NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
अमेरिका
ट्रंप और मोदी : फ़्रेंड्स विदाउट बेनेफ़िट्स
ट्रंप ने व्यापार, नीति या इमिग्रेशन के मामले में भारत के प्रति बिल्कुल भी मिलाप करने वाला रुख नहीं दिखाया हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि ओबामा और मोदी भी तो 'दोस्त' थे।
शकुंतला राव 
24 Feb 2020
Translated by महेश कुमार
Modi Trump

डोनाल्ड ट्रंप के महाभियोग के दौरान इस्तेमाल किए जाने वाला "क्विड प्रो क्वो" वाक्यांश आम बोलचाल बन गया है। इसका शाब्दिक मतलब है, "कुछ बदले कुछ"। [क्वो, क्विड का कारक एकवचन रूप है। ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी के अनुसार, जब क्विड प्रो क्वो को आजकल संज्ञा के रूप में उपयोग किया जाता है, तो इसका अर्थ बिल्कुल वही है जैसा हम सोचते हैं: "किसी चीज़ के बदले में कुछ देने की क्रिया या सिद्धांत  "विशेष रूप से" किसी ख़ास सौदे के हिस्से के रूप में विनिमय करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है।"

हमारे बीच मौजूद व्याकरण के कद्रदान यह जानने के लिए अपना सिर खुजा रहे होंगे कि क्या मोदी और ट्रंप का रिश्ता "क्विड प्रो क्वो" यानि केछ लेन-देन का है? ज़रुरी नहीं। आइए इसकी जांच करें।

ट्रंप से पहले, मोदी ओबामा के भी 'दोस्त' थे

2014 में जब मोदी पहली बार भारत के प्रधानमंत्री चुने गए, तो वे अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा थे जिन्होंने मोदी के वीजा प्रतिबंध को उलट दिया था और संयुक्त राज्य अमेरिका में उनका रेड कार्पेट स्वागत किया गया था। अचानक, मोदी का गुजरात का रिकॉर्ड- जिसके कारण उन पर 2005 में प्रतिबंध लगाया गया था, वह अब बहुत ज़्यादा विवादास्पद नहीं रहा था और उन्हें संयुक्त राज्य कांग्रेस के एक संयुक्त सत्र को संबोधित करने के लिए आमंत्रित किया गया था, जिसे उन्होंने जून 2016 में संबोधित किया था।

ओबामा अंततः मोदी से मिलने के लिए दो बार भारत आए, वे दो साल में दो बार भारत का दौरा करने वाले एकमात्र अमेरिकी राष्ट्रपति बने, जिसमें एक बार वे गणतंत्र दिवस की परेड के मुख्य अतिथि भी रहे थे।

मोदी को अपने रिकॉर्ड को साफ़ करने के लिए क्या करना पड़ा? उस समय की रिपोर्टों के अनुसार, मोदी ने ओबामा को आश्वासन दिया था कि वह भारत की अर्थव्यवस्था को और उदार बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, 2014 में अपनी व्हाइट हाउस यात्रा के दौरान, मोदी ने "लालफीताशाही को हटाने, बुनियादी ढांचे को विकसित करने और कंपनियों को भारत में व्यापार करना आसान बनाने" के अपने वादे को भी दोहराया था।

बाजार समर्थक नीतियों की दिशा में एक विचारोत्तेजक कदम मुस्लिम विरोधी हिंसा के विश्वासघाती रिकॉर्ड को ख़त्म करने के लिए लिया गया था। बदले में, ओबामा ने वैश्विक आर्थिक और सुरक्षा अलाइन्स में मोदी को एक महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में पुनर्निर्मित करने का काम किया। 2015 में, व्हाइट हाउस के सहयोगियों ने पोलिटिको को बताया कि वे इस बात से चिंतित नहीं थे कि ओबामा के मोदी के गले लगाने से वैसे ही हालत पैदा होंगे जैसे कि तत्कालीन मिस्र के राष्ट्रपति मोहम्मद मोर्सी के साथ हुए थे, जिसे ओबामा प्रशासन ने तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप एर्दोगन को गर्मजोशी से गले लगाया था, और जिन्हें ओबामा ने सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों और पत्रकारों पर नकेल कसने का काम करने के लिए एक तरह से सम्मानित किया था और एक मॉडल नेता के रूप में,माना था।

जून 2016 के एक लेख में न्यूयॉर्क टाइम्स ने ओबामा और मोदी के बारे में बताया कि, "दोनों के पास एक सार्वजनिक गर्मजोशी या समर्थन है और आपसी केमिस्ट्री है, जैसा कि भारतीय समाचार मीडिया इसका वर्णन करना पसंद करता है"- और लिखा कि यह इस सप्ताह दिखेगा जब मोदी दो साल में दूसरी बार व्हाइट हाउस का दौरा करेंगे।

इस दौरान और बाद की बैठकों में, भारत को ओबामा से आश्वासन मिला कि अमेरिकी कंपनियां असैन्य परमाणु प्रौद्योगिकी के मामले में भारत को आपूर्ति करेंगी और इमिग्रेशन के नियमों में ढील देगी और एच1बी वीजा धारकों की पत्नियों या पति को संयुक्त राज्य में कानूनी रूप से काम करने की अनुमति देगी और बदले में, मोदी ने ओबामा को आश्वासन दिया कि वे जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे और भारत के कार्बन उत्सर्जन को कम करेंगे। ऐसा लगा कि दोनों के बीच की केमिस्ट्री दोनों देशों के लिए ठोस परिणाम उत्पन्न करेगी।

ट्रंप के साथ बात “अलग” है

मई 2019 में इंडिया टीवी के रजत शर्मा को दिए गए एक साक्षात्कार में मोदी ने राष्ट्रपति ओबामा और ट्रंप दोनों के बारे में बड़े लाड़ से बात की, लेकिन उनका संदेश स्पष्ट था। जबकि उन्होंने ओबामा के साथ मधुर संबंध का आनंद उठाया, ट्रंप के मामले में मोदी ने कहा, यह कुछ "अलग" था। ट्रंप ने उन्हें अपने परिवार से मिलवाया, उन्हें व्हाइट हाउस का निजी दौरा करवाया और विशेष रूप से चौंकाने वाली टिप्पणी में, मोदी ने दावा किया कि ट्रंप उन्हें संयुक्त राज्य के इतिहास (अब्राहम लिंकन के राष्ट्रपति होने और अमेरिकी गृह युद्ध) के खास समय के बारे में बताया, वह भी बिना किसी संदर्भ के। चौड़ी आंखों कर मोदी ने शर्मा से कहा, "उन्होंने अपनी याददाश्त के जरिए सारी बातें बताई।" जबकि अमेरिकी इतिहासकारों ने ट्रंप द्वारा झूठ का इस्तेमाल करना - या ऐतिहासिक तथ्यों के गलत तरीके से पेश करने के लिए ट्रंप को लताड़ा था। 

जबकि ट्रंप, सितंबर 2019 में ह्यूस्टन में "हाउड़ी मोदी" रैली में विशेष रूप से उड़ान भरकर गए और  मोदी की ओर इशारा करते हुए ट्रंप ने अपने भाषण में अपनी प्राथमिकताओं को स्पष्ट किया और इमिग्रेशन के मामले में अपने कठोर रुख को स्पष्ट किया। {संयुक्त राज्य में भारतीय अवैध प्रवासी का स्थान चौथा या सबसे बड़ा समूह है, उनमें कई अस्थायी गैर-अप्रवासी वीजा वाले हैं या दूसरी सबसे बड़ी कानूनी अप्रवासी आबादी वाले है]।

बावजूद सबके, ट्रंप ने एच1बी वीजा संकट में कोई रियायत नहीं दी, जिसने बड़ी संख्या में भारतीय निवासियों को प्रभावित किया था। यह ट्रंप सरकार है जिसने अप्रवासी परिवार और छात्र वीजा को हासिल करना कठिन बना दिया है। फिर भी मोदी 2020 के चुनावों के लिए ट्रंप का समर्थन करने के लिए काफी उत्सुक दिखे और उन्होंने ट्रंप के भाषण के बाद "अबकी बार, ट्रंप सरकार" के नारे लगा दिए। 

हाल की ख़बरों पर नज़र डालें तो ट्रंप की भारत यात्रा के दौरान कई तरह के व्यापार सौदे होने की संभावना बताई गई है हालांकि आधिकारिक तौर पर कुछ भी घोषित नहीं किया गया है। भारत में 2.6 बिलियन डॉलर की लागत से 24 सीहॉक हेलीकॉप्टर खरीदने की बातचीत चल रही है; यह 17 बिलियन डॉलर के सैन्य हार्डवेयर के शीर्ष ऑर्डर पर है, जिसे भारत 2017 से खरीदने के लिए सहमत है। मोदी ने चिकन लेग्स, टर्की, ब्लूबेरी और चेरी सहित विभिन्न कृषि उत्पादों पर टैरिफ में कटौती करने की पेशकश की है, और भारत में कुछ डेरी उत्पाद के बाज़ार में व्यापार देने की अनुमति देने की भी पेशकश करने की सूचना है वह भी 5 प्रतिशत टैरिफ़ के साथ [भारत, जो दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है, ने 80 मिलियन ग्रामीण परिवारों की आजीविका की रक्षा के लिए डेयरी आयात को प्रतिबंधित किया हुआ है]।

मोदी की सरकार ने हार्ले-डेविडसन द्वारा बनाई गई बहुत बड़ी मोटरसाइकिलों पर अपने 50 प्रतिशत  टैरिफ को कम करने की पेशकश की है, एक ऐसा टैरिफ जो ट्रंप के लिए एक ख़ास अड़चन थी, और जिसके लिए उसने भारत को "टैरिफ किंग" करार दिया था।

ट्रंप ने भारत की अपनी यात्रा के बारे में ट्वीट तो किया है लेकिन यह नहीं बताया कि इस दौरान वे क्या करने वाले हैं।

मोदी की वैचारिक लफ्फाजी को एक तरफ कर दें तो वास्तव में ‘आपसी लेन-देन के कोई संकेत नहीं है। ऐसा लगता है कि राष्ट्रपति के रूप में ट्रंप के कार्यकाल के दौरान - हालाँकि, मोदी जी ने खुद को ट्रंप के ख़ुशामदीद के रूप में प्रस्तुत किया है – लेकिन ट्रंप ने भारत के प्रति व्यापार, नीति या इमिग्रेशन में बिल्कुल भी सहमति नहीं जताई है। जबकि वे सार्वजनिक रूप से मोदी के बारे में बात करते हैं और मोदी के गृह राज्य गुजरात में एक रैली में भाग लेने की तैयारी में हैं, लेकिन उनके रुख से द्विपक्षीय सहयोग का कोई सबूत नहीं मिलता है।

ऐसा लगता है कि मोदी किसी ऐसे व्यक्ति को भारत की सार्वजनिक संपदा और किसान की आजीविका की पेशकश कर रहे हैं, जिसे वह अपना क़रीबी दोस्त मानते हैं- लेकिन लगता है भारत के लिए यह दोस्ती ग़ैर-किफ़ायती है।

लेखक कम्यूनिकेशन स्टडीज़ विभाग, न्यूयॉर्क स्टेट यूनिवर्सिटी, प्लैट्सबर्ग में पढ़ाती हैं। व्यक्त विचार व्यक्तिगत हैं।

अंग्रेजी में लिखा मूल आलेख आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

Trump and Modi, Friends Without Benefits

Trump-Modi
Trump India visit
Indo-US Trade
Howdy Modi
Namastey Trump
Gujarat
Gujarat Riots
Obama
Modi visa
India agriculture trade

Related Stories

गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?

हार्दिक पटेल ने कांग्रेस से इस्तीफ़ा दिया

खंभात दंगों की निष्पक्ष जाँच की मांग करते हुए मुस्लिमों ने गुजरात उच्च न्यायालय का किया रुख

गुजरात: मेहसाणा कोर्ट ने विधायक जिग्नेश मेवानी और 11 अन्य लोगों को 2017 में ग़ैर-क़ानूनी सभा करने का दोषी ठहराया

ज़मानत मिलने के बाद विधायक जिग्नेश मेवानी एक अन्य मामले में फिर गिरफ़्तार

गुजरात दंगों की बीसवीं बरसी भूलने के ख़तरे अनेक

बैठे-ठाले: गोबर-धन को आने दो!

गुजरात : एबीजी शिपयार्ड ने 28 बैंकों को लगाया 22,842 करोड़ का चूना, एसबीआई बोला - शिकायत में नहीं की देरी

गुजरात में भय-त्रास और अवैधता से त्रस्त सूचना का अधिकार

गुजरात चुनाव: कांग्रेस की निगाहें जहां ओबीसी, आदिवासी वोट बैंक पर टिकी हैं, वहीं भाजपा पटेलों और आदिवासियों को लुभाने में जुटी 


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बिहार : गेहूं की धीमी सरकारी ख़रीद से किसान परेशान, कम क़ीमत में बिचौलियों को बेचने पर मजबूर
    30 Apr 2022
    मुज़फ़्फ़रपुर में सरकारी केंद्रों पर गेहूं ख़रीद शुरू हुए दस दिन होने को हैं लेकिन अब तक सिर्फ़ चार किसानों से ही उपज की ख़रीद हुई है। ऐसे में बिचौलिये किसानों की मजबूरी का फ़ायदा उठा रहे है।
  • श्रुति एमडी
    तमिलनाडु: ग्राम सभाओं को अब साल में 6 बार करनी होंगी बैठकें, कार्यकर्ताओं ने की जागरूकता की मांग 
    30 Apr 2022
    प्रदेश के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने 22 अप्रैल 2022 को विधानसभा में घोषणा की कि ग्रामसभाओं की बैठक गणतंत्र दिवस, श्रम दिवस, स्वतंत्रता दिवस और गांधी जयंती के अलावा, विश्व जल दिवस और स्थानीय शासन…
  • समीना खान
    लखनऊ: महंगाई और बेरोज़गारी से ईद का रंग फीका, बाज़ार में भीड़ लेकिन ख़रीदारी कम
    30 Apr 2022
    बेरोज़गारी से लोगों की आर्थिक स्थिति काफी कमज़ोर हुई है। ऐसे में ज़्यादातर लोग चाहते हैं कि ईद के मौक़े से कम से कम वे अपने बच्चों को कम कीमत का ही सही नया कपड़ा दिला सकें और खाने पीने की चीज़ ख़रीद…
  • अजय कुमार
    पाम ऑयल पर प्रतिबंध की वजह से महंगाई का बवंडर आने वाला है
    30 Apr 2022
    पाम ऑयल की क़ीमतें आसमान छू रही हैं। मार्च 2021 में ब्रांडेड पाम ऑयल की क़ीमत 14 हजार इंडोनेशियन रुपये प्रति लीटर पाम ऑयल से क़ीमतें बढ़कर मार्च 2022 में 22 हजार रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गईं।
  • रौनक छाबड़ा
    LIC के कर्मचारी 4 मई को एलआईसी-आईपीओ के ख़िलाफ़ करेंगे विरोध प्रदर्शन, बंद रखेंगे 2 घंटे काम
    30 Apr 2022
    कर्मचारियों के संगठन ने एलआईसी के मूल्य को कम करने पर भी चिंता ज़ाहिर की। उनके मुताबिक़ यह एलआईसी के पॉलिसी धारकों और देश के नागरिकों के भरोसे का गंभीर उल्लंघन है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License