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अब यूपी सरकार ने कहा,''ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई कोई मौत'’, लोगों ने कहा- ज़ख़्मों पर नमक छिड़कने जैसा!
कोरोना की दूसरी लहर को भला कौन ही भूल पाएगा, ऑक्सीजन की कमी से अपनों को खोने का दुख अभी भी लोगों के ज़हन में बिल्कुल ताज़ा है, ऐसे में योगी सरकार की ओर से एक बेतुका बयान ऑक्सीजन की कमी से मरने वालों का जमकर माखौल उड़ाता है...
रवि शंकर दुबे
17 Dec 2021
oxygen
Image courtesy : PTI

अब शायद भूख से हुई मौत की तरह ऑक्सीजन की कमी से हुई मौत को भी साबित करना मुश्किल हो गया है। केंद्र सरकार की तर्ज पर यूपी सरकार ने भी कहा है कि ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं हुई। लखनऊ विधानसभा में स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने विधानसभा में दिए गए एक लिखित पत्र में कहा कि-

''अस्पताल में भर्ती मरीज की मौत होने पर उसका मृत्यु प्रमाण पत्र डॉक्टर लिखकर देते हैं। उत्‍तर प्रदेश में अब तक कोविड-19 के कारण जिन 22,915 मरीजों की मृत्यु हुई है, उनमें से किसी के भी मृत्यु प्रमाण पत्र में कहीं भी ऑक्सीजन की कमी से मौत का जिक्र नहीं है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि 'इन लोगों की मौत विभिन्न बीमारियों और असाध्य रोगों की वजह से हुई। सब जानते हैं कि दूसरे प्रदेशों से लाकर ऑक्सीजन की व्यवस्था की गई थी।’'

इस बयान को अपने ज़हन में रखकर ज़रा कोरोना की दूसरी लहर के दौर को याद करिए, कि कैसे आपके शहर में ऑक्सीजन को लेकर हाहाकार मचा था, लंबी लंबी लाइनें लगीं थीं। याद करिए न्यूज़ चैनल्स की स्क्रीन को जिस पर रात-दिन ऑक्सीजन के लिए परेशान हाल भटकते, रोते-बिलखते लोग नज़र आ रहे थे।

उन दिनों हर दूसरे फोन से मौत की ख़बर आ जाया करती थी, हमें पता भी नहीं चलता था और हमारे पड़ोस में रहने वाला कोई दम तोड़ जाता था, किसी परिवार में अभिभावकों की मौत हो जाती और सिर्फ बच्चे बचते थे, ऐसे ही न जाने कितने लोगों ने अपने करीबियों को खो दिया , जिसमें आधे से ज्यादा लोग ऑक्सीजन की कमी के कारण मर गए, लेकिन सरकार को अब भी अपनी गद्दी बचाने से फुरसत नहीं है।

ऑक्सीजन की कमी से अपनों को खोने वाले कहते हैं कि सरकार का यह बयान ज़ख़्मों पर नमक छिड़कने जासा है। उनका कहना है कि योगी सरकार के मंत्री के जवाब से इतना तो साफ है, कि या तो सरकार के पास आंकड़े ग़लत हैं या फिर सरकार झूठ बोल रही है, और अगर इन दोनों में से कुछ नहीं हैै तो कोरोनो मरीजों का इलाज करने वाले सभी अस्पतालों पर जांच बैठानी चाहिए।

दरअसल विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस विधायक दीपक सिंह के पूछे गए एक सवाल पर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने ये जवाब दिया था, कि कोरोना के किसी भी मरीज की ऑक्सीजन की कमी से मौत नहीं हुई है।

योगी सरकार के इस बयान पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव हमलावर हो गए, उन्होंने रायबरेली में रथ यात्रा के दौरान कहा कि- जब जरूरत थी तब सरकार ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं करा पाई, सरकार कहती है कि बिना ऑक्सीजन के किसी की जान नहीं गई, इससे बड़ा झूठ नहीं हो सकता। हम सबने देखा है लोग भागते रहे ऑक्सीजन के लिए, लोग भागते रहे दवा के लिए, लोग भागते रहे अपनों की जान बचाने के लिए..., लोग श्मशान में लाइन लगाते रहे।'’

अप्रैल, 2021 में देश के कई हिस्सों से हृदय-विदारक खबरें आ रही थीं, महामारी की दूसरी लहर अपने चरम पर थी। क्‍या दिल्‍ली, क्‍या यूपी... बड़े-बड़े राज्‍यों में ऑक्सीजन की किल्‍लत हो गई। परिजन सुबह से शाम तक ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए लाइन में लगे रहते। अस्‍पतालों में बिस्‍तर खाली नहीं थे। मरीज कहीं गाड़ी में तो कहीं सड़क पर ही पड़े रहने को मजबूर थे।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल के आखिरी दिनों में आगरा से आई एक तस्‍वीर ने सबको तोड़कर रख दिया। 43 साल की रेणु सिंघल अपने कोविड संक्रमित पति को ऑटो में लेकर एसएन मेडिकल कॉलेज पहुंची थीं। ऑक्सीजन कहीं थी नहीं तो रेणु अपने मुंह से पति को सांसें देने की कोशिश करती रही। लाख जतन के बावजूद वह पति की जान नहीं बचा पाईं। पति को मुंह से ऑक्सीन देते रेणु की तस्वीर ने देश के लोगों में एक अजीब सा खौफ भर दिया था।

ऑक्सीजन नहीं मिल पाने के कारण हुई ये सिर्फ एक मौत नहीं है, न जाने कितने लोगों ने तो ऑक्सीजन की कमी से रास्ते में ही दम तोड़ दिया, न जाने कितने लोग अपने घर से नहीं निकल पाए… कितने ही परिवार सिर्फ इसलिए अपनों को नहीं बचा पाए क्योंकि ऑक्सीजन का सिलेंडर 50-50 हजार का बिक रहा था। और अब सरकार कहती है कि ऑक्सीजन की कमी से किसी की मौत नहीं हुई, तो इसे क्या समझा जाए।

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