NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
नज़रिया
साहित्य-संस्कृति
भारत
राजनीति
ज़रा मेरी भी सुन लीजिए, मी लॉर्ड!
 मी लॉर्ड, प्रशांत भूषण से पहले तो ग़लती उस फोटोग्राफर की है जिसने आपकी फोटो खीचीं। मी लॉर्ड, दूसरी ग़लती उन सब समाचार पत्रों की है जिन्होंने उस फोटो को छापा।
डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
23 Aug 2020
ज़रा मेरी भी सुन लीजिए, मी लॉर्ड!
प्रतीकात्मक तस्वीर। साभार : हेमंत मालवीय

 आदरणीय कोर्ट जी,

सादर प्रणाम

आगे निवेदन यह है कि मैं एक गरीब आदमी हूँ। अधिक पढ़ा लिखा भी नहीं हूँ। कानून के बारे में भी खास नहीं जानता हूँ। आगे जो लिख रहा हूँ, उसमें कुछ बुरा लगता है तो माफ़ कर देना।

 मी लॉर्ड (मैंने हिंदी फिल्मों में आपके लिए यही संबोधन सुना है), मुझे प्रशांत भूषण की तरह मुकदमे में मत डालना। प्रशांत भूषण बड़े वकील हैं। उनके बचाव के लिए बड़े बड़े वकील आ गये हैं। यहाँ तक कि अटॉर्नी जनरल तक उन्हें सजा न देने के लिए कह रहे हैं। मैं तो बड़ा छोड़ो, छोटा वकील भी नहीं कर सकता हूँ। वैसे भी मुझे कोर्ट कचहरी से बहुत डर लगता है।

 मी लॉर्ड, प्रशांत भूषण ने जो भी किया गलत किया, निहायत ही गलत किया। क्या उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की इतनी भी इज़्ज़त नहीं है कि कोई भी ऐरा गैरा, नत्थू खैरा जो चाहे कह दे, जो मर्जी ट्वीट कर दे। मी लॉर्ड, मैं ऐरा गैरा, नत्थू खैरा आपको नहीं, प्रशांत भूषण को कह रहा हूँ। प्लीज, गलत मत समझिएगा।

मी लॉर्ड, प्रशांत भूषण से पहले तो ग़लती उस फोटोग्राफर की है जिसने आपकी फोटो खीचीं। उसने आपका फोटो खींची ही क्यों। उसकी नीयत में जरूर ही कुछ खोट रहा होगा। माना कि कोरोना फैला हुआ है। ऐसे समय में, जब कोई भी बिना जरूरी काम के अपने घर से बाहर नहीं निकल रहा है, किसी और के घर नहीं जा रहा है, आप भाजपाई विधायक के यहां चले गए और एक स्टैंड पर खड़ी मोटरसाइकिल की सवारी कर भी ली तो क्या बुरा किया। मुझे तो इसमें बाल सुलभ चंचलता ही लगी। यह आपका बड़प्पन है कि आपने उस फोटोग्राफर को माफ़ कर दिया जिसने फोटो लिया था।

 tirchi nazar_5.jpg

 मी लॉर्ड, दूसरी ग़लती उन सब समाचार पत्रों की है जिन्होंने उस फोटो को छापा। वह फोटोग्राफर अगर फोटो खींच ही लेता पर अखबार उसे छापने से मना कर देते तो किसी को भी पता नहीं चलता। अखबारों ने छापा तो प्रशांत भूषण को पता चला, मुझे भी पता चला और सारी दुनिया को पता चला। मुझे तो आपकी उस फोटो में कुछ भी बुरा नहीं लगा। आपने मास्क लगा रखा था। आप सोशल डिस्टैंसिग का पालन भी कर रहे थे। आप हर एक से दो मीटर दूर थे। मुझे तो वह कोरोना से बचाव का विज्ञापन जैसा लगा। पता नहीं प्रशांत भूषण को क्या बुरा लगा। ये वकील होते ही ऐसे हैं। अच्छा हुआ मी लॉर्ड, आप न्यायाधीश बन गए, सिर्फ वकील ही नहीं रहे।

 मी लॉर्ड, मेरा तो समाचार पत्र में छपी फोटो से सामान्य ज्ञान ही बढ़ा। एक तो मुझे यह पता चला कि देश ने इतनी उन्नति कर ली है कि पचास लाख की मोटरसाइकिल भी मिल रही है। मैं सोचता था कि इतनी मंहगी सिर्फ कारें ही आती हैं। दूसरी बात, मुझे इस फोटो से पता चला कि आपका शौक क्या है। क्या पता, कभी मेरा भाग्य जाग उठे और मुझे 'कौन बनेगा करोड़पति' मैं भाग लेने का मौका मिल जाये। हो सकता है मुझसे यही प्रश्न पूछ लिया जाये कि आपका शौक क्या है। तो अब मैं सही उत्तर दे सकता हूँ। पर प्रशांत भूषण को आम जनता की क्या पड़ी है कि उन्हें बड़े लोगों के बारे में पता चले और उनका सामान्य ज्ञान बढ़े।

 मी लॉर्ड, ग़लती आपकी नहीं, आपकी पूर्ववर्तियों की है। अब पिछले मुख्य न्यायाधीश को ही लीजिये। उन पर उच्चतम न्यायालय में कार्य करने वाली एक महिला यौन शोषण का घिनौना आरोप लगा देती है। मी लॉर्ड बस अपनी ही अध्यक्षता में बनी पीठ में सुनवाई कर अपने को आरोप मुक्त कर संतुष्ट हो जाते हैं। मी लॉर्ड उस महिला पर अपनी या न्यायालय की अवमानना का केस दर्ज करवा देते या फिर मानहानि का केस ही दर्ज करवा देते तो आज फिजा बदली होती। और प्रशांत भूषण में भी इतनी हिम्मत नहीं होती।

 मी लॉर्ड, ये प्रशांत भूषण ये आरोप भी लगाते हैं कि उच्चतम न्यायालय जिस मरजी केस को प्राथमिकता पर सुनवाई के लिए ले लेता है और जिस मरजी केस को ठंडे बस्ते में डाल देता है। जहाँ एक व्यक्ति पर ही असर हो, उस केस में अग्रिम जमानत की सुनवाई कर लेते हैं पर जहाँ लाखों करोड़ों लोगों की बात हो वहाँ टाल देते हैं। मी लॉर्ड, यह तो आपके विवेकाधीन है कि आप किसे महत्वपूर्ण मानें और किसे नहीं। अब क्या प्रशांत भूषण यह भी बतायेंगे कि किस केस को पहले सुनना है और किसे बाद में। मी लॉर्ड, आप बस अपने विवेक के अनुसार काम कीजिए। मी लॉर्ड बस एक गुजारिश है। यह अपने विवेकानुसार काम करने का अधिकार सभी को दे दीजिये। एक अफसर भी स्वयं निश्चय करे कि किसका काम पहले करना है और किसका बाद में, और किसका नहीं ही करना है। ऐसे ही चिकित्सक भी निश्चय ले सकें कि किस मरीज का इलाज अभी करना है और किसका मृत्यु उपरांत।

 मी लॉर्ड, अंत में आप से अनुरोध है कि प्रशांत भूषण को इतना कठोर दंड दीजिए कि मिसाल बन जाये। कोई भी न्यायालय पर, न्यायाधीशों पर आंख न उठा सके। मी लॉर्ड, मैं तो एक अदना सा आम आदमी हूँ, कोई प्रशांत भूषण तो हूँ नहीं। मेरे से कोई ग़लती हो गई हो तो बिना शर्त माफी मांगने के लिए तैयार हूँ।

 

(इस व्यंग्य स्तंभ के लेखक पेशे से चिकित्सक हैं।)

tirchi nazar
Satire
Political satire
prashant bhushan
Prashant Bhushan Contempt case
Supreme Court of India
Judiciary
India

Related Stories

तिरछी नज़र: ओमीक्रॉन आला रे...

भारत और अफ़ग़ानिस्तान:  सामान्य ज्ञान के रूप में अंतरराष्ट्रीय राजनीति

तिरछी नज़र: सरकार जी का बर्थ-डे और एक और नया ‘वर्ल्ड रिकॉर्ड’

कभी रोज़गार और कमाई के बिंदु से भी आज़ादी के बारे में सोचिए?

स्पायवेअर अर्थात जासूसी सॉफ्टवेयर – जनतंत्र के ख़िलाफ़ नया हथियार!

पेटेंट बनाम जनता

सेंट्रल विस्टा, वैक्सीन बिजनेस और अस्पताल-ऑक्सीजन बिना मरते लोग

महामारी के दौर में भारतः राजनीति का धर्म और धर्म की राजनीति

कोरोना संकट में भी बीजेपी नेताओं की बेरुखी

अम्बेडकरवादी चेतना के अफ़सानों का दस्तावेज़: वेटिंग फ़ॉर अ वीज़ा


बाकी खबरें

  • भाषा
    बच्चों की गुमशुदगी के मामले बढ़े, गैर-सरकारी संगठनों ने सतर्कता बढ़ाने की मांग की
    28 May 2022
    राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के हालिया आंकड़ों के मुताबिक, साल 2020 में भारत में 59,262 बच्चे लापता हुए थे, जबकि पिछले वर्षों में खोए 48,972 बच्चों का पता नहीं लगाया जा सका था, जिससे देश…
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: मैंने कोई (ऐसा) काम नहीं किया जिससे...
    28 May 2022
    नोटबंदी, जीएसटी, कोविड, लॉकडाउन से लेकर अब तक महंगाई, बेरोज़गारी, सांप्रदायिकता की मार झेल रहे देश के प्रधानमंत्री का दावा है कि उन्होंने ऐसा कोई काम नहीं किया जिससे सिर झुक जाए...तो इसे ऐसा पढ़ा…
  • सौरभ कुमार
    छत्तीसगढ़ के ज़िला अस्पताल में बेड, स्टाफ और पीने के पानी तक की किल्लत
    28 May 2022
    कांकेर अस्पताल का ओपीडी भारी तादाद में आने वाले मरीजों को संभालने में असमर्थ है, उनमें से अनेक तो बरामदे-गलियारों में ही लेट कर इलाज कराने पर मजबूर होना पड़ता है।
  • सतीश भारतीय
    कड़ी मेहनत से तेंदूपत्ता तोड़ने के बावजूद नहीं मिलता वाजिब दाम!  
    28 May 2022
    मध्यप्रदेश में मजदूर वर्ग का "तेंदूपत्ता" एक मौसमी रोजगार है। जिसमें मजदूर दिन-रात कड़ी मेहनत करके दो वक्त पेट तो भर सकते हैं लेकिन मुनाफ़ा नहीं कमा सकते। क्योंकि सरकार की जिन तेंदुपत्ता रोजगार संबंधी…
  • अजय कुमार, रवि कौशल
    'KG से लेकर PG तक फ़्री पढ़ाई' : विद्यार्थियों और शिक्षा से जुड़े कार्यकर्ताओं की सभा में उठी मांग
    28 May 2022
    नई शिक्षा नीति के ख़िलाफ़ देशभर में आंदोलन करने की रणनीति पर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सैकड़ों विद्यार्थियों और शिक्षा से जुड़े कार्यकर्ताओं ने 27 मई को बैठक की।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License