NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
विशेष : भारत में विकास के तीन मॉडल और कोरोना संकट
आज कोरोना संकट की मार इन तीनों मॉडल के सामने तीन तरह की चुनौती दे रही है। दुर्भाग्य यह है कि तीनों के लिए एक ही विकल्प मोदी सरकार द्वारा थोपा जा रहा है - वह है आइसोलेशन। जबकि तीनों तरह के राज्यों की चुनौतियां बिल्कुल अलग चरित्र की हैं।
राजीव कुंवर
26 Apr 2020
भारत में विकास
Image courtesy: Tamil News

भारत में विकास के तीन मॉडल हैं। एक महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली का मॉडल तो दूसरा केरल का और तीसरा बिहार, उड़ीसा आदि का। मोटे तौर पर इस विभाजन को समझिए। वैसे तो सब जगह देश का एक ही कानून चलता है वह है नवउदारवादी कानून। परंतु उसी के अंदर अलग-अलग राज्यों की सरकारों ने अपनी अपनी परिस्थितियों में प्राथमिकताओं के आधार पर जो विकास का मॉडल पेश किया है - यहाँ उसी के आधार पर तीन कोटियों में बाँटकर देखने की कोशिश कर रहा था कि भविष्य का मॉडल कौन सा हो सकता है !

याद कीजिए उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव के नेतृत्व में हाइवे पर प्लेन उतारने का जो विकास मॉडल था वह फेल हो गया, उड़ीसा के बीजू पटनायक एवं जयललिता के मुफ्त चावल वाले मॉडल के आगे। जीत और हार की ही बात नहीं है, लोकप्रियता का मसला भी है। आखिर उस हाइवे से जुड़ा जो सीधा लाभार्थी है - वह किसका बैंक है? इसे समझने के लिए रॉकेट साइंस नहीं मार्क्स और अम्बेडकर का वर्ग एवं जाति के आधार पर भारत के यथार्थ  का बोध चाहिए। यहीं से वैकल्पिक मॉडल मिलेगा।

आज कोरोना संकट की मार इन तीनों मॉडल के सामने तीन तरह की चुनौती दे रही है। दुर्भाग्य यह है कि तीनों के लिए एक ही विकल्प मोदी सरकार द्वारा थोपा जा रहा है - वह है आइसोलेशन। जबकि तीनों तरह के राज्यों की चुनौतियां बिल्कुल अलग चरित्र की हैं।

बड़े-बड़े फाइव स्टार अस्पताल और बीमा कंपनी पर निर्भर स्वास्थ्य सेवा, सबके लिए राशन वितरण प्रणाली की जगह 'टार्गेटेड राशन प्रणाली' और शिक्षा का करीब करीब निजीकरण - यही विकास का गुजरात, महाराष्ट्र और दिल्ली मॉडल रहा। दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार आने के बाद इसमें थोड़ा अंतर आया, खासकर स्कूल शिक्षा एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य में। बाकी मॉडल वही रहा। परिणाम आज सामने है। इन तीनों राज्य सरकारों की हालत खराब दिखायी दे रही है। 

आप कहेंगे शिक्षा का क्या मतलब ? तो आपको इसके लिए केरल का मॉडल समझना होगा। जिस तरह से संक्रमित लोगों के साथ सामाजिक व्यवहार दिखाई दे रहा है चाहे जमात के हों या डॉक्टर तथा नर्स या फिर फलों और सब्जियों के विक्रेता - इसका सीधा संबंध उस सामाजिक चेतना से है जिसका निर्माण सार्वजनिक शिक्षा व्यवस्था को गुणवत्तापूर्ण बनाकर ही किया जा सकता है। 

टापू का निर्माण छोटे से वर्ग के लिए - बाकी डूबी जनता का मॉडल किसी भी महामारी या आर्थिक राजनीतिक संकट को नहीं झेल सकता। ऐसी स्थिति में अराजकता का होना स्वाभाविक है। जो इस मॉडल को बना रहे हैं वे भी इस अराजकता के माहौल में लाभ नहीं उठा सकते। व्यापक मृत्यु-बोध स्वस्थ मानसिकता को जन्म नहीं दे सकता। 

नवउदारवादी नीति उसी चमचमाते टापू के निर्माण का मॉडल है। आज देश में उस नवउदारवादी नीति को एक नए रूप में आगे बढ़ाने की कोशिश चल रही है जिसे अडानी-अम्बानी का दलाल पूंजीवादी मॉडल कहते हैं। यही तथाकथित गुजरात मॉडल भी है। यही महाराष्ट्र का भी मॉडल रहा। जिसमें किसानों की आत्महत्या एवं मजदूरों का भीषण शोषण निहित है। जिस मॉडल में एक सप्ताह से ज्यादा का राशन 60% लोगों के पास नहीं है। जिसमें टारगेटेड राशन वितरण प्रणाली का टारगेट तय किया जा सकना संभव ही नहीं। आज यहाँ तो कल वहाँ। जहाँ पानी की आस वहीं कुआँ खोदने का प्रयास। यही प्रवासी मजदूरों की कहानी है। क्या ऐसे में किसी भी महामारी का मुकाबला किया जा सकता है ? किस इम्युन सिस्टम (प्रतिरक्षा प्रणाली) की बात कर रहे हैं हम ?

यहीं से बिहार और उड़ीसा के मॉडल को भी देखने की ज़रूरत है। उड़ीसा आपात स्थिति का मुकाबला करने का अभ्यस्त है। लगातार प्राकृतिक आपदा वहाँ की जीवन पद्धति में है। न तो स्वास्थ्य सेवा और न ही शिक्षा और न ही कोई अन्य मेगा प्रोजेक्ट। प्राकृतिक संसाधनों का दोहन उस नवउदारवादी नीति के तहत जारी है। उसका कुछ हिस्सा गरीबों के पेट की आग को शांत करने के लिए निर्धारित है। सीमित इच्छाओं और प्राकृतिक आपदा से निपटने की जीवन पद्धति के साथ पलायन उनका विकल्प है। 

बिहार के पास तो वह भी नहीं है। उसके पास न तो आपदाओं के प्रबंधन है और न ही स्वास्थ्य एवं न ही शिक्षा। राशन वितरण प्रणाली तो तबाह है ही। न ही कॉपरेटिव सिस्टम है। किसानों से लेकर मजदूरों के लिए एक ही विकल्प है पलायन। स्वास्थ्य से लेकर शिक्षा तक का एक मात्र विकल्प पलायन। वह केरल नहीं है जहाँ के लोगों का दुनिया के हर कोने में पलायन तो है पर स्थानीय समाज एवं संस्कृति से लेकर व्यवस्था तक से सीधा जुड़ाव है। जहाँ सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था, शिक्षा व्यवस्था, राशन वितरण प्रणाली का यूनिवर्सल रूप किसी भी आपदा को झेलने और उससे उबरने की योग्यता देता है। यही कारण है कि बिहार अपने पलायन किये हुए विद्यार्थियों को भी वापस लाना नहीं चाहता। मजदूरों को तो केरल छोड़कर और कोई नहीं लाना चाहता। बिहार कोटा के बच्चों के आँसू से भी नहीं पिघल रहा तो उसका कारण उसका विकास मॉडल है। जिसमें पलायन ही विकल्प है।

(लेखक दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षक हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

Coronavirus
Corona Crisis
Development in India
Three Models of Development
Narendra modi
modi sarkar

Related Stories

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"

भाजपा के लिए सिर्फ़ वोट बैंक है मुसलमान?... संसद भेजने से करती है परहेज़

हिमाचल में हाती समूह को आदिवासी समूह घोषित करने की तैयारी, क्या हैं इसके नुक़सान? 


बाकी खबरें

  • वी. श्रीधर
    आर्थिक रिकवरी के वहम का शिकार है मोदी सरकार
    03 Jun 2022
    सकल घरेलू उत्पाद के नवीनतम अनुमानों से पता चलता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था रिकवरी से बहुत दूर है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 84 दिन बाद 4 हज़ार से ज़्यादा नए मामले दर्ज 
    03 Jun 2022
    देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 4,041 नए मामले सामने आए हैं। देश में एक्टिव मामलों की संख्या बढ़कर 21 हज़ार 177 हो गयी है।
  • mundka
    न्यूज़क्लिक टीम
    मुंडका अग्निकांड: 'दोषी मालिक, अधिकारियों को सजा दो'
    02 Jun 2022
    देश की राजधानी दिल्ली के पश्चिम इलाके के मुंडका गाँव में तीन मंजिला इमारत में पिछले महीने हुई आग की घटना पर गुरुवार को शहर के ट्रेड यूनियन मंच ने श्रमिकों की असमय मौत के लिए जिम्मेदार मालिक,…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    मुंडका अग्निकांड: ट्रेड यूनियनों का दिल्ली में प्रदर्शन, CM केजरीवाल से की मुआवज़ा बढ़ाने की मांग
    02 Jun 2022
    दिल्ली में मुंडका जैसी आग की ख़तरनाक घटनाओं के ख़िलाफ़ सेंट्रल ट्रेड यूनियन के संयुक्त मंच दिल्ली के मुख्यमंत्री के आवास पर प्रदर्शन किया।
  • bjp
    न्यूज़क्लिक टीम
    बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !
    02 Jun 2022
    बोल के लब आज़ाद हैं तेरे में आज अभिसार शर्मा चर्चा कर रहे हैं बीजेपी सरकार जिस तरह बॉलीवुड का इस्तेमाल कर रही है, उससे क्या वे अपना एजेंडा सेट करने की कोशिश कर रहे हैं?
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License