NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
यूक्रेन: एक परमाणु संपन्न राज्य में युद्ध के खतरे
यूक्रेन के ऊपर रूस के आक्रमण से परमाणु युद्ध का खतरा वास्तविक बन गया है। लेकिन क्या होगा यदि देश के 15 परमाणु उर्जा रिएक्टरों में से एक भी यदि गोलीबारी की चपेट में आ जाए?
स्टुअर्ट ब्राउन
03 Mar 2022
Ukraine
1986 के चेर्नोबिल परमाणु आपदा के दौरान सेना का एक हेलीकॉप्टर परमाणु विकिरण को तितर—बितर करने की कोशिश में मदद करता हुआ।

पिछले सप्ताह जब यूक्रेन में चेर्नोबिल परमाणु स्थल को रुसी सेनाओं ने अपने कब्जे में ले लिया था, तो यूक्रेनी विदेश मंत्रालय की ओर से “एक और पारिस्थितिक आपदा” की संभावना की चेतावनी दे दी गई थी।

यूक्रेन के राज्य परमाणु विनियामक के मुताबिक, चेर्नोबिल निषिद्ध क्षेत्र में सामान्य विकिरण स्तर - जिसमें चार बंद पड़े रिएक्टर भी शामिल हैं, उनमें से एक 1986 में पिघल गया था और समूचे यूरोप में इसका रेडियोधर्मी कचरा फ़ैल गया था, कथित तौर पर क्षेत्र में सैन्य गतिविधि बढ़ने की वजह से पार हो गया था।

लेकिन चेर्नोबिल संयंत्र से परे भी चिंतायें यह बनी हुई हैं कि यूक्रेन के 15 सक्रिय परमाणु रिएक्टरों में से कुछ गोलाबारी की चपेट में आ सकते हैं।

ग्रीनपीस पूर्वी एशिया से सम्बद्ध परमाणु विशेषज्ञ शौन बर्नी ने डीडब्ल्यू के साथ अपनी बातचीत में कहा, “परमाणु शक्ति के इतिहास में यह एक अद्वितीय परिस्थिति देखने को मिल रही है- या कहें कि इतिहास में यह पहली बार है कि जब हम एक ऐसी स्थिति का सामना कर रहे हैं जहाँ एक राष्ट्र पूर्ण पैमाने पर युद्ध के बीच में रहते हुए 15 परमाणु रिएक्टरों का संचालन कर रहा है।” बर्नी का कहना था कि ये संयंत्र यूक्रेन की बिजली आपूर्ति का तकरीबन आधा हिस्सा प्रदान करते हैं, हालाँकि फ़िलहाल 15 रिएक्टरों में से सिर्फ नौ ही काम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, “पूर्ण पैमाने पर युद्ध की स्थिति में सुरक्षा को तैयार करने का विचार कभी भी किसी राष्ट्र की योजना का हिस्सा नहीं रहा, कम से कम व्यावसायिक परमाणु उर्जा के संदर्भ में तो इस पर कोई विचार नहीं ही किया गया था।”

बर्नी का कहना था, यद्यपि सोवियत संघ में शीत युद्ध के युग में कुछ रिएक्टरों को सैन्य खतरों से बचने के लिए भूमिगत तौर पर निर्मित किया गया था, किंतु यूक्रेन में सभी “विशालकाय सुविधाओं” को जमीन की सतह पर ही निर्मित किया गया था।

बर्नी और ग्रीनपीस पूर्वी एशिया के अपने सहयोगी जान वंदे पुट्टे ने बुधवार को सैन्य संघर्ष के दौरान परमाणु संयंत्रों की भेद्यता पर एक संक्षिप्त टिप्पणी जारी करते हुए लिखा है, “परमाणु उर्जा संयंत्र अपने आप में सबसे जटिल एवं संवेदनशील औद्योगिक प्रतिष्ठानों में से एक होते हैं, जिन्हें सुरक्षित बनाये रखने के लिए हर पल तैयार स्थिति में सनाध्नों के एक बेहद जटिल समूह की जरूरत होती है।”

अक्षम कूलिंग सिस्टम से विकिरण के रिसाव का खतरा बना हुआ है 

युद्ध के दौरान विद्युत् ग्रिड के बंद हो जाने की स्थिति में कार्यरत रिएक्टरों के विशेष तौर पर चपेट में आ जाने का खतरा उत्पन्न हो जाता है। यदि क्षेत्र में भारी बमबारी की वजह से किसी संयंत्र की विद्युत आपूर्ति अक्षम हो जाती है, तो इसकी वजह से रिएक्टर की कूलिंग अक्षम हो सकती है। और इसकी वजह से खर्च हो चुके इंधन भंडारण की कूलिंग जो अपेक्षाकृत हल्की दीवारों के भीतर निहित होता है, को प्रभावित कर सकता है।

बर्नी ने कहा, सबसे बुरी स्थिति में यह फुकुशिमा जैसे मेल्टडाउन “बड़े पैमाने पर रेडियोधर्मिता के निस्तारण” को जन्म दे सकता है।

ये चिंतायें यूरोप के दो सबसे बड़े संयंत्रों में से एक ज़पोरिज्जिया संयंत्र के दक्षिणी हिस्से में बढ़ चुकी सैन्य गतिविधि के कारण बढ़ गई हैं। इसके पास छह रिएक्टर हैं और उच्च-स्तर के परमाणु कचरा ईंधन के लिए भंडारण सुविधा मौजूद है। इस ब्रीफिंग में कहा गया है कि ज़पोरिज्जिया के क्षेत्र में सशस्त्र संघर्ष ने “बड़े जोखिमों की काली छाया को बढ़ा दिया है।”

इसके लेखकों का कहना है कि यह स्थल पहले सी ही दयनीय स्थिति में है, क्योंकि इनमें से कुछ पुराने रिएक्टरों का निर्माण और डिजाइन आधी सदी पहले 1970 के दशक में किया गया था। ग्रीनपीस फ़्रांस और लक्जमबर्ग के परमाणु अभियान कार्यकर्ता रोजर स्पाउट्ज़ का कहना है कि इन रिएक्टरों के मूल 40 वर्ष के जीवनकाल का विस्तार पहले ही किया जा चुका है – जैसा कि फ़्रांस के मामले में भी है।

स्पाउट्ज़ ने कहा, “सबसे बड़ा जोखिम इस बात का बना हुआ है कि कचरा ईंधन यदि मिसाइल से टकराता है या अक्षम उर्जा प्रणाली की वजह से इसे ठंडा नहीं किया जा सकता है।” उनका कहना था “इसके लिए आपको 24 घंटे बिजली की जरूरत है”, और डीजल बैकअप वाले जनरेटर कई हफ्तों तक चलनी में सक्षम नहीं हो सकते हैं, जो कि युद्ध के समय अत्यंत आवश्यक हो सकता है।

बर्नी के मुतबिक सीधे हमले की गुंजाइश नहीं है, लेकिन गोलाबारी में कचरा—ईंधन की रोकथाम के लिए बनाये गए ढाँचे के “गलती से नष्ट होने” की संभावना बनी हुई है।

‘खतरनाक ताकतों से युक्त प्रतिष्ठान’

जेनेवा कन्वेंशन को उद्धृत करते हुए यूके स्थित कंफ्लिक्ट एंड एनवायरनमेंट ऑब्जर्वेटरी के अनुसंधान एवं नीति निदेशक डौग वीयर का कहना था, “परमाणु उर्जा संयंत्रों को अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून के तहत ‘खतरनाक ताकतों से युक्त प्रतिष्ठानों’ के तौर पर परिभाषित किया गया है और उन पर किसी भी सूरत में हमला नहीं किया जाना चाहिए।”

बर्नी का मानना है कि रूस, जिसके पास यूक्रेन की तुलना में दोगुने से अधिक संख्या में रिएक्टर हैं, वह इन स्थलों पर प्रत्यक्ष हमले के दुष्परिणामों को समझता है, जिसमें यदि हवाएँ पश्चिम दिशा में बहती हैं तो खुद रूस में परमाणु संदूषण का होने की संभावना शामिल है।    

वीयर ने कहा, “हम ज़पोरिज्जिया जैसे स्थलों को जानबूझकर निशाना बनाये जाने की उम्मीद नहीं कर रहे हैं, लेकिन रूस जिस प्रकार के भारी हथियारों को तैनात कर रहा है वे खासतौर पर सटीक नहीं हैं।”

 “ऐसे स्थलों के आसपास लड़ाई करने से हर कीमत पर बचना चाहिए।”

सोमवार को, यूक्रेन के राज्य द्वारा संचालित परमाणु उर्जा संयंत्र ऑपरेटर एनेर्गोटॉम के प्रमुख पेट्रो कोटिन ने परमाणु सुविधाओं के “बिल्कुल आसपास से गुजरते” रुसी कतारों के सैन्य उपकरणों एवं तोपखाने के बारे में अंतर्राष्ट्रीय एटमी उर्जा एजेंसी के समक्ष अपनी चिंता व्यक्त की थी।

एनेर्गोटॉम संयंत्रों के निकट गोलाबारी के बारे में आईएईए को सूचित करते हुए कोटिन ने इसे “समूचे गृह के लिए बेहद अवांछनीय खतरे” के परिणाम के तौर पर बताया।

अपने जवाब में उन्होंने आईएईए से हस्तक्षेप करने और परमाणु उर्जा संयंत्रों के चारों ओर 30 किलोमीटर (18 मील) को गैर-संघर्ष क्षेत्र का समर्थन करने का आह्वान किया है।

स्पाउट्ज़ ने एक अन्य चिंता यह व्यक्त की है कि रुसी सेना किसी उर्जा संयंत्र पर कब्जा कर सकती है, लेकिन संभव है उसके पास इसे ठीक से प्रबंधित करने के लिये आवश्यक कर्मचारी न हों। उन्होंने कहा, “ऐसे में संयंत्र के बारे में जानकारी रखने वाले कई सौ तकनीकी कर्मचारियों की आपको जरूरत पड़ेगी।”

यूक्रेन में परमाणु संयंत्रों की भेद्यता पर ग्रीनपीस की संक्षिप्त टिप्पणी में कहा गया है कि नीपर नदी से बाढ़ की स्थिति में कर्मचारियों की जरूरत पड़ेगी, जो ज़पोरिज्जिया संयंत्र के आसपास के क्षेत्र में बहती है।

नीपर बांधों और जलाशयों की प्रणाली को जो ज़पोरिज्जिया रिएक्टरों के लिए ठंडा पानी मुहैय्या कराती है, यदि क्षतिग्रस्त हो जाती है और पानी की आपूर्ति सीमित हो जाती है, तो उस स्थिति में परमाणु ईंधन के अत्यधिक गर्म होने और विकिरण का निस्तारण शुरू हो सकता है।

बर्नी का कहना था, “इन सभी सुविधाओं की निरंतर निगरानी की आवश्यकता है। वे निष्क्रिय तौर पर सुरक्षित नहीं हैं।”

संपादन: तमसिन वॉकर 

साभार: डीडब्ल्यू  

अंग्रेज़ी में प्रकाशित इस मूल आलेख को पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें:- 

Ukraine: The Risks of War in a Nuclear State

Nuclear Power
ukraine
Nuclear Accident
Chernobyl
military conflict
Russian invasion of Ukraine
Nuclear Reactors
nuclear contamination

Related Stories

बाइडेन ने यूक्रेन पर अपने नैरेटिव में किया बदलाव

पश्चिम बैन हटाए तो रूस वैश्विक खाद्य संकट कम करने में मदद करेगा: पुतिन

और फिर अचानक कोई साम्राज्य नहीं बचा था

यूक्रेन युद्ध से पैदा हुई खाद्य असुरक्षा से बढ़ रही वार्ता की ज़रूरत

फ़िनलैंड-स्वीडन का नेटो भर्ती का सपना हुआ फेल, फ़िलिस्तीनी पत्रकार शीरीन की शहादत के मायने

यूक्रेन में संघर्ष के चलते यूरोप में राजनीतिक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव 

गुटनिरपेक्षता आर्थिक रूप से कम विकसित देशों की एक फ़ौरी ज़रूरत

यूक्रेन की स्थिति पर भारत, जर्मनी ने बनाया तालमेल

रूस-यूक्रैन संघर्षः जंग ही चाहते हैं जंगखोर और श्रीलंका में विरोध हुआ धारदार

अमेरिका ने रूस के ख़िलाफ़ इज़राइल को किया तैनात


बाकी खबरें

  • blast
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हापुड़ अग्निकांड: कम से कम 13 लोगों की मौत, किसान-मजदूर संघ ने किया प्रदर्शन
    05 Jun 2022
    हापुड़ में एक ब्लायलर फैक्ट्री में ब्लास्ट के कारण करीब 13 मज़दूरों की मौत हो गई, जिसके बाद से लगातार किसान और मज़दूर संघ ग़ैर कानूनी फैक्ट्रियों को बंद कराने के लिए सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही…
  • Adhar
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: आधार पर अब खुली सरकार की नींद
    05 Jun 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस सप्ताह की जरूरी ख़बरों को लेकर फिर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन
  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष
    05 Jun 2022
    हमारे वर्तमान सरकार जी पिछले आठ वर्षों से हमारे सरकार जी हैं। ऐसा नहीं है कि सरकार जी भविष्य में सिर्फ अपने पहनावे और खान-पान को लेकर ही जाने जाएंगे। वे तो अपने कथनों (quotes) के लिए भी याद किए…
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' का तर्जुमा
    05 Jun 2022
    इतवार की कविता में आज पढ़िये ऑस्ट्रेलियाई कवयित्री एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' जिसका हिंदी तर्जुमा किया है योगेंद्र दत्त त्यागी ने।
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित
    04 Jun 2022
    देशभक्तों ने कहां सोचा था कि कश्मीरी पंडित इतने स्वार्थी हो जाएंगे। मोदी जी के डाइरेक्ट राज में भी कश्मीर में असुरक्षा का शोर मचाएंगे।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License