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भारत
राजनीति
यूपी: हिंसा की आशंका के चलते अब मावी गांव में लगे ‘यह मकान बिकाऊ है’ के पोस्टर
भाजपा शासित राज्य में मामूली झगड़ों को सांप्रदायिक रंग देने के बढ़ते मामलों को देखते हुए मेरठ जिले के मावी गांव के करीब 40 परिवार यहां से पलायन करने का मन बना रहे हैं।
अब्दुल अलीम जाफ़री
06 Jan 2021
up muslim

लखनऊ: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से करीब 85 किमी दूरी पर स्थित उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के मावी गांव में कई मुस्लिम परिवारों ने जिन्हें पिछले हफ्ते मामूली वजह से सांप्रदायिक तनाव के पलों का सामना करना पड़ा है, के बारे में ख़बर है कि भविष्य में और अधिक हिंसा की आशंका के चलते वे यहां से पलायन करने का मन बना रहे हैं।

गुरुवार शाम को गन्ना बेल्ट के इस गांव के गुज्जर समुदाय से सम्बद्ध कुछ युवाओं का इस इलाके के एक मुस्लिम दुकानदार से कथित तौर पर झगड़ा हो गया था। उसके बाद से इस इलाके में तनाव व्याप्त है।

प्राप्त रिपोर्टों के अनुसार फिलहाल कई घरों में ताले लगे हैं, दुकानों के शटर डाउन हैं और इलाके की सड़कें सूनी पड़ी हैं।

वास्तव में देखें तो खास तौर पर अंतर-धार्मिक विवाहों के खिलाफ विवादास्पद कानून के लागू किये जाने के बाद से हिंसा एवं उत्पीड़न की बढ़ती घटनाएं देखने में आ रही हैं। इसे देखते हुए गांव में रह रहे कई मुस्लिम परिवार “सुरक्षित ठिकानों” की ओर पलायन करने के लिए मजबूर हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि यहाँ पर मामूली विवादों को भी सांप्रदायिक रंग दिया जा रहा है।

मावी में इस घटना के बाद से कथित तौर पर करीब 40 मुस्लिम परिवारों ने अपने घरों और संपत्तियों को बेचने और यहाँ से पलायन करने का फैसला लिया है। इन परिवारों ने अपने घरों के आगे ‘ये मकान बिकाऊ है’ के पोस्टर और साइनबोर्डस लगा रखे हैं।

मावी गांव के नौशेर जो गांव में पान मसाला और आवश्यक वस्तुओं की दुकान चलाते हैं, का कहना था कि एक आदमी जिसे वे सुन्दर नाम से पहचानते हैं, 23 दिसंबर को उनकी दुकान पर आया था और 20 रुपये की दो सिगरेट दाम चुकाए बिना ही ले गया था। दुकान से जाते हुए उसने वादा किया था कि वह वापस आकर सिगरेट के पैसे दे देगा, लेकिन एक हफ्ते बाद भी उसने चुकता नहीं किया था। नौशेर ने बताया कि जब अगली बार वह उसकी नजर में आया तो उसने उससे उधार चुकता करने के लिए तकादा किया था, लेकिन बदले में उसने और उसके दोस्तों ने उस पर हमला कर दिया था। उसे मामूली चोटें आईं थीं। हालांकि यह लड़ाई आगे चलकर सांप्रदायिक झड़प में तब्दील हो गई।

मोहम्मद शरीफ जिन्होंने अपने घर के आगे एक इश्तेहार चिपका रखा है, ने न्यूज़क्लिक से कहा “मैं एक मुसलमान हूँ। मैं अपने घर को बेच रहा हूँ, क्योंकि यहाँ पर मामूली मुद्दों पर होने वाले झगड़े अब सांप्रदायिक झड़पों में तब्दील होने लगे हैं।” उनका आरोप था कि गुज्जर समुदाय से सम्बद्ध भीड़ ने उनके घर पर धावा बोल दिया था और सब कुछ तहस-नहस कर डाला था।

मावी गांव में नवाबुद्दीन, इस्लामुद्दीन, शाकिब, नईम अख्तर, आरिफ सैफी और शमशाद जैसे 40 से ज्यादा लोग हैं जिन्होंने अपने घरों की बिक्री वाले पोस्टर चिपका रखे हैं, जिन्हें डिजिटल प्रिंटिंग से छापा गया है।

शरीफ के मुताबिक उन्हें इस बेहद सख्त कदम को उठाने के लिए मजबूर किया जा रहा है क्योंकि वे मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। उनका आरोप था कि यूपी पुलिस “दक्षिणपंथी सरकार के प्रभाव में काम कर रही है।”

शरीफ़ जो यहां से निकलकर दिल्ली में जाकर बसने की सोच रहे हैं का कहना था “मैं अपने घर को इसलिए बेचना चाहता हूँ क्योंकि जब कभी इस इलाके में हिंसा की घटनाएं होती हैं, तो हमें अपने अस्तित्व को लेकर खतरा महसूस होने लगता है। हम यहीं पर पले-बढ़े हैं और इस प्रकार की घटनाएं पहले कभी देखने में नहीं आती थीं। लेकिन पिछले चार-पांच वर्षों से यहाँ पर यह सब रोज का किस्सा हो चुका है।” 

न्यूज़क्लिक से बात करते हुए शरीफ़ ने बताया “एक मुसलमान के स्वामित्व वाली संपत्ति पर एक युवा द्वारा गोली चलाने और शीशे की खिडकियों को तोड़े जाने के सुबूत पुलिस के अधिकारियों को मुहैया कराये जाने के बावजूद उसके खिलाफ केस दर्ज नहीं किया गया। पुलिस ने यह कहते हुए एफआईआर दर्ज करने से मना कर दिया था कि वे हर छोटे-मोटे मामलों पर केस दर्ज नहीं कर सकते हैं।”

एक अन्य ग्रामीण सैयद निशात का कहना था कि यहां पर दोनों ही समुदाय (गुज्जर-मुस्लिम) लंबे समय से शांतिपूर्वक रहते आये हैं, लेकिन “कुछ शरारती तत्व” देश के सामजिक ताने-बाने को ख़राब करने की कोशिशों में लगे हैं। उन्होंने बताया कि इस मुद्दे को हल करने के लिए ग्रामीणों की एक बैठक बुलाई गई थी।

उनका कहना था “इस घटना के बाद तकरीबन 40 परिवार हैं जो अपने घरों को बेचने के इच्छुक हैं, लेकिन मैं यहाँ से कहीं नहीं जाऊँगा। कौन मेरी संपति को बेचेगा, और कौन इसे खरीदेगा, मैं आखिर कहाँ जाऊंगा?

जब इस बाबत न्यूज़क्लिक ने दौराला के सर्किल ऑफिसर (सीओ) संजीव कुमार दीक्षित से संपर्क साधा तो उनका कहना था: “यह दो पक्षों के बीच में सिगरेट के बकाया को लेकर मामूली हाथापाई का मामला था। दोनों पक्षों की ओर से एक-दूसरे पर पथराव किया गया था, लेकिन मामले को सुलझा लिया गया है।” मुसलामानों के अपने घरों को बेचकर गांव से पलायन करने की खबर के बारे में उनका कहना था कि इस बात में कोई सच्चाई नहीं है।

जब उनसे गांव में घरों की बिक्री को लेकर लगाये गए पोस्टरों के बारे में पूछा गया तो उनका कहना था कि उनके पास ऐसी कोई सूचना नहीं है।

कुछ ग्रामीणों के मुताबिक कुछेक परिवार इस घटना के एक दिन बाद ही यहां से पलायन कर गये थे। उनका मानना था कि परिवार की महिला सदस्यों की जान जोखिम की आशंका के चलते उन्हें ऐसा कदम उठाने के लीये मजबूर होना पड़ा था। एक बीमार पिता ने न्यूज़क्लिक से बातचीत के दौरान अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा “मुझे अपने एक रिश्तेदार के घर पर जो पड़ोस के जिले में रहते हैं, के यहाँ अपने परिवार को स्थानांतरित करना पड़ा क्योंकि मेरी तीन बेटियां हैं और उनको लेकर मैं कोई खतरा मोल नहीं ले सकता था। जब से यह घटना घटी है, वे सभी लगातार यही कह रही हैं “अब्बा, हम ऐसे खौफ़ में नहीं जी सकते।”

पिछले वर्ष भी जून में शामली शहर में कई मुस्लिम परिवारों ने यह कहते हुए कि उनके मुस्लिम होने के कारण यूपी पुलिस द्वारा प्रताड़ित किये जाने की वजह से उन्होंने अपने घरों के बाहर “बिक्री” के पोस्टर लगाये थे।

 

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल ख़बर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें-

UP: Fearful of Violence, Muslims Families Put Up 'For Sale' Posters on Homes, Shops in Mavi

 

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communal clash
Uttar pradesh
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