NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
साहित्य-संस्कृति
भारत
राजनीति
तिरछी नज़र : रफ़ाल आला रे आला, इतिहास लिखा डाला रे डाला
जब इतिहास पुरुष देश सम्हालते हैं तो हर रोज नया इतिहास न बने, न लिखा जाये, यह नामुमकिन है। अब रफ़ाल जहाज़ देश ने खरीदा है तो यह ऐतिहासिक ही है। इससे पहले भी मिग खरीदे गए, सुखोई खरीदे गए, मिराज भी खरीदे गए पर वह ऐतिहासिक नहीं था क्योंकि वे रफ़ाल नहीं थे।
डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
02 Aug 2020
रफ़ाल आला रे आला

बीती 29 जुलाई को देश में पाँच रफ़ाल लड़ाकू विमानों की डिलीवरी हो गई। 27 जुलाई को फ्रांस से चले ये हवाई जहाज़, आठ हजार किलोमीटर की लम्बी दूरी तय कर, दो दिन बाद भारत में अम्बाला हवाई अड्डे पर उतर गए। यह दिन इतिहास में लिख लिया गया है। यह दिन ऐतिहासिक है। इस दिन, 29 जुलाई से पहले हमारे पास एक भी रफ़ाल हवाई जहाज़ नहीं था और इस दिन, 29 जुलाई के बाद हमारे पास रफ़ाल हवाई जहाज़ है नहीं, हैं। एक नहीं, पाँच।

tirchi nazar_4.png

यह काल ही इतिहास बनाने का काल है। इस काल में जितने ऐतिहासिक कार्य हुए हैं, किसी भी काल में इतने कम समय में नहीं हुए हैं। पहला इतिहास तो 26 मई 2014 को ही लिखा गया। उसके बाद लगातार इतिहास लिखा भी जा रहा है और बनाया भी जा रहा है। हर दूसरे हफ्ते कोई न कोई इतिहास लिख दिया जाता है। यह बात अलग है कि इतिहास बनता है और अगले ही दिन लोग उसे भूल जाते हैं। फिर नया इतिहास बनाना पड़ता है।

जब इतिहास पुरुष देश सम्हालते हैं तो हर रोज नया इतिहास न बने, न लिखा जाये, यह नामुमकिन है। अब रफ़ाल जहाज़ देश ने खरीदा है तो यह ऐतिहासिक ही है। इससे पहले भी मिग खरीदे गए, सुखोई खरीदे गए, मिराज भी खरीदे गए पर वह ऐतिहासिक नहीं था क्योंकि वे रफ़ाल नहीं थे। शायद ही कोई बता सके कि देश में पहला मिग, पहला सुखोई या फिर पहला मिराज किस दिन आया था। वह दिन ऐतिहासिक नहीं था इसीलिए याद नहीं है। 

याद तो यह भी नहीं है कि एचएएल में बना नैट हवाई जहाज़ किस दिन भारतीय वायुसेना को सौंपा गया था। वह भारत में बना जहाज़ था। उसी एचएएल में बना था जिसे आज की सरकार नकार चुकी है। वही नैट हवाई जहाज़, जिसने 1965 के युद्ध में अमेरिकी सैबरजेट के पसीने छुड़ा दिये थे। वह दिन जिस दिन नैट हवाई जहाज़ भारतीय वायुसेना को सोंपा गया था, ऐतिहासिक नहीं था। उसकी तारीख किसी को याद नहीं है।

लेकिन रफ़ाल का भारत आना इसलिए ऐतिहासिक है क्योंकि रफ़ाल के भारत में आने से पाकिस्तान घबराया हुआ है, हलकान है। उसकी बौखलाहट भारत के टीवी एंकरों ने साफ देखी है। वह भारत से आँख नहीं मिला पा रहा है। चीन अलग से परेशान है। रफ़ाल के भारत आने से चीन को शुगर की बीमारी हो गई है। उसकी बल्ड टैस्ट की रिपोर्ट भी टीवी पर सार्वजनिक कर दी गई है। उसके पास भी रफ़ाल का जवाब नहीं है। रफ़ाल के आने से शी का चीन मोदी के भारत के सामने कहीं भी टिक नहीं पा रहा है। घुटने टेक देगा। इसीलिए रफ़ाल का भारत की सरजमीं पर आना ऐतिहासिक है।

लेकिन 29 जुलाई हमेशा याद रखेंगे। यह दिन हर वर्ष मनाया जायेगा। यह ऐतिहासिक जो है। ऐसा नहीं है कि भारतीय वायुसेना को पहली बार कोई लड़ाकू हवाई जहाज़ मिले हैं। यह दिन याद रखा जायेगा इसलिए कि शायद पहली बार इस सरकार ने कुछ खरीददारी की है। जब बेचने की आदतों वाला कोई खरीददारी करे तो याद रखने की बात तो बनती ही है। जब घर के बरतन भांडे बेच फ्रिज खरीदा जाये तो वह फ्रिज भी याद रहता है और उसको खरीदने की तारीख भी।

लेकिन इतिहास लिखवाने वाली सरकार को जब तक जल्दी जल्दी इतिहास न लिखा जाये, संतोष नहीं है। माना तो यह भी जा रहा है कि इतिहास लिखने के चक्कर में चीजें दोबारा भी की जा रही हैं। आने वाले सप्ताह में, पाँच अगस्त को फिर एक ऐतिहासिक चीज होने जा रही है। एक भूमि, जिसका पूजन पहले भी हो चुका है, उसका पूजन दोबारा किया जा रहा है। वैसे भी पूजा ही तो है, जितनी बार कर लो, अच्छा है। मौका मिला तो तीसरी बार भी कर ली जायेगी। पूजा भी हो जाये और वोट भी मिल जायें तो और भी अच्छा है। और यहाँ तो इतिहास भी लिखा जा रहा है।

(लेखक पेशे से चिकित्सक हैं।)

tirchi nazar
Satire
Political satire
Rafale
Rafale in India
modi sarkar
Indian media

Related Stories

तिरछी नज़र: सरकार-जी, बम केवल साइकिल में ही नहीं लगता

विज्ञापन की महिमा: अगर विज्ञापन न होते तो हमें विकास दिखाई ही न देता

तिरछी नज़र: बजट इस साल का; बात पच्चीस साल की

…सब कुछ ठीक-ठाक है

तिरछी नज़र: ‘ज़िंदा लौट आए’ मतलब लौट के...

तिरछी नज़र: ओमीक्रॉन आला रे...

तिरछी नज़र: ...चुनाव आला रे

चुनावी चक्रम: लाइट-कैमरा-एक्शन और पूजा शुरू

कटाक्ष: इंडिया वालो शर्म करो, मोदी जी का सम्मान करो!

तिरछी नज़र: विश्व गुरु को हंसना-हंसाना नहीं चाहिए


बाकी खबरें

  • hisab kitab
    न्यूज़क्लिक टीम
    लोगों की बदहाली को दबाने का हथियार मंदिर-मस्जिद मुद्दा
    20 May 2022
    एक तरफ भारत की बहुसंख्यक आबादी बेरोजगारी, महंगाई , पढाई, दवाई और जीवन के बुनियादी जरूरतों से हर रोज जूझ रही है और तभी अचनाक मंदिर मस्जिद का मसला सामने आकर खड़ा हो जाता है। जैसे कि ज्ञानवापी मस्जिद से…
  • अजय सिंह
    ‘धार्मिक भावनाएं’: असहमति की आवाज़ को दबाने का औज़ार
    20 May 2022
    मौजूदा निज़ामशाही में असहमति और विरोध के लिए जगह लगातार कम, और कम, होती जा रही है। ‘धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाना’—यह ऐसा हथियार बन गया है, जिससे कभी भी किसी पर भी वार किया जा सकता है।
  • India ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    ज्ञानवापी विवाद, मोदी सरकार के 8 साल और कांग्रेस का दामन छोड़ते नेता
    20 May 2022
    India Ki Baat के दूसरे एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, भाषा सिंह और अभिसार शर्मा चर्चा कर रहे हैं ज्ञानवापी विवाद, मोदी सरकार के 8 साल और कांग्रेस का दामन छोड़ते नेताओं की। एक तरफ ज्ञानवापी के नाम…
  • gyanvapi
    न्यूज़क्लिक टीम
    पूजा स्थल कानून होने के बावजूद भी ज्ञानवापी विवाद कैसे?
    20 May 2022
    अचानक मंदिर - मस्जिद विवाद कैसे पैदा हो जाता है? ज्ञानवापी विवाद क्या है?पक्षकारों की मांग क्या है? कानून से लेकर अदालत का इस पर रुख क्या है? पूजा स्थल कानून क्या है? इस कानून के अपवाद क्या है?…
  • भाषा
    उच्चतम न्यायालय ने ज्ञानवापी दिवानी वाद वाराणसी जिला न्यायालय को स्थानांतरित किया
    20 May 2022
    सर्वोच्च न्यायालय ने जिला न्यायाधीश को सीपीसी के आदेश 7 के नियम 11 के तहत, मस्जिद समिति द्वारा दायर आवेदन पर पहले फैसला करने का निर्देश दिया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License