उत्तर प्रदेश चुनावों में इस बार किसान बड़ी भूमिका निभाने वाले हैं, यही कारण हैं कि हर सियासी दल किसानों को अपनी-अपनी तरह से साधने में जुटा हुआ है।
किसान आंदोलन और लखीमपुर-खीरी हिंसा के बाद जहां किसानों का बड़ा तबका भारतीय जनता पार्टी से नाराज़ है, तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी इसका पूरा फायदा उठाना चाहते हैं। इसी कड़ी में अखिलेश यादव ने लखनऊ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और ‘अन्न संकल्प’ लिया। इस दौरान अखिलेश के साथ तेजिंदर बिर्क भी मौजूद रहे। तेजिंदर बिर्क वहीं शख्स हैं जो लखीमपुर खीरी हिंसा के वक्त गाड़ी की चपेट में आकर घायल हो गए थे। आरोप है कि तेजिंदर पर भी गाड़ी चढ़ाने की कोशिश गई थी।
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अखिलेश यादव, तेजिंदर बिर्क और अन्य सपा कार्यकर्ताओं ने हाथ में गेहूं और चावल लेकर संकल्प लिया और लोगों से बीजेपी को हटाने की अपील की। इस दौरान अखिलेश के साथ कार्यकर्ताओं ने संकल्प को दोहराते हुए कहा- ‘हम सभी संकल्प लेते हैं कि किसानों पर अन्याय करने वालों को हराएंगे और हटाएंगे।’
संकल्प लेने के बाद अखिलेश यादव ने किसानों के लिए कई वादे भी किए। उन्होंने कहा कि सपा की सरकार आने पर सभी किसानों को सिंचाई के लिए मुफ्त बिजली और ब्याज़ मुक्त लोन दिया जाएगा।
अखिलेश ने कहा कि सपा अपने घोषणा पत्र में सभी फसलों के लिए एमएसपी और गन्ना किसानों को 15 दिन में भुगतान सुनिश्चित करेगी। 300 यूनिट फ्री बिजली देने का संकल्प पूरा किया जाएगा। साथ ही अखिलेश ने कहा कि सपा का घोषणा पत्र बीजेपी के घोषणापत्र के बाद जारी किया जाएगा।
वहीं अखिलेश के ‘अन्न संकल्प’ पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तंज कसा उन्होंने ट्वीट कर कहा कि- दंगाइयों, अपराधियों और आतंकवादियों का हाथ थामने वाले लोग आज 'अन्न' को हाथ में लेकर अन्नदाता के हितचिंतक होने का स्वांग कर रहे हैं। प्रदेश जानता है कि प्रतिकूल मौसम से अधिक इनके शासनकाल में हुए दंगों ने ही किसानों को हानि पहुंचाई है।
ये तो सिर्फ 'जिन्ना प्रेमी' हैं...
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बाद बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने भी अखिलेश यादव पर ट्वीट के जरिए हमला बोला, उन्होंने ट्वीट किया कि- हाथ में ‘गन’ लेकर घूमने वाले आज हाथ में ‘अन्न’ लेकर किसान हितैषी बनने का ढोंग कर रहे है… इनके सपा शासन में हमारे किसान भाई रात को अपने खेत पर जाने से भी घबराते थे!
इतना तो तय है कि इस बार के चुनावों में किसान वोटर अपने मतदान की ताकत ज़रूर दिखाएगा, देखने वाली बात ये होगी कि इसमें लखीमपुर-खीरी और किसान आंदोलन का कितना असर होता है।