NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
चुनाव 2022
विधानसभा चुनाव
भारत
राजनीति
यूपी चुनाव: कई दिग्गजों को देखना पड़ा हार का मुंह, डिप्टी सीएम तक नहीं बचा सके अपनी सीट
उत्तर प्रदेश में एक बार फिर भाजपा की वापसी हो गई है, हालांकि इस प्रचंड जीत के बावजूद कई दिग्गज नेता अपनी सीट नहीं बचा पाए हैं।
रवि शंकर दुबे
11 Mar 2022
यूपी चुनाव: कई दिग्गजों को देखना पड़ा हार का मुंह, डिप्टी सीएम तक नहीं बचा सके अपनी सीट

भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश की सत्ता में वापसी कर इतिहास रच दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 37 सालों में ऐसा पहली बार होगा जब कोई सरकार अपना कार्यकाल दोहराने जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ की अगुआई में भाजपा ने उत्तर प्रदेश में दोबारा बहुमत हासिल कर लिया है। इन चुनावों में भाजपा ने 403 में से 255 सीटें अपने नाम कर ली, जबकि समाजवादी पार्टी ने पिछली बार से बेहतर प्रदर्शन किया और 111 सीटें जीत लीं।

इन आंकड़ों के अलावा इस चुनाव में सबसे खास बात ये रही कि बड़े-बड़े दिग्गज अपनी सीट नहीं बचा पाए, फिर चाहे वो कांग्रेस हो, सपा हो या फिर बहुमत हासिल करने वाली भाजपा के उपमुख्यमंत्री... यहां तक भाजपा से सपा में आकर खुद को नेवला और भाजपा को सांप बताने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य भी हार गए।

सबसे पहले बात करते हैं स्वामी डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की

केशव प्रसाद मौर्य अपने गढ़ सिराथू से चुनावी मैदान में थे, जहां उनके समर्थकों ने उन्हें जिताने के लिए मतगणना स्थल पर पहुंचकर हंगामा तक किया। लेकिन आखिरकार उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। समाजवादी की डॉ पल्लवी पटेल ने केशव प्रसाद मौर्य को 7 हज़ार 337 वोटों से हरा दिया।

स्वामी प्रसाद मौर्य

दलबदुओं की गिनती में शामिल और खुद को ओबीसी समुदाय का कद्दवार नेता कहने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य को करारी शिकस्त झेलनी पड़ी है। योगी सरकार में श्रम मंत्री रहे स्वामी प्रसाद ने सपा में शामिल होते ही खुद को नेवला और भाजपा को सांप बता डाला था, लेकिन शायद जनता को ये बात पसंद नहीं आई और वो फाज़िलनगर सीट पर 45014 हज़ार वोटों से हार गए। हालांकि उन्होंने इस हार को स्वीकार किया और कहा कि ‘’मैं हिम्मत नहीं हारा हूं’’

रामगोविंद चौधरी

बलिया जिले की बांसडीह सीट से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी और नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी पिछले कई चुनावों से लगातार जीतते आ रहे थे, लेकिन इस बार उन्हें भाजपा की केतकी सिंह ने मात दे दी है। राम गोविंद चौधरी को भाजपा-निषाद पार्टी गठबंधन की उम्मीदवार केतकी सिंह ने 21352 वोटों से हरा दिया।

संगीत सोम

भाजपा के दिग्गज नेता संगीत सोम भी अपनी सीट नहीं बचा सके। मेरठ की सरधना विधानसभा सीट पर संगीत सोम के सामने सपा के अतुल प्रधान चुनाव लड़ रहे थे। जिन्होंने संगीत सोम को 18,200 वोट से हरा दिया। सरधना सीट से संगीत सोम ने पिछले दोनों चुनाव अपने नाम किए थे, लेकिन इस बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

 सुरेश राणा

थाना भवन विधानसभा में गन्ना मंत्री सुरेश कुमार राणा को राष्ट्रीय लोक दल के अशरफ अली खान ने 10,806 मतों के अंतर से हरा दिया। थाना भवन सीट शामली जिले में आती है, यूपी में कई बहुचर्चित सीटों में एक थाना भवन का भी नाम है।

कृष्णा पटेल

अपना दल कमेरावादी की अध्यक्ष कृष्णा पटेल प्रतापगढ़ की सदर सीट से चुनाव हार गई हैं। सपा गठबंधन से उन्होंने चुनाव लड़ा था, अपना दल कमेरावादी की अध्यक्ष कृष्णा सरोज प्रतापगढ़ सदर सीट पर भाजपा उम्मीदवार राजेंद्र मौर्य से 25 हजार 063 वोट से हार गई हैं।

संजय सिंह

अमेठी राजघराने से ताल्लुक रखने वाले संजय सिंह भी चुनाव हार गए हैं। 2017 में उनकी पत्नी जागृति सिंह अमेठी से भाजपा के सिंबल पर चुनाव जीती थी। इस बार उनकी जगह संजय सिंह को भाजपा ने लड़ाया था। संजय सिंह को सपा सरकार में मंत्री रहे गायत्री प्रजापति की पत्नी महराजी प्रजापति ने मात दी है।

गौरव वर्मा

बहराइच जिले की कैसरगंज सीट से योगी सरकार में मंत्री रहे मुकुट बिहारी वर्मा के बेटे गौरव वर्मा विधानसभा में अपनी सीट पक्की नहीं कर पाए। मुकुट बिहारी वर्मा ने अपनी जगह अपने बेटे को चुनाव लड़ाया था।

धर्म सिंह सैनी

योगी सरकार में मंत्री रहे और स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ भाजपा को तिलांजलि देने वाले धर्म सिंह सैनी चुनाव हार गए हैं, वे नकुड विधानसभा से सपा के कैंडिडेट थे।

मोती सिंह

योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री मोती सिंह प्रतापगढ़ की पट्टी सीट से चुनाव हार गए हैं प्रदेश के दिग्गज नेताओं में उनकी गिनती होती रही है।

अजय कुमार लल्लू

यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू कुशीनगर स्थित तमकुहीराज सीट से चुनाव हार गए। उनके खिलाफ मैदान में उतरे बीजेपी उम्मीदवार असीम कुमार को करीब 115123 वोट मिले। वहीं अजय कुमार लल्लू को सिर्फ 33449 वोट से संतोष करना पड़ा। अजय कुमार लल्लू 81,674 वोट से चुनाव हार गए।

चंद्रशेखर आज़ाद

आज़ाद समाज पार्टी के प्रमुख दलितों में एक अलग ही छवि रखते हैं, उन्होंने किसी फैसला किया था कि जहां से भी योगी आदित्यनाथ चुनाव लड़ेंगे उनके खिलाफ लड़ूगा। यही कारण है कि उन्होंने गोरखपुर शहर से चुनाव लड़ने का फैसला किया लेकिन योगी के सामने उन्हें सिर्फ 7640 मिले। जबकि सीएम योगी आदित्यनाथ को 165499 वोट मिले। यानी चंद्रशेखर गोरखपुर में 1,57,849 वोट से हार गए।

अवतार सिंह भड़ाना

जेवर विधानसभा सीट भाजपा के धीरेंद्र सिंह ने फिर अपने नाम कर ली है, वहीं हरियाणा में पूर्व मंत्री रहे रालोद से उम्मीदवार अवतार सिंह भड़ाना को बड़ी पटकनी दी है। बीजेपी ने इस बार 56 हजार से ज्‍यादा वोटों के अंतर से जीत हासिल की है।

धनंजय सिंह

जौनपुर की मल्हनी सीट पर लकी यादव ने एकबार फिर से बाहुबली धनंजय सिंह को 17,527 वोटों से हरा दिया। शुरुआती राउंड में धनंजय सिंह करीब 4 हजार वोट से आगे हो गए थे। लेकिन उसके बाद पिछड़ते चले गए। लकी को 97,357 वोट और धनंजय सिंह को 79,830 वोट मिला। यहां बीजेपी प्रत्याशी कृष्ण प्रताप सिंह 18,319 वोट के साथ तीसरे स्थान पर रहे।

चिल्लूपार सीट पर विनय तिवारी का हाल

गोरखपुर जिले की चिल्लूपार सीट पर बाहुबली हरिशंकर तिवारी के बेटे विनय तिवारी को 21,645 वोट से हरा दिया। इस सीट पर बीजेपी के राजेश त्रिपाठी को 96,777 वोट मिले। विनय को 75,132 वोट मिले। बसपा के राजेंद्र सेठी को 45,729 वोट मिले।

ये कहना ग़लत नहीं होगा कि कोई भी पार्टी या दिग्गज नेता इस बार जनता का मूड पूरी तरह से भांप नहीं पाई। यही कारण है कि हर पार्टी के दिग्गज नेताओं को करारी शिकस्त झेलने पड़ी है।

UP ELections 2022
Chandrashekhar Azad
Swami Prasad Maurya
Keshav Prasad Maurya
Sangeet Som

Related Stories

सियासत: अखिलेश ने क्यों तय किया सांसद की जगह विधायक रहना!

यूपी चुनाव नतीजे: कई सीटों पर 500 वोटों से भी कम रहा जीत-हार का अंतर

यूपी के नए राजनीतिक परिदृश्य में बसपा की बहुजन राजनीति का हाशिये पर चले जाना

यूपी चुनाव : पूर्वांचल में हर दांव रहा नाकाम, न गठबंधन-न गोलबंदी आया काम !

जनादेश—2022: वोटों में क्यों नहीं ट्रांसलेट हो पाया जनता का गुस्सा

जनादेश-2022: यूपी समेत चार राज्यों में बीजेपी की वापसी और पंजाब में आप की जीत के मायने

यूपी चुनाव: प्रदेश में एक बार फिर भाजपा की वापसी

यूपी चुनाव: रुझानों में कौन कितना आगे?

यूपी चुनाव: इस बार किसकी सरकार?

यूपी चुनाव: नतीजों के पहले EVM को लेकर बनारस में बवाल, लोगों को 'लोकतंत्र के अपहरण' का डर


बाकी खबरें

  • अनिल सिन्हा
    उत्तर प्रदेशः हम क्यों नहीं देख पा रहे हैं जनमत के अपहरण को!
    12 Mar 2022
    हालात के समग्र विश्लेषण की जगह सरलीकरण का सहारा लेकर हम उत्तर प्रदेश में 2024 के पूर्वाभ्यास को नहीं समझ सकते हैं।
  • uttarakhand
    एम.ओबैद
    उत्तराखंडः 5 सीटें ऐसी जिन पर 1 हज़ार से कम वोटों से हुई हार-जीत
    12 Mar 2022
    प्रदेश की पांच ऐसी सीटें हैं जहां एक हज़ार से कम वोटों के अंतर से प्रत्याशियों की जीत-हार का फ़ैसला हुआ। आइए जानते हैं कि कौन सी हैं ये सीटें—
  • ITI
    सौरव कुमार
    बेंगलुरु: बर्ख़ास्तगी के विरोध में ITI कर्मचारियों का धरना जारी, 100 दिन पार 
    12 Mar 2022
    एक फैक्ट-फाइंडिंग पैनल के मुतबिक, पहली कोविड-19 लहर के बाद ही आईटीआई ने ठेके पर कार्यरत श्रमिकों को ‘कुशल’ से ‘अकुशल’ की श्रेणी में पदावनत कर दिया था।
  • Caste in UP elections
    अजय कुमार
    CSDS पोस्ट पोल सर्वे: भाजपा का जातिगत गठबंधन समाजवादी पार्टी से ज़्यादा कामयाब
    12 Mar 2022
    सीएसडीएस के उत्तर प्रदेश के सर्वे के मुताबिक भाजपा और भाजपा के सहयोगी दलों ने यादव और मुस्लिमों को छोड़कर प्रदेश की तकरीबन हर जाति से अच्छा खासा वोट हासिल किया है।
  • app based wokers
    संदीप चक्रवर्ती
    पश्चिम बंगाल: डिलीवरी बॉयज का शोषण करती ऐप कंपनियां, सरकारी हस्तक्षेप की ज़रूरत 
    12 Mar 2022
    "हम चाहते हैं कि हमारे वास्तविक नियोक्ता, फ्लिपकार्ट या ई-कार्ट हमें नियुक्ति पत्र दें और हर महीने के लिए हमारा एक निश्चित भुगतान तय किया जाए। सरकार ने जैसा ओला और उबर के मामले में हस्तक्षेप किया,…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License