NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
साहित्य-संस्कृति
सोशल मीडिया
भारत
राजनीति
तिरछी नज़र : डर और नफ़रत का कारोबार
अब जब सब कुछ ऑन लाइन उपलब्ध है तो डर और नफ़रत के व्यापार के लिये भी ऑफ लाइन और ऑन लाइन, दोनों सुविधाएं उपलब्ध हैं।
डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
08 Mar 2020
तिरछी नज़र
गुजरात दंगों से जुड़ी यह तस्वीर भी डर और नफ़रत और फिर प्यार-भाईचारे का एक उदाहरण है। फोटो साभार : जनसत्ता

जैसे जैसे नया ज़माना आया है, नये नये कारोबारों का स्कोप बढ़ा है। पुराने ज़माने में जीवन यापन करने के लिए थोड़े बहुत ही कारोबार उपलब्ध होते थे। उन्हीं कारोबारों से लोग अपना जीवन यापन करते थे। जैसे जैसे हम उन्नति करते गये, नये नये कारोबार आते गये और पुराने कारोबारों को करने का तरीका भी बदलता गया। इन्हीं कारोबारों में एक कारोबार है डर का, भय का और नफ़रत का कारोबार।

logo tirchhi nazar_23.PNG

वैसे डर का कारोबार इतना पुराना भी नहीं है, पुराने राजाओं के काल से चला आ रहा है और आज के राजाओं के समय भी जारी है। पुराने ज़माने से ही राजा अपनी प्रजा पर डर, भय, आतंक का कारोबार आज़माते रहे हैं। तब वे अपनी प्रजा को दूसरे राजा से डराते थे। राजा को डर अपने राज के जाने का होता था पर डराते जनता को थे। अपनी प्रजा को डराते थे कि दूसरा राजा जीत गया तो तुम्हारे ऊपर अत्याचार ढहाया जायेगा, तुम्हारा धर्म और जाति भ्रष्ट कर दी जायेगी, तुम्हारा जीवन नरक बन जायेगा। आज भी कमोबेश वही जारी है।

समय के साथ साथ सभी कारोबारों को करने के तरीके बदल चुके हैं। लगभग सभी कामकाज दो तरह से होने लगे हैं, ऑन लाइन और ऑफ लाइन। आजकल सारे काम काजों में इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध है। आपको राशन मंगवाना हो तो ऑन लाइन भी उपलब्ध है, दवाइयां, कपड़ें और अन्य सारी चीजें भी ऑफ लाइन के अलावा ऑन  लाइन भी उपलब्ध हैं।

अब जब सब कुछ ऑन लाइन उपलब्ध है तो डर के व्यापार के लिये भी ऑफ लाइन और ऑन लाइन, दोनों सुविधाएं उपलब्ध हैं। इंटरनेट उपलब्ध होने के बाद बहुत सारे लोग अपना बहुत सा काम घर बैठे ही करने लगे हैं। डर के कारोबार में लिप्त अधिकतर छोटे मोटे व्यापारी भी "वर्क फ्रॉम होम" करने लगे हैं।

"वर्क फ्रॉम होम" के बहुत लाभ हैं। पूंजी निवेश भी बहुत ही कम, नाम मात्र का होता है। डर के, भय के, घृणा के कारोबार में तो "वर्क फ्रॉम होम" के लिए बस एक लैपटॉप चाहिये और इंटरनेट कनेक्शन। फिर आप जितना मर्जी डर फैलाइये। चाहे डर खुद मैन्युफैक्चर कीजिए या फिर औरों के द्वारा मैन्युफैक्चरड डर फैलाइये। व्हाट्सएप पर फैलाइये, फेसबुक पर फैलाइये, ट्विटर पर फैलाइये, इंस्टाग्राम पर फैलाइये, बस डर फैलाइये, कैसे भी फैलाइये। सीरिया की वीडियो को बंगाल की कह कर चलाइये। अफगानिस्तानी बवंडर को कश्मीर में हुआ बताइये। आपको तो बस जनता में डर बेचना है, चाहे झूठा ही हो पर बिके। 

"वर्क फ्रॉम होम" के और भी बहुत लाभ हैं। आप व्हाट्सएप पर, फेसबुक पर, ट्विटर पर, इंस्टाग्राम पर, यूट्यूब पर चाहे जो मरजी फैला लीजिए। आप जितना डर बेचेंगे, उतने ही आपके फॉलोअर बढ़ेंगे। यहां तक कि हो सकता है आपके डर फैलाने, घृणा फैलाने की प्रतिभा से प्रभावित हो प्रधानमंत्री भी आपको फॉलो करने लगें।  आज से प्रधानमंत्री महोदय ने सोशल मीडिया पर अपनी सही आईडी त्याग दी हैं।

आज के बाद अगर वे आपको फोलो करना चाहेंगे तो फेक आईडी से फोलो करेंगे। फिर जब आपको डर के बड़े बड़े कारोबारी फोलो करेंगे तो आपका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकेगा। अगर आप भी फेक आइडी बना लेंगे तो जब तक सरकार नहीं चाहेगी पता चलाना कि आप कौन हैं, आपका नाम तक भी पता नहीं चलेगा।

डर या भय फैलाने के बड़े कारोबारी ऑनलाइन कारोबार तो अपने मताहतों से करवाते हैं लेकिन "ऑफ लाइन" कारोबार स्वयं करते हैं। वैसे तो यह कारोबार बारहों महीने चलता है पर चुनाव के मौसम में ऑफ लाइन कारोबार का विशेष सीजन होता है। चुनाव के मौसम में डर बनाने की फैक्ट्रियां डर का बहुतायत में प्रोडक्शन करती हैं। नेता उसी डर को जनता को ऑफ लाइन बेचते हैं। हिन्दुओं के नेता हिन्दुओं को मुसलमानों का डर बेचते  हैं।

दूसरी ओर के डर के कारोबारी मुसलमानों को हिन्दुओं से डराते हैं। जब डर के कारोबारी बहुत सारा डर बेच चुके होते हैं तो उन्हें यकीन हो जाता है कि अब वे अपने प्लान में सफलता प्राप्त करेंगे।

डर का कारोबार अगर चुनाव न जितवा सके तो बाद में भी लाभ दे सकता है। दिल्ली में अभी हाल में ही ऐसा ही हुआ है। हां, अगर लोगों के दिमाग में इतना डर और घृणा चुनाव से पहले ही भर दी गई होती तो दिल्ली में चुनाव में सफलता अवश्य ही मिलती। 

"सॉरी सर, इस बार गलती हो गई। अगली बार से जो कुछ करना होगा चुनाव से पहले ही कर लेंगे।"

(इस व्यंग्य स्तंभ के लेखक पेशे से चिकित्सक हैं।)

tirchi nazar
Satire
Political satire
internet
Hate Crime
Social media hate
twitter
Facebook
instagram
youtube
digital india
Work From Home

Related Stories

नफ़रत के बीच इप्टा के ‘’ढाई आखर प्रेम के’’

तिरछी नज़र: सरकार-जी, बम केवल साइकिल में ही नहीं लगता

विज्ञापन की महिमा: अगर विज्ञापन न होते तो हमें विकास दिखाई ही न देता

तिरछी नज़र: बजट इस साल का; बात पच्चीस साल की

…सब कुछ ठीक-ठाक है

तिरछी नज़र: ‘ज़िंदा लौट आए’ मतलब लौट के...

तिरछी नज़र: ओमीक्रॉन आला रे...

तिरछी नज़र: ...चुनाव आला रे

चुनावी चक्रम: लाइट-कैमरा-एक्शन और पूजा शुरू

कटाक्ष: इंडिया वालो शर्म करो, मोदी जी का सम्मान करो!


बाकी खबरें

  • sedition
    भाषा
    सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह मामलों की कार्यवाही पर लगाई रोक, नई FIR दर्ज नहीं करने का आदेश
    11 May 2022
    पीठ ने कहा कि राजद्रोह के आरोप से संबंधित सभी लंबित मामले, अपील और कार्यवाही को स्थगित रखा जाना चाहिए। अदालतों द्वारा आरोपियों को दी गई राहत जारी रहेगी। उसने आगे कहा कि प्रावधान की वैधता को चुनौती…
  • बिहार मिड-डे-मीलः सरकार का सुधार केवल काग़ज़ों पर, हक़ से महरूम ग़रीब बच्चे
    एम.ओबैद
    बिहार मिड-डे-मीलः सरकार का सुधार केवल काग़ज़ों पर, हक़ से महरूम ग़रीब बच्चे
    11 May 2022
    "ख़ासकर बिहार में बड़ी संख्या में वैसे बच्चे जाते हैं जिनके घरों में खाना उपलब्ध नहीं होता है। उनके लिए कम से कम एक वक्त के खाने का स्कूल ही आसरा है। लेकिन उन्हें ये भी न मिलना बिहार सरकार की विफलता…
  • मार्को फ़र्नांडीज़
    लैटिन अमेरिका को क्यों एक नई विश्व व्यवस्था की ज़रूरत है?
    11 May 2022
    दुनिया यूक्रेन में युद्ध का अंत देखना चाहती है। हालाँकि, नाटो देश यूक्रेन को हथियारों की खेप बढ़ाकर युद्ध को लम्बा खींचना चाहते हैं और इस घोषणा के साथ कि वे "रूस को कमजोर" बनाना चाहते हैं। यूक्रेन
  • assad
    एम. के. भद्रकुमार
    असद ने फिर सीरिया के ईरान से रिश्तों की नई शुरुआत की
    11 May 2022
    राष्ट्रपति बशर अल-असद का यह तेहरान दौरा इस बात का संकेत है कि ईरान, सीरिया की भविष्य की रणनीति का मुख्य आधार बना हुआ है।
  • रवि शंकर दुबे
    इप्टा की सांस्कृतिक यात्रा यूपी में: कबीर और भारतेंदु से लेकर बिस्मिल्लाह तक के आंगन से इकट्ठा की मिट्टी
    11 May 2022
    इप्टा की ढाई आखर प्रेम की सांस्कृतिक यात्रा उत्तर प्रदेश पहुंच चुकी है। प्रदेश के अलग-अलग शहरों में गीतों, नाटकों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का मंचन किया जा रहा है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License