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तिरछी नज़र: कोरोनुआ भयो पचास लखपतिया
मोदी जी ने तो बहुत ही कोसिस की इस कोरोनुआ को रोकने की। जल्दी से लॉकडान भी लगा दिया। किसी भी देस ने लॉकडान लगाने में इतनी जल्दी नहीं की जितनी मोदी जी ने की। फिर भी यह कोरोनुआ बिलकुल ही नहीं रुका।
डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
13 Sep 2020
कोरोना वायरस
Image Courtesy: Deccan Herald

लो जी, होने वाले हैं न देस में कोरोनुआ के पचास लाख केस। इह सब तुम्हारी ही कारस्तानी है। तुम अगर नाक पर मास्क नहीं लगाओगे, गमछा नहीं बांधोगे तो यही होगा। पचास लाख क्या एक करोड़ भी होंगे। न मास्क बांधोगे, न वो क्या होता है, सोसल डि...., हाँ हाँ वही,  न सोसल डिस्टेसिंग करोगे तो क्या मोदी जी रोक लेंगे इस कोरोनुआ को।

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मोदी जी ने तो बहुत ही कोसिस की इस कोरोनुआ को रोकने की। जल्दी से लॉकडान भी लगा दिया। किसी भी देस ने लॉकडान लगाने में इतनी जल्दी नहीं की जितनी मोदी जी ने की। फिर भी यह कोरोनुआ बिलकुल ही नहीं रुका। जब हवाई अड्डे पर रोक टोक से काम चल सकता था तभी आगे बढ़ कर लॉकडान तक लगा दिया। पूरे के पूरे देश में लॉकडान लगा दिया कि किसी तरह यह कोरोनुआ थमे तो सही। पर यह कोरोनुआ है कि थमने का नाम ही नहीं ले रहा है।

जब देखा अकेले लॉकडान से बात नाहिं बन सकत है तो सारी की सारी जनता को लाइन में लगवा के थाली बजवाय दी हमारे मोदी जी ने। हमने भी बजाई। बहुत जोर जोर से बजाई। फेर जब मोदी जी ने कहा के बिजली का लट्टू बंद कर, टूब लाईट बंद कर, दिया बाती जलाओ। हमने वो भी किया। पर इस कोरोनुआ का कछु नहीं बिगड़ा। वो मास्साब हैं न, स्कूल वाले, वो बता रहे थे अगर मोदी जी ये सब नहीं कराते तो ये कोरोनुआ और ज्यादा खराबी करता। मास्साब ने तो यह भी बताया था कि मोदी जी ने तो आसमान से फूल भी बरसवाये थे कोरोनुआ को कम करबे की खातिर। 

लेकिन वो जो रामू है न, दुई घर छोड़ कर। वही राम किसन। उसने यह सब थाली बजाना, दिया बाती जलाना, कुछ भी नहीं किया। बोलता है इस सब से कछु नहीं होगा। जो असली काम है वो करो। मास्क पहनो, आपस में दूरी रखो। हस्पतालों को ठीक करो। मास्साब बता रहे थे कि ये रामू जैसे बहुत ही लोग हैं देस में, जिन्हें लगता है कि मोदी जो भी करता है वैसे ही करता है। अरे भई, मोदी देस का परधान है, कोई बेवकूफ़ थोड़ी न है। मास्साब बता रहे थे कि ये रामू जैसे लोग ही हैं देस में जिनकी वजह से मोदी जी के पलान फेल हो जावें हैं। 

मोदी जी ने जितना कोसिस किया, किसी भी देस के परधान ने नहीं किया। ऐसा सारी दुनिया ने माना। दुनिया भर का जो सेहत देखने वाला डिपार्ट है न, वो डब्लू एच ओ, उसने तक माना कि हमारे मोदी जी ने कोरोनुआ को थामने में सबसे अच्छा, सबसे ही अच्छा काम किया है। यह मोदी जी ने हमें खुद ही टीवी पर बताया है। हमारे मोदी जी दुनिया के सबसे सच्चे आदमी हैं। वो जो ट्रम्प है न, वही अमरीका वाला, वो भी मोदी जी का इसीलिए दोस्त है के मोदी जी बहुत ही सच्चे आदमी हैं। ट्रम्प भी सच्चा है पर हमारे मोदी जी से कम।

और मोदी जी ने ही खुद आ के टीवी पे बताया था कि इस कोरोनुआ को रोकने के उनके काम की तमाम दुनिया में वाह वाह हो रही है। यह टीवी भी है न, बिलकुल ही सच सच बताता है। उसी पर मोदी जी ने बताया था कि वे कितना काम करते हैं। चौबीस घंटे में सिर्फ तीन घंटे ही सोते हैं। हे भगवान! आदमी हैं के हैवान। हर समय काम ही काम। एक अकेली जान और उस पे पूरे के पूरे देस का काम। पहले के जो परधान थे न औरों पे भी काम छोड़ देते थे। पर हमारे मोदी जी सारे के सारे काम खुद ही संभालते हैं। क्या पता कौन गलत सलत कर दे। सच है, आज कल किसी का भी भरोसा नहीं है।

हाँ, तो ये टीवी है न, बिलकुल ही सच बोलता है। किसी को भी नहीं छोड़ता है। देखा नहीं, वो सुसांत के मामले में कैसी बाल की खाल निकाल दी। जो पुलिस को, खुफिया लोगों को, वो सीबीआई वालों को भी नहीं पता वह अपने अरनब को पता है। पर पता है, अपने मोदी के सामने इनकी भी नानी बोल जाती है। मोदी जी की तो छोड़ो, उनकी पार्टी तक का नाम लेने में डरते हैं। देखा नहीं जहाँ मोदी से पूछना चाहिए, वहाँ सभी पप्पू से और वाके परदादा से पूछने लगते हैं। मोदी जी से सब डरते हैं। ये टीवी वाले भी मोदी जी के सिवाय किसी और से नहीं डरते हैं। जिससे जो मरजी पूछ लेते हैं। वो अरनब और वो चौरसिया, संजना ओम कश्यप उन्होंने सबकी खाट खड़ी की हुई है। लेकिन मोदी जी ने इन सबकी नाक में भी नकेल डाली हुई है।

अपने मोदी जी ने तो कोरोनुआ से लडा़ई के लिये अपना फंड भी बना लिया है। 'प्रधानमंत्री जी का देखभाल करने का फंड'। मोदी जी ने जैसे ही फंड बनाया, झट से उसमें अरबों खरबों रुपये जमा हो गये। मोदी जी का इतना परताप है कि जिन कम्पनियों के पास अपने आदमियों को तन्खा देने के लिये भी पैसा नहीं था उन्होंने भी मोदी जी के फंड में करोड़ों रुपये दे दिये। अब मोदी जी ने सारा का सारा पैसा अपने पास बहुत ही संभाल के रखा है। बहुत जरुरी होने पर अपनी समझ से ही खरच करेंगे।

मोदी जी ने तो बीस लाख करोड़ रुपये भी बांटे हैं सब लोगों में। इसी कोरोनुआ के खातिर। क्या कहा, तुम्हें तो अपना हिस्सा नहीं मिला। ये हिस्सा ऐसे नहीं मिलेगा। वो बीडीओ, क्या कहते हैं उसको, कॉनफरैंस करनी पड़ती है। भईया, तुम पीछे रह जाओगे और ये, क्या नाम हैं इनके, वो अम्बानी अडानी और न जाने कौन कौन हैं, सारा का सारा ले जायेंगे। कहते हैं अम्बानी ने मोदी जी को बताया के उसके यहाँ इतने लाख लोग काम करते हैं। भोले भाले मोदी जी ने उन सबका हिस्सा उसी को दे दिया कि मैं कहाँ कहाँ बांटता फिरुंगा, तुम ही दे देना। ऐसे ही अडानी भी अपने यहाँ काम करने वालों का हिस्सा ले गया। बाकी लोग भी ले गए। कहते हैं, मोदी जी ने वो हरेक के पुराने वाले पंद्रह लाख रुपये भी इसी चक्कर में इन्हीं को दे दिये थे। हमारे तो वो पंद्रह लाख भी इसी चक्कर में मारे गए थे और अब बीस लाख करोड़ में का हिस्सा भी इसी चक्कर में मारा जायेगा। मोदी जी तो दे ही देते हैं। वे कोई झूठे थोड़ी ही हैं न।

तो भईया, सौ बातों की एक बात। अपने मोदी जी तो जी जान से कोसिस करते रहे कि यह कोरोनुआ थम जाये, यहां से भाग जाये। जहाँ से आया है, वहीं वापस लौट जाये। उन्होंने तो लाख जतन कर लिए, टाइम से पहले लॉकडाउन लगाया। बीस लाख करोड़ रुपये दिये। प्रधानमंत्री वाला फंड बनाया। हम से भी थाली बजवाई, दिया जलवाया। वो क्या कहते हैं, कोई भी पत्थर सीधा नहीं रहने दिया। अब भईया, जो करना है तुम ही करो। मास्क बांधो, गमछा बांधो, चुन्नी लपेटो, साड़ी ओढ़ो, बुरका पहनो। दूर दूर खड़े रहो या सट कर चलो। पचास लाख पे रुक जाओ या एक करोड़ पहुँचो या दो करोड़। अब न मोदी जी ही कुछ करेंगे और न सरकार। जो करना है और भुगतना है, तुम्हें ही करना और भुगतना है।

(इस व्यंग्य स्तंभ के लेखक पेशे से चिकित्सक हैं।)

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