NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
व्यंग्य
भारत
राजनीति
तिरछी नज़र: मुझे गर्व करने से अधिक नफ़रत करना आता है
जब गर्व खोखला हो तो नफ़रत ही परिणाम होता है। पर नफ़रत किस से? नफ़रत उन सब से जो हिन्दू नहीं हैं। ….मैं हिंदू से भी नफ़रत करता हूं, अपने से नीची जाति के हिन्दू से। और नफ़रत पाता भी हूं, अपने से ऊंची जाति के हिन्दू की।
डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
01 May 2022
satire

हिन्दू हूं, क्योंकि हिन्दू मां बाप के घर पैदा हुआ। इसलिए संयोग वश ही हिन्दू हूं। हिन्दू घर में पैदा हुआ और थोड़ा बड़ा हुआ तो बताया गया है कि 'गर्व से कहो कि हिन्दू हो'। हिन्दू होने पर गर्व करो। अगर मुसलमान घर में पैदा होता तो शायद बताया जाता कि मुसलमान होने पर गर्व करूं और ईसाई पैदा होने पर ईसाई होने का गर्व पालता। क्या करूं, मुझे गर्व पालना ही है। और किसी चीज का नहीं तो अपने धर्म का ही गर्व पालना है।

पर मैं पाले बैठा हूं नफ़रत। गर्व की बजाय नफ़रत। जब गर्व खोखला हो तो नफ़रत ही परिणाम होता है। पर नफ़रत किस से? नफ़रत उन सब से जो हिन्दू नहीं हैं। नफ़रत उन सब से जो मुसलमान हैं, या फिर जो ईसाई हैं या जो कुछ भी हैं पर हिन्दू नहीं हैं। मुझे गर्व करने में यही बताया गया कि गर्व करना गौरव की बात है। पर नफ़रत करना, अब लगता है कि नफ़रत करना तो और भी अधिक गौरव की बात है। इसलिए मैं अब गर्व से अधिक नफ़रत करता हूं।

मैं नफ़रत करता हूं, लाउडस्पीकर से? नहीं, नहीं, लाउडस्पीकर से नहीं, मैं नफ़रत करता हूं लाउडस्पीकर पर बजने वाली अज़ान से। लाउडस्पीकर तो बहाना है, अन्यथा लाउडस्पीकर तो मुझे बहुत ही पसंद है। लाउडस्पीकर तो मेरे गर्व का वाहन है। लाउडस्पीकर से ही तो मैं अपनी भक्ति दूसरों को दिखा सकता हूं। लाउडस्पीकर है तभी तो मैं दूसरों को सुना पाता हूं कि मेरा धर्म कितना महान है, मेरा धर्म कितना गर्व करने योग्य है।

नहीं, नहीं, मुझे शोर से भी दिक्कत नहीं है, लाउडस्पीकर के शोर से तो हरगिज नहीं है। मुझे तो सिर्फ अज़ान के शोर से दिक्कत है। अन्यथा शोर तो मैं खुद भी खूब मचाता हूं। और वह शोर लाउडस्पीकर से ही मचाता हू। मैं दूसरों के धर्मस्थान के सामने पहुंच कर, और देर तक रुक कर जोर जोर से लाउडस्पीकर पर शोर मचाता हूं और गर्व अनुभव करता हूं कि मैंने शोर मचाया। मैं मस्जिद के सामने लाउडस्पीकर पर लाउड आवाज में हनुमान चालीसा पढ़ता हूं और गर्व महसूस करता हूं। मुसलमानों के मोहल्लों में जा कर लाउडस्पीकर पर ही उन्हें गालियां देता हूं और गौरवान्वित होता हूं। लाउडस्पीकर पर ही तो मैं घंटों भजन कीर्तन करता हूं, रात भर जागरण करता हूं। मुझे शोर से नहीं, लाउडस्पीकर से नहीं, लाउडस्पीकर पर बोली जा रही अज़ान से नफ़रत है।

ऐसे ही मुझे पर्दे से भी नफ़रत है। औरतों के पर्दा करने से, मुसलमान औरतों के पर्दा करने से। मुझे हिन्दू औरतों के पर्दा करने से कोई दिक्कत नहीं है। मैं तो चाहता हूं कि हिन्दू औरतें अधिक से अधिक पर्दा करें। मुझे तो सिर्फ मुसलमान औरतों के पर्दा करने से नफ़रत है। असलियत में नफ़रत मुझे हिजाब से है, बुर्के से है। अन्यथा तो मैं पर्दे का पक्षधर ही हूं। मैं तो यह भी मानता हूं कि भले घरों की बहू बेटियां घर से बाहर सिर पर ओढ़ कर ही निकलती हैं। और संस्करी, आदर्श बहू तो वह ही होती है जो सास ससुर से, ससुराल में अन्य बुजुर्गो से पर्दा करे, घूंघट निकाले। तो पर्दे से तो मुझे बिलकुल भी नफ़रत नहीं है। मैं तो पर्दा न करने वाली महिलाओं को बेशर्म मानता हूं। नफ़रत तो मुझे बस बुर्के से है, हिजाब से है।

क्या मुझे सड़कों के बंद होने से नफ़रत है? नहीं, नहीं, मुझे उससे कोई नफ़रत या दिक्कत नहीं है। उसकी तो मुझे आदत ही पड़ी हुई है। सड़क पर चलते हुए मुझे कभी भी कहीं भी डाइवर्ट कर दिया जाता है कि आगे रास्ता बंद है। मैं चुपचाप दूसरे रास्ते से निकल जाता हूं। मैं महीनों, सालों डाइवर्टिड रहता हूं पर कभी शिकायत तक नहीं करता हूं। कभी कभी तो कोई सड़क कभी न समाप्त होने वाले निर्माण कार्य की वजह वर्षों बंद पड़ी रहती है पर मुझे उसके बंद होने से कभी भी कोई भी दिक्कत नहीं हुई है।

सड़क तो मैं खुद भी बंद करता रहता हूं। पर वे गर्व करने लायक विषय होते हैं। मेरी खुद की शादी सड़क पर टेंट लगाकर हुई थी। चलो वह तो पुरानी बात है, अभी हफ्ते भर पहले ही तो सामने वाले गुप्ता जी ने सड़क पर तंबू गाड़ कर जागरण कराया था। तब भी सड़क बंद रही थी। गली मोहल्ले में शादी ब्याह, सांई संध्या, जगराते आज भी सड़क रोक कर ही होते रहते हैं। और मुझे उनसे कोई नफ़रत, कोई दिक्कत नहीं है। मुझे तो नफ़रत है तब सड़क बंद होने से है जब सड़क बंद होती है शाहीन बाग आन्दोलन से, किसानों के आंदोलन से, नमाज पढ़ रहे मुसलमानों से।

मुझे बहुत बुरा लगता है जब कोई आदमी अपनी पत्नी से गलत व्यवहार करता है, महिला विरोधी होता है। मुझे कितना तरस आता है मुस्लिम महिलाओं पर जब कोई मुसलमान व्यक्ति अपनी पत्नी को सिर्फ तीन बार तलाक, तलाक, तलाक बोले और अपनी पत्नी को घर से निकाल दे। और ये मुल्ले यही तो करते रहते हैं। इसीलिए मुझे इन मुल्लों से नफ़रत है। पर मैं उन लोगों पर तो गर्व ही करता हूं जो पत्नी को बिना तलाक दिए ही घर से निकाल देते हैं। मैं असली सम्मान तो उसका ही करता हूं जो किसी को भी सालों साल कानों-कान खबर न होने दें कि उसका विवाह हुआ भी है या नहीं। उस पर गर्व कर तो मैं उसे कहां से कहां पहुंचा देता हूं। मुझे तो बस मुसलमान पुरुषों से ही नफ़रत है। 

लेकिन ऐसा नहीं है कि नफ़रत करनी मैंने अभी शुरू की है और सिर्फ मुसलमान या ईसाई से ही नफ़रत करता हूं। मैं तो जन्म जात नफ़रती हूं। मैं हिंदू से भी नफ़रत करता हूं, अपने से नीची जाति के हिन्दू से। और नफ़रत पाता भी हूं, अपने से ऊंची जाति के हिन्दू की। मैं महिलाओं से भी नफ़रत करता हूं क्योंकि मुझे बताया जाता है कि महिला पाप का द्वार है। मैं तो सबसे नफ़रत करता हूं, सिवाय अपने। मुझे गर्व करने के ज्यादा नफ़रत करना आता है।

(इस व्यंग्य स्तंभ ‘तिरछी नज़र’ के लेखक पेशे से चिकित्सक हैं।)

tirchi nazar
Satire
Political satire
Hindutva
Hindutva Agenda
Religion and Politics
Caste and Religion

Related Stories

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

कटाक्ष:  …गोडसे जी का नंबर कब आएगा!

तिरछी नज़र: ये कहां आ गए हम! यूं ही सिर फिराते फिराते

तिरछी नज़र: 2047 की बात है

कटाक्ष: महंगाई, बेकारी भुलाओ, मस्जिद से मंदिर निकलवाओ! 

ताजमहल किसे चाहिए— ऐ नफ़रत तू ज़िंदाबाद!

तिरछी नज़र: ...ओह माई गॉड!

कटाक्ष: एक निशान, अलग-अलग विधान, फिर भी नया इंडिया महान!

तिरछी नज़र: हम सहनशील तो हैं, पर इतने भी नहीं


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ः 60 दिनों से हड़ताल कर रहे 15 हज़ार मनरेगा कर्मी इस्तीफ़ा देने को तैयार
    03 Jun 2022
    मनरेगा महासंघ के बैनर तले क़रीब 15 हज़ार मनरेगा कर्मी पिछले 60 दिनों से हड़ताल कर रहे हैं फिर भी सरकार उनकी मांग को सुन नहीं रही है।
  • ऋचा चिंतन
    वृद्धावस्था पेंशन: राशि में ठहराव की स्थिति एवं लैंगिक आधार पर भेद
    03 Jun 2022
    2007 से केंद्र सरकार की ओर से बुजुर्गों को प्रतिदिन के हिसाब से मात्र 7 रूपये से लेकर 16 रूपये दिए जा रहे हैं।
  • भाषा
    मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चंपावत उपचुनाव में दर्ज की रिकार्ड जीत
    03 Jun 2022
    चंपावत जिला निर्वाचन कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री को 13 चक्रों में हुई मतगणना में कुल 57,268 मत मिले और उनके खिलाफ चुनाव लड़ने वाल़ कांग्रेस समेत सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो…
  • अखिलेश अखिल
    मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 
    03 Jun 2022
    बिहार सरकार की ओर से जाति आधारित जनगणना के एलान के बाद अब भाजपा भले बैकफुट पर दिख रही हो, लेकिन नीतीश का ये एलान उसकी कमंडल राजनीति पर लगाम का डर भी दर्शा रही है।
  • लाल बहादुर सिंह
    गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया
    03 Jun 2022
    मोदी सरकार पिछले 8 साल से भारतीय राज और समाज में जिन बड़े और ख़तरनाक बदलावों के रास्ते पर चल रही है, उसके आईने में ही NEP-2020 की बड़ी बड़ी घोषणाओं के पीछे छुपे सच को decode किया जाना चाहिए।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License