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"मुझे मास्टरमाइंड बताकर धोखे से घर से उठा लिया"
लखनऊ में स्वतंत्र पत्रकार अलीमुल्लाह ख़ान को 19 दिसंबर के देशव्यापी प्रदर्शन से पहले 18 दिसंबर की रात को पुलिस ने उठा लिया था। बाद में उन्हें ज़मानत पर रिहा किया गया। उन्होंने अपनी आपबीती हमें लिख भेजी है। यहां प्रस्तुत है अलीमुल्लाह की कहानी उन्हीं की ज़ुबानी
अलीमुल्ला ख़ान
23 Dec 2019
 Alimullah Khan

18 दिसबंर की रात आठ बजे का वक्त था। रात के खाने की तैयारी चल रही थी। तभी किसी ने दरवाज़ा खटखटाया। मैं घर पर नहीं था। मेरे बेटे गज़ाली हसन ख़ान ने दरवाज़ा खोला और देखा कि सामने चार-पांच पुलिस वाले हैं। उन्होंने मेरे बारे में पूछा तो बेटे ने बताया कि अब्बू घर पर नहीं हैं। मैं घर से बाहर अगले दिन लखनऊ में होने वाले प्रोटेस्ट की तैयारी कर रहा था। मेरे साथ मेरे दोस्त तौसीफ काज़ी भी थे।

पुलिस वालों ने बेटे से कहा कि डॉक्टर साहब पत्रकार हैं ज़रा उनसे बात करनी थी। तभी उनका मेरे फोन पर फोन आया कि ज़रा घर आइए...आपसे बात करनी है। मैं फौरन घर पहुंचा तो कहने लगे कि ज़रा थाने चलिए, चाय पियेंगे और दो मिनट बात करेंगे। हमने अपनी गाड़ी उनकी गाड़ी के पीछे लगा ली। हम लोग अलीगंज थाने पहुंचे।

कहने लगे कि भाई आप लोग कल क्या कर रहे हैं? हमने कहा कि कुछ नहीं, एक पीसफुल प्रोटेस्ट के लिए कॉल दिया है। वह कहने लगे कि पीसफुल प्रोटेस्ट नहीं बल्कि दंगा भड़काने की साजिश है और आप लोग इसके मास्टरमाइंड हैं। हमने कहा कि मास्टरमाइंड नहीं ये जनता का पीसफुल एहतिजाज़ है तो उन्होंने कहा कि नहीं यह सब नहीं चलेगा। हमने कहा कि देश कानून से चलता है और देश के कानून ने अधिकार दिया है कि हम आम जनमानस के खिलाफ़ नीतियों को लेकर एहतिजाज़ करें और अपनी आवाज़ बुलंद करें। तो उन्होंने कहा कि धारा 144 लगा दिया है तो मैंने कहा कि धारा 144 लगा देना तो और भी खतरनाक है। खैर ये सब आरग्यूमेंटस होते रहे। फिर बताया कि आपको डिटेन किया गया है। कल शाम तक आप पुलिस हिरासत में रहेंगे।

रात होने लगी। कहर की सर्दी हो रही थी। मैंने कहा कि मुझे भूख लगी है और एक कंबल घर से मंगवाना है। उन लोगों ने इसपर कोई जवाब नहीं दिया। मुझे वायरलेस रूम में रखा गया। टेबल पर चार फोन रखे थे। उसी कमरे में एक चेन स्नेचर और एक शराबी को भी रखा गया था।

शराबी पर आरोप था कि उसने नशे की हालत में अपने पेरेंट्स पर पेट्रोल डालकर उन्हें जलाने की कोशिश की। उसी रूम में मुझे एक बैंच पर सोने के लिए बोला गया। मैं अपराधियों के साथ तो किसी कीमत पर रात नहीं बिता सकता था। सो पूरी रात कुर्सी पर ही बैठा रहा। मिलने के लिए लोग आते रहे।

मैंने सोने से इनकार कर दिया तो एक पुलिस वाले ने कहा कि मैं टेबल पर लगे मार्बल पर सो जाऊं। ऐसी कड़ाके की ठंड में एक चादर बिछाकर एक पतली सी चादर से मैंने पूरी रात बिताई।

अगले दिन शाम चार बजे तक दिनभर प्रोटेस्ट चला। खबरें आती रहीं। मेरा फोन जब्त था। वह मेरा फोन चेक करने लगे। मेरे निजी मैसेज देखने लगे। इसपर मैंने थाने में हंगामा कर दिया। तब कहने लगे कि ठीक है ग्रुप्स के मैसेज चेक कर रहे हैं। अगले दिन शाम हो गई, रात हो गई लेकिन मुझे छोड़ जाने का कोई हाव भाव नहीं दिखाई दे रहा था। देर रात में एसएचओ ने बताया कि आपको गिरफ्तार कर लिया गया है। मैने पूछा कि धाराएं क्या लगाई हैं तो कहने लगे कि कल कोर्ट में देख लेना। एसएचओ ने कहा कि एफआईआर की कॉपी पर साइन किजिए। मैंने पढ़ने के लिए एफआईआर मांगी तो साफ मना कर दिया।

सुबह मुझे कोर्ट ले जाया गया। वहां जाकर मुझे पता लगा कि मेरे खिलाफ 153 और 67 आईटी एक्ट लगाया। लेकिन मेरे लिए वहां वकीलों की कतार लगी थी। लगभग 18 वकील थे। जिन्होंने जिरह कर मुझे ज़मानत पर रिहा करवाया। मुझे ऐसे लगता है कि मैं तो रुपये-पैसे से संपन्न हूं और अपने लिए वकील या दूसरे इंतज़ाम कर सकता हूं लेकिन जिसका कोई नहीं, घर से मज़बूत नहीं, चार वक्त की रोटी नहीं, घर परिवार को कोई देखने वाला नहीं उन लोगों का क्या होता होगा।

(पत्रकार अलीमुल्लाह ख़ान ने इस लेख में अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं। न्यूज़क्लिक उनके आरोपों की स्वतंत्र तौर पर पुष्टि नहीं करता है।)

इसे भी पढ़े: द हिंदू के पत्रकार की आपबीती: 'ख़ामोश बैठे रहो वरना दंगे की साज़िश की धारा तहत कार्रवाई करेंगे'

CAA
Protest against CAA
CAB-NRC Protest
Lucknow
UttarPradesh
Journalist Alimullah Khan
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