कोविड-19 से बेहाल देश में आज चारों तरफ़ ऑक्सीजन की मांग हो रही है. लेकिन महामारी की भयावह लहर की आशंका के बावजूद सत्ताधारियो ने जितना ध्यान चुनावों पर, अंधाधुंध निजीकरण, सरकारी खर्चे बढ़ाने और नये सेन्ट्रल विस्टा के निर्माण जैसे गैर-जरूरी प्रकल्पो पर दिया, उतना अस्पतालों को बढ़ाने या ऑक्सीजन के नये संयंत्र लगाने पर नहीं. संसद की स्थायी समिति और विशेषज्ञ समूह की सिफारिशों को सरकार ने क्यों नज़रंदाज़ किया? HafteKiBaat के नये अंक में पूरी स्थिति पर वरिष्ठ पत्रकार Urmilesh का विश्लेषण .