NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
घटना-दुर्घटना
अंतरराष्ट्रीय
ट्यूनीशिया की मशहूर ब्लॉगर-एक्टिविस्ट म्हेनी का निधन
लीना बेन म्हेनी ने ट्यूनीशिया में दिन-प्रतिदिन की घटनाओं के बताने के लिए 'ए ट्यूनीशियन गर्ल’ नामक एक ब्लॉग शुरू किया था जो 2011 की क्रांति और बेन अली की सरकार गिराने का कारण बना।
पीपल्स डिस्पैच
28 Jan 2020
Lina_Ben_Mhenni

ट्यूनीशिया के प्रख्यात मानवाधिकार कार्यकर्ता और ब्लॉगर लीना बेन म्हेनी की 27 जनवरी यानी सोमवार को मौत हो गई। उन्होंने ज़ीने एल अबिदीन बेन अली की तानाशाही के कार्यकाल में और 2011 के ट्यूनीशियाई विद्रोह के समय ट्यूनीशिया में मानवाधिकारों के हनन को लेकर रिपोर्ट तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 36 साल की म्हेनी लंबे समय से ऑटोइम्यून बीमारी से पीड़ित थीं। उनकी बीमारी के कारण उनका किडनी ट्रांसप्लांट भी हुआ था।

मानवाधिकार कार्यकर्ता म्हेनी ट्यूनिस विश्वविद्यालय में भाषा विज्ञान का लेक्चरर भी थीं और देश में सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर मुखर थीं। उनके ब्लॉग को 2011 के विद्रोह के लिए आधार माना गया जिसे 'जैस्मिन क्रांति' भी कहा जाता है। इसके परिणामस्वरूप देश में आख़िरकार तानाशाही समाप्त हो गई और बेन अली को हटा दिया गया।

वह अपने ब्लॉग 'ए ट्यूनीशियन गर्ल' के लिए प्रसिद्ध हो गई, जिसके माध्यम से उन्होंने ट्यूनीशिया में दिन-प्रतिदिन की घटनाओं को बताया। इसने क्रांति के पहले, क्रांति के दौरान और क्रांति के बाद एक महत्वपूर्ण स्वतंत्र पर्यवेक्षक और ट्यूनीशिया के आम लोगों और प्रदर्शनकारियों के लिए एक आवाज़ के रूप में काम किया। बेन अली की सरकार के पतन के चार साल पहले साल 2007 में बेन अली की सरकार द्वारा उनके ब्लॉग पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।

उनके अत्यंत महत्वपूर्ण और अहम कार्यों के लिए उन्हें 2011 में नोबेल शांति पुरस्कार के लिए मनोनीत किया गया था। उन्होंने कई अन्य पुरस्कार अपने नाम किया। इन पुरस्कारों में रोम प्राइज़ फॉर पीस एंड ह्यूमैनिटेरियन एक्शन, 2011 का स्पेनिश दैनिक एल पेस के सर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय रिपोर्टर का पुरस्कार, सीन मैकब्राइड पीस प्राइज, मिनर्वा प्राइज फॉर पॉलिटिकल एक्शन और 2014 में इस्चिया अंतर्राष्ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कार। जर्मनी के बॉन में डॉयचे वेले ग्लोबल मीडिया फोरम में उनके ब्लॉग को 'सर्वश्रेष्ठ ब्लॉग पुरस्कार' भी मिला।

साभार : पीपल्स डिस्पैच

Tunisia
Lina Ben Mhenni
Mhenn's Death
Tunisian blogger

Related Stories


बाकी खबरें

  • अनिल अंशुमन
    झारखंड : नफ़रत और कॉर्पोरेट संस्कृति के विरुद्ध लेखक-कलाकारों का सम्मलेन! 
    12 May 2022
    दो दिवसीय सम्मलेन के विभिन्न सत्रों में आयोजित हुए विमर्शों के माध्यम से कॉर्पोरेट संस्कृति के विरुद्ध जन संस्कृति के हस्तक्षेप को कारगर व धारदार बनाने के साथ-साथ झारखंड की भाषा-संस्कृति व “अखड़ा-…
  • विजय विनीत
    अयोध्या के बाबरी मस्जिद विवाद की शक्ल अख़्तियार करेगा बनारस का ज्ञानवापी मस्जिद का मुद्दा?
    12 May 2022
    वाराणसी के ज्ञानवापी प्रकरण में सिविल जज (सीनियर डिविजन) ने लगातार दो दिनों की बहस के बाद कड़ी सुरक्षा के बीच गुरुवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि अधिवक्ता कमिश्नर नहीं बदले जाएंगे। उत्तर प्रदेश के…
  • राज वाल्मीकि
    #Stop Killing Us : सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन का मैला प्रथा के ख़िलाफ़ अभियान
    12 May 2022
    सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन पिछले 35 सालों से मैला प्रथा उन्मूलन और सफ़ाई कर्मचारियों की सीवर-सेप्टिक टैंको में हो रही मौतों को रोकने और सफ़ाई कर्मचारियों की मुक्ति तथा पुनर्वास के मुहिम में लगा है। एक्शन-…
  • पीपल्स डिस्पैच
    अल-जज़ीरा की वरिष्ठ पत्रकार शिरीन अबु अकलेह की क़ब्ज़े वाले फ़िलिस्तीन में इज़रायली सुरक्षाबलों ने हत्या की
    12 May 2022
    अल जज़ीरा की वरिष्ठ पत्रकार शिरीन अबु अकलेह (51) की इज़रायली सुरक्षाबलों ने उस वक़्त हत्या कर दी, जब वे क़ब्ज़े वाले वेस्ट बैंक स्थित जेनिन शरणार्थी कैंप में इज़रायली सेना द्वारा की जा रही छापेमारी की…
  • बी. सिवरामन
    श्रीलंकाई संकट के समय, क्या कूटनीतिक भूल कर रहा है भारत?
    12 May 2022
    श्रीलंका में सेना की तैनाती के बावजूद 10 मई को कोलंबो में विरोध प्रदर्शन जारी रहा। 11 मई की सुबह भी संसद के सामने विरोध प्रदर्शन हुआ है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License