NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
UNI कर्मचारियों का प्रदर्शन: “लंबित वेतन का भुगतान कर आप कई 'कुमारों' को बचा सकते हैं”
यूनाइटेड न्यूज ऑफ इंडिया ने अपने फोटोग्राफर टी कुमार को श्रद्धांजलि दी। इस दौरान कई पत्रकार संगठनों के कर्मचारी भी मौजूद थे। कुमार ने चेन्नई में अपने दफ्तर में ही वर्षों से वेतन न मिलने से तंग आकर खुदकुशी कर ली थी। इसके बाद, यूएनआई कर्मियों ने अपने लंबित वेतन की मांग को लेकर देश भर में विरोध प्रदर्शन किया।
रवि कौशल
26 Feb 2022
UNI

यूनाइटेड न्यूज ऑफ इंडिया (यूएनआई) के मुख्यालय के गेट पर नाराज सुभाष बेदवाल उस समय जोर-जोर से चिल्लाते हैं, जब मैनेजमेंट का एक कर्मचारी उन्हें नारेबाजी करने से रोकता है। इस समाचार एजेंसी के एक पूर्व कर्मचारी, बेदवाल, अन्य सेवानिवृत्त और सेवारत कर्मचारियों के साथ मिलकर अपने दिवंगत फोटोग्राफर साथी टी कुमार को श्रद्धांजलि देने के लिए जमा थे और उन्हें पिछले पांच वर्षों से वेतन का भुगतान न करने का विरोध कर रहे थे, जिससे आजिज आकर कुमार ने यूएनआई के चेन्नई कार्यालय में आत्महत्या कर ली थी।

यूएनआई के कर्मचारियों ने चेन्नई, चंडीगढ़, पटना, बेंगलुरु और भोपाल में अपने-अपने ब्यूरो के बाहर विरोध प्रदर्शन किया, जहां मद्रास यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स, तमिलनाडु प्रेस फोटोग्राफर्स एसोसिएशन, महिला पत्रकार फोरम, भारतीय मीडिया में महिलाओं के नेटवर्क, दिल्ली यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स के सदस्य, केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स और बृहन्मुंबई यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स ने भी उनके प्रति अपनी एकजुटता व्यक्त की। इन प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि कुमार के शोक संतप्त परिवार को अंतरिम मुआवजे के रूप में 10 लाख रुपये और उनके एक करोड़ रुपये का अन्य बकाया तुरंत भुगतान किया जाना चाहिए।

बेदवाल ने कहा कि वह 1994 में अस्थायी कर्मचारियों के रूप में एजेंसी में शामिल हुए थे। इसके बाद, 2004 में उन्हें मैसेंजर के रूप में उनकी सेवाओं को स्थायी कर दिया गया था।

बेदवाल ने बताया, “2006 के बाद से मेरा वेतन किश्तों में आने लगा। मैनेजमेंट ने हमेशा मुझसे कहा कि एजेंसी वित्तीय संकट से गुजर रही है और स्थिति से उबरने के बाद वेतन-लाभों को नियमित कर दिया जाएगा। मैं संतुष्ट हो गया था लेकिन जब मेरी मां को कैलाश अस्पताल में भर्ती कराया गया तो एजेंसी ने मुझे 10,000 रुपये देने से भी मना कर दिया, तो मेरा धैर्य चुक गया। आज मैं अपने परिवार को चलाने के लिए ऑटो रिक्शा चलाता हूं। इसी मैनेजमेंट ने आज कुमार के शोक संतप्त परिवार को दो लाख रुपये का चेक सौंपने के लिए अपने आदमी को चेन्नई रवाना किया है, अगर यही मदद पहले दे दी जाती तो हम कुमार को बचा सकते थे।”

यूएनआई के एक अन्य कर्मचारी, मथुरा प्रसाद तिवारी हैं, जो 1986 से समाचार एजेंसी की सेवा कर रहे हैं, उन्होंने न्यूज़क्लिक को बताया कि बाद के बदलावों को देखते हुए मैनेजमेंट में कोई प्रभावी बदलाव नहीं लाया और लंबित मुद्दों के समाधान के बिना कर्मचारियों को बुरे हालात में धकेल दिया गया। तिवारी ने कहा, “हमें दो से तीन महीने के अंतराल के बाद आंशिक वेतन मिलता था। बाद में, प्रशासन ने कहा कि पिछले शासन के सभी कर्मचारियों को एक समान वेतन 15,000 रुपये मिलेगा। वर्तमान स्थिति को देखते हुए तो मुझे इस बात पर भी संदेह होता है कि यह राशि भी उन्हें मिलेगी। अगर वे हमारा बकाया भुगतान कर देते हैं तो मैं इस राशि से कोई काम धंधा कर लेता। आखिर मैं 35 लाख रुपये का बकाया कैसे भूल सकता हूं, जिसके लिए मैंने जीवन भर मेहनत की है?”

कर्मचारियों ने कहा कि मणिपाल समूह के नेतृत्व में प्रबंधन टीम कर्मचारियों को अनुबंध पर रख रही थी और उन्हें अच्छा वेतन देने में भी मैनेजमेंट को कोई वित्तीय समस्या नहीं थी।

प्रदर्शन में शामिल हुई डीयूजे की सुजाता मधोक ने कहा कि प्रबंधन को कर्मचारियों के साथ बातचीत करके संकट का समाधान करना चाहिए।

मधोक ने आगे कहा- "समाचार एजेंसी अपने कर्मचारियों को अनिवार्य लाभ देने के लिए कानूनन बाध्य है। एक स्मार्ट मैनेजमेंट अपनी आस्तियों और वेतनभोगी कर्मचारियों का मुद्रीकरण किया ही होगा। लिहाजा, आप उनकी देनदारियों को लटका कर नहीं रख सकते। बहुत सारे कर्मचारी अपने मामले अदालतों में लड़ रहे हैं और प्रबंधन सुस्त न्यायिक प्रक्रिया का लाभ उठा रहा है, जो वास्तव में बहुत ही धीमी है।” 

यूएनआई का उदय और पराजय

इस समाचार एजेंसी को 1961 में समाचार पत्रों और अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसियों को खबरें और फोटो मुहैया कराने के मकसद से स्थापित किया गया था। इसी एजेंसी ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या की खबर सबसे पहले दी थी।हालाँकि, स्थिति नाटकीय रूप से बदल गई जब इन एजेंसियों ने 1991 में आर्थिक उदारीकरण के बाद सेवाएं प्रदान करने के लिए विभिन्न एजेंसियों के साथ अनुबंध किया।

समाचार एजेंसी के सब्सक्रिप्शन मॉडल को 2007 में एक और बड़ा झटका लगा, जब इसके प्रमुख उपभोक्ताओं में से एक, द हिंदू अखबार ने 13 लाख रुपये प्रति माह की अपनी सदस्यता रद्द कर दी। हालांकि, यूएनआई को आखिरी झटका तब लगा जब सरकार ने 2020 में प्रसार भारती और ऑल इंडिया रेडियो का सब्सक्रिप्शन रद्द कर दिया। 

एजेंसियों ने यूएनआई को इसकी सेवाओं के लिए प्रति वर्ष 6.5 करोड़ रुपये का भुगतान किया है।

प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया के समान, यूएनआई का प्रबंधन भी निदेशक मंडल द्वारा किया जाता है, जिनमें जागरण प्रकाशन लिमिटेड, कस्तूरी एंड संस लिमिटेड, एक्सप्रेस पब्लिकेशन (मदुरै), एचटी मीडिया लिमिटेड, स्टेट्समैन लिमिटेड, नव भारत प्रेस (भोपाल) लिमिटेड, एबीपी प्राइवेट लिमिटेड, टाइम्स ऑफ इंडिया और अन्य समाचार आउटलेट शामिल हैं।

अंग्रेजी में मूल रूप से लिखे गए लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:-

They can Save Many Kumars by Paying Pending Salaries, say Protesting UNI Employees

UNI
Prasar Bharti
Manipal Group
Pending Salaries
Journalist Protests
DUJ

Related Stories

देश में पत्रकारों पर बढ़ते हमले के खिलाफ एकजुट हुए पत्रकार, "बुराड़ी से बलिया तक हो रहे है हमले"

पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन की गिरफ़्तारी का एक साल: आज भी इंसाफ़ के लिए भटक रही हैं पत्नी रिहाना

मीडियाकर्मियों पर चौतरफ़ा हमला : डीयूजे

ट्रस्ट और राष्ट्र के बीच प्रेस

PTI पर राष्ट्र-विरोधी रिपोर्टिंग का आरोप और तमिलनाडु में पुलिस टॉर्चर

आख़िर प्रसार भारती पीटीआई से ख़फ़ा क्यों है?

कोविड-19: क्या लॉकडाउन कोरोना वायरस को रोकने में सफल रहा है?

प्रधानमंत्री की नाक के नीचे मीडिया संस्थानों में वेतन कटौती और बर्ख़ास्तगी, DUJ , NAJ ने की निंदा  

"प्रस्तावित लेबर कोड श्रम कानून को बर्बाद कर देगा"  

आम चुनावों तक 'मोदी शाइनिंग' के रेडियो अभियान के लिए सज गया है मंच


बाकी खबरें

  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    संतूर के शहंशाह पंडित शिवकुमार शर्मा का मुंबई में निधन
    10 May 2022
    पंडित शिवकुमार शर्मा 13 वर्ष की उम्र में ही संतूर बजाना शुरू कर दिया था। इन्होंने अपना पहला कार्यक्रम बंबई में 1955 में किया था। शिवकुमार शर्मा की माता जी श्रीमती उमा दत्त शर्मा स्वयं एक शास्त्रीय…
  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    ग़ाज़ीपुर के ज़हूराबाद में सुभासपा के मुखिया ओमप्रकाश राजभर पर हमला!, शोक संतप्त परिवार से गए थे मिलने
    10 May 2022
    ओमप्रकाश राजभर ने तत्काल एडीजी लॉ एंड ऑर्डर के अलावा पुलिस कंट्रोल रूम, गाजीपुर के एसपी, एसओ को इस घटना की जानकारी दी है। हमले संबंध में उन्होंने एक वीडियो भी जारी किया। उन्होंने कहा है कि भाजपा के…
  • कामरान यूसुफ़, सुहैल भट्ट
    जम्मू में आप ने मचाई हलचल, लेकिन कश्मीर उसके लिए अब भी चुनौती
    10 May 2022
    आम आदमी पार्टी ने भगवा पार्टी के निराश समर्थकों तक अपनी पहुँच बनाने के लिए जम्मू में भाजपा की शासन संबंधी विफलताओं का इस्तेमाल किया है।
  • संदीप चक्रवर्ती
    मछली पालन करने वालों के सामने पश्चिम बंगाल में आजीविका छिनने का डर - AIFFWF
    10 May 2022
    AIFFWF ने अपनी संगठनात्मक रिपोर्ट में छोटे स्तर पर मछली आखेटन करने वाले 2250 परिवारों के 10,187 एकड़ की झील से विस्थापित होने की घटना का जिक्र भी किया है।
  • राज कुमार
    जनवादी साहित्य-संस्कृति सम्मेलन: वंचित तबकों की मुक्ति के लिए एक सांस्कृतिक हस्तक्षेप
    10 May 2022
    सम्मेलन में वक्ताओं ने उन तबकों की आज़ादी का दावा रखा जिन्हें इंसान तक नहीं माना जाता और जिन्हें बिल्कुल अनदेखा करके आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। उन तबकों की स्थिति सामने रखी जिन तक आज़ादी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License