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तिरछी नज़र: सरकार-जी, बम केवल साइकिल में ही नहीं लगता
सरकार जी, एक बम और है। और वह बम भी आपको याद नहीं है। सोचा मैं ही याद दिला दूं। वह बम आपने ही, आपकी पार्टी ने ही लगाया है, प्लांट किया है। वह बम है, घृणा का, वैमनस्य का, दो समुदायों में अलगाव का। वह बम आपने लगाया है, कमल के फूल में।
डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
27 Feb 2022
cartoon

पांच राज्यों में चुनाव चल रहे हैं। तीन राज्यों में तो सभी वोट पड़ भी गए हैं, बस परिणाम आने बाकी हैं। एक (उत्तर प्रदेश) में वोटिंग चल रही है। बड़ा राज्य है और बीजेपी जी जान से लड़ रही है। जब बीजेपी जी जान से लड़ रही हो, तो चुनाव एक या दो बार में कैसे हो सकते हैं। जहां भी बीजेपी जी जान से लड़ती है, वहां चुनाव बहुत ही लम्बे खिंचते हैं। यहां भी सात फेज में चुनाव हैं। खैर चुनाव एक ही झटके में हो जाएं या फिर बार-बार, फेज में, झटका, जोर का हो या फिर धीरे का, लगना तो है ही। और झटका तो एक बार में ही लगेगा। दस मार्च को।

सरकार जी मतदाताओं को समझा रहे हैं, बार बार समझा रहे हैं कि बम साइकिल पर प्लांट होता है। जिस साइकिल पर देश की बहुसंख्यक जनता चलती है, बम बस उसी साइकिल पर लगता है। सरकार जी कह रहे हैं, अपील कर रहे हैं कि उस साइकिल पर ठप्पा मत लगाना। बम मोटर साइकिल पर भी लगता है, पर बम यदि मोटर साइकिल पर लगे तो सरकार जी उसे अपना लेते हैं, उस बम को पसंद कर लेते हैं। वह बम उनका अपना है। मोटर साइकिल बम वाले को सांसद बना लेते हैं। आगे चल कर, मौका लगा तो मंत्री भी बना सकते हैं। सरकार जी मोटर साइकिल वाले आतंकवादी को दिल से माफ करें न करें, दिमाग से माफ कर देते हैं। इसीलिए उसे लोकसभा का टिकट दे सांसद बना देते हैं। वैसे भी, सरकार जी का दिल अपने दल के लोगों के लिए बहुत ही साफ है। उनके दाग अच्छे हैं। वे बीजेपी के वाशिंग पाउडर से बीजेपी की वाशिंग मशीन में जो धुल कर जो आते हैं।

बम कार में भी लगता है। सरकार जी को कार वाला बम याद नहीं है। बस साइकिल वाला बम याद है। कार में बम लगना तो उन्हें याद रहा ही नहीं होगा। बम लगा, बम फूटा, लोग मरे, चालीस से अधिक सैनिक मरे, सरकार जी ने चुनाव जीता और भूल गए। जब तक चुनाव था, वोट डल रहे थे, तब तक याद रखा और फिर भूल गए। वैसे भी सरकार जी जब जमीन पर चलते हैं तो कार से ही चलते हैं। वह भी आठ नौ करोड़ की कार में। और एक कार से नहीं, कारों के काफिले में चलते हैं। इसीलिए उन्होंने याद ही नहीं रखा कि कार में भी बम लगता है। एक बार लाभ ले लिया। दूसरी बार जब लाभ लेना होगा, तब याद कर लेंगे, तब जिक्र कर लेंगे कि कार में भी बम लगा था, कार में भी बम लगता है।

बम तो हवाई जहाज में भी लग सकता है। हवाई जहाज में बम भी लग सकता है और आतंकी हमला भी हो सकता है। 'कनिष्क' हवाई जहाज में भी साइकिल नहीं, बम ही रखा गया था और इतिहास का सबसे बड़ा आतंकी हमला भी साइकिल से नहीं, हवाई जहाज से ही हुआ था। पर सरकार जी हवाई जहाज से आतंकी हमले को याद नहीं करेंगे, हवाई जहाज की याद नहीं दिलायेंगे। आखिर हवाई जहाज की याद दिलायें भी क्यों। हवाई जहाज से तो वे स्वयं भी सफर करते हैं। उन्होंने तो अभी, कोरोना काल में ही साढ़े आठ हजार करोड़ रुपए का विमान खरीदा है। ऐसा नहीं है कि पुराना विमान खराब हो गया था, उड़ नहीं पा रहा था। पर सरकार जी का मन किया, खरीद लिया। सरकारी खजाने से खरीद लिया। जनता के पैसे से खरीद लिया।

बात तो हम हवाई जहाज में बम की कर रहे हैं, हवाई जहाज से आतंकी कार्रवाई की बात कर रहे हैं। सरकार जी तो हवाई जहाज में चलते ही हैं, उनके मित्र भी हवाई जहाज में ही चलते हैं। हवाई जहाज अमीरों की सवारी है। इसलिए सरकार जी हवाई जहाज का आतंकी हमला भूल जाते हैं, मोटर कार का आतंकी हमला भूल जाते हैं, मोटर साइकिल का आतंकी हमला भी भूल जाते हैं। पर साइकिल पर बम रखा होना उन्हें बखूबी याद रहता है। क्योंकि इस बार उन्हें यही सूट कर रहा है। वे वही याद रखते हैं, जो वे याद रखना चाहते हैं, जो उन्हें सूट करता है। और बाकी सब भूल जाते हैं। वे पुलवामा भी याद कर लेंगे, पर तब, जब वह उन्हें सूट करेगा। तब, जब वह उन्हें लाभ दिलायेगा। अन्यथा वे उसे भूले रहेंगे।

कहते हैं, सरकार जी कभी गरीब थे। यह कोई और नहीं कहता, वे स्वयं कहते हैं कि वे कभी गरीब थे। उन्हें गरीब कभी किसी ने देखा नहीं है। पर हजारों की जैकेट पहन, लाखों का धूप का चश्मा लगा, सरकारी खजाने से करोड़ों की कार और हवाई जहाज खरीद, सरकार जी बताते हैं कि वे कभी गरीब थे। और हम मान भी लेते हैं कि वे कभी गरीब थे। गरीब थे तो पैदल भी चलते रहे होंगे, हो सकता है साइकिल पर भी चले हों। पर सरकार जी अब सब भूल चुके हैं। पैदल तो कभी कभार चल भी लेते हैं, रेड कार्पेट पर। पर साइकिल पर, अरे नहीं, अब तो वे अमीरी पर सवार हैं और अमीरी उन पर। इसीलिए उन्हें साइकिल बम तो याद है, हो सकता है कभी टिफिन बम और ट्रांजिस्टर बम भी याद आ जाए पर वे हवाई जहाज बम, मोटर कार बम और मोटर साइकिल बम भूल गए हैं, भूले ही रहेंगे।

सरकार जी, एक बम और है। और वह बम भी आपको याद नहीं है। सोचा मैं ही याद दिला दूं। वह बम आपने ही, आपकी पार्टी ने ही लगाया है, प्लांट किया है। वह बम है, घृणा का, वैमनस्य का, दो समुदायों में अलगाव का। वह बम आपने लगाया है, कमल के फूल में। इस बम का आप और आपकी पार्टी जब मर्जी, जहां मर्जी इस्तेमाल करती रहती है। और चुनावों में तो उसका बेइंतहा इस्तेमाल करती है। वह बम है संविधान को नकारने का, संवैधानिक संस्थाओं को कुंद करने का, उन्हें पंगु बनाने का। सरकार जी, वह कमल के फूल में लगा बम भी कम नुकसान नहीं कर रहा है। वह भी कम आतंकवाद नहीं फैला रहा है। वह भी कम लोगों को नहीं मार रहा है। सरकार जी, कभी उस बम के बारे में भी चिंता कीजिए। कभी उस बम के बारे में भी कुछ बोलिए। कभी उस बम पर भी चर्चा कीजिए। कभी यह तो कहिए कि कमल के फूल पर ठप्पा न लगाएं। कभी तो अपना हित छोड़, देश हित में बात कीजिए।

(इस व्यंग्य स्तंभ के लेखक पेशे से चिकित्सक हैं।)

tirchi nazar
Satire
Political satire
UP Assembly Elections 2022
UP Polls 2022
Narendra modi
Cycle and Bomb

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