NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
यूपी: योगी सरकार का "विकासोत्सव" बर्बादी का जश्न है
योगी जी का विकास का सारा जश्न दरअसल अर्थव्यवस्था के ध्वंस और कोविड से हलकान, हैरान-परेशान जनता को मुंह चिढ़ाने और उसके जले पर नमक छिड़कने जैसा है। कुछ विश्लेषकों ने ठीक नोट किया है कि "यूपी विकासोत्सव" का वही हश्र होगा जो वाजपेयी सरकार के "इंडिया शाइनिंग" का हुआ था।
लाल बहादुर सिंह
22 Sep 2021
यूपी: योगी सरकार का "विकासोत्सव" बर्बादी का जश्न है


योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में अपनी सरकार के साढ़े चार वर्ष पूरे होने पर 7 अक्टूबर तक " विकासोत्सव " मनाने का एलान किया है। सालाना जलसा तो होता था, अब योगी जी ने छमाही जलसे की यह नई परिपाटी शुरू की है। वास्तव में, जनता की असल जिंदगी में तो कहीं उत्सव-उल्लास है नहीं उत्तर प्रदेश में, उसके उलट महँगाई-बेकारी, चौतरफा तबाही के कारण उदासी का आलम है, उधर चुनाव सर पर है, उसे ही ढकने के लिए यह बनावटी जश्न का माहौल बनाया जा रहा है।

कुछ विश्लेषकों ने ठीक नोट किया है कि "यूपी विकासोत्सव" का वही हश्र होगा जो वाजपेयी सरकार के  "इंडिया शाइनिंग" का हुआ था। 19 मार्च 2017 के शपथ-ग्रहण के ठीक साढ़े 4 वर्ष बाद 19 सितंबर को पत्रकार वार्ता करके योगी जी ने अपनी सरकार की "उपलब्धियां" गिनायीं। उन्होंने दावा किया कि, " सुरक्षा और सुशासन के लिए उनकी सरकार को राज्य के इतिहास में एक " यादगार " सरकार के रूप में याद रखा जायेगा, पूरी दुनिया आज उत्तर प्रदेश को एक "मॉडल " के बतौर देख रही है ! " 

इस तरह योगी जी ने मोदी के गुजरात मॉडल के बरक्स अपने यूपी मॉडल का दावा ठोंक दिया है।

अपने मुंह मियां मिट्ठू बनने का यह classic केस है और मानना पड़ेगा कि मोदी जी का उत्तराधिकारी बनने ( और जीत जाने पर 24 में शायद प्रतिस्पर्धी बनने ) का सपना संजोए योगी जी ने उनकी झूठ/अतिशयोक्ति-शैली को मात दे दिया है।

विडम्बना यह है कि जिस दिन योगी जी सुरक्षा को लेकर ये बड़बोले दावे कर रहे थे उसके अगले ही दिन इलाहाबाद में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष, बेहद हाई प्रोफाइल मठाधीश की सम्पत्ति विवाद-ब्लैकमेल मामले में संदिग्ध आत्महत्या/हत्या की खबर ने हड़कम्प मचा दिया और उनके सारे दावों की पोल खोल दी।

योगी जी का विकास का सारा जश्न दरअसल अर्थव्यवस्था के ध्वंस और कोविड से हलकान, हैरान-परेशान जनता को मुंह चिढ़ाने और उसके जले पर नमक छिड़कने जैसा है। लोग अभी कोविड के दौरान हुई अकल्पनीय तबाही को भूले नहीं हैं, न कभी भूल पाएंगे, जब स्वयं इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने योगी सरकार के कोविड कुप्रबंन्धन से हुई अनगिनत मौतों को जनसंहार ( genocide ) करार दिया था। योगी जी के " सुशासन " पर इससे बड़ी टिप्पणी क्या हो सकती है !

योगी जी ने बेशक यूपी को मॉडल बनाया है, लेकिन सुरक्षा और सुशासन का नहीं, बल्कि पुलिस-माफिया राज और चौतरफा तबाही का। 

उत्तर प्रदेश में कितनी सुरक्षा और सुशासन है, इसे प्रदेशवासी रोज भोग रहे हैं, वह उन्हें किसी जुमलेबाजी और जश्न से नहीं जानना है। बहरहाल, अभी NCRB के हवाले से, जो सरकार की ही संस्था है, जो आंकड़े आये हैं, वे योगी जी के दावों की हवा निकालने के लिए काफी हैं। उसके अनुसार अनुसार यूपी अपराध, हत्या, बलात्कार से लेकर महिलाओं, दलितों के खिलाफ होने वाले अत्याचार के मामलों में देश में नम्बर एक पर है, हाथरस बलात्कार-हत्या कांड की पीड़िता दलित बेटी के परिजन साल भर बाद भी उसके लिए न्याय का इंतज़ार कर रहे हैं। 

जबकि यह वही दौर था जब अपराध के खिलाफ " जीरो टॉलरेंस " की योगी जी की कुख्यात " ठोंक दो " नीति के तहत प्रदेश में 8559 एनकाउंटर हुए जिसमें 146 कथित अपराधी मारे गए, 3349 घायल हुए, जिनमें 1500 को विकलांग बना दिया गया। यूपी पुलिस का एक मौलिक योगदान " ऑपरेशन लंगड़ा " इसी दौरान शब्दकोश में शामिल हुआ, जिसके तहत एनकाउंटर में हत्या के बजाय पैर में गोली मारकर लंगड़ा करने की रणनीति पर अमल किया गया क्योंकि एनकाउंटर हत्याओं पर होहल्ला होने लगा था, जिस पर सर्वोच्च न्यायालय ने भी सवाल उठाया था और सरकार से रिपोर्ट तलब की थी।

जाहिर है इन तमाम Encounters और " ऑपरेशन लंगड़ा " की गाज समाज के कमजोर तबकों पर गिरी, अधिकांशतः वे ही इसके शिकार हुए। ठीक उस तरह अल्पसंख्यक समुदाय के बाहुबलियों के खिलाफ selective ढंग से कार्रवाई हुई जबकि सत्ता से जुड़े माफिया निर्द्वन्द्व पूरे प्रदेश को रौंदते रहे।

उत्तर प्रदेश बना लोकतन्त्र की क़ब्रगाह

इसी पुलिस राज का खौफनाक रूप लोकतान्त्रिक आंदोलनों के बर्बर दमन के रूप में सामने आया। साढ़े चार साल तक आम जनता को अपने हक-अधिकार की मांग उठाने के अधिकार से भी वंचित कर दिया गया, सरकार के जनविरोधी कदमों, नीतियों के खिलाफ असहमति की हर आवाज को बेरहमी से कुचल दिया गया, पहले तमाम बहाने बनाकर धारा 144 लगाकर, बाद में कोरोना के नाम पर न्यूनतम धरना प्रदर्शन तक पर रोक लगा दी गयी। हॉल के अंदर सेमिनार-गोष्ठी तक करना असम्भव हो गया, राजधानी लखनऊ में पर्चा बांटते महिला नेताओं की गिरफ़्तारी हुई। हद तो तब हो गयी जब अधिकारियों ने पहले ज्ञापन receive किया और फिर ज्ञापन देने वालों के खिलाफ महामारी act के तहत मुकदमा दर्ज करवा दिया ! जिसने भी सड़क पर उतरने की जुर्रत की उसे योगी पुलिस की बर्बरता का शिकार होना पड़ा।

इसका चरमोत्कर्ष दिसम्बर 2019 में CAA-NRC विरोधी आंदोलन का अभूतपूर्व दमन था। विरोध प्रदर्शनों पर फायरिंग में विभिन्न जिलों में मुस्लिम समुदाय के अनेक लोग मारे गए। बाद में 19 दिसम्बर को राजधानी लखनऊ में सरकार ने जुल्म की इंतहा कर दी। बर्बर लाठीचार्ज, महिला नेताओ तक की पिटाई और फिर बिल्कुल फ़र्ज़ी धाराओं में नागरिक समाज के सबसे प्रतिष्ठित व्यक्तियों -पूर्व IG दारापुरी और मोहम्मद शोएब एडवोकेट जैसों तक की गिरफ्तारी, जो वहां प्रतिवाद के दौरान घटनास्थल पर थे भी नहीं, वे तो पुलिस के हाउस अरेस्ट में थे। हद तो तब हो गयी, जब इन तमाम लोकतान्त्रिक शख्सियतों और जेल में बंद अनेक निर्दोष लोगों को अपराधी घोषित कर उनकी फोटो चौराहों पर टांग दी गई और उनसे सरकारी संपत्ति की क्षतिपूर्ति के नाम पर कुर्की जब्ती की कार्रवाई शुरू हो गयी। बहरहाल इस पर हाईकोर्ट ने सरकार को कड़ी फटकार लगाई और होर्डिंग हटाने का आदेश दिया।

यह नायाब कारनामा योगी जी के "मॉडल राज्य" के अलावा देश और दुनिया में शायद ही कहीं हुआ हो ! हाल ही में मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रमन्ना ने जो बेहद गम्भीर टिप्पणी की है कि, " पुलिस स्टेशन मानवाधिकार व मानवीय सम्मान के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं।", यह आज सबसे सटीक उत्तर प्रदेश के लिए ही है।

बहरहाल, किसान आंदोलन ने माहौल बदल दिया है और इस हिटलरी निज़ाम पर नकेल कसने का काम शुरू कर दिया है। न सिर्फ गाजीपुर बॉर्डर पर डबल इंजन की सरकार को चुनौती देते वे 9 महीने से डटे हुए हैं, बल्कि सीधे लखनऊ पहुंचकर किसान नेताओं ने योगी को चुनौती देते हुए मिशन यूपी का एलान कर दिया।

यूपी बीजेपी द्वारा बक्कल उतार देने वाले कार्टून के माध्यम से चौराहों पर ( CAA- NRC विरोधी आंदोलनकारियों की तर्ज़ पर ) फोटो लगवा देने की धमकी का मुंहतोड़ जवाब देते हुए किसान नेताओं ने अब सीधे लखनऊ पर धावा बोलने का एलान कर दिया है और वे राजधानी के दरवाजे तक पहुंच गए हैं।

20 सितंबर को लखनऊ से सटे सीतापुर में किसानों की विशाल रैली हुई जिसे राकेश टिकैत, मेधा पाटकर, डॉ0 सुनीलम आदि ने सम्बोधित किया। गन्ना किसानों को लेकर योगी जी की अपनी हवा-हवाई उपलब्धियों के बखान पर तंज करते हुए राकेश टिकैत ने कहा, " हम सरकार को झूठ बोलने के लिए स्वर्ण पदक देंगे। इसने 4 साल में गन्ने की कीमत एक रुपया नहीं बढ़ाई है। " सरकार की पोल खोलते हुए किसान नेताओं ने 10 हजार करोड़ से ऊपर के बकाए, यूपी में बिजली के सबसे ऊंचे रेट, MSP रेट पर किसानों से खरीद न कर सरकारी मंडियों में बड़े पैमाने पर घोटालों का सवाल उठाकर सरकार को घेर दिया है।

टिकैत ने योगी सरकार को चेतावनी देते हुए कहा, " अब यह आन्दोलन लखनऊ पहुंचेगा, उसके बाद पूरे प्रदेश में। सरकार लाठी चलाये, किसान पीछे हटने वाले नहीं हैं ।"

रोजगार का सवाल बड़े राजनैतिक सवाल के रूप में उभरता जा रहा है। लखनऊ में 23 सितंबर को उत्तर प्रदेश छात्र-युवा अधिकार मोर्चा की ओर से " युवा मांगे रोजगार " बैनर के तहत " रोजगार अधिकार सम्मेलन " हो रहा है। उनका नारा है, " सम्मान के साथ रोजगार! "सामाजिक न्याय के साथ रोजगार! " इको गॉर्डन, लखनऊ में शिक्षक भर्ती आरक्षण घोटाले को लेकर आंदोलनरत प्रतियोगी अभ्यर्थी लगभग 3 महीने से अपने आंदोलन को जारी रखे हुए हैं। इलाहाबाद में युवा मंच के बैनर तले नौजवान 1 सितंबर से अलख जगाए हुए हैं, प्रतियोगी छात्रों की आंदोलनात्मक हलचल लगातार जारी है।

लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्रों ने पिछले दिनों  किसान-आंदोलन के प्रति अपने समर्थन का एलान करते हुए राकेश टिकैत को अपना पत्र सौंपा था। इधर किसान नेता भी लगातार युवाओं के रोजगार के सवाल को उठा रहे हैं और किसान आंदोलन की कमान संभालने के लिए भी उनका आह्वान कर रहे हैं। डॉ. दर्शन पाल ने इको गार्डन, लखनऊ जाकर आंदोलनरत छात्रों का समर्थन किया और उनसे नव-उदारवादी आर्थिक नीतियों के खिलाफ लड़ने का आह्वान किया।

किसान और छात्र-युवा आंदोलन की बढ़ती एकता उत्तर प्रदेश में लोकतन्त्र के लिए शुभ है। लोकतन्त्र की कब्रगाह बन गए प्रदेश को जनान्दोलन की ये ताकतें ही आने वाले दिनों में  सच्चे लोकतन्त्र का मॉडल बनाएंगी। 27 सितंबर का भारत-बंद इस यात्रा में अहम पड़ाव है।

(लेखक इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

Yogi Adityanath
UP
UP Government
BJP
vikas

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?


बाकी खबरें

  • blast
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हापुड़ अग्निकांड: कम से कम 13 लोगों की मौत, किसान-मजदूर संघ ने किया प्रदर्शन
    05 Jun 2022
    हापुड़ में एक ब्लायलर फैक्ट्री में ब्लास्ट के कारण करीब 13 मज़दूरों की मौत हो गई, जिसके बाद से लगातार किसान और मज़दूर संघ ग़ैर कानूनी फैक्ट्रियों को बंद कराने के लिए सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही…
  • Adhar
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: आधार पर अब खुली सरकार की नींद
    05 Jun 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस सप्ताह की जरूरी ख़बरों को लेकर फिर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन
  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष
    05 Jun 2022
    हमारे वर्तमान सरकार जी पिछले आठ वर्षों से हमारे सरकार जी हैं। ऐसा नहीं है कि सरकार जी भविष्य में सिर्फ अपने पहनावे और खान-पान को लेकर ही जाने जाएंगे। वे तो अपने कथनों (quotes) के लिए भी याद किए…
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' का तर्जुमा
    05 Jun 2022
    इतवार की कविता में आज पढ़िये ऑस्ट्रेलियाई कवयित्री एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' जिसका हिंदी तर्जुमा किया है योगेंद्र दत्त त्यागी ने।
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित
    04 Jun 2022
    देशभक्तों ने कहां सोचा था कि कश्मीरी पंडित इतने स्वार्थी हो जाएंगे। मोदी जी के डाइरेक्ट राज में भी कश्मीर में असुरक्षा का शोर मचाएंगे।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License