NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
त्रिपुरा हिंसा:सुप्रीम कोर्ट वकीलों, पत्रकार के खिलाफ यूएपीए के तहत दर्ज प्राथमिकी रद्द करने के अनुरोध पर करेगी सुनवाई
प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और हिमा कोहली की पीठ को अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने सूचित किया कि तथ्य खोज समिति का हिस्सा रहे दो वकील और एक पत्रकार के खिलाफ उनकी सोशल मीडिया पोस्ट के आधार पर त्रिपुरा पुलिस ने यूएपीए के तहत कार्यवाही की है तथा प्राथमिकी दर्ज करके इन्हें दंड प्रक्रिया संहिता के तहत नोटिस जारी किये हैं।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
11 Nov 2021
sc

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को दो वकीलों और एक पत्रकार की उस याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जतायी, जिसमें त्रिपुरा में अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ कथित तौर पर हुई हिंसा के तथ्य सोशल मीडिया के जरिए साझा करने के आरोप में यूएपीए के कठोर प्रावधानों के तहत दर्ज आपराधिक मामले रद्द करने का अनुरोध किया गया है।

त्रिपुरा में अल्पसंख्यक समुदाय के पूजा स्थलों के खिलाफ कथित हिंसा को लेकर सोशल मीडिया पोस्ट के आधार पर उच्चतम न्यायालय के वकीलों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं समेत 102 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। तथ्य खोज समिति का हिस्सा रहे नागरिक समाज के सदस्यों ने भी गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के कुछ प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को इस आधार पर चुनौती दी है कि ''गैरकानूनी गतिविधियों'' की परिभाषा अस्पष्ट और व्यापक है।

इसके अलावा, कानूनन आरोपी को जमानत मिलना बेहद मुश्किल हो जाता है। हाल ही में बांग्लादेश में दुर्गा पूजा के दौरान अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा की खबरों के बाद त्रिपुरा में आगजनी, लूटपाट और हिंसा की घटनाएं हुईं।

 प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और हिमा कोहली की पीठ को अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने सूचित किया कि तथ्य खोज समिति का हिस्सा रहे दो वकील और एक पत्रकार के खिलाफ उनकी सोशल मीडिया पोस्ट के आधार पर त्रिपुरा पुलिस ने यूएपीए के तहत कार्यवाही की है तथा प्राथमिकी दर्ज करके इन्हें दंड प्रक्रिया संहिता के तहत नोटिस जारी किये हैं।
पीठ ने शुरुआत में पूछा, ''उच्च न्यायालय क्यों नहीं गए? आप उच्च न्यायालय के समक्ष गुहार लगाएं।''

 हालांकि, बाद में पीठ ने प्रशांत भूषण की इस दलील के बाद याचिका को सूचीबद्ध करने पर विचार करने के लिए सहमति जतायी कि प्राथमिकी रद्द करने के अनुरोध के अलावा इसमें यूएपीए के कुछ प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को भी चुनौती दी गई है।

 भूषण ने कहा, ''कृपया इसे सूचीबद्ध करें क्योंकि इन लोगों पर तात्कालिक कार्रवाई का खतरा है।'' इस पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा, '' मैं एक तारीख (सुनवाई के लिए) दूंगा।''
 राज्य में सांप्रदायिक हिंसा के बारे में कथित रूप से सूचना प्रसारित करने के लिए भारतीय दंड संहिता और यूएपीए प्रावधानों के तहत पश्चिम अगरतला पुलिस स्टेशन में दर्ज प्राथमिकी में अधिवक्ता मुकेश और अंसारुल हक पर आरोप लगाये गए हैं।

आपको बता दें कि एडवोकेट अंसार इंदौरी और एडवोकेट मुकेश चार सदस्यों की एक टीम के साथ 29 और 30 अक्टूबर को त्रिपुरा गए जिसके बाद उन्होंने "ह्यूमेनिटी अंडर अटैक इन त्रिपुरा" नामक रिपोर्ट जारी की जिसके अनुसार त्रिपुरा की सांप्रदायिक हिंसा में अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय की कई मस्जिदों, दुकानों और घरों को नुकसान पहुंचाया गया। इस रिपोर्ट ने राज्य को हिलाकर रख दिया।

इस घटना को लेकर अन्य लेखकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, और पत्रकारों आदि ने भी लिखा, बोला, लेकिन इन सबके खिलाफ यूएपीए जैसे कठोर कानून के तहत मामले दर्ज किए जा रहे हैं। ट्विटर तक को नोटिस दिया है।

हालाँकि अगरतला पुलिस ने इस तरह की कार्रवाई 100 अधिक सोशल मीडिया पोस्ट लिखने वाले अन्य लोगों पर भी की है। इन सभी पोस्टों में त्रिपुरा हिंसा की निंदा की गई थी और सरकार की आलोचना की गई थी। परन्तु पुलिस ने सभी को भ्रामक और झूठा, धार्मिक समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के साथ-साथ विभिन्न धार्मिक लोगों को भड़काने वाला बताकर सभी लिखने और प्रसार करने वालों पर यूएपीए के तहत केस दर्ज़ किया है। ट्वीटर इण्डिया से भी लगभग 60 से अधिक हैंडल को हटाने करने के लिए कहा है। इसमें सामाजिक कार्यकर्ता और कुछ पत्रकार भी शामिल हैं।  

इस रिपोर्ट में विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल आदि जैसे गुटों की भूमिका पर भी ध्यान डाला गया है, जिन्होंने अपनी रैली में नफरत फ़ैलाने और भीड़ को उकसाने का प्रयास किया। यह रैली तथाकथित रूप से बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ हुई सांप्रदायिक हिंसा के खिलाफ रोष व्यक्त करने के लिए रखी गई थी। पर इस रैली से पानीसगर डिवीजन में मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ हिंसा करने के लिए आह्वान किया गया।

मुस्लिम लाइव्स मैटर हैशटैग के साथ इस रिपोर्ट में बताया गया था कि इस हिंसा में 12 मस्जिदों, नौ दुकानों और मुस्लिम समुदाय के लोगों के तीन घरों पर हुए हमला हुआ।  .

ये पूरी रिपोर्ट न्यूज़क्लिक पर मौजूद है जिसे इस लिंक पर जाकर देखा जा सकता है।  

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ )

Supreme Court
Tripura Violence
Tripura violence and UAPA act
UAPA

Related Stories

ज्ञानवापी मस्जिद के ख़िलाफ़ दाख़िल सभी याचिकाएं एक दूसरे की कॉपी-पेस्ट!

आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र क़ानूनी मान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट

समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल

मायके और ससुराल दोनों घरों में महिलाओं को रहने का पूरा अधिकार

जब "आतंक" पर क्लीनचिट, तो उमर खालिद जेल में क्यों ?

विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक आदेश : सेक्स वर्कर्स भी सम्मान की हकदार, सेक्स वर्क भी एक पेशा

विशेष: कौन लौटाएगा अब्दुल सुब्हान के आठ साल, कौन लौटाएगा वो पहली सी ज़िंदगी

तेलंगाना एनकाउंटर की गुत्थी तो सुलझ गई लेकिन अब दोषियों पर कार्रवाई कब होगी?

मलियाना कांडः 72 मौतें, क्रूर व्यवस्था से न्याय की आस हारते 35 साल


बाकी खबरें

  • समीना खान
    ज़ैन अब्बास की मौत के साथ थम गया सवालों का एक सिलसिला भी
    16 May 2022
    14 मई 2022 डाक्टर ऑफ़ क्लीनिकल न्यूट्रीशन की पढ़ाई कर रहे डॉक्टर ज़ैन अब्बास ने ख़ुदकुशी कर ली। अपनी मौत से पहले ज़ैन कमरे की दीवार पर बस इतना लिख जाते हैं- ''आज की रात राक़िम की आख़िरी रात है। " (राक़िम-…
  • लाल बहादुर सिंह
    शिक्षा को बचाने की लड़ाई हमारी युवापीढ़ी और लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई का ज़रूरी मोर्चा
    16 May 2022
    इस दिशा में 27 मई को सभी वाम-लोकतांत्रिक छात्र-युवा-शिक्षक संगठनों के संयुक्त मंच AIFRTE की ओर से दिल्ली में राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर आयोजित कन्वेंशन स्वागत योग्य पहल है।
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: किसानों की दुर्दशा बताने को क्या अब भी फ़िल्म की ज़रूरत है!
    16 May 2022
    फ़िल्म सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी का कहना है कि ऐसा माहौल बनाना चाहिए कि किसान का बेटा भी एक फिल्म बना सके।
  • वर्षा सिंह
    उत्तराखंड: क्षमता से अधिक पर्यटक, हिमालयी पारिस्थितकीय के लिए ख़तरा!
    16 May 2022
    “किसी स्थान की वहनीय क्षमता (carrying capacity) को समझना अनिवार्य है। चाहे चार धाम हो या मसूरी-नैनीताल जैसे पर्यटन स्थल। हमें इन जगहों की वहनीय क्षमता के लिहाज से ही पर्यटन करना चाहिए”।
  • बादल सरोज
    कॉर्पोरेटी मुनाफ़े के यज्ञ कुंड में आहुति देते 'मनु' के हाथों स्वाहा होते आदिवासी
    16 May 2022
    2 और 3 मई की दरमियानी रात मध्य प्रदेश के सिवनी ज़िले के गाँव सिमरिया में जो हुआ वह भयानक था। बाहर से गाड़ियों में लदकर पहुंचे बजरंग दल और राम सेना के गुंडा गिरोह ने पहले घर में सोते हुए आदिवासी धनसा…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License