NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
स्वास्थ्य
भारत
राजनीति
तिरछी नज़र : इतना आसां नहीं है विश्व नेता बनना
आजकल विश्व नेता बनने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है। अब कितने सारे अख़बार हैं। इतने सारे टीवी न्यूज़ चैनल। इतना पावरफुल सोशल मीडिया अलग से है। सबको मैनेज करना पड़ता है आजकल।
डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
26 Apr 2020
Politics
प्रतीकात्मक तस्वीर, साभार : गूगल

कोरोना वायरस का इन्फेक्शन सारे संसार में फैला हुआ है। चीन में, दक्षिणी कोरिया में फैल कर खत्म होने की ओर है। यूरोप और अमेरिका में पीक पर है। इधर भारत और आसपास के देशों में धीरे धीरे ऊपर बढ़ रहा है।

जैसे ही कोरोना चीन में फैला, स्थिति आउट ऑफ कंट्रोल हुई, मोदी जी ने हवाई जहाज भेजा और वहां फंसे हुए भारतीयों को निकाल लाये। फिर उसके बाद भी ईरान से, अफगानिस्तान से, जर्मनी से, इटली से, और न जाने कहाँ कहाँ से भारतीयों को निकाल कर लाये। किसी भी भारतीय को, जो कोरोना पीड़ित मुल्क से निकलना चाहता था, उसे उस मुल्क में नहीं रहने दिया। आखिर मोदी जी ऐसे ही नहीं हैं विश्व नेता।

tirchi nazar_0.png

पता नहीं वे लोग मुफ्त में एयरलिफ्ट किये गये या फिर उन्हें हवाई जहाज का टिकट लेना पड़ा। इस बारे में अखबारों ने, टीवी चैनलों ने तो कुछ नहीं बताया पर वाट्सएप यूनिवर्सिटी ने सब कुछ बता दिया। आजकल वाट्सएप यूनिवर्सिटी से कुछ भी नहीं छुपा है। वाट्सएप यूनिवर्सिटी ने बताया कि मोदी जी तो सब भारतीयों को मुफ्त में भारत लाये पर आस्ट्रेलिया ने, अमेरिका ने, यूके ने, जर्मनी और फ्रांस ने, सभी ने अपने नागरिकों को एयरलिफ़्ट कराने के एवज़ में मोटी मोटी फीस वसूली। सच में, ऐसे ही नहीं कोई विश्व नेता बन जाता है।

भारत में इतने सारे प्रधानमंत्री हुए हैं। पर विश्व नेता कोई नहीं बन पाया। कोशिश तो नेहरू ने भी की थी और थोड़ा बहुत बन भी गये थे। पर उस समय विश्व नेता बनना कोई मुश्किल काम नहीं था। न तो इतना प्रबल मीडिया था, जिसका प्रबंधन करना पड़ता था। और सोशल मीडिया तो बिल्कुल भी नहीं था। बस ले दे कर एक सरकारी रेडियो था। कुछ अखबार थे लेकिन पढ़े लिखे लोग भी कम ही थे। दूरदर्शन भी बहुत बाद में आया। तो नेहरू को बहुत मेहनत नहीं करनी पड़ी, विश्व नेता बनने में। नेहरू तो ऐसे ही, बिना मेहनत किये विश्व नेता बन गये।

पर आजकल विश्व नेता बनने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है। अब कितने सारे अखबार हैं। लोग पढ़े लिखे अब भी भले ही कम हों पर अक्षर ज्ञान तो है ही न, तो अखबार पढ़ ही लेते हैं। उसके ऊपर इतने सारे टीवी न्यूज चैनल। इतना पावरफुल सोशल मीडिया अलग से है। सबको मैनेज करना पड़ता है आजकल। मोदी जी बिना मेहनत किये ही विश्व नेता नहीं बने हैं। आजकल ऐसे ही कोई विश्व नेता नहीं बन जाता है।

नेहरू को तो विश्व के अलावा देश की भी चिंता थी। देश में आल इंडिया बनाना है, आईआईटी बनाने हैं,आईआईएम बनाने हैं, बांध बनाने हैं, कारखाने लगाने हैं। दो नावों में सवार हो कर कोई विश्व नेता नहीं बन सकता है। मोदी जी ने सोच लिया है विश्व नेता बनना है तो बनना ही है। मोदी जी ऐसे ही विश्व नेता नहीं बने हैं।

मोदी जी को जब कोरोना की वजह से विदेश से हवाई सेवा बंद करनी पड़ी थी, विदेश में रहने वाले भारतीयों को चार दिन पहले ही बता दिया कि हम इक्कीस बाइस मार्च की रात बारह बजे से विदेश से आने वाले किसी भी हवाई जहाज को अपनी धरती पर उतरने नहीं देंगे। जिसे लौट कर आना है, समय रहते आ जाये। विदेश में रहने वाले भारतीयों की भारत में रहने वाले भारतीयों से अधिक कद्र मोदी जी के अलावा किसी और ने नहीं की थी। विश्व नेता बनने के लिए देश की जनता को भूलना ही पड़ता है। इतना आसां नहीं है विश्व नेता बनना।

पर देश में जनता को लॉकडाउन में धकेलने के लिए चार घंटे ही काफी हैं। देश की जनता विश्व की जनता थोड़े ही है। विदेश में रह रहे भारतीयों को घर आना जरूरी है। प्रवासी भारतीयों के लिए घर जरूरी है पर प्रवासी मजदूर के लिए नहीं। वह तो कहीं भी मर खप सकता है। 

आप रात को आठ बजे कहते हैं कि रात बारह बजे से लॉकडाउन शुरू। सबकुछ बंद। ट्रेन भी बंद, बस भी बंद। दिहाड़ी वालों की दिहाड़ी भी बंद। मजदूरों की मजदूरी बंद। रिक्शा वालों का रिक्शा बंद तो ऑटो रिक्शा और टैक्सी भी बंद। चार घंटे बाद सबकुछ बंद। जो घर से बाहर है, वह घर से बाहर बंद और जो घर के अंदर है वह अंदर बंद। जो हिम्मत कर पैदल ही गांव देहात के लिए निकल पड़ा, वो जहां पकड़ा गया, वहीं बंद। इतना सफल बंद बनाने के बाद ही कोई विश्व नेता बन सकता है। मोदी जी कोई ऐसे ही नहीं बने हैं विश्व नेता।

लेकिन विश्व के पास एक और विश्व नेता है। वही मोदी जी के मित्र ट्रम्प जी। विश्व के सबसे शक्तिशाली देश के राष्ट्रपति, राष्ट्रपति ट्रम्प। अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प। उन्होंने अभी हाल ही में चिकित्सा विज्ञान को नई दिशा दी है। उन्होंने अपने देश के चिकित्सकों, वैज्ञानिकों से अनुरोध किया है कि कोरोना के इलाज के लिए सैनेटाईजर को, ब्लीचिंग पाउडर को रोगी के शरीर में पहुंचाने, जैसे इंजेक्शन से, के बारे में सोचा जाये। 

आप हंस रहे हैं। हंसिये मत। क्या पता कोरोना के काल में तो नहीं पर अगली महामारी फैलने से पहले वैज्ञानिक डीडीटी या फिर ब्लीचिंग पाउडर का इंजेक्शन लगा कर इलाज करना शुरू कर दें। मुझे अफसोस सिर्फ एक बात का है। हमारे अपने विश्व नेता के दिमाग में यह मौलिक खयाल क्यों नहीं आया!

(लेखक पेशे से चिकित्सक हैं।)

tirchi nazar
Satire
Political satire
world leader
Narendra modi
Coronavirus
Coronavirus Epidemic

Related Stories

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में 2,745 नए मामले, 6 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में आज फिर कोरोना के मामलों में क़रीब 27 फीसदी की बढ़ोतरी

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के घटते मामलों के बीच बढ़ रहा ओमिक्रॉन के सब स्ट्रेन BA.4, BA.5 का ख़तरा 

कोरोना अपडेट: देश में ओमिक्रॉन वैरिएंट के सब स्ट्रेन BA.4 और BA.5 का एक-एक मामला सामने आया

कोरोना अपडेट: देश में फिर से हो रही कोरोना के मामले बढ़ोतरी 

कोविड-19 महामारी स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में दुनिया का नज़रिया नहीं बदल पाई

कोरोना अपडेट: अभी नहीं चौथी लहर की संभावना, फिर भी सावधानी बरतने की ज़रूरत

कोरोना अपडेट: दुनियाभर के कई देशों में अब भी क़हर बरपा रहा कोरोना 

कोरोना अपडेट: देश में एक्टिव मामलों की संख्या 20 हज़ार के क़रीब पहुंची 

देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, PM मोदी आज मुख्यमंत्रियों संग लेंगे बैठक


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ः 60 दिनों से हड़ताल कर रहे 15 हज़ार मनरेगा कर्मी इस्तीफ़ा देने को तैयार
    03 Jun 2022
    मनरेगा महासंघ के बैनर तले क़रीब 15 हज़ार मनरेगा कर्मी पिछले 60 दिनों से हड़ताल कर रहे हैं फिर भी सरकार उनकी मांग को सुन नहीं रही है।
  • ऋचा चिंतन
    वृद्धावस्था पेंशन: राशि में ठहराव की स्थिति एवं लैंगिक आधार पर भेद
    03 Jun 2022
    2007 से केंद्र सरकार की ओर से बुजुर्गों को प्रतिदिन के हिसाब से मात्र 7 रूपये से लेकर 16 रूपये दिए जा रहे हैं।
  • भाषा
    मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चंपावत उपचुनाव में दर्ज की रिकार्ड जीत
    03 Jun 2022
    चंपावत जिला निर्वाचन कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री को 13 चक्रों में हुई मतगणना में कुल 57,268 मत मिले और उनके खिलाफ चुनाव लड़ने वाल़ कांग्रेस समेत सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो…
  • अखिलेश अखिल
    मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 
    03 Jun 2022
    बिहार सरकार की ओर से जाति आधारित जनगणना के एलान के बाद अब भाजपा भले बैकफुट पर दिख रही हो, लेकिन नीतीश का ये एलान उसकी कमंडल राजनीति पर लगाम का डर भी दर्शा रही है।
  • लाल बहादुर सिंह
    गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया
    03 Jun 2022
    मोदी सरकार पिछले 8 साल से भारतीय राज और समाज में जिन बड़े और ख़तरनाक बदलावों के रास्ते पर चल रही है, उसके आईने में ही NEP-2020 की बड़ी बड़ी घोषणाओं के पीछे छुपे सच को decode किया जाना चाहिए।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License