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राजनीति
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अमेरिका
ट्रम्प की विदाई हो चुकी है: डेमोक्रेट्स को अब उन्हें अप्रासंगिक बना देना होगा
लोगों के विविध समूहों ने इस बात को सुनिश्चित करने के लिए मतदान किया है ताकि ट्रम्प को दूसरे कार्यकाल का मौका न मिल सके। देश की राजनीति में भी इसे अनुसरण में लाना होगा।
सुहित के सेन
10 Nov 2020
ट्रम्प

चार दिनों तक चले बेहद सम्मोहक राजनीतिक थिएटर को उच्च गुणवत्ता वाली 24x7 अमेरिकी टेलीविजन चैनलों की रिपोर्टिंग ने कई गुना बढ़ा दिया था, इसके बाद जाकर पूर्व सीनेटर जोसफ आर बिडेन को 7 नवम्बर के दिन संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति के तौर पर चुने जाने की घोषणा की गई थी। दुनिया भर के लोगों ने अमेरिकियों के साथ राहत की साँस ली है। 

संयुक्त राज्य अमेरिका और विश्व ने जिसे हारा हुआ मान लिया था, उस विचार मात्र को कहा जाए तो, उसे राष्ट्रपति डोनाल्ड जे. ट्रम्प ने उठा दिया है, जो किसी विषाक्त बाल्टी के तौर पर देश के उपर लटक रही है। हालाँकि इस प्रकार के कथन को कहने के लिए आवश्यक योग्यता की दरकार है, लेकिन यह एक निर्विवाद सत्य है कि ट्रम्प की विघटनकारी एवं तबाहो-बर्बाद कर सकने की क्षमता में गुणात्मक तौर पर घटोत्तरी की जा सकती है यदि एक बार वे अपने वर्तमान 1600 पेनसिलवेनिया एवेन्यू वाले पते से बाहर निकल जाते हैं। जरूरत पड़ी तो उन्हें खींचकर, धक्के मारकर और चीखते चिल्लाते ही सही, निकाल बाहर किये जाने की आवश्यकता है।

पिछले चार वर्षों से जिस प्रकार से ट्रम्प के उपर घृणा की बौछार की जा रही है, वे इसी के लायक हैं, और इस बात में कोई संदेह नहीं कि भविष्य में भी यह बौछार जारी रहने वाली है। अपने राष्ट्रपति पद की रेस में जीत हासिल करने में बिडेन ने राष्ट्रपति पद की दौड़ में अब तक के किसी भी प्रतियोगी से बड़ी संख्या में मत हासिल कर लिए हैं। लेकिन अपनी हार में भी ट्रम्प को अब तक की दूसरी सबसे बड़ी संख्या में मत हासिल करने में कामयाबी मिली है, जिसमें वे 2008 के बराक ओबामा के रिकॉर्ड से आगे निकल गए हैं।

कुछ लोग इसे निवर्तमान राष्ट्रपति के एक प्रकार के प्रतिशोध के तौर पर देख रहे हैं। लेकिन कडवी हकीकत यह है कि ट्रम्प उन कुछ चुनिन्दा राष्ट्रपतियों के क्लब में शामिल हो चुके हैं जो दूसरी बार चुने जाने में असफल रहे। पिछले सौ सालों में कुल चार अन्य और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से उन इक्का दुक्का हार का मुहँ देखने वाले राष्ट्रपति जिमी कार्टर और जॉर्ज बुश सीनियर के क्लब में वे शामिल हो चुके हैं। यदि यह तथ्य सही है कि किसी पद पर आसीन राष्ट्रपति को हरा पाना असाधारण तौर पर कठिन काम है तो तार्किक तौर पर यह बात भी सही है कि पद पर रहते हुए भी कोई हार जाए, यह भी बेहद कठिन है।

ट्रम्प के पक्ष में किये गए विशाल मतों के पीछे की एक वजह यह भी है कि पिछले 120 वर्षों की तुलना में इस बार सबसे अधिक मतदान हुआ है। जाहिर सी बात है यह अपनेआप तो नहीं हुआ। ट्रम्प और बिडेन दोनों ही भारी संख्या में अपने पक्ष के मतदाताओं को बाहर निकालने में कामयाब रहे हैं - जिसमें बिडेन पर्याप्त मात्रा में मेल के जरिये मतदान में शामिल कराकर इसे अभूतपूर्व विस्तार दे पाने में सफल रहे हैं।

बिडेन के मामले में जो विशाल मतदान स्पष्ट तौर पर विविध समूहों के लोगों की अपनी इच्छा के चलते हुआ है, जो इस बात को सुनिश्चित करने के लिए बाहर निकले कि ट्रम्प को एक दूसरा कार्यकाल नहीं मिलना चाहिए। एक दूसरा कार्यकाल उनकी मलबे वाली गेंद को स्विंग करने का अवसर देने का मतलब था, लोकतंत्र को काम करने देने वाले संस्थानों और स्थापित सम्मेलनों को ध्वस्त करने की इजाजत देना, जो कि एक तरह से ट्रम्प के स्व-अभ्युदय के अभियान को ही बढ़ाने के काम आने वाला था। ट्रम्प के मामले में देखें तो वे मुख्य तौर पर कुछ शिकायत रखने वाले श्वेत समुदाय के मतदाताओं के बीच में अपने आधार को मजबूत कर पाने में सफल रहे हैं। हालाँकि कुछ पॉकेट्स में उन्हें अच्छीखासी संख्या में हिस्पैनिक (फ्लोरिडा में रहने वाले क्यूबाई-अमेरिकी) और अफ़्रीकी-अमेरिकी पुरुषों (2016 से 2% अधिक) का समर्थन भी हासिल हुआ है।

ट्रम्प के खिलाफ मामला कई स्तंभों पर टिका हुआ है, लेकिन राष्ट्रपति के तौर पर उनके कार्यकाल की सबसे उल्लेखनीय विशेषता उनके द्वारा हिस्पैनिक, अफ्रीकी अमेरिकियों या आम तौर पर कहें तो लोगों की चमड़ी के रंग के आधार पर जातीय अल्पसंख्यकों को कलंकित करने और अपमानित करने के सतत प्रयत्नों में निहित है। जबकि दूसरी ओर उनकी नीति श्वेत वर्चस्ववादियों को निरंतर बढ़ावा देने की रही है। अपने पहले राष्ट्रपतीय बहस के दौरान ट्रम्प ने धुर-दक्षिणपंथी ग्रुप प्राउड ब्वायज की आलोचना करने से इंकार कर दिया था, और इसकी बजाय कहा था कि वे उनसे “अपनी जगह पर बने रहो और जमे रहो” के लिए कहेंगे।

ट्रम्प के स्त्री-विरोधी बयानों का सिलसिला इस बीच लगातार जारी रहा है, जिसमें उप-राष्ट्रपति पर चुनी जाने वाली कमला हैरिस पर भी उन्होंने छींटाकशी की थी जब उन्हें बिडेन द्वारा साथी भागीदार के तौर पर चुना गया था। सबसे पहले तो उन्होंने उनको “बुरी” महिला कहा, जोकि अपनी किसी भी महिला विरोधी के लिए उनके खजाने में एक तकियाकलाम के तौर पर रहा है, और फिर उन्हें “राक्षसी” की उपाधि दे डाली। और आखिर में अपनी सेक्सिस्ट रौ आकर ट्रम्प ने अक्टूबर के अंत में कह डाला “हमें समाजवादी नहीं चाहिए - हम किसी समाजवादी राष्ट्रपति को नहीं देखना चाहते, खासतौर पर किसी महिला समाजवादी राष्ट्रपति को, हम ऐसा हर्गिज नहीं होने देंगे, हम ऐसे के साथ नहीं रह सकते।” और यह सब निश्चित ही नस्लवाद के साथ स्त्री-विरोधी मानसिकता को आपस में मिलाने के साथ-साथ हैरिस के चुनाव लड़ने के अधिकार पर ही सवाल खड़े किये गए, क्योंकि वे अप्रवासी माता-पिता की संतान हैं। 

ट्रम्प की यह कुत्ते को सीटी मारने वाली हरकत सिर्फ उनके नस्लवादी निर्वाचन क्षेत्र को ही सन्देश देने तक सीमित नहीं रही है। इसका मकसद उन विचित्र, और कुछ लोगों के हिसाब से खतरनाक, षड्यंत्र के सिद्धांतों-विशेषकर वे जिन्हें क्यूएनॉन नामक ग्रुप, जिसे ऍफ़बीआई द्वारा घरेलू आतंकी खतरे के तौर पर नामित किया गया है, को प्रोत्साहित करने का रहा है। ट्रम्प के लिए तो जो कोई भी उनकी हैसियत में थोडा-बहुत भी इजाफा कर सके, वह उनके समर्थन का हकदार था।

ट्रम्प की इस कुरूप पृवत्ति को यदि वास्तव में देखें तो यह श्वेत वर्चस्वादियों से मेल खाती प्रतीत होती हैं। राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के फैसले से काफी पहले ही उन्होंने ओबामा के जन्मस्थान और धर्म को लेकर चलाए जा रहे षड्यंत्रकारी अभियानों में बढचढ कर हिस्सेदारी ली थी- कुख्यात “जन्मवाद” को लेकर चलाए गए झूठे प्रचार के चलते रिपब्लिकन राजनीतिक हलकों में काफी हद तक ट्रम्प को अपना स्थान बनाने और पार्टी के भीतर तेजी से उपर चढने में कर्षण प्रदान करने का काम किया था।

बदनाम होने की हद तक ट्रम्प ने जनता के उन हिस्सों के पक्ष में भी अपने समर्थन को बनाये रखना जारी रखा जो विज्ञान विरोधी हैं, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका में कोविड-19 महामारी से निपटने को लेकर विनाशकारी परिणाम भी शामिल हैं। तथ्यों के प्रति पूरी तरह से अवहेलना का यह एक नमूना है जो कि उनके निरंतर अनर्गल झूठों में जाहिर होता है। ऐसा प्रतीत होता है कि रिपब्लिकन पार्टी ने उनके साथ-साथ पोस्ट-ट्रुथ संसार को भी अंगीकार कर लिया है। यह तथ्य स्पष्ट तौर तब देखने को मिला जब ट्रम्प के एक वरिष्ठ सहयोगी कायले मैकनी ने राष्ट्रपति की उद्घाटन रैली में मौजूद लोगों की संख्या को बढ़ा-चढ़ाकर बताने को लेकर अपनी टिप्पणी की थी, जो कि मूलतः गढ़ा गया था, को “वैकल्पिक तथ्य” के तौर पर बता दिया।

वैश्विक मंच पर भी ट्रम्प का बर्ताव किसी विचित्र और विनाशकारी के मिश्रण के तौर पर रहा है। अपने परंपरागत सहयोगियों के साथ उन्होंने बार-बार संपर्कों को तोड़ने का काम किया है, वहीँ रूस में व्लादिमीर पुतिन, तुर्की में रेसेप तैय्यप एर्दोगन, चीन में शी जिनपिंग और सबसे उल्लेखनीय तौर पर उत्तर कोरिया में किम जोंग-उन जैसे सत्तावादी नेताओं के समक्ष दंडवत करने या सुकून ढूंढने की इच्छा को प्रदर्शित करने का काम किया है। इस प्रक्रिया में उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय सौदेबाजी की सभी बुनियादी नियमावली को छिन्न-भिन्न करके रख दिया है। महामारी के बीच में से ही विश्व स्वास्थ्य संगठन से संयुक्त राज्य अमेरिका को बाहर निकालकर उन्होंने इस बात को पूरी तरह से प्रदर्शित कर दिया है कि वे अपने निजी लक्ष्यों की पूर्ति के लिए कुछ भी कर सकते हैं- जबकि इस मामले में अपने राष्ट्रपति के तौर पर पुनः चुने जाने के सन्दर्भ में, उनके द्वारा इस संकट से निपटने में अयोग्यता के चलते खतरे में पड़ गई थी।

ट्रम्प के विनाश के हथियारों को आजमाने की लगातार कोशिशों की क्षमता वाले मुद्दे पर लौटते हुए इस बात को अवश्य ध्यान में रखना होगा कि इसके लघु और दीर्घकालीन दोनों ही स्तरों पर अपराजेय बने रहने की संभावना है। अगले ढाई महीनों तक ट्रम्प राष्ट्रपति के तौर पर बने रहने वाले हैं। वे नए आने वाले प्रशासन के प्रति सिर्फ असहयोगात्मक रुख को अपनाकर काफी हद तक नुकसान पहुँचा सकते हैं। इसके साथ ही इस बात की भी संभावना है कि वे धरती को झुलसाने वाले रास्ते का भी अनुसरण कर सकते हैं, जिसके नतीजे के तौर पर बिडेन और हैरिस जब अंततः उन्हें स्थानापन्न करेंगे तो उनके खाते में मलबे का अम्बार उठाना रह सकता है। 

यदि ट्रम्प रिपब्लिकन पार्टी के संरक्षक संत वाली भूमिका में ही बने रहते हैं और इसके आधार या अपने आधार के प्रमुख कर्ता का रोल निभाते रहते हैं तो दीर्घ-कालीन विनाश की गुंजाइश नजर आती है। इसमें उच्च स्तरीय शत्रुता को बढ़ावा देने और बिडेन के लिए रचनात्मक कार्यक्रमों की शुरुआत करने की राह में रोड़े खड़े करने में अपनी भूमिका अदा करना शामिल है। 

हालाँकि इस बात की भी पहचान करना अत्यावश्यक है कि ट्रम्प की इस विषाक्त अश्लीलता को बिल क्लिंटन और बराक ओबामा जैसे “नए” डेमोक्रेट राष्ट्रपतियों द्वारा ही सक्षम बनाया था। इन दोनों ने ही रिपब्लिकन पूर्ववर्तियों द्वारा निर्धारित किये गए मार्ग के अनुसरण करने का काम किया था, जिसके चलते आर्थिक गैर-बराबरी की खाई और अधिक चौड़ी होती चली गई, और भारी संख्या में लोगों के मन में यह बात घर कर गई कि वे लोग पीछे छोड़ दिए गए हैं। 2008 के आर्थिक संकट के मद्देनजर, ओबामा के पास इस बात का ऐतिहासिक मौका था कि वे फाइनेंसरों और बैंकरों पर लगाम कस सकें ताकि और अधिक समान विकास की राह को सुनिश्चित किया जा सके। उन्होंने इसे रद्दी की टोकरी में डाल, अर्थशास्त्री जोसफ स्टिगलिट्ज़ ने जिसे 1% कहा था, को ही समृद्ध करने के सिलसिले को जारी रखा।

आर्थिक असमानता में और अधिक इजाफा वाशिंगटन आधारित अभिजात वर्ग की राजनीति की शैली द्वारा संयोजन पर टिका रहा, जिसके चलते शेष देश के साधारण जन में बेदखल और असहाय हाल में छोड़ दिए जाने की भावना घर कर गई। यही वह व्यापक जन भावना थी जिसे ट्रम्प के ‘दलदल को सूखा करो’ के आग भड़काऊ आह्वान ने हवा देने का काम किया था।

चिंता की बात यह है कि डेमोक्रेट्स की उम्मीद और चुनाव विश्लेषकों की भविष्यवाणी के विपरीत जितने कम अंतर पर जीत दर्ज हुई है, इसके बावजूद पार्टी में मौजूद मध्यमार्गी धड़े ने पहले से ही वामपंथियों - बर्नी सैंडर्स, अलेक्जेंड्रिया ओकासियो-कोर्टेज़ और "दल” के खिलाफ अभियान छेड़ रखा है। यह न सिर्फ उन अनगिनत “प्रगतिशील” जमीनी कार्यकर्ताओं को अपना निशाना बना रही है, जिन्होंने ऐतिहासिक तौर पर बेहद मुश्किल कार्य- डेमोक्रेटिक मतों को बाहर निकालने के अथक प्रयासों को अंजाम देने का काम किया है। जबकि वे इस तथ्य को पूरी तरह से अनदेखा कर रहे हैं कि यह विशिष्ट तौर पर डेमोक्रेटिक नेतृत्व में मौजूद मध्यमार्गियों की ही करतूत थी कि उनके 1% के प्रति दयालु चिंता की वजह से ही वे कामगार वर्ग से अलगाव की स्थिति में बने हुए हैं।  

बिडेन को संभवतः शत्रुतापूर्ण सीनेट से मोलभाव में जाना पड़ सकता है। इसके बावजूद उनकी पहली प्राथमिकता चीजों को दुबारा से निर्धारित करने की होनी चाहिए, जिसमें सभी के लिए स्वास्थ्य बीमा और नये ग्रीन डील सहित पहले से किये गए वायदों को शामिल करने वाला होना चाहिए।

लेखक स्वतंत्र पत्रकार और शोधकर्ता हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

Trump is Gone: Now Democrats Have to Make him Irrelevant

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