NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
“नोटबंदी में जुड़वा बच्चे खत्म हो गए हम आस लगाए हैं इस बंदी में हमारा यह बच्चा बच जाए"
ग्राउंड रिपोर्ट : घर से बेघर हुए, फूलपुर से पैदल इलाहाबाद पहुंचे कामगार श्यामजी और आठ महीने की गर्भवती पत्नी संजू की दर्दभरी कहानी।
गौरव गुलमोहर
22 May 2020
श्यामजी और पत्नी संजू

"हमारे चार बच्चे खत्म हो चुके हैं। नोटबंदी में जुड़वा बच्चे खत्म हो गए। हम आस लगाए हैं इस बंदी में हमारा यह बच्चा बच जाए"

ये शब्द कामगार श्यामजी उपाध्याय के हैं। श्यामजी इलाहाबाद से तीस किलोमीटर दूर फूलपुर में इलेक्ट्रिशन का काम करते हैं। लॉकडाउन में दो महीने से काम बंद है, श्याम जी के पास न खाने के पैसे हैं न ही कमरे का किराया देने के लिए। इसलिए वे आठ महीने की गर्भवती पत्नी को पैदल लेकर इलाहाबाद की ओर निकलने को मजबूर हो गए।

जौनपुर के रहने वाले श्यामजी कक्षा पांच तक पढ़ाई किये हैं। 2001 से आस-पास के जिलों में घूम-घूम कर काम करते हैं। श्यामजी ने चार महीने पहले फूलपुर में बिजली मैकेनिक का काम करना शुरू किया। घर-घर जाकर पुराने पंखे, वायरिंग और कूलर ठीक करने का काम करते हैं। दिनभर में 150 से 200 रुपये रुपये कमा लेते हैं।

श्यामजी पत्नी, संजू उपाध्याय के साथ फूलपुर में किराये के कमरे में रहते थे, जिसका किराया 1500 रुपये था। मकानमालिक की तरफ से कुछ दिनों से दो महीने का किराया चुकाने के लिए दबाव डाला जा रहा था।

गर्भवती संजू उपाध्याय बताती हैं, "रूम वाले किराए के लिए झगड़ा करते थे। खाने के लिए मर रहे हैं तो कहाँ से किराया देते? कोई देता था तो खाते थे। आठ महीने का बच्चा है पेट में, चलने पर दर्द होता है लेकिन रुकते-रुकते यहां तक आये"

श्यामजी ने बताया बंदी (लॉकडाउन) में काम बंद था। कोई घर पर काम के लिए बुलाता नहीं था। लॉकडाउन में काम न होने की वजह से उनके पास पैसे नहीं थे, इसलिए वे मकानमालिक का किराया नहीं चुका पाए।

श्यामजी बताते हैं "14 मई की शाम फूलपुर थाने से राजेश कुमार (सब इंस्पेक्टर) मकानमालिक के दबाव में कमरे पर आये और बोले कमरा खाली कर दो। इसलिए हम पत्नी के साथ अगले दिन सुबह पांच बजे कमरे का सारा सामान साइकिल पर लादकर पैदल इलाहाबाद की तरफ निकल पड़े।"

गर्भवती संजू के पार्क में चार दिन

श्यामजी जिस साइकिल से घूम-घूम कर घरों में पंखे बनाते थे उसी साइकिल पर कमरे का सारा सामान लादकर पत्नी के साथ 15 मई की सुबह फूलपुर से पैदल अपने गांव बदलापुर की तरफ निकल पड़े, लेकिन जौनपुर बार्डर से पुलिस ने लौटा दिया। रास्ते में पत्नी के पेट में दर्द और उल्टी होने लगी।

IMG_20200519_220757.jpg

श्यामजी ने बताया कि उन्होंने सड़क के किनारे गांवों से कुछ पैसे मांगकर मेडिकल स्टोर से दर्द की दवा खरीदी, पत्नी को खिलाया और थोड़ी देर बाद पैदल इलाहाबाद की तरफ निकल पड़े।

पति-पत्नी झूँसी, जीटी रोड के किनारे स्थित पार्क में नीम के एक पेड़ के नीचे तीन दिनों तक रहे। इन्हें तीन दिनों तक एक ही स्थान पर देखकर झूंसी क्षेत्र में मज़दूरों तक मदद पहुंचाने वाले 'इलाहाबाद हेल्प ग्रुप' के सदस्यों ने इनकी समस्या जानने की कोशिश की।

हेल्प ग्रुप की सदस्य आभा सचान बताती हैं कि "हमने लगातार तीन दिनों तक एक ही स्थान पर इन्हें (पति-पत्नी) देखा तो जानने की कोशिश की कि जब सभी मुसाफ़िर जा रहे हैं तो ये क्यों रुके हैं? हमने बात की तो इन्होंने बताया कि हम स्वरूप रानी अस्पताल में जा रहे हैं, वहीं रहेंगे एक महीने। अगले महीने 16 जून को पत्नी की डिलीवरी डेट है। फिर हम लोगों ने स्थिति को देखते हुए किराये पर एक कमरे और खाने-पीने की व्यवस्था की।"

गर्भवती संजू की अभी क्या स्थिति है?

हम जब संजू के बसते नए आशियाने पर पहुंचे तो संजू दीवार के सहारे धीरे-धीरे बाथरूम की ओर जा रही थीं। संजू को देखने से पता चलता है कि वे बेहद कमजोर हैं और डिलीवरी के करीब हैं।

संजू के पति श्यामजी के चेहरे पर चिंताएं और परेशानियां साफ देखी जा सकती हैं। शटर लगा एक कमरा है, नीचे एक चटाई है, कोने में एक पेट्रोमैक्स और चूल्हा है और दूसरे कोने में कपड़ों के दो बड़े-बड़े गट्ठर पड़े हैं। कमरा देखने से लगता है कि जैसे अभी-अभी ही कोई आया हो।

श्यामजी रोते हुए बताते हैं "हमारे चार बच्चे खत्म हो चुके हैं। नोटबंदी में जुड़वा बच्चे खत्म हो गए। हम आस लगाए हैं इस बंदी में हमारा यह बच्चा बच जाए"

संजू से हमने बात करनी चाही लेकिन स्वास्थ्य ठीक न होने के कारण संजू लम्बी बात-चीत करने में असमर्थ दिखीं। कुछ बोल रही हैं तो गला सूख रहा है। 

अब स्वास्थ्य कैसा है पूछने पर बताती हैं "अभी तक हमारे सभी बच्चे सात-आठ महीने पर खत्म हुए। जैसे आठवां महीना लगता है डर लगने लगता है। नींद नहीं आती, रात-रात भर जगते रहते हैं। डॉक्टर ने ज्यादा चलने से मना किया है लेकिन अब खाने के लिए मर रहे हैं तो चलना ही पड़ा।"

फूलपुर थाने के सब इंस्पेक्टर राजेश कुमार से हमने बात की। राजेश कुमार ने श्यामजी के आरोप से साफ इंकार किया कि उन्होंने इन्हें कमरा खाली करने के लिए कहा।

राजेश कुमार बताते हैं कि "काफी दिन पहले इनका एक प्रकरण आया था कि किरायेदार (श्यामजी) आरोप लगा रहे थे मकानमालिक पर कि उन्होंने हमारी टीवी गायब कर दी और मकानमालिक आरोप लगा रहे थे कि किरायेदार उनके आठ हजार रुपये गायब कर दिए। दोनों पक्ष थाने पर आये थे, वहां के सभासद के सामने समझौता हो गया, ये लोग चले गए। हम लोगों ने समझाया कि जब आपकी आपस में नहीं पटती तो लॉकडाउन के बाद आप कहीं अन्य जगह कमरा खोज लीजिये। लेकिन मैंने कतई नहीं कहा है कि अभी कमरा खाली कर दो।"

(गौरव गुलमोहर स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

Coronavirus
Lockdown
Migrant workers
migrants
ALLAHABAD
State Government
Central Government
Narendra modi

Related Stories

किसानों और सत्ता-प्रतिष्ठान के बीच जंग जारी है

ज़रूरी है दलित आदिवासी मज़दूरों के हालात पर भी ग़ौर करना

मई दिवस: मज़दूर—किसान एकता का संदेश

ब्लैक राइस की खेती से तबाह चंदौली के किसानों के ज़ख़्म पर बार-बार क्यों नमक छिड़क रहे मोदी?

ग्राउंड रिपोर्टः डीज़ल-पेट्रोल की महंगी डोज से मुश्किल में पूर्वांचल के किसानों की ज़िंदगी

कर्नाटक: मलूर में दो-तरफा पलायन बन रही है मज़दूरों की बेबसी की वजह

सार्वजनिक संपदा को बचाने के लिए पूर्वांचल में दूसरे दिन भी सड़क पर उतरे श्रमिक और बैंक-बीमा कर्मचारी

झारखंड: केंद्र सरकार की मज़दूर-विरोधी नीतियों और निजीकरण के ख़िलाफ़ मज़दूर-कर्मचारी सड़कों पर उतरे!

दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल को मिला व्यापक जनसमर्थन, मज़दूरों के साथ किसान-छात्र-महिलाओं ने भी किया प्रदर्शन

देशव्यापी हड़ताल का दूसरा दिन, जगह-जगह धरना-प्रदर्शन


बाकी खबरें

  • hafte ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    मोदी सरकार के 8 साल: सत्ता के अच्छे दिन, लोगोें के बुरे दिन!
    29 May 2022
    देश के सत्ताधारी अपने शासन के आठ सालो को 'गौरवशाली 8 साल' बताकर उत्सव कर रहे हैं. पर आम लोग हर मोर्चे पर बेहाल हैं. हर हलके में तबाही का आलम है. #HafteKiBaat के नये एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार…
  • Kejriwal
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: MCD के बाद क्या ख़त्म हो सकती है दिल्ली विधानसभा?
    29 May 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस बार भी सप्ताह की महत्वपूर्ण ख़बरों को लेकर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन…
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष:  …गोडसे जी का नंबर कब आएगा!
    29 May 2022
    गोडसे जी के साथ न्याय नहीं हुआ। हम पूछते हैं, अब भी नहीं तो कब। गोडसे जी के अच्छे दिन कब आएंगे! गोडसे जी का नंबर कब आएगा!
  • Raja Ram Mohan Roy
    न्यूज़क्लिक टीम
    क्या राजा राममोहन राय की सीख आज के ध्रुवीकरण की काट है ?
    29 May 2022
    इस साल राजा राममोहन रॉय की 250वी वर्षगांठ है। राजा राम मोहन राय ने ही देश में अंतर धर्म सौहार्द और शान्ति की नींव रखी थी जिसे आज बर्बाद किया जा रहा है। क्या अब वक्त आ गया है उनकी दी हुई सीख को अमल…
  • अरविंद दास
    ओटीटी से जगी थी आशा, लेकिन यह छोटे फिल्मकारों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा: गिरीश कसारावल्ली
    29 May 2022
    प्रख्यात निर्देशक का कहना है कि फिल्मी अवसंरचना, जिसमें प्राथमिक तौर पर थिएटर और वितरण तंत्र शामिल है, वह मुख्यधारा से हटकर बनने वाली समानांतर फिल्मों या गैर फिल्मों की जरूरतों के लिए मुफ़ीद नहीं है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License