NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
समाज
साहित्य-संस्कृति
भारत
राजनीति
“बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” और मासिक धर्म
तिरछी नज़र : बेटियों को पढ़ाना तो ठीक है पर बचाना किससे है और कब तक है, सरकार ने यह नहीं बताया है। सरकार ने यह भी नहीं बताया है कि क्या पढ़ती हुई या पढ़ी हुई बेटियों को भी बचाना है या... ।
डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
23 Feb 2020
Beti Bachao
बाल कलाकार ईशा पुरोहित की पेंटिंग : साभार indiaart.com

केंद्र सरकार का एक लोकप्रिय नारा है, "बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ"। भारत सरकार कहती है कि बेटियों को बचाओ और बेटियों को पढ़ाओ। बेटियों को पढ़ाना तो ठीक है पर बचाना किससे है और कब तक है, सरकार ने यह नहीं बताया है। सरकार ने यह भी नहीं बताया है कि क्या पढ़ती हुई या पढ़ी हुई बेटियों को भी बचाना है या... ।

logo tirchhi nazar_19.PNG

बताया तो सरकार ने यह भी नहीं है कि बेटियों को सिर्फ आम पुरुषों से ही बचाना है या फिर विधायकों, मंत्रियों से भी बचाना है। सरकार ने यह भी नहीं बताया है कि एक बार बेटियां मंत्रियों से, विधायकों से अपने को न बचा पायीं तो सरकार किसका साथ देगी। मंत्री और विधायक का या फिर बेटियों का। वैसे होता तो यही है कि सरकार उन्हीं का साथ दे जिनकी वजह से वह सरकार है। सरकार का मानना है कि उसकी सरकार विधायकों की वजह से ही असतित्व में है। इसीलिए जाहिर तौर पर सरकार बेटियों के नहीं, विधायकों और मंत्रियों के साथ है।

अभी हाल में ही दिल्ली के गार्गी कालेज में फेस्ट के दौरान छात्राओं से छेड़खानी की गई। वह भी दिल्ली में वोटिंग के ऐन दो दिन पहले। छेड़छाड़ करने वाले तो मौजूद थे ही, केंद्र सरकार भी वहां मौजूद थी, दिल्ली पुलिस के रूप में। रिपोर्ट यह भी है कि छेड़छाड़ करने वाले "जय श्रीराम" के नारे लगा रहे थे। आज कल जय श्रीराम के नारे लगाने वालों को पुलिस न तो कुछ कहती है और न ही कुछ भी करने से रोकती है। सो पुलिस ने उन्हें भी न तो कुछ कहा और न ही कुछ करने से रोका। लोग “जय श्रीराम” के नारे लगाते हुए छात्राओं से छेड़खानी करते रहे और पुलिस देखती रही। वैसे भी आजकल जय श्रीराम का नारा लगा कर आप कोई भी कैसा भी गलत काम कर सकते हैं।

उधर गुजरात में एक और शिक्षा संस्थान के छात्रावास में बारह, चौदह, सोलह साल की बच्चियों के अंतःवस्त्र उतरवा कर देखा गया कि उनमें से किसे मासिक आ रहा है। उस विद्यालय के धर्म के अनुसार (विद्यालय का भी धर्म होता है, इस घटना से पता चलता है) मासिक धर्म के समय छात्रा को अन्य छात्राओं से अलग, भूतल में रहना पड़ता है और रसोई में भी प्रवेश वर्जित होता है। किसी बच्ची का मन अलग रहने का नहीं किया होगा, तो उसने नहीं बताया कि वह मासिक से है। तो सबके वस्त्र उतरवा कर देखा गया। शायद इस काम के लिए इससे माकूल तरीका कोई और हो ही नहीं सकता था।

एक स्वामी जी भी हैं। नाम है कृष्ण स्वरुप दास। वे बताते हैं कि उन्होंने शास्त्रों का गहन अध्ययन किया है। वे कहते हैं कि यदि कोई मासिक धर्म से हो रही महिला रसोई पकाती है तो वह अगले जन्म में कुतिया पैदा होती है। मुझे लगता है बहुत सारी महिलाएं यह जानते समझते हुए भी महावारी के समय इसीलिए खाना बनाती होंगी कि उन्हें अपने महिला जीवन से अच्छा तो कुतिया का जीवन ही लगता होगा।

कुछ कुत्तों/कुतियाओं से मुझे भी रश्क होता है। अधिकतर आवारा घूमते हैं पर कुछ पालतू तो इतनी आरामदेह जिन्दगी बसर करते हैं कि किसी को भी रश्क हो सकता है। उन स्वामी जी के कथन के बाद समझ आया कि जब यूरोपियन या अमरीकी महिलाएं महावारी के समय रसोई पकाती होंगी वे पालतू कुतियाओं के रूप में जन्म लेती होंगी। भारतीय महिलाओं को तो आवारा कुतियाओं का जन्म ही नसीब होता होगा।

उन स्वामी जी ने यह भी बताया कि महिला द्वारा महावारी में बनाये गये खाने को खाने वाला उसका पति अगले जन्म में बैल पैदा होता है। बहुत सारी महिलाएं इसी पति के साथ विवाह के सात जन्मों के बंधन से मुक्ति पाने के लिए भी महावारी के समय रसोई बनाती होंगी। आखिर बैल और कुतिया का विवाह होने की कोई संभावना है ही नहीं।

मैं सोच रहा हूं कि हमारी तो बहुत सारी देवियां भी हैं। विद्या की देवी सरस्वती हैं, धन की लक्ष्मी और शक्ति की देवी दुर्गा। अन्य देवियां भी हैं। वे सब देवियां होने के साथ महिलाएं भी थीं। उन सबको भी मासिक धर्म होता होगा। उनसे भी यही भेदभाव किया जाता रहा होगा क्योंकि यह भेद तो शास्त्र सम्मत था। मासिक के समय उन्हें भी निर्वासन झेलना पड़ता होगा।

पर न तो विद्या की देवी सरस्वती ने और न ही शक्ति की देवी दुर्गा ने इस भेदभाव का कोई विरोध किया। जब न विद्या की देवी ने इसके खिलाफ तर्क दिया और न ही शक्ति की देवी ने अपना बल दिखाया तो आम औरत की क्या बिसात! अब कल्पना करें, शक्ति की देवी दुर्गा मासिक धर्म के कारण पांच सात दिन के निर्वासन में हैं। राक्षसों को इस बात का पता चल गया और उन्होंने आक्रमण कर दिया। लेकिन ऐसा कोई भी द्रष्टांत वेदों, उपनिषदों या अन्य किन्हीं ग्रंथों में कहीं भी वर्णित नहीं है। 

इधर मैं यह आलेख लिख ही रहा हूं और उधर योगी जी के उत्तर प्रदेश में एक महिला से एक विधायक जी ने सामूहिक रेप कर दिया। मतलब उन्होंने अकेले रेप नहीं किया, कुछ और लोगों के साथ मिल कर रेप किया। यह संयोग नहीं प्रयोग है जो उत्तर प्रदेश में किया जा रहा है। प्रयोग यह है कि मुसलमानों के बाद अब महिलाओं की बारी है। संयोग बस यही है कि इस बार प्रयोग करने के लिए उत्तर प्रदेश को चुना गया है।

(इस व्यंग्य आलेख के लेखक पेशे से चिकित्सक हैं।)

tirchi nazar
beti bachao beti padhao
menstruation
gender discrimination
society
patriarchal society
Central Government
BJP
Satire
Political satire

Related Stories

कर्नाटक पाठ्यपुस्तक संशोधन और कुवेम्पु के अपमान के विरोध में लेखकों का इस्तीफ़ा

मनोज मुंतशिर ने फिर उगला मुसलमानों के ख़िलाफ़ ज़हर, ट्विटर पर पोस्ट किया 'भाषण'

ज्ञानवापी मस्जिद विवाद : सुप्रीम कोर्ट ने कथित शिवलिंग के क्षेत्र को सुरक्षित रखने को कहा, नई याचिकाओं से गहराया विवाद

एमपी ग़ज़ब है: अब दहेज ग़ैर क़ानूनी और वर्जित शब्द नहीं रह गया

रुड़की से ग्राउंड रिपोर्ट : डाडा जलालपुर में अभी भी तनाव, कई मुस्लिम परिवारों ने किया पलायन

जहांगीरपुरी हिंसा में अभी तक एकतरफ़ा कार्रवाई: 14 लोग गिरफ़्तार

इस आग को किसी भी तरह बुझाना ही होगा - क्योंकि, यह सब की बात है दो चार दस की बात नहीं

उर्दू पत्रकारिता : 200 सालों का सफ़र और चुनौतियां

सवाल: आख़िर लड़कियां ख़ुद को क्यों मानती हैं कमतर

सद्भाव बनाम ध्रुवीकरण : नेहरू और मोदी के चुनाव अभियान का फ़र्क़


बाकी खबरें

  • Nisha Yadav
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    चंदौली: निशा यादव हत्या मामले में सड़क पर उतरे किसान-मज़दूर, आरोपियों की गिरफ़्तारी की माँग उठी
    14 May 2022
    प्रदर्शन के दौरान वक्ताओं ने कहा- निशा यादव का कत्ल करने के आरोपियों के खिलाफ दफ़ा 302 के तहत मुकदमा दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया जाए।
  • Delimitation
    रश्मि सहगल
    कैसे जम्मू-कश्मीर का परिसीमन जम्मू क्षेत्र के लिए फ़ायदे का सौदा है
    14 May 2022
    दोबारा तैयार किये गये राजनीतिक निर्वाचन क्षेत्रों ने विवाद के लिए नए रास्ते खोल दिए हैं, जो इस बात का संकेत देते हैं कि विधानसभा चुनाव इस पूर्ववर्ती राज्य में अपेक्षित समय से देर में हो सकते हैं।
  • mnrega workers
    सरोजिनी बिष्ट
    मनरेगा मज़दूरों के मेहनताने पर आख़िर कौन डाल रहा है डाका?
    14 May 2022
    "किसी मज़दूर ने 40 दिन, तो किसी ने 35, तो किसी ने 45 दिन काम किया। इसमें से बस सब के खाते में 6 दिन का पैसा आया और बाकी भुगतान का फ़र्ज़ीवाड़ा कर दिया गया। स्थानीय प्रशासन द्वारा जो सूची उन्हें दी गई है…
  • 5 वर्ष से कम उम्र के एनीमिया से ग्रसित बच्चों की संख्या में वृद्धि, 67 फीसदी बच्चे प्रभावित: एनएफएचएस-5
    एम.ओबैद
    5 वर्ष से कम उम्र के एनीमिया से ग्रसित बच्चों की संख्या में वृद्धि, 67 फीसदी बच्चे प्रभावित: एनएफएचएस-5
    14 May 2022
    सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, 2015-16 में किए गए सर्वेक्षण में 5 वर्ष से कम उम्र (6-59 महीने) के 58.6 प्रतिशत बच्चे इससे ग्रसित थे जबकि एनएफएचएस-5 के 2019-21 के सर्वे में इस बीमारी से ग्रसित बच्चों की…
  • masjid
    विजय विनीत
    ज्ञानवापी मस्जिद: कड़ी सुरक्षा के बीच चार तहखानों की वीडियोग्राफी, 50 फीसदी सर्वे पूरा
    14 May 2022
    शनिवार को सर्वे का काम दोपहर 12 बजे तक चला। इस दौरान ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के करीब आधे हिस्से का सर्वे हुआ। सबसे पहले उन तहखानों की वीडियोग्राफी कराई गई, जहां हिन्दू धर्म के देवी-देवताओं की…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License