिंदा हो गए हैं।

photo2_2.jpg

तपन सिंह को परिवार के साथ 10 साल तक बांध पर रहना पड़ा। बाद में सरकार ने साढ़े तीन डिसमिल जमीन मुहैया कराई।

90 के दशक का शुरुआती वक्त उनके लिए अब भी किसी भयावह सपने की तरह है, जिसे वह याद नहीं करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, “1974 में पहली बार मेरा घर गंगा में डूबा था। उस वक्त मैंने थोड़ी दूर घर बना लिया। इसके बाद अलग-अलग समय में चार बार और मेरा घर गंगा की भेंट चढ़ गया। लेकिन, 1982 में जब छठवीं बार मेरा घर डूबा, तो उसके साथ मेरी सारी हिम्मत भी डूब गई। घर के साथ खेती की सारी जमीन भी चली गई, तो मैं परिवार के साथ बांध पर प्लास्टिक टांग कर रहने लगा।”

वह दस साल तक बांध पर रहे। 1992 के आसपास सरकार ने उन्हें दिनारपुर में घर बनाने के लिए साढ़े तीन डिसमिल जमीन दे दी, लेकिन खेती के लिए जमीन उन्हें अब तक नहीं मिली है। तपन सिंह कहते हैं, “खेत की कमाई से ही तो बच्चों की पढ़ाई से लेकर खाना-पानी और दवा-दारू होता था। लेकिन, सरकार से कोई आर्थिक मदद हमें नहीं मिली।”

चार दशक पहले जिस कटाव के चलते उन्हें अपना पुश्तैनी गांव छोड़ना पड़ा, उसी कारण वह फिर एक बार विस्थापित होने के करीब हैं। वह जिस दिनारपुर गांव में फिलहाल रह रहे हैं, उस तरफ भी गंगा बहुत तेजी से बढ़ रही है।

photo3_1.jpg

बाघमारा की तरफ गंगा का कटाव।

बाघमारा व आसपास के गांवों में गाहे-ब-गाहे लोगों के बीच ये अफवाह उड़ती है कि 100 करोड़ से ज्यादा की एक योजना मंजूर हुई है, जिस पर जल्द ही काम शुरू होगा। बातचीत में बाघमारा गांव के कई लोगों ने इस योजना का जिक्र किया, लेकिन विक्टर झा ऐसी किसी भी योजना के मंजूर होने की बात से इनकार करते हैं। हमने इसकी पुष्टि करने के लिए राज्य के आपदा प्रबंधन विभाग के मंत्री लक्ष्मेश्वर राय से सपर्क करने की कोशिश की, मगर उनसे बात नहीं हो सकी।

गंगा के कटाव की समस्या के समाधान के सवाल पर लोगों का  सीधा जवाब होता है - फरक्का बराज को नष्ट कर देना। हालांकि, फरक्का बराज को नष्ट करने की मांग बिहार सरकार भी कई दफे कर चुकी है, लेकिन वस्तुस्थिति ये है कि ऐसा करना कतई मुमकिन नहीं है। इसके पीछे अहम वजह ये है कि फरक्का बराज बंगलादेश को भी प्रभावित करता है अतः सरकार अगर इस बराज में कोई भी बदलाव करेगी, तो मामला अंतरराष्ट्रीय पटल पर चला जाएगा। ऐसे में इस समस्या का स्थाई समाधान ढूंढने के साथ ही तात्कालिक राहत उपाय करने की भी जरूरत है, जो सरकारी मशीनरी की तरफ से होती दिख नहीं रही है।

(सभी फोटो: उमेश कुमार राय)

Ganga River
Baghmara Village
Bihar
Ganga in Bihar
Flood in Bihar
Farakka Baraz
Farakka Bridge
Ganga in Bengal
नदी कटाओ

Related Stories

बिहार: पांच लोगों की हत्या या आत्महत्या? क़र्ज़ में डूबा था परिवार

रघुवंश बाबू का जाना राजनीति से एक प्रतीक के जाने की तरह है

बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बिजली गिरने की इतनी घटनाएं क्यों हो रही हैं?

उत्तर प्रदेश, बिहार में बिजली गिरने से दो दिन में 110 लोगों की मौत, 32 घायल

हादसा-दर-हादसा: अलग-अलग स्थानों पर 14 मज़दूरों समेत 15 की मौत, 30 घायल

बिहार: बच्चों के लिए मिड डे मील बना रहे एनजीओ के प्लांट का बॉयलर फटा, 3 की मौत

शर्म : बिहार में नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म, पंचायत ने पीड़िता का सिर मुंडवाकर गांव में घुमाया

बिहार में बाढ़ की स्थिति गंभीर, करीब 25 लाख लोग प्रभावित

बिहार : कॉस्टेबल स्नेहा को लेकर पुलिस सवालों के घेरे में, 6 जुलाई को पूरे राज्य में प्रदर्शन

15 मज़दूरों की मौत के बाद भी मंत्री जी कह रहे हैं- लोग शौक से करते हैं पलायन


बाकी खबरें

  • विजय विनीत
    ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां
    04 Jun 2022
    बनारस के फुलवरिया स्थित कब्रिस्तान में बिंदर के कुनबे का स्थायी ठिकाना है। यहीं से गुजरता है एक विशाल नाला, जो बारिश के दिनों में फुंफकार मारने लगता है। कब्र और नाले में जहरीले सांप भी पलते हैं और…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत
    04 Jun 2022
    केरल में कोरोना के मामलों में कमी आयी है, जबकि दूसरे राज्यों में कोरोना के मामले में बढ़ोतरी हुई है | केंद्र सरकार ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए पांच राज्यों को पत्र लिखकर सावधानी बरतने को कहा…
  • kanpur
    रवि शंकर दुबे
    कानपुर हिंसा: दोषियों पर गैंगस्टर के तहत मुकदमे का आदेश... नूपुर शर्मा पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं!
    04 Jun 2022
    उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था का सच तब सामने आ गया जब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के दौरे के बावजूद पड़ोस में कानपुर शहर में बवाल हो गया।
  • अशोक कुमार पाण्डेय
    धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है
    04 Jun 2022
    केंद्र ने कश्मीरी पंडितों की वापसी को अपनी कश्मीर नीति का केंद्र बिंदु बना लिया था और इसलिए धारा 370 को समाप्त कर दिया गया था। अब इसके नतीजे सब भुगत रहे हैं।
  • अनिल अंशुमन
    बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर
    04 Jun 2022
    जीएनएम प्रशिक्षण संस्थान को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने की घोषणा करते हुए सभी नर्सिंग छात्राओं को 24 घंटे के अंदर हॉस्टल ख़ाली कर वैशाली ज़िला स्थित राजापकड़ जाने का फ़रमान जारी किया गया, जिसके ख़िलाफ़…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License