NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
व्यंग्य
भारत
राजनीति
'राम का नाम बदनाम ना करो'
यह आराधना करने का नया तरीका है जो भक्तों ने, राम भक्तों ने नहीं, सरकार जी के भक्तों ने, योगी जी के भक्तों ने, बीजेपी के भक्तों ने ईजाद किया है।
डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
17 Apr 2022
cartoon

राम नवमी के दो तीन दिन बाद गुप्ता जी पार्क में मिले। मैंने पूछा, 'कुछ दिन से दिखाई नहीं दिए। क्यों तबीयत तो ठीक है ना'। वे बोले, 'तबीयत ठीक है। बस कुछ दिनों से नींद ठीक से नहीं आ रही थी। वह मंदिर है ना, हमारे घर के बगल में ही, वहां दिन रात, चौबीसों घंटे बड़े जोर शोर से, लाउडस्पीकर पर भजन कीर्तन हो रहा था। अब बंद हो गया है, तो अब शांति है। तो नींद पूरी कर रहा था। आप लकी हैं। आपका घर तो मंदिर से काफी दूर है। आपको तो भजन कीर्तन की आवाज नहीं आई होगी'। 

'नहीं, हमारे यहां नहीं पहुंची। पर आपको तो बहुत दिक्कत हुई होगी', मैंने बात आगे बढ़ाई। 'दिक्कत तो हुई पर इन मुल्लों को भी तो सबक सिखाना ही है ना। ये भी तो लाउडस्पीकर पर मस्जिदों से अज़ान लगाते हैं। हम भी मंदिर से लाउडस्पीकर पर भजन बजायेंगे। देखें हमें कौन रोकता है'। गुप्ता जी तेज आवाज़ में बोले, जैसे किसी को सुना रहे हों 'मुल्लों को इस देश में रहना है तो यहां का कानून मानना होगा'।

'यह जो अजान है ना, यह तो बस दो तीन मिनट की होती है, दिन में पांच बार। चौबीस घंटे में बस दस पंद्रह मिनट। और हमारा जागरण होता है तो रात भर चलता है। भजन कीर्तन हो तो भी दो तीन घंटे से पहले समाप्त नहीं होता है। रात को देर तक लाउडस्पीकर बजाये रखते हैं। हम ही कौन देश का कानून मान रहे हैं' मैंने समझाने की कोशिश की।

'और जुलूस, लगता है इस बार तो हमारे यहां रामनवमी पर जुलूस निकला ही नहीं। बाकी शहरों में तो जुलूस बहुत जोर शोर से निकला था' मैंने गुप्ता जी से पूछा। 'अरे नहीं भाई, हमारे यहां भी जुलूस निकला था। बहुत ही धूमधाम से निकला था। बस इधर तुम्हारे घर की तरफ से नहीं, उधर से निकला। मंदिर से सीधा उधर की ओर ही चला गया। मुस्लिम मोहल्ले की ओर। मैं तो थोड़ी दूर ही साथ गया। फिर वापस लौट आया। बेटा जाना चाहता था पर मैं उसे भी लौटा लाया। उसकी तो अच्छी खासी नौकरी है आई टी फर्म में। उसका जुलूस में क्या काम। और हां, जो लोग दूर तक जुलूस में गए थे वे बताते हैं कि मस्जिद के सामने जुलूस बहुत देर तक रुका रहा। भजन कीर्तन चलता रहा पर सारे मुल्ले डर के मारे अंदर ही बैठे रहे। कोई मुल्ला बाहर नहीं निकाला। डरपोक कहीं के'। गुप्ता जी मुसलमानों के खिलाफ और खुंदस निकालते पर मैं कुछ बहाना बना, खिसक लिया।

इस रामनवमी के दिन लगता था कि जैसे 'राम राज' पूरा का पूरा पृथ्वी पर उतर आया हो। पूरी पृथ्वी पर उतरा हो या ना हो पर राम राज कम से कम जम्बूद्वीप के भारत खंड में तो अवश्य ही उतर आया था। जैसे चारों ओर रामभक्तों का ही शासन हो गया था। गद्दी पर तो 'रामभक्त' विराजमान हैं ही चारों ओर भी गद्दी पर बैठे लोगों के भक्त विराजमान हैं। इस राम राज में वे जो चाहे कर लें। 

ये भक्त अब राम राम जी नहीं, जय सिया-राम नहीं, भगवान राम की जय नहीं, सिर्फ और सिर्फ जय श्री राम का नारा लगाते हैं। नारा लगाते हुए जुलूस निकालते हैं। जुलूस में अपने अस्त्रों को दिखाते हैं। जुलूस भगवान राम का निकालते हैं पर निकालते उन इलाकों में, उन मोहल्लों में हैं जहां हिन्दू नहीं, दूसरे धर्म के लोग रहते हैं। भगवान राम का जुलूस भगवान राम की आराधना करते हुए, पूजा अर्चना करते हुए नहीं निकालते हैं बल्कि दूसरे धर्म को, दूसरे संप्रदाय को गाली देते हुए निकालते हैं। दूसरे धर्म के लोगों को उकसाते हुए निकालते हैं। यह आराधना करने का नया तरीका है जो भक्तों ने, राम भक्तों ने नहीं, सरकार जी के भक्तों ने, योगी जी के भक्तों ने, बीजेपी के भक्तों ने ईजाद किया है।

ऐसा नया 'राम राज' आया है तो लोगों को दंड देने का तरीका भी नये ढंग का निकला है। इस नए राम राज में कोई कानून नहीं है, कोई कानूनी प्रक्रिया नहीं है, कोई न्यायालय नहीं हैं। बस दंड ही दंड है। राजा ने दोषी ठहराया और दंड दे दिया। दोष साबित करने के लिए कोई केस चलाने की जरूरत ही नहीं है। राजा को दोषी लगा तो बस बुलडोजर भेज दिया दंड देने के लिए। दंड में मकान या दुकान ढहा दी। ऐसा त्वरित न्याय तो सिर्फ ऐसे राम राज में ही संभव है।

'देखो ओ दीवानों तुम यह काम ना करो, राम का नाम बदनाम ना करो'। यह गाना आज से पचास साल पहले देवानंद की फिल्म 'हरे रामा हरे कृष्णा' में था। देवानंद की फिल्म में राम का नाम बदनाम करने वाले ड्रग्स के नशे में चूर थे, आज सत्ता के नशे में चूर हैं। उन लोगों के नशे उन्हें ही मुबारक हो पर बस गुजारिश यही है कि 'राम का नाम बदनाम ना करो'।

(व्यंग्य स्तंभ ‘तिरछी नज़र’ के लेखक पेशे से चिकित्सक हैं।)

tirchi nazar
Satire
Political satire
jai shree ram
BJP
RSS
Communal Hate
communal violence
Hindutva
Modi government

Related Stories

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

कटाक्ष:  …गोडसे जी का नंबर कब आएगा!

तिरछी नज़र: ये कहां आ गए हम! यूं ही सिर फिराते फिराते

तिरछी नज़र: 2047 की बात है

कटाक्ष: महंगाई, बेकारी भुलाओ, मस्जिद से मंदिर निकलवाओ! 

ताजमहल किसे चाहिए— ऐ नफ़रत तू ज़िंदाबाद!

तिरछी नज़र: ...ओह माई गॉड!

कटाक्ष: एक निशान, अलग-अलग विधान, फिर भी नया इंडिया महान!

तिरछी नज़र: हम सहनशील तो हैं, पर इतने भी नहीं


बाकी खबरें

  • मनोलो डी लॉस सैंटॉस
    क्यूबाई गुटनिरपेक्षता: शांति और समाजवाद की विदेश नीति
    03 Jun 2022
    क्यूबा में ‘गुट-निरपेक्षता’ का अर्थ कभी भी तटस्थता का नहीं रहा है और हमेशा से इसका आशय मानवता को विभाजित करने की कुचेष्टाओं के विरोध में खड़े होने को माना गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र क़ानूनी मान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट
    03 Jun 2022
    जस्टिस अजय रस्तोगी और बीवी नागरत्ना की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि आर्यसमाज का काम और अधिकार क्षेत्र विवाह प्रमाणपत्र जारी करना नहीं है।
  • सोनिया यादव
    भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल
    03 Jun 2022
    दुनिया भर में धार्मिक स्वतंत्रता पर जारी अमेरिकी विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट भारत के संदर्भ में चिंताजनक है। इसमें देश में हाल के दिनों में त्रिपुरा, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर में मुस्लिमों के साथ हुई…
  • बी. सिवरामन
    भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति
    03 Jun 2022
    गेहूं और चीनी के निर्यात पर रोक ने अटकलों को जन्म दिया है कि चावल के निर्यात पर भी अंकुश लगाया जा सकता है।
  • अनीस ज़रगर
    कश्मीर: एक और लक्षित हत्या से बढ़ा पलायन, बदतर हुई स्थिति
    03 Jun 2022
    मई के बाद से कश्मीरी पंडितों को राहत पहुंचाने और उनके पुनर्वास के लिए  प्रधानमंत्री विशेष पैकेज के तहत घाटी में काम करने वाले कम से कम 165 कर्मचारी अपने परिवारों के साथ जा चुके हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License