NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
राज्यसभा सांसद बनने के लिए मीडिया टाइकून बन रहे हैं मोहरा!
राज्यसभा जाने के लिए अब मीडिया जगत के दिग्गजों पर भी दांव खेला जा रहा है। पहले राजस्थान में भाजपा के समर्थन से सुभाष चंद्रा और अब हरियाणा से आईटीवी नेटवर्क के कार्तिकेय शर्मा का नाम सामने आ गया है।
प्रेम कुमार
02 Jun 2022
Kartikeya Sharma and Subhash Chandra
कार्तिकेय शर्मा (बाएं), सुभाष चंद्रा (दाएं)

मीडिया का इस्तेमाल कांग्रेस को कमजोर करने के लिए खुले तौर पर होता दिख रहा है। राज्यसभा चुनाव में जी समूह के प्रमुख सुभाष चंद्रा और आईटीवी नेटवर्क के डायरेक्टर कार्तिकेय शर्मा के चुनाव मैदान में आ डटने से यह स्थिति बनी है। दोनों ही उम्मीदवार निर्दलीय बनकर राजनीतिक दल को मात देने की महत्वाकांक्षा के साथ उतरे हैं। नुकसान की आशंका कांग्रेस को दिख रही है।

एक और मीडिया घराने के मालिक राजीव शुक्ला भी चुनाव मैदान में हैं लेकिन वे मीडिया घराने के बजाए विशुद्ध रूप से कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर राज्यसभा के लिए चुनाव मैदान में हैं। हालांकि पार्टी के भीतर उनकी उम्मीदवारी का भी विरोध हो रहा है। हालांकि अभी चर्चा उन दो मीडिया घराने के उम्मीदवारों की, जिनकी मौजूदगी ने हरियाणा और राजस्थान में राज्यसभा चुनाव को रोचक बना दिया है।

प्रमोद तिवारी नहीं खुद सीएम गहलोत के लिए चुनौती हैं सुभाष चंद्रा

राज्यसभा सदस्य सुभाष चंद्रा का दक्षिणपंथी रुझान किसी से छिपा नहीं है और पहले भी वे बीजेपी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में राज्यसभा का चुनाव जीत चुके हैं। मगर, इस बार स्थिति भिन्न है। वे अपने गृह प्रदेश हरियाणा से नहीं, बल्कि राजस्थान से चुनाव मैदान में हैं। यहां चार सीटों के लिए कांग्रेस के तीन उम्मीदवार हैं और बीजेपी का एक। सुभाष चंद्रा सीधे तौर पर कांग्रेस के उम्मीदवार प्रमोद तिवारी के लिए ख़तरा बनते रहे हैं। मगर, वास्तव में देखा जाए तो वे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए चुनौती बने हुए दिख रहे हैं।

कांग्रेस ने राजस्थान में किसी भी स्थानीय को राज्यसभा उम्मीदवार नहीं बनाया है। रणदीप सुरजेवाला, मुकुल वासनिक और प्रमोद तिवारी कांग्रेस की ओर से उम्मीदवार हैं। वहीं, बीजेपी की ओर से घनश्याम तिवारी उम्मीदवार हैं। राजस्थान में जीत के लिए 41 वोटों की जरूरत है।

राजस्थान में किस दल के कितने विधायक

कांग्रेस के तीन राज्यसभा सदस्य तभी चुने जा सकते हैं जब उसके पास 123 विधायक हों। कांग्रेस पार्टी के पास अपने 108 विधायक हैं। मतलब यह कि उसके पास अतिरिक्त 26 विधायक हैं और उसे 15 विधायकों की जरूरत है। कांग्रेस को उम्मीद है कि उसे समर्थन दे रहे 13 निर्दलीय और सीपीएम के दो विधायकों के अलावा बीटीपी के 2, आरएलडपी के 3 और आरएलडी के 1 विधायक भी उनका ही समर्थन करेंगे। इस तरह कांग्रेस के तीसरे उम्मीदवार की जीत में कोई बाधा नहीं है।

राजस्थान में क्रॉस वोटिंग रोक पाएंगे गहलोत?

काग़ज़ पर कांग्रेस की जीत सुनिश्चित भले ही दिख रही है लेकिन राजस्थान में क्रॉस वोटिंग का इतिहास रहा है। कोई पार्टी इससे अछूती नहीं रही है। ताज़ा राज्यसभा चुनाव में राजस्थान से किसी भी उम्मीदवार को मौका नहीं देना कांग्रेस के भीतर भावनात्मक मुद्दा है। इसके अलावा अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच की अदावत भी क्रॉस वोटिंग की वजह हो सकती है। इन्हीं वजहों से भाजपा ने सुभाष चंद्रा को निर्दलीय उम्मीदवार बनाकर चुनाव मैदान में खड़ा किया है ताकि वे मीडिया की अपनी ताकत भी कांग्रेस को कमज़ोर करने में इस्तेमाल कर सकें।

सुभाष चंद्रा के लिए बीजेपी 30 वोटों का इंतज़ाम करके बैठी हुई है। उन्हें 11 और वोट चाहिए। विकल्प बहुतेरे हैं। निर्दलीय से लेकर छोटे दल और खुद कांग्रेस में सेंधमारी से इन वोटों का जुगाड़ संभव हो सकता है। मगर, क्या सुभाष चंद्रा ऐसा कर पाएंगे? यह सवाल इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अगर राजस्थान में तीसरे राज्यसभा उम्मीदवार की हार होती है तो यह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कौशल और चुनाव प्रबंधन की हार मानी जाएगी। मुख्यमंत्री के तौर पर इससे उनका राजनीतिक भविष्य भी ख़तरे में पड़ सकता है। जाहिर है पार्टी के भीतर की गुटबाजी निश्चित रूप से गहलोत को मुश्किल भरी स्थिति में डाल देगा।

इसे भी पढ़ें : राज्यसभा चुनाव: टिकट बंटवारे में दिग्गजों की ‘तपस्या’ ज़ाया, क़रीबियों पर विश्वास

हरियाणा में कार्तिकेय बीजेपी के नहीं, कांग्रेस के हैं प्रतिद्वंद्वी

हरियाणा में भी मीडिया घराने से कार्तिकेय शर्मा की उम्मीदवारी ने राज्यसभा चुनाव को दिलचस्प बना दिया है। कार्तिकेय शर्मा की उम्मीदवारी से कांग्रेस को नुकसान होगा या बीजेपी को, पहले इसे समझ लेना जरूरी है। कांग्रेस ने अजय माकन और बीजेपी ने कृष्णलाल पंवार को चुनाव मैदान में उतारा है। हरियाणा से 2 सीटें और 3 उम्मीदवार हैं। जीत के लिए पहले उम्मीदवार को चाहिए 31 वोट और दूसरे उम्मीदवार को 30. कांग्रेस के पास जरूरत से 1 ज्यादा है और बीजेपी के पास 9. इसके बावजूद तीसरे उम्मीदवार के लिए गुंजाइश बनती नहीं दिख रही है। ऐसे में कार्तिकेय शर्मा ने किस उम्मीद में चुनाव मैदान में एंट्री की है यह समझना दिलचस्प है।

हरियाणा में किस दल के कितने विधायक

जेजेपी के 10 विधायकों का समर्थन पा चुके कार्तिकेय शर्मा के लिए बीजेपी 9 विधायकों समेत 19 विधायकों के समर्थन का इंतजाम हो चुका माना जा सकता है। अब अगर सभी 7 निर्दलीय विधायकों का भी कार्तिकेय शर्मा के लिए प्रबंधन हो जाता है तो वोटों की गिनती पहुंच जाती है 26. अब एचएलपी और आईएनएलडी के एक-एक वोट भी अगर उन्हें मिल गये तो संख्या हो जाती है 28. मगर, इसके आगे कम से कम 2 सीटें बाकी रह जाती हैं।

कांग्रेस के लिए यही दो वोट बचाना भारी पड़ सकता है। क्या कांग्रेस अपने विधायकों को सुरक्षित रख सकेगी? इस प्रश्न का भी जवाब ढूंढना होगा कि खतरा बीजेपी को क्यों नहीं है और कांग्रेस को क्यों है?

कार्तिकेय शर्मा से कांग्रेस को पांच कारणों से है ख़तरा-

* कार्तिकेय शर्मा वरिष्ठ कांग्रेस नेता विनोद शर्मा के बेटे हैं। वे हरियाणा में मंत्री भी रह चुके हैं और कांग्रेस में उनकी पकड़ रही है।

* कार्तिकेय शर्मा कांग्रेस से राज्यसभा उम्मीदवार अजय माकन के लिए उम्मीदवार और प्रतिद्वंद्वी भी हैं क्योंकि कांग्रेस ने न तो कार्तिकेय के समर्थन का एलान किया है और न ही समर्थन करने की उम्मीद है।

* कार्तिकेय के ससुर कुलदीप शर्मा भी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं और वे हरियाणा में स्थानीय उम्मीदवार नहीं देने का मसला उठाने के बहाने कार्तिकेय के लिए माहौल बनाने में जुट चुके हैं।

*कुलदीप विश्नोई का रुख भी महत्वपूर्ण है जिनके बारे में भी कहा जा रहा है कि वे पार्टी में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बढ़ते वर्चस्व से नाराज़ हैं और वे भीतरघात को बढ़ावा दे सकते हैं। हालांकि कांग्रेस ने दावा किया है कि कुलदीप विश्नोई पूरी तरह से कांग्रेस के साथ हैं।

* हरियाणा में रणदीप हुड्डा और शैलजा फैक्टर भी है। इन दोनों में से किसी को भी हरियाणा से राज्यसभा उम्मीदवार नहीं बनने देने पर अड़े भूपेंद्र सिंह हुड्डा को इनके समर्थकों के भितरघात का ख़तरा सता रहा है।

भाजपा राज्यसभा चुनाव में आरामदायक स्थिति में हैं। उसके अतिरिक्त वोट कार्तिकेय शर्मा के काम आएंगे। लिहाजा कार्तिकेय के प्रतिद्वंद्वी बीजेपी उम्मीदवार नहीं हैं। इसलिए बीजेपी को कार्तिकेय शर्मा से कोई खतरा हो, ऐसा नहीं लगता।

हरियाणा और राजस्थान में दो मीडिया टाइकून के राज्यसभा चुनाव में मौजूदगी को इस रूप में भी देखा जा सकता है कि राजनीति ने इन्हें मोहरा बना लिया है। वास्तव में ये कांग्रेस के खिलाफ मोहरे के तौर पर न सिर्फ बीजेपी के हाथों इस्तेमाल होंगे बल्कि मीडिया की शक्ति का भी दुरुपयोग करेंगे- यह तय लगता है। जेजेपी जैसे छोटे-छोटे दल बड़े खेल के छोटे खिलाड़ी भर नज़र आते हैं। डरी-सहमी कांग्रेस ने हरियाणा से अपने विधायकों को पड़ोसी राज्यों में रातों रात शिफ्ट करना शुरू कर दिया है। इससे भी पता चलता है कि कार्तिकेय शर्मा बीजेपी के लिए नहीं, कांग्रेस के लिए ख़तरा हैं।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

इसे भी पढ़ें - भाजपा के लिए सिर्फ़ वोट बैंक है मुसलमान?... संसद भेजने से करती है परहेज़

Rajya Sabha
Rajya Sabha MP
Media
Kartikeya Sharma
Subhash Chandra
Congress
BJP
Mainstream Media

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

डिजीपब पत्रकार और फ़ैक्ट चेकर ज़ुबैर के साथ आया, यूपी पुलिस की FIR की निंदा

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !


बाकी खबरें

  • श्रृंगार गौरी के दर्शन-पूजन मामले को सुनियोजित रूप से ज्ञानवापी मस्जिद-मंदिर के विवाद में बदला गयाः सीपीएम
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    श्रृंगार गौरी के दर्शन-पूजन मामले को सुनियोजित रूप से ज्ञानवापी मस्जिद-मंदिर के विवाद में बदला गयाः सीपीएम
    18 May 2022
    उत्तर प्रदेश सीपीआई-एम का कहना है कि सभी सेकुलर ताकतों को ऐसी परिस्थिति में खुलकर आरएसएस, भाजपा, विहिप आदि के इस एजेंडे के खिलाफ तथा साथ ही योगी-मोदी सरकार की विफलताओं एवं जन समस्याओं जैसे महंगाई, …
  • buld
    काशिफ़ काकवी
    मध्य प्रदेश : खरगोन हिंसा के एक महीने बाद नीमच में दो समुदायों के बीच टकराव
    18 May 2022
    टकराव की यह घटना तब हुई, जब एक भीड़ ने एक मस्जिद को आग लगा दी, और इससे कुछ घंटे पहले ही कई शताब्दी पुरानी दरगाह की दीवार पर हनुमान की मूर्ति स्थापित कर दी गई थी।
  • russia
    शारिब अहमद खान
    उथल-पुथल: राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता से जूझता विश्व  
    18 May 2022
    चाहे वह रूस-यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध हो या श्रीलंका में चल रहा संकट, पाकिस्तान में चल रही राजनीतिक अस्थिरता हो या फिर अफ्रीकी देशों में हो रहा सैन्य तख़्तापलट, वैश्विक स्तर पर हर ओर अस्थिरता बढ़ती…
  • Aisa
    असद रिज़वी
    लखनऊ: प्रोफ़ेसर और दलित चिंतक रविकांत के साथ आए कई छात्र संगठन, विवि गेट पर प्रदर्शन
    18 May 2022
    छात्रों ने मांग की है कि प्रोफ़ेसर रविकांत चंदन पर लिखी गई एफ़आईआर को रद्द किया जाये और आरोपी छात्र संगठन एबीवीपी पर क़ानूनी और अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाये।
  • food
    रश्मि सहगल
    अगर फ़्लाइट, कैब और ट्रेन का किराया डायनामिक हो सकता है, तो फिर खेती की एमएसपी डायनामिक क्यों नहीं हो सकती?
    18 May 2022
    कृषि विशेषज्ञ देविंदर शर्मा का कहना है कि आज पहले की तरह ही कमोडिटी ट्रेडिंग, बड़े पैमाने पर सट्टेबाज़ी और व्यापार की अनुचित शर्तें ही खाद्य पदार्थों की बढ़ती क़ीमतों के पीछे की वजह हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License