NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
यूपी सरकार ने मुज़फ़्फ़रनगर दंगे से जुड़े 77 मामले लिए वापस, नहीं बताया कोई कारण
योगी सरकार ने साल 2013 के मुजफ्फरनगर दंगे से जुड़े 77 मामले वापस ले लिये हैं, जिनका संबंध ऐसे अपराधों से है जिनमें उम्रकैद की सजा हो सकती है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
26 Aug 2021
यूपी सरकार ने मुजफ्फरनगर दंगे से जुड़े 77 मामले लिए वापस, नहीं बताया कोई कारण

उच्चतम न्यायालय को मंगलवार को बताया गया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने बिना कारण बताए 2013 के मुजफ्फरनगर दंगे से जुड़े 77 मामले वापस ले लिये हैं, जिनका संबंध ऐसे अपराधों से है जिनमें उम्रकैद की सजा हो सकती है।

प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ, वकील अश्वनी उपाध्याय द्वारा दायर की याचिका पर सुनवाई करने वाली है, जिसमें निर्वाचित प्रतिनिधियों के खिलाफ दर्ज मामलों का त्वरित निस्तारण करने का अनुरोध किया गया है।

इस मामले में न्यायमित्र नियुक्त किये गये वरिष्ठ वकील विजय हंसारिया ने वकील स्नेहा कलिता के मार्फत दाखिल की गयी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि राज्य सरकार ने बताया कि 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगे के संबंध में मेरठ जोन के पांच जिलों में 6,869 आरोपियों के विरूद्ध 510 मामले दर्ज किये गये।

हंसारिया ने कहा, ‘‘510 मामलों में से 175 में आरोपपत्र दाखिल किये गये, 165 मामलों में अंतिम रिपोर्ट जमा की गयी, 175 हटा दिये गये। उसके बाद 77 मामले राज्य सरकार ने सीआरपीसी की धारा 321 के तहत वापस ले लिये। सरकारी ओदश में सीआरपीसी की धारा 321 के तहत मामले को वापस लेने का कोई कारण भी नहीं बताया गया। उसमें बस इतना कहा गया है कि प्रशासन ने पूरा विचार करने के बाद मामलों को वापस लेने का फैसला किया है।’’

उन्होंने कहा कि उनमें से कई मामलों का संबंध भादंसं की धारा 397 के तहत डकैती जैसे अपराधों से है जिनमें उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है।

हंसारिया ने कहा कि 2013 के मुजफ्फरनगर दंगे से जुड़े इन 77 मामलों की सीआरपीसी की धारा 321 के तहत की गयी वापसी पर,  उच्च न्यायालय सीआरपीसी की धारा 401 के तहत समीक्षा अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए परीक्षण कर सकता है।

न्यायमित्र ने कहा कि इसी तरह कर्नाटक सरकार ने 62, तमिलनाडु ने 4, तेलंगाना ने 14 और केरल ने 36 मामले बिना कारण बताए वापस ले लिये।

हंसारिया ने कहा कि इस न्यायालय ने 10 अगस्त, 2021 को आदेश दिया था कि उच्च न्यायालय की अनुमति के बगैर सांसद/विधायक के विरूद्ध अभियोजन वापस नहीं लिया जाएगा।

आपको बता दें मुजफ्फरनगर दंगा मामले में भड़काऊ भाषण देने के आरोपी योगी सरकार के मंत्री सुरेश राणा, विधायक संगीत सोम, कपिल देव और साध्वी प्राची पर दंगा भड़काने का मुकदमा फिर से चल सकता है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से आरोपियों के साथ योगी सरकार की मुश्किलें भी बढ़ सकती हैं। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने सांसद विधायकों के खिलाफ दर्ज मुकदमों को वापस लेने पर रोक लगा दी है। राज्य सरकारों की मुकदमा वापस लेने की शक्तियों को खत्म करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कोई भी राज्य, हाईकोर्ट की मंजूरी के बिना सांसदों विधायकों के खिलाफ किसी भी आपराधिक मामले को वापस नहीं ले सकता है। यही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने 16 सितंबर 2020 के बाद वापस लिए गए, विचारधीन व निस्तारित मुकदमों की समीक्षा (जांच) के भी आदेश दिए हैं।

योगी सरकार ने मार्च 2021 में सुरेश राणा, संगीत सोम आदि के मुकदमे, राजनीति से प्रेरित बताते हुए वापस ले लिए थे। इसी से मुजफ्फरनगर दंगे से जुड़े इन मुकदमों के दोबारा खुलने को योगी सरकार के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।

दूसरी ओर, एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी उम्मीदवारों का आपराधिक इतिहास सार्वजनिक न करने के कारण भाजपा, कांग्रेस सहित 8 राजनीतिक दलों पर 1 से 5 लाख रुपयों तक का जुर्माना लगाया है। मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना, न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की खंडपीठ ने सांसदों और विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों की पेंडेंसी और विशेष अदालतों की स्थापना मामले में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिए हैं। बेंच ने आदेश दिया है कि पहला मुद्दा मामलों को वापस लेने के संबंध में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 321 के तहत शक्ति के दुरुपयोग का है। कोर्ट ने कहा, हम निर्देश देते हैं कि सांसदों, विधायकों के खिलाफ कोई भी मुकदमा बिना उच्च न्यायालय की अनुमति के वापस न लिया जाए। बेंच ने एमिकस क्यूरी वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसरिया के अनुरोध के अनुसार निर्देश जारी किया कि सीआरपीसी की धारा 321 के तहत उच्च न्यायालय की अनुमति के बिना किसी संसद सदस्य या विधानसभा, परिषद सदस्य (वर्तमान और पूर्व) के विरुद्ध किसी भी अभियोजन को वापस लेने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। 

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)

UttarPradesh
muzaffarnagar
muzaffarnagar riots
Muzaffarnagar Riots Case
Supreme Court
Yogi Adityanath
yogi government
BJP

Related Stories

बदायूं : मुस्लिम युवक के टॉर्चर को लेकर यूपी पुलिस पर फिर उठे सवाल

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

ज्ञानवापी मस्जिद के ख़िलाफ़ दाख़िल सभी याचिकाएं एक दूसरे की कॉपी-पेस्ट!

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र क़ानूनी मान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    मुंडका अग्निकांड के खिलाफ मुख्यमंत्री के समक्ष ऐक्टू का विरोध प्रदर्शन
    20 May 2022
    मुंडका, नरेला, झिलमिल, करोल बाग से लेकर बवाना तक हो रहे मज़दूरों के नरसंहार पर रोक लगाओ
  • रवि कौशल
    छोटे-मझोले किसानों पर लू की मार, प्रति क्विंटल गेंहू के लिए यूनियनों ने मांगा 500 रुपये बोनस
    20 May 2022
    प्रचंड गर्मी के कारण पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे गेहूं उत्पादक राज्यों में फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है।
  • Worship Places Act 1991
    न्यूज़क्लिक टीम
    'उपासना स्थल क़ानून 1991' के प्रावधान
    20 May 2022
    ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़ा विवाद इस समय सुर्खियों में है। यह उछाला गया है कि ज्ञानवापी मस्जिद विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी। ज्ञानवापी मस्जिद के भीतर क्या है? अगर मस्जिद के भीतर हिंदू धार्मिक…
  • सोनिया यादव
    भारत में असमानता की स्थिति लोगों को अधिक संवेदनशील और ग़रीब बनाती है : रिपोर्ट
    20 May 2022
    प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद की रिपोर्ट में परिवारों की आय बढ़ाने के लिए एक ऐसी योजना की शुरूआत का सुझाव दिया गया है जिससे उनकी आमदनी बढ़ सके। यह रिपोर्ट स्वास्थ्य, शिक्षा, पारिवारिक विशेषताओं…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हिसारः फसल के नुक़सान के मुआवज़े को लेकर किसानों का धरना
    20 May 2022
    हिसार के तीन तहसील बालसमंद, आदमपुर तथा खेरी के किसान गत 11 मई से धरना दिए हुए हैं। उनका कहना है कि इन तीन तहसीलों को छोड़कर सरकार ने सभी तहसीलों को मुआवजे का ऐलान किया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License