NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कोविड-19
साहित्य-संस्कृति
भारत
राजनीति
तिरछी नज़र: कोरोना का वायरस बहुत ही खुश है!
उस बड़े वायरस में अमर होने की बहुत ही अधिक अभिलाषा है। उसे पता है कि अमर होना है तो नये बने संसद भवन के शिलालेख पर नाम होना चाहिये, राम मंदिर की पट्टिका पर नाम होना चाहिये।
डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
09 May 2021
वायरस
Image courtesy : The Hindu

कोरोना की दूसरी लहर चल रही है। पिछले कुछ दिनों से मरीज चार लाख के आसपास चल रहे हैं। कभी कुछ कम, कभी कुछ ज्यादा। इस बीमारी के खिलाफ मरीज और डाक्टर मिल कर लड़ाई लड़ रहे हैं। लोग कह रहे हैं कि सरकार कहीं दिखाई नहीं दे रही है। वैसे भी बीमारी में मरीज होता है और डाक्टर। सरकार का क्या मतलब। लोग बाग तो वैसे ही सरकार को दोष दे रहे हैं। कुछ लोगों का तो काम ही बस यही है कि सरकार में दोष निकालते रहो। 

कोरोना के खिलाफ लड़ाई में डाक्टर अपने मरीज को उसकी बीमारी के हिसाब से दवा दारू तो देता ही है, उसे पोष्टिक भोजन करने के लिए भी कहता है और समझाता है कि हिम्मत नहीं हारनी है। अपनी इच्छा शक्ति को मजबूत रखना है। कोरोना के बारे में अधिक नहीं सोचना है। नकारात्मक खबरें नहीं देखना है। घर पर आइसोलेशन में हो तो खबरें न देख मनोरंजक कार्यक्रम देखने हैं। वैसे भी बहुत सारे चैनलों पर समाचार भी मनोरंजन वाले कार्यक्रमों से भी अधिक मनोरंजक होते हैं। 

हमारे देश में कोरोना के वायरस से भी बड़ा एक वायरस है। वह वायरस कोरोना के वायरस की तरह ही भीड़ को देख कर खुश होता है। वह वायरस कोरोना काल में भी भीड़ इकट्ठी करता है और भीड़ देख कर अभीभूत हो जाता है। वह वायरस खुश हो कहता है 'जिधर देखो लोग ही लोग दिखाई दे रहे हैं'। वह वायरस भीड़ देख सोचता है कि उसका प्रचार प्रसार हो रहा है। उस बड़े वायरस से कोरोना का छोटा सा वायरस बहुत ही खुश है। जब वह वायरस अपना प्रचार कर रहा होता है तो वास्तव में प्रसार तो कोरोना के वायरस का ही हो रहा होता है। 

लेकिन कोरोना के मामले में यह बड़ा वाला वायरस डाक्टर की एक सलाह तो जरूर ही मानता है। कोरोना पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देता है। कोरोना के बारे में बिल्कुल भी नहीं सोचता है। कोरोना की खबरें उस तक अगर पहुंचती भी हैं तो उन्हें बिना देर किए डस्ट बिन में डाल देता है। नकारात्मक खबरें तो बिल्कुल ही नहीं देखता, सुनता या पढ़ता है। नकारात्मकता उसे बिल्कुल भी पसंद नहीं है। जलते शवों में भी मनोरंजन ढूंढ उत्सव मनाने की बातें करता है। 

उस बड़े वायरस में सकारात्मकता इतनी है कि उसने कोरोना के संक्रमण से अपना ध्यान पूरी तरह से हटा रखा है। वह 'काम की बात' से ज्यादा 'मन की बात' करता है। वह आज भी 'मन की बात' में कोरोना के अलावा कोई भी बात कर सकता है। वह या तो कोई साधु है, या फिर योगी या फकीर है। वह सचमुच ही कोई पहुंचा हुआ तपस्वी है जिसकी तपस्या को कोरोना जैसी महामारी भी भंग नहीं कर पा रही है। 

उस बड़े वायरस ने जरूर ही अपने बचपन में साबरमती के किनारे बालू और रेत के भव्य किले बनाये होंगे (उसके बचपन का वृतांत लिखने वाले लेखक जरा ध्यान दें)। इसीलिए उसने कोरोना काल में भी अस्पतालों में बिस्तर बढ़ाने, आक्सीजन की सप्लाई दुरस्त करने जैसे अस्थायी काम करने की बजाय राम मंदिर का शिलान्यास करने, नये संसद भवन और प्रधानमंत्री आवास को बनाने जैसे स्थायी  काम करने पर जोर दिया। उसे पता है कि नाम स्थायी कामों से ही अमर होता है। 

उस बड़े वायरस में अमर होने की बहुत ही अधिक अभिलाषा है। उसे पता है कि अमर होना है तो नये बने संसद भवन के शिलालेख पर नाम होना चाहिये, राम मंदिर की पट्टिका पर नाम होना चाहिये। वह जानता है कि आने वाली पीढ़ियाँ संसद भवन के शिलालेख पर और मंदिर की पट्टिका पर नाम पढ़ सदियों तक उसे याद रखेंगी। कोरोना को कैसे मिसमैनेज किया, लोग यह तो साल, दो साल में भूल जायेंगे पर राम मंदिर और नई संसद को लोग दशकों तक याद रखेंगे। 

कोरोना के छोटे वायरस को यह बड़ा वायरस इसलिए भी पसंद है क्योंकि यह बड़ा वायरस बहुत ही अधिक लोकतांत्रिक है। लोकतंत्र की विश्व सूची में हम भले ही गिरते जा रहे हों पर चुनाव कराने में हम सबसे आगे हैं। इस बड़े वायरस को चुनाव बहुत ही पसंद हैं और कोरोना के सूक्ष्म वायरस को भी चुनाव बहुत पसंद हैं। जब पहली लहर थी, बिहार और झारखंड में चुनाव थे और अब दूसरी लहर में भी पांच पांच राज्यों में चुनाव थे। कोरोना का यह छोटा सा वायरस अपने बड़े भाई, बड़े वायरस की वजह से ही इतना फैल पाया है। इसीलिए ही यह कोरोना का यह वायरस बड़े वायरस से बहुत ही खुश है। 

(इस व्यंग्य स्तंभ के लेखक पेशे से चिकित्सक हैं।)

tirchi nazar
Satire
Political satire
COVID-19
Coronavirus
Coronavirus 2nd wave
Central Vista Project
Modi government

Related Stories

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 84 दिन बाद 4 हज़ार से ज़्यादा नए मामले दर्ज 

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के मामलों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी, 24 घंटों में दर्ज हुए 3,712 मामले 

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में 2,745 नए मामले, 6 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 2,706 नए मामले, 25 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,685 नए मामले दर्ज

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,710 नए मामले, 14 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा


बाकी खबरें

  • रवि कौशल
    डीयूः नियमित प्राचार्य न होने की स्थिति में भर्ती पर रोक; स्टाफ, शिक्षकों में नाराज़गी
    24 May 2022
    दिल्ली विश्वविद्यालय के इस फैसले की शिक्षक समूहों ने तीखी आलोचना करते हुए आरोप लगाया है कि इससे विश्वविद्यालय में भर्ती का संकट और गहरा जाएगा।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    पश्चिम बंगालः वेतन वृद्धि की मांग को लेकर चाय बागान के कर्मचारी-श्रमिक तीन दिन करेंगे हड़ताल
    24 May 2022
    उत्तर बंगाल के ब्रू बेल्ट में लगभग 10,000 स्टाफ और सब-स्टाफ हैं। हड़ताल के निर्णय से बागान मालिकों में अफरा तफरी मच गयी है। मांग न मानने पर अनिश्चितकालीन हड़ताल का संकेत दिया है।
  • कलिका मेहता
    खेल जगत की गंभीर समस्या है 'सेक्सटॉर्शन'
    24 May 2022
    एक भ्रष्टाचार रोधी अंतरराष्ट्रीय संस्थान के मुताबिक़, "संगठित खेल की प्रवृत्ति सेक्सटॉर्शन की समस्या को बढ़ावा दे सकती है।" खेल जगत में यौन दुर्व्यवहार के चर्चित मामलों ने दुनिया का ध्यान अपनी तरफ़…
  • आज का कार्टून
    राम मंदिर के बाद, मथुरा-काशी पहुँचा राष्ट्रवादी सिलेबस 
    24 May 2022
    2019 में सुप्रीम कोर्ट ने जब राम मंदिर पर फ़ैसला दिया तो लगा कि देश में अब हिंदू मुस्लिम मामलों में कुछ कमी आएगी। लेकिन राम मंदिर बहस की रेलगाड़ी अब मथुरा और काशी के टूर पर पहुँच गई है।
  • ज़ाहिद खान
    "रक़्स करना है तो फिर पांव की ज़ंजीर न देख..." : मजरूह सुल्तानपुरी पुण्यतिथि विशेष
    24 May 2022
    मजरूह सुल्तानपुरी की शायरी का शुरूआती दौर, आज़ादी के आंदोलन का दौर था। उनकी पुण्यतिथि पर पढ़िये उनके जीवन से जुड़े और शायरी से जुड़ी कुछ अहम बातें।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License