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उन्नाव कांड : विधायक कुलदीप सिंह सेंगर दोषी करार, सज़ा का ऐलान जल्द
उन्नाव दुष्कर्म मामले में कुलदीप सिंह सेंगर दोषी करार, जानें दर्द और इंसाफ की पूरी कहानी
सोनिया यादव
16 Dec 2019
unnao case
Image courtesy: Social Media

आज 16 दिसंबर है। वही 16 दिसंबर जिस दिन निर्भया के साथ दरिंदगी हुई थी। और आज ही के दिन करीब ढाई साल के घटनाक्रम के बाद तीस हजारी कोर्ट ने उन्नाव दुष्कर्म मामले में आरोपी भाजपा से निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दोषी करार दिया है। इस मामले में सजा का ऐलान जल्द होगा। दोनों मामले संगीन हैं। एक ओर निर्भया के मामले में जहां कोर्ट से फैसला आने के बावजूद अभी भी अपराधियों की फांसी बाकी है वहीं कुलदीप सिंह सेंगर मामले में पीड़िता को आज न्याय मिला है।

भाजपा के पूर्व नेता और विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर साल 2017 जून में नाबालिग लड़की के अपहरण और दुष्कर्म के आरोप लगे थे लेकिन बीजेपी ने काफी होहल्ला होने के बाद अगस्त 2019 में कुलदीप सिंह सेंगर को पार्टी से बर्खास्त किया। फिलहाल सेंगर तिहाड़ जेल में बंद है, लेकिन इसके बावजूद पीड़िता और उसके परिवार द्वारा लगातार उत्पीड़न के आरोप लगाए जा रहे हैं। कोर्ट ने इस मामले में भारतीय दंड संहिता की धाराओं 376 (दुष्कर्म), 363 (अपहरण), 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र), 366 (अपहरण एवं महिला पर विवाह के लिए दबाव डालना), और बाल यौन अपराध संरक्षण कानून (पॉक्सो) की प्रासंगिक धाराओं के तहत आरोप तय किए हैं।

क्या है पूरा मामला?

उन्नाव के बांगरमऊ से विधायक कुलदीप सेंगर का नाम अप्रैल 2018 में चर्चा में आया था। अप्रैल माह की 8 तारीख को एक लड़की ने मुख्यमंत्री आवास के सामने आत्महत्या की कोशिश की और आरोप लगाया कि बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर और उसके साथियों ने उस लड़की के साथ गैंगरेप किया है। फिर 9 तारीख की सुबह होते-होते खबर आई कि आरोप लगाने वाली लड़की के पिता की जेल में ही मौत हो गई है। परिस्थितियां संदिग्ध थी, जिस पर सवाल उठना लाज़मी था। जिसके बाद मामले ने सियासी तूल पकड़ा और मामले की जांच सीबीआई की जांच सीबीआई को सौंप दी गई।
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जून-जुलाई 2017

इस मामले की शुरुआत 4 जून, 2017 को हुई। पीड़िता के मुताबिक वह विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के यहां नौकरी दिलाने में मदद के लिए उससे मिलने गई, तब विधायक कुलदीप सेंगर ने उसके साथ बलात्कार किया और फिर किसी से कुछ कहने पर पूरे परिवार को जान से मारने की धमकी भी दी। इसके बाद 11 जून को पीड़ित लड़की ग़ायब हो गई, जिसके बाद लड़की के परिवार वालों ने उसकी ग़ुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। इसके हफ्तेभर बाद पुलिस ने पीड़िता लड़की को औरैया के एक गांव से बरामद किया और उसे अगले दिन उन्नाव लाया गया।

22 जून, 2017 को पीड़िता की पहली बार कोर्ट में पेशी हुई और सीआरपीसी की धारा 164 के तहत उसका बयान दर्ज किया गया। बयान में पीड़िता ने आरोप लगाया था कि पुलिस ने बयान में विधायक कुलदीप सिंह सेंगर का नाम नहीं लेने दिया।

बयान दर्ज करवाने के 10 दिन बाद यानी 3 जुलाई, 2017 को पीड़िता को पुलिस ने परिजनों को सौंपा और पीड़िता दिल्ली आ गई। इस दौरान पीड़िता ने पुलिस पर शोषण करने का आरोप लगाया और उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ से गुहार लगाई कि विधायक कुलदीप सिंह सेंगर और उनके भाई अतुल सिंह सेंगर का नाम एफ़आईआर में शामिल किया जाए।
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फरवरी-जुलाई 2018

साल 2018, फरवरी में पीड़िता की मां सामने आईं और उन्होंने उन्नाव के चीफ़ ज्यूडिशिल मजिस्ट्रेट कोर्ट में सीआरपीसी के सेक्शन 156 (3) के तहत एफ़आईआर दर्ज करने की मांग की। जिसके बाद 3 अप्रैल को लड़की के पिता के साथ कथित तौर पर विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के भाई अतुल सिंह सेंगर ने मारपीट की। इसके बाद अगले ही दिन 4 अप्रैल को उन्नाव पुलिस ने पीड़ित लड़की के पिता को ग़ैर-क़ानूनी रूप से हथियार रखने के आरोप में आर्म्स एक्ट के तहत गिरफ़्तार कर लिया।

इतना सब घटित होने के बाद मामला तब सुर्खियों में आया जब 8 अप्रैल को पीड़िता ने विधायक पर एफ़आईआर दर्ज कराने को लेकर सीएम आदित्यनाथ के आवास सामने आत्मदाह करने की कोशिश की। इस मामले में पुलिस पर उदासीनता का आरोप लगाया और परिवार ने आरोप लगाया कि एफ़आईआर दर्ज कराने के बाद उन्हें परेशान किया जा रहा है। ठीक इसके एक दिन ही बाद 9 अप्रैल को लड़की के पिता की पुलिस कस्टडी में मौत हो गई।

10 अप्रैल को जब पीड़िता के पिता की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आई तो उसमें उन्हें 14 जगह चोटें लगने की बात सामने आई। इस मामले में छह पुलिस वालों को सस्पेंड भी किया गया और मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए गए। सियासी घमासान और हो-हल्ला के बीच 11 अप्रैल को राज्य की योगी सरकार ने ये केस सीबीआई को सौंपने के आदेश दिए।

12 अप्रैल को विधायक कुलदीप सिंह सेंगर नाबालिग के साथ दुष्कर्म मामले में अभियुक्त बनाया गया लेकिन इसके बावजूद गिरफ्तारी नहीं की गई। जिसके बाद इस मामले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया और राज्य सरकार से पूछा कि सरकार विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की गिरफ्तारी करेगी या नहीं। इसके एक दिन बाद ही 13 अप्रैल को सीबीआई ने विधायक सेंगर को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया, उसके बाद गिरफ्तारी की और मामले में नई एफ़आईआर दर्ज की गई।

इस केस में 11 जुलाई 2018 को सीबीआई ने पहली चार्जशीट दायर की जिसमें विधायक कुलदीप सिंह सेंगर का नाम रखा गया। इसके दो दिन बाद 13 जुलाई को इस मामले में दूसरी चार्जशीट दायर की गई और पीड़िता के पिता को कथित तौर पर फंसाने के मामले में कुलदीप सेंगर, भाई अतुल सेंगर और कुछ पुलिस वालों को अभियुक्त बनाया गया। इस मामले में कुलदीप सेंगर, अतुल सेंगर सहित सात लोग अभियुक्त हैं।
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जुलाई- दिसंबर 2019

इस पूरे मामले में एक नया मोड़ उस वक्त सामने आया जब 28 जुलाई 2019 को पीड़िता अपनी चाची, मौसी और वकील के साथ रायबरेली जा रही थी, जहां कार को ट्रक ने टक्कर मारी। ये एक्सीडेंट इतना भयानक था कि हादसे में पीड़िता की चाची और मौसी की मौत हो गई। इस हादसे में पीड़िता और उसके वकील भी गंभीर रूप से घायल हुए, उन्हें लखनऊ के किंग जॉर्ज अस्पताल में भर्ती कराया गया। इस एक्सीटेंड़ के पीछे भी कुलदीप सेंगर का नाम आया और सबसे हैरानी की बात ये थी कि जिस ट्रक के साथ कार का एक्सीडेंट हुआ उसके नंबर प्लेट पर ग्रीस लगाकर नंबर छुपाया गया था।

एक अगस्त को तत्कालीन चीफ़ जस्टिस रंजन गोगोई ने सभी पांचों मामले लखनऊ की अदालत से दिल्ली की एक सीबीआई अदालत को ट्रांसफ़र करने के आदेश दिए। उन्होंने इस मामले की सुनवाई रोज़ाना करने के लिए आदेश दिए और कहा कि 45 दिनों में सुनवाई पूरी की जाए। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िता के चाचा को सुरक्षा कारणों से रायबरेली की जेल से दिल्ली के तिहाड़ जेल शिफ़्ट करने का आदेश दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने 5 अगस्त को पीड़िता को बेहतर इलाज के लिए लखनऊ से दिल्ली लाने का आदेश दिया। इसके चार दिन बाद यानी 9 अगस्त, 2019 को दिल्ली की एक सत्र अदालत ने कुलदीप सेंगर के ख़िलाफ़ आरोप तय कर दिए। सेंगर पर बलात्कार [376 (1)] और आपराधिक साज़िश [(120 B)] समेत आईपीसी की कई धाराओं में मामले दर्ज किए गए हैं। इसके साथ ही पॉक्सो एक्ट के सेक्शन तीन और चार के तहत भी मामला दर्ज किया गया है। 14 अगस्त को पीड़िता के पिता की मौत के मामले में सेंगर समेत नौ लोगों पर कोर्ट ने आरोप तय किए।

सुप्रीम कोर्ट ने 7 सितंबर को दिल्ली के एम्स में अस्थाई तौर पर कोर्ट लगाने का आदेश दिया ताकि पीड़िता का बयान दर्ज किया जा सके।

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली महिला आयोग को दिल्ली में पीड़िता और उसके परिवार के लिए अस्थायी तौर पर (11 महीनों के लिए) रहने की व्यवस्था एक सुरक्षित स्थान पर करने का निर्देश भी दिया।

11 अक्तूबर को पीड़िता की कार पर हमले के मामले में सीबीआई ने कुलदीप सेंगर के ख़िला़फ चार्जशीट दायर की।

10 दिसंबर को कोर्ट ने आज 16 दिसंबर के लिए अपना फ़ैसला सुरक्षित रखा था। इस मामले में बंद कमरे में कैमरे के सामने सुनवाई हुई थी। जिसके दौरान अभियोजन पक्ष के 13 गवाहों और बचाव पक्ष के नौ गवाहों से जिरह हुई। जिसके बाद आज कोर्ट ने कुलदीप सेंगर को दोषी करार दिया है।

कौन है कुलदीप सिंह सेंगर?

उत्तर प्रदेश में कुलदीप सिंह सेंगर की छवि बाहुबली नेता की है। सेंगर ने अपनी राजनीतिक पारी उत्तर प्रदेश की सभी अहम पार्टियों में खेली है। कांगेस पार्टी से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले कुलदीप सिंद सेंगर ने साल 2002 के चुनावों से पहले बहुजन समाज पार्टी का दामन थाम लिया। इसके बाद 2007 में सेंगर समाजवादी पार्टी में शामिल हो गया और फिर 2017 में बीजेपी के टिकट पर वह विधायक बन गया। कभी बसपा, सपा तो कभी बीजेपी का दामन थाम सेंगर 2002 से लगातार विधायक है। इस मामले में बाजेपी की किरकिरी होने के बाद अब उसे पार्टी से निलंबित कर दिया गया।

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