NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
यूपी : थानेदारों की तैनाती में उड़ रहीं आरक्षण नीति की धज्जियां
उत्तर प्रदेश में जब से योगी आदित्यनाथ की सरकार आई है थानेदारों की तैनाती में पिछड़ी और दलित जातियों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। थानों में अब तथाकथित ऊंची जाति के अफ़सरों का दबदबा है। 
सरोजिनी बिष्ट
25 Nov 2019
UP police
Image courtesy:The Quint

उत्तर प्रदेश में थानेदारों की तैनाती के तौर-तरीक़ों को लेकर हमेशा से ही सवाल खड़े होते रहे हैं। इसे देखते हुए, 7 जून 2002 को एक सरकारी आदेश जारी किया गया था। इसके तहत राज्य में सरकारी नौकरियों के लिए लागू आरक्षण नीति के मुताबिक़ ही थानेदारों की भी तैनाती होनी चाहिए। यानी, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से 27 प्रतिशत, अनुसूचित जाति (एससी) से 21 और अनुसूचित जनजाति (एसटी) से 2 प्रतिशत थानेदार बनाए जाने चाहिए। 

राज्य में कुल 1465 पुलिस थाने हैं। इस तरह देखें तो 732 थानों में सामान्य, 396 में ओबीसी, 308 में एससी और 29 में एसटी थानेदारों की तैनाती होनी चाहिए। लेकिन आज 17 सालों बाद भी यह सरकारी आदेश ढंग से लागू नहीं किया जा सका है। 

सरकार ख़ुद अपने आदेश का उल्लंघन कर रही है, जिसकी तस्दीक़ उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति आयोग ही करता है। इस संस्था के अध्यक्ष बृजलाल बीते 17 नवंबर को सेवानिवृत्त हुए। अपने अंतिम कार्य दिवस पर उन्होंने अपनी उपलब्धि के रूप में बताया कि अब राज्य में एससी-एसटी थानेदारों की तैनाती 19.2 प्रतिशत हो गयी है। लेकिन इससे यह भी साफ़ है कि योगी सरकार में अनुसूचित जाति व जनजाति को निर्धारित 23 प्रतिशत आरक्षण नहीं दिया जा रहा है।

बृजलाल ने यह भी बताया कि जब उन्होंने 19 महीने पहले आयोग के अध्यक्ष का पदभार संभाला था, तब केवल 10 प्रतिशत एससी-एसटी थानेदार तैनात थे। उन्होंने परोक्ष रूप से इसके लिए पूर्ववर्ती अखिलेश यादव सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया। दरअसल, उत्तर प्रदेश की कड़वी सच्चाई यही है कि यहाँ थानेदारों की तैनाती सरकारी आरक्षण नीति के बजाय मुख्यमंत्री के मन-मिजाज़ और उनकी जाति के हिसाब से होती रही है। जब से भाजपा की योगी आदित्यनाथ सरकार सत्ता में आयी है, राज्य के मुख्य शहरों के ज़्यादातर थानों में सवर्ण जाति के ही थानेदारों की नियुक्ति हो रही है।

इस साल के जून महीने में जानी-मानी सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर ने आरटीआई के ज़रिये भी इसी तथ्य को उजागर किया। आरटीआई से जो जानकारी मिली उससे पता चला कि राजधानी लखनऊ के 60 फ़ीसदी थानों के थानेदार क्षत्रिय या ब्राह्मण समुदाय के थे। सरकार द्वारा दी गयी सूचना के मुताबिक़, लखनऊ के कुल 43 थानों में से 14 में क्षत्रिय, 11 में ब्राह्मण, 9 में ओबीसी, 8 में एससी और एक में सामान्य वर्ग के मुस्लिम थानेदार की तैनाती थी। सबसे ज़्यादा अधिकारी मुख्यमंत्री की अपनी जाति ठाकुर बिरादरी से थे। लखनऊ में मुसलमानों की आबादी एक चौथाई से कुछ ज़्यादा है, लेकिन जून महीने में ज़िले में तैनाती केवल दो मुसलमान थानेदारों की थी। एक ओबीसी और एक सामान्य वर्ग का।

2002 के सरकारी आदेश के मुताबिक़, आरक्षण नीति का पालन ज़िला स्तर पर होना है। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। लखनऊ में ओबीसी को 27 की जगह केवल 20 प्रतिशत और एससी को 21 की जगह 18 प्रतिशत थानेदार पद ही मिले। इतना ही नहीं, कुछ जातियों को विशेष रूप से निशाना बनाया जा रहा है। राज्य में यादव सबसे बड़ी ओबीसी जातियों में हैं और उन्हें अमूमन समाजवादी पार्टी का समर्थक माना जाता है। इसी का नतीजा है कि जून महीने में लखनऊ ज़िले के थानेदारों की जो सूची सरकार की ओर से उपलब्ध कराई गयी उसमें एक भी थानेदार यादव जाति का नहीं था।

इसके क़रीब एक साल पहले, मई 2018 में भी आरटीआई से लखनऊ के थानेदारों की सूची मांगी गयी थी। उस सूची के मुताबिक़, लखनऊ के 77 प्रतिशत थानों में तथाकथित ऊंची जाति के लोग क़ाबिज़ थे, जबकि मुसलमान थानेदार एक भी नहीं था। उस समय भी यादव जाति को जान-बूझकर किनारे रखने की बात सामने आयी थी। योगी सरकार के कार्यकाल के शुरुआती दिनों में, एक समय वाराणसी के 24 थानों में से 23 में, और इलाहाबाद के 44 थानों में से 42 में ऊंची जातियों के थानेदार थे। वर्तमान में भी थानेदार से लेकर राज्य के डीजीपी तक की कुर्सी पर उत्तर प्रदेश में ठाकुर जाति का दबदबा है।

योगी सरकार से पहले अखिलेश यादव सरकार में भी यही कहानी थी, बस ठाकुर-ब्राह्मण की जगह तब यादव बिरादरी का बोलबाला था। जुलाई 2015 की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, तब यूपी के 1526 थानों में से लगभग 600 में थानेदार यादव बिरादरी के थे। राजधानी लखनऊ के 43 पुलिस थानों में से 20 में यादव थानेदार तैनात थे। कानपुर के 44 में से 17 थानों के थानेदार यादव जाति के थे। 

और पहले जब मायावती सरकार थी तो पुलिस विभाग में अहम पदों पर तैनाती में अनुसूचित जाति के लोगों को ख़ास तरजीह दिये जाने के आरोप सामने आते थे।

ऐसे में तो यही लगता है कि पता नहीं कब हमारी पुलिस व्यवस्था अपने राजनीतिक आक़ाओं की संकीर्ण सोच के दायरे से बाहर निकल पायेगी।

Utter pradesh
Yogi Adityanath
yogi sarkar
Discrimination with Dalit
caste discrimination
Annihilation of caste
UP police
SC/ST
AKHILESH YADAV
BJP

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?


बाकी खबरें

  • अनीस ज़रगर
    जम्मू-कश्मीर: अधिकारियों ने जामिया मस्जिद में महत्वपूर्ण रमज़ान की नमाज़ को रोक दिया
    29 Apr 2022
    प्रशासन का कहना है कि प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा जामिया में इबादत गुजारों के लिए व्यवस्था की समीक्षा करने के बाद सामूहिक इबादत को रोकने का ये निर्णय लिया गया है।
  • लाल बहादुर सिंह
    किधर जाएगा भारत— फ़ासीवाद या लोकतंत्र : रोज़गार-संकट से जूझते युवाओं की भूमिका अहम
    29 Apr 2022
    गहराता रोज़गार संकट और कठिन होती जीवन-स्थितियां भारत में फ़ासीवाद के राज्यारोहण का सबसे पक्का नुस्खा है। लेकिन तमाम फ़ासीवाद-विरोधी ताकतें एकताबद्ध प्रतिरोध में उतर पड़ें तो यही संकट समाज को रैडिकल…
  • ज़ाहिद खान
    इरफ़ान ख़ान : अदाकारी की इब्तिदा और इंतिहा
    29 Apr 2022
    29 अप्रैल 2020 को हमसे जिस्मानी तौर पर जुदा हुए इरफ़ान ख़ान अपनी लासानी अदाकारी से अपने चाहने वालों के दिलो ज़ेहन में हमेशा ज़िंदा रहेंगे।
  • एजाज़ अशरफ़
    क्यों धार्मिक जुलूस विदेशी भूमि को फ़तह करने वाले सैनिकों जैसे लगते हैं
    29 Apr 2022
    इस तरह के जुलूस, मुसलमानों पर हिंदुओं का मनोवैज्ञानिक प्रभुत्व स्थापित करने और उन्हें अपने अधीन करने के मक़सद से निकाले जा रहे हैं।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 3,377 नए मामले, 60 मरीज़ों की मौत
    29 Apr 2022
    दिल्ली में आज फिर कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी हुई, दिल्ली में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 1,490 नए मामले दर्ज़ किए गए |
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License