NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
यूपी: क्या वाकई धर्मांतरण कानून के दुरुपयोग का कोई ख़तरा नहीं है!
इलाहाबाद हाईकोर्ट में योगी सरकार ने अब महीने भर बाद माना है कि धर्मांतरण के एक केस में आरोपियों के खिलाफ जबरन धर्म परिवर्तन का कोई सबूत नहीं मिला हैं। यानी मामला आनन-फानन में केवल शक के आधार पर दर्ज कर लिया गया।
सोनिया यादव
09 Jan 2021
धर्मांतरण
Image courtesy: Arre

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार एक ओर इलाहाबाद हाईकोर्ट में नए धर्मांतरण कानून के बचाव में हलफनामा दाखिल कर यह समझाने की कोशिश कर रही है कि यह कानून एक खास वजह से लाया गया है और इसके दुरुपयोग का कोई खतरा नहीं है। तो वहीं दूसरी ओर उसी हाईकोर्ट में धर्मांतरण के ही एक आरोप में केस दर्ज होने के महीने भर बाद अब सरकार यह कह रही है कि आरोपियों के खिलाफ कोई सबूत ही नहीं मिले हैं। यानी मामला आनन-फानन में केवल शक के आधार पर दर्ज कर लिया गया, गिरफ्तारी हुई और अब जांच में जबरन धर्म परिवर्तन के आरोप बेबुनियाद निकले।

क्या है पूरा मामला?

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के धर्मांतरण विरोधी कानून लागू होने के एक दिन बाद 29 नवंबर 2020 को मुजफ्फरनगर के मंसूरपुर पुलिस थाने में पेशे से मज़दूर नदीम (28) और उनके भाई सलमान (29) के खिलाफ अवैध रूप से धर्म परिवर्तन कराने का मामला दर्ज कराया गया था।

उत्तराखंड के एक फर्म में मजदूरों के ठेकदार के तौर पर काम करने वाले शिकायतकर्ता अक्षय कुमार ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। अक्षय के मुताबिक नदीम का उसके घर आना जाना था और इसी दौरान उसने अक्षय की पत्नी को फंसा लिया।

अक्षय का आरोप था कि नदीम उसकी पत्नी का धर्म परिवर्तन करवाकर उससे शादी करना चाहता था। इस काम में उसकी मदद सलमान कर रहा था। अक्षय ने यह भी कहा कि जब उसने इसका विरोध किया तो दोनों ने उसे धमकाया।

सरकार ने कोर्ट में क्या कहा?

यूपी सरकार की तरफ से संयुक्त निदेशक (अभियोजन) अवधेश पांडे ने बीती सात जनवरी को हाईकोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा कि जांचकर्ता अधिकारी को धर्मांतरण विरोधी कानून के प्रावधानों से संबंधित किसी अपराध में आरोपियों के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला है।

यही नहीं, एफिडेविट में इस पूरे मामले पर ही सवाल खड़े किए गए। कहा गया कि जांच से पता चला कि नदीम का महिला के साथ कोई अनैतिक संबंध था ही नहीं। यह बात जांच के दौरान महिला ने बयान में भी कही। हालांकि नदीम ने अक्षय को धमकाया जरूर था। इस मामले में उपयुक्त धाराओं के अनुसार आरोपी पर कार्रवाई होगी।

शक में दर्ज कराया गया पूरा मामला

इस मामले में चार्जशीट 31 दिसंबर को फाइल की गई थी। नदीम ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए आरोप लगाया कि महिला के पति ने उस पर बेवजह शक करते हुए बेबुनियाद आरोप मढ़ दिए थे।

उनके वकील सैयद फरमान नकवी ने कहा कि सरकार के हलफनामे में कहा गया है कि सलमान को क्लीनचिट दी गई, नदीम के खिलाफ धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत कोई सबूत नहीं मिले।

मंसूरपुर पुलिस थाने के एसएचओ कुशाल पाल सिंह ने कहा कि महिला ने अपने बयान में उन पर किसी भी तरह के धर्मांतरण के प्रयास के आरोपों से इनकार किया। उन्होंने पुलिस को बताया कि उनके पति को शक था कि उनका नदीम के साथ संबंध है। हालांकि, धमकी दिए जाने के सबूत मिले हैं।

नदीम के खिलाफ आईपीसी की धारा 504 (शांति भंग करने के इरादे से जान-बूझकर अपमान करना) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत मामला दर्ज किया गया।

बता दें कि इससे पहले, यह मामला जब कोर्ट के सामने आया था, तो नदीम के खिलाफ आपराधिक केस चलाने पर रोक लगा दी गई थी। कोर्ट ने 18 दिसंबर की सुनवाई में टिप्पणी की थी कि आरोपी और महिला दोनों ही बालिग हैं और ये उनकी निजता का मौलिक अधिकार है। ऐसा कोई भी सबूत सामने नहीं आया है, जिससे साबित हो कि धर्म बदलवाने के लिए दबाव डाला जा रहा है। पहली नजर में तो सभी आरोप बस शंका लग रहे हैं।

कई मामले संदेह के घेरे में हैं!

गौरतलब है कि राज्य में 28 नवंबर को धर्मांतरण विरोधी कानून के लागू होने के बाद से अब तक 16 मामले दर्ज किए जा चुके हैं। इनमें से अधिकतर मुक़दमों में मुस्लिम युवक को गिरफ़्तार किया गया है। कई मामले संदेह के घेरे में हैं तो वहीं कुछ में पुलिस पर दोहरा रवैया अपनाने जैसे आरोप भी लग रहे हैं।

इसे भी पढ़ें: यूपी: अवैध धर्मांतरण कानून को लेकर पुलिस पर अतिसक्रियता और दोहरे रवैए का आरोप क्यों लग रहा है?

हैरानी की बात ये है कि अधिकतर मामलों में महिला ने ज़बरदस्ती धर्म परिवर्तन का कोई आरोप नहीं लगाया है। जिसके चलते बार-बार इस कानून के दुरुपयोग की बातें सामने आ रही है। धड़ाधड़ एफ़आईआर, गिरफ्तारियां और इस संबंध में पुलिस की अतिसक्रियता पर एक के बाद एक कई सवाल उठ रहे हैं।

बिजनौर में अपनी दोस्त के साथ जा रहे मुस्लिम लड़के को ‘लव जिहाद’ के आरोप में जेल भेजा गया। पुलिस के मुताबिक दलित नाबालिग लड़की के पिता के कहने पर एफ़आईआर दर्ज की गई है, जबकि पिता ने खुद इस बात से इनकार किया।

मुरादाबाद का मामला तो कई दिनों सुर्खियों में रहा था। इसमें पुलिस पर आरोप लगा कि उन्होंने बजरंग दल के प्रभाव में एक निर्दोष दम्पति का उत्पीड़न किया, और बाद में इसी उत्पीड़न की वजह से महिला को अपना गर्भस्थ बच्चा गंवाना पड़ा। ऐसे में इस कानून के कारण महिला शोषण और मुस्लिम युवकों के उत्पीड़न की बात भी सामने आई।

इसे भी पढ़ें: यूपी: अवैध धर्मांतरण क़ानून क्या मुस्लिम युवकों को निशाना बना रहा है?

कानून के पीछे सरकार की असली मंशा पर उठ चुके हैं सवाल

महिलावादी संगठन, नागरिक समाज के लोग और कुछ जानकर पहले ही इस पूरे अध्यादेश को लाने के पीछे सरकार की असली मंशा पर सवाल उठा चुके हैं। इसके अलावा पूर्व अधिकारियों द्वारा लिखा गया पत्र भी निश्चित ही सरकार के लिए चिंता की बात होना चाहिए।

आपको मालूम है कि इस संबंध में हाल ही में सौ से अधिक पूर्व नौकरशाहों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक चिट्ठी लिखी थी। इस चिट्ठी में उन्होंने सीएम योगी से 'उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध क़ानून, 2020' को वापस लेने और इसके तहत नामज़द लोगों को उचित मुआवज़ा देने की मांग की थी।

इन पूर्व अधिकारियों ने अपने ख़ुले ख़त में लिखा था कि इस क़ानून ने उत्तर प्रदेश को नफ़रत, विभाजन और कट्टरता की राजनीति का केंद्र बना दिया है। इस कानून की वजह से यूपी की गंगा-जमुनी तहजीब को चोट पहुंची है और समाज में सांप्रदायिकता का जहर फैला है।

इसे भी पढ़ें: क्या यूपी वाकई ‘नफ़रत की राजनीति का केंद्र बन चुका है’?

UttarPradesh
love jihad
Love Jihad Law
Muslims
Anti Muslim
Proselytism
UP police
Yogi Adityanath
Religion Politics
BJP
RSS

Related Stories

बदायूं : मुस्लिम युवक के टॉर्चर को लेकर यूपी पुलिस पर फिर उठे सवाल

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 


बाकी खबरें

  • padtal dunia ki
    न्यूज़क्लिक टीम
    कोलंबिया में लाल को बढ़त, यूक्रेन-रूस युद्ध में कौन डाल रहा बारूद
    31 May 2022
    पड़ताल दुनिया भर की' में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने लातिन अमेरिका के देश कोलंबिया में चुनावों में वाम दल के नेता गुस्तावो पेत्रो को मिली बढ़त के असर के बारे में न्यूज़क्लिक के प्रधान संपादक प्रबीर…
  • मुकुंद झा
    छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"
    31 May 2022
    एनईपी 2020 के विरोध में आज दिल्ली में छात्र संसद हुई जिसमें 15 राज्यों के विभिन्न 25 विश्वविद्यालयों के छात्र शामिल हुए। इस संसद को छात्र नेताओं के अलावा शिक्षकों और राजनीतिक दलों के नेताओं ने भी…
  • abhisar sharma
    न्यूज़क्लिक टीम
    सरकारी एजेंसियाँ सिर्फ विपक्ष पर हमलावर क्यों, मोदी जी?
    31 May 2022
    आज अभिसार शर्मा बता रहे हैं के सरकारी एजेंसियों ,मसलन प्रवर्तन निदेशालय , इनकम टैक्स और सीबीआई सिर्फ विपक्ष से जुड़े राजनेताओं और व्यापारियों पर ही कार्रवाही क्यों करते हैं या गिरफ्तार करते हैं। और ये…
  • रवि शंकर दुबे
    भाजपा के लिए सिर्फ़ वोट बैंक है मुसलमान?... संसद भेजने से करती है परहेज़
    31 May 2022
    अटल से लेकर मोदी सरकार तक... सदन के भीतर मुसलमानों की संख्या बताती है कि भाजपा ने इस समुदाय का सिर्फ वोटबैंक की तरह इस्तेमाल किया है।   
  • विजय विनीत
    ज्ञानवापी सर्वे का वीडियो लीक होने से पेचीदा हुआ मामला, अदालत ने हिन्दू पक्ष को सौंपी गई सीडी वापस लेने से किया इनकार
    31 May 2022
    अदालत ने 30 मई की शाम सभी महिला वादकारियों को सर्वे की रिपोर्ट के साथ वीडियो की सीडी सील लिफाफे में सौंप दी थी। महिलाओं ने अदालत में यह अंडरटेकिंग दी थी कि वो सर्वे से संबंधित फोटो-वीडियो कहीं…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License